RE: Hindi Porn Stories कंचन -बेटी बहन से बहू तक का सफ़र
दवाई ले कर मैं घर चली गयी. वीना को क्या बताती कि अब तो मेरी चूत और गांद पे विकी के लंड का ही नाम लिखा है. मेरी चूत या गांद कितनी भी चौड़ी क्यों ना हो जाए अब तो विकी के लंड के बिना जीना नामुमकिन था. लेकिन एक हफ्ते का टाइम निकालना ज़रूरी था. एक हफ्ते से पहले मेरी चूत और गांद की हालत ठीक नहीं होने वाली थी. घर पहुँची तो विकी मेरा इंतज़ार कर रहा था. देखते ही बोला,
“ कहाँ गयी थी दीदी ? मैं तो बहुत देर से आपका इंतज़ार कर रहा हूँ. मैं तो समझा आप नाराज़ हो के कहीं अपने घर तो नहीं चली गयी.”
“ तुझसे नाराज़ क्यों होंगी? तूने जो कुच्छ किया मेरी मर्ज़ी से किया. मैं तो डॉक्टर के पास गयी थी.”
‘ क्या हुआ दीदी?” विकी ने घबरा के पूचछा.
“देख विकी तेरा बहुत बड़ा है. मेरे आगे और पीछे बहुत दर्द हो रहा था.”
“ तो डॉक्टर ने क्या कहा?”
“ आगे से तो बहुत सूज गयी है, और पीछे का छेद फॅट गया है.”
“ सॉरी दीदी मैने जान के कुच्छ नहीं किया.”
“ जानती हूँ, तेरा है ही इतना बड़ा. तेरा कोई दोष नहीं.”
“ डॉक्टर ने क्या इलाज बताया?”
“ पहले तो बाल साफ करने को कहा. आगे और पीछे लगाने के लिए दवाई दी है और सेक भी करना है एक हफ्ते तक. पता नहीं बाल कैसे साफ कर पाउन्गि?”
“ दीदी आप बुरा ना मानो तो मैं आपके बाल साआफ कर दूँगा.”
“ हट पागल ! तूने जो कुच्छ करना था कर लिया.”
“ दीदी विश्वास करिए. मैं आपको एक भाई की तरह देखूँगा.”
“ अच्छा ! भाई भी अपनी बेहन की चूत के बाल सॉफ करते हैं?” मैने आख़िर चूत जैसा शब्द इस्तेमाल कर ही लिया. इस तरह का शब्द मैने विकी से चुदाई के बाद से अभी तक इस्तेमाल नहीं किया था. चुड़वाते वक़्त ऐसे शब्द बोलना और बात थी.
“ तो क्या हो गया दीदी? बेहन की तकलीफ़ में भाई काम ना आए तो भाई कैसा? और मैं आपको धोका नहीं दूँगा. वैसे भी आप अपने आप कैसे बाल साफ करोगी?”
“ तू ठीक कह रहा है. ठीक है तू ही साफ कर देना. लेकिन ध्यान रहे कोई शरारत नहीं.”
“ प्रॉमिस दीदी बिल्कुल नहीं.”
“ ठीक है आज रात को मेरे कमरे में आ जाना. साथ में अपना शेविंग का समान भी ले आना.”
रात में जब मम्मी, पापा अपने कमरे में चले गये तो विकी शेविंग का सामान ले के मेरे कमरे में आया. मैं भी नहा धो कर विकी के आने का इंतज़ार कर रही थी. मैने वोही छ्होटा सा नाइट गाउन पहन रखा था. अंडर से सिर्फ़ पॅंटी पहनी हुई थी.
“ चलो दीदी अपना गाउन उतार दो और बिस्तेर पे बैठ जाओ.”
“ अच्छा! गाउन क्यों उतारू? तूने जिस जगह पे काम करना है वो जगह तुझे मिल जाएगी.”
“ अच्छा बाबा अब बैठ जाओ.” मैं बिस्तेर पे बैठ गयी.
“ अब टाँगें तो खोलो शेव कैसे करूँगा?” मैने धीरे धीरे टाँगें फैला के चौड़ी कर दी. गाउन सामने से खुल गया. मेरी छ्होटी सी पॅंटी ने मेरी सूजी हुई चूत को बड़ी मुश्किल से धक रखा था. झाँटें तो पूरी बाहर ही निकली हुई थी.
“ ओफ दीदी आपने तो पॅंटी भी नहीं उतारी. वैसे भी बड़ी मुश्किल से आपकी जायदाद को ढक पाती है.” ये कह के उसने मुझे खड़ा कर दिया और पॅंटी नीचे सरकाने लगा. मेरी पॅंटी हमेशा की तरह मेरे विशाल चूतरो से सिमट के उनके बीच की दरार में फँसी हुई थी. विकी ने खीच के चूतरो के बीच फँसी पॅंटी को निकाला.
“ दीदी आपकी पॅंटी हमेशा ही आपके नितंबो के बीच में फँसी होती है.”
“ अरे तो इसमे मेरा क्या कसूर ?”“
हां दीदी आपका कोई कसूर नहीं. कसूर तो इन मोटे मोटे नितंबों का है. बेचारी पॅंटी क्या करे? पिस जाती होगी इन भारी नितंबों के बीच में.” विकी ने मेरी पॅंटी उतार दी और अपने नाक पे लगाके सूंघने और चूमने लगा.
“ऊफ़ क्या मादक खुश्बू है! सच दीदी आपकी पॅंटी कितनी लकी है. अब अपना गाउन भी उतार दो नहीं तो शेव करते हुए खराब हो जाएगा.” ये कह कर विकी ने मेरा गाउन भी उतार दिया. अब तो मैं बिल्कुल नंगी थी. अपने भाई के सामने इस तरह नंगी खड़े हुए मुझे शरम आ रही थी. वासना के नशे में नंगी होना और होशो हवास में नंगी होने में बहुत फ़र्क़ है. अपनी जांघों के बीच में अपनी चूत को च्छुपाने की कोशिश करने लगी. विकी ने मुझे बिस्तेर पे बैठा दिया और टाँगों को चौड़ा कर दिया. मेरी झांतों से भरी चूत विकी के सामने थी. विकी का चेहरा लाल हो गया. उसका लॉडा हरकत करने लगा जिसे वो च्छुपाने की कोशिश करने लगा. विकी मेरी टाँगों के बीच में बैठ गया.
“ बाप रे दीदी ! ये तो पूरा जंगल है.” ये कह कर विकी मेरी झांतों में हाथ फेरने लगा. मेरी चूत धीरे धीरे गीली होने लगी.
“ विकी तू ये सब क्या कर रहा है. अपना काम कर.”
क्रमशः.........
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