RE: Hindi Porn Stories कंचन -बेटी बहन से बहू तक का सफ़र
गतान्क से आगे ......
उस शाम शर्मा जी को अपनी बेटी और उसकी सभी सहेलिओं की पॅंटीस के कयि बार दर्शन हुए. सभी ने सफेद रंग की पॅंटी पहन रखी थी. शर्मा जी सोचने लगे कि कहीं सफेद पॅंटी स्कूल की ड्रेस में तो नहीं है. लेकिन सबसे ज़्यादा सुन्दर और सेक्सी उन्हें अपनी बेटी कंचन ही लगी. प्रॅक्टीस ख़तम होने के बाद सभी लड़कियाँ अपने घर चली गयी और कंचन भी नहाने चली गयी. शर्मा जी भी नहाना चाहते थे क्योंकि उन्हें भी तो लड़कियो ने पटक दिया था. कंचन के बाथरूम से बाहर आते ही वो भी बाथरूम में नहाने के लिए घुस गये. अपने कपड़े उतार के जैसे ही उन्होने धोने के लिए डालने चाहे की उनकी नज़र एक पॅंटी पर पर गयी. ये तो वो ही पॅंटी थी जो कंचन ने अभी अभी पहन रखी थी. शर्मा जी से ना रहा गया. उन्होने अपनी बेटी की पॅंटी उठा ली. पॅंटी पसीने में भीगी हुई थी और मिट्टी लगने से मैली भी हो गयी थी. शर्मा जी अपनी बेटी की पॅंटी का निरीक्षण करने लगे. अब आपको ये बताने की ज़रूरत है की सबसे पहले उन्होने कहाँ का निरीक्षण किया होगा ? जी हां आपने ठीक सोचा, सबसे पहले शर्मा जी ने उस इलाक़े का निरीक्षण किया जो इलाक़ा उनकी बेटी की चूत पे लिपटा रहता था. ये इलाक़ा कुकच्छ ज़्यादा मैला लग रहा था. शर्मा जी जानते थे कि इस इलाक़े में सिर्फ़ मिट्टी का रंग ही नहीं बल्कि बिटिया के पेशाब और शायद उसकी चूत के रस का भी रंग शामिल था. वहाँ पे शर्मा जी को एक लंबा काला बाल भी फँसा हुआ नज़र आया. बाप रे ! जिस बेटी को वो अभी तक बच्ची ही समझते थे उसकी चूत पे इतने लंबे बॉल ! शर्मा जी ने तो सपने में भी कल्पना नहीं की थी की उनकी प्यारी सी बच्ची की चूत पे बॉल भी हो सकते हैं. शर्मा जी का लंड हरकत में आ गया. अब उनसे ना रहा गया और उत्सुकतावश उन्होने बेटी की पॅंटी के उस इलाक़े को सूंघ ही लिया. पसीने, पेशाब और 14 साल की कुँवारी चूत की मिली जुली खुश्बू ने शर्मा जी को मदहोश कर दिया. उनका लंड बुरी तरह फंफना गया था. अपनी पत्नी की पॅंटी तो वो कई बार सूंघ चुके थे लेकिन आज पहली बार उन्हें एहसास हुआ की एक कुँवारी चूत और कई बार चुदी हुई चूत की खुश्बू में कितना अंतर होता है. शर्मा जी का दिमाग़ घूम गया और उन्होने अपनी बेटी की पॅंटी को चूमते और उसकी चूत की खुश्बू सूंघते हुए मूठ मारी. जब तक झाड़ नहीं गये और ढेर सारा वीर्य नहीं निकल गया तब तक शर्मा जी को शांति नहीं मिली. झड़ने के बाद शर्मा जी को गिल्टी फील होने लगी. ये क्या किया. अपनी 14 साल की बच्ची के लिए वासना की ये आग! शर्मा जी अपने आप को कोसने लगे और उन्होने अपने आप से वादा किया की आगे से कभी वो ऐसी हरकत नहीं करेंगे. लेकिन उस रात अपनी पत्नी कविता को इतना जम के चोदा की उनकी पत्नी सोचने लगी आज पति देव को ना जाने इतना जोश कहाँ से आया हुआ है.
इस घटना के बाद शर्मा जी ने अपने ऊपर पूरा कंट्रोल रखने की कोशिश की. बेटी के बारे में जब भी ऐसे वैसे विचार मन में आते तो वो तुरंत उन विचारों को मन से निकाल देते. लेकिन उसके बाद भी शर्मा जी ने पाया की उन्हें बेटी के स्कूल से वापस आने का बेसब्री से इंतज़ार रहता है. कारण . अब उन्हें स्कर्ट में बेटी की गोरी गोरी टाँगें बहुत अच्छी लगने लगी थी. जब कभी स्कर्ट थोड़ी ऊपर उठ जाती तो बेटी की गोरी गोरी मांसल जागें देख कर वो मदहोश हो जाते. कंचन थी भी बड़ी लापरवाह, इसलिए शर्मा जी को हफ्ते दो हफ्ते में एक आध बार बिटिया के टाँगों के बीच झाँकने का भी मौका मिल जाता था. लेकिन अभी तक शर्मा जी को बिटिया की पॅंटी की झलक आधे सेकेंड से ज़्यादा नहीं मिल पाई थी. ये झलक मात्र ही शर्मा जी को पागल किए जा रही थी और उनकी उत्सुकता को बढ़ा रही थी. शर्मा जी इस तरह बेटी की टाँगों और उसकी पॅंटी की झलक को आक्सिडेंटल मान कर अपने दिल को तसल्ली देते थे. उन्होने अपने दिल को ये सोच कर भी तसल्ली दे रखी थी कि आख़िर वो बेटी को बचपन में नंगी भी देख चुके हैं. अब अगर उसकी पॅंटी दिख भी गयी तो क्या हुआ? आख़िर है तो उनकी बेटी ही.
शर्मा जी जितना अपने आप को संभालने की कोशिश करते तब तब कोई ऐसी बात हो जाती की शर्मा जी अपना संकल्प नहीं रख पाते. एक दिन कंचन स्कूल से आई. भागती हुई घर में घुसी. उसने दो पोनी टेल्स बना रखी थी. बहुत ही चंचल लग रही थी. शर्मा जी सोफा पे बैठे हुए थे. उसे देखते ही खुश हो कर बोले,
“ आ गयी मेरी बेबी डॉल.”
“ जी, मेरे अच्छे पप्पू.” जल्दी से शर्मा जी के गाल पे किस करती हुई बोली, “ मैं अभी आई. मुझे जल्दी से बाथरूम जाना है. बहुत देर से रोक रखा है.” कंचन अपना स्कूल बॅग वहीं पटक कर बाथरूम की ओर भागी. जल्दी में बाथरूम का दरवाज़ा तक बंद नहीं किया. शर्मा जी भी बेटी के पीछे पीछे चल पड़े. लेकिन बाथरूम का दरवाज़ा खुला देख के रुक गये. फिर ना जाने उनके दिमाग़ में क्या आया, वो बाथरूम के दरवाज़े के बिकुल पास आ कर खड़े हो गये. उनकी बेबी डॉल को शायद बहुत ज़ोर का पेशाब आ रहा था. उसने बाथरूम में घुसते ही जल्दी से पॅंटी नीचे सर्काई और बैठ कर पेशाब करना शुरू कर दिया. प्सस्सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स………सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स की ज़ोरदार आवाज़ से पूरा बातरूम गुंज़्ने लगा. शर्मा जी मन्त्र मुग्ध से खड़े बेटी की चूत से निकलता मधुर संगीत सुन रहे थे. शर्मा जी को औरत की चूत से निकलती हुई ये सुरीली आवाज़ बहुत अच्छी लगती थी. बल्कि वो औरत की चूत से निकलती हुई पेशाब की धार को देख कर मदहोश हो जाते थे. बड़ी मुश्किल से उन्होने दो बार अपनी पत्नी कविता को अपने सामने बैठ कर मूतने के लिए राज़ी किया था. उनका मन तो करता था कि पत्नी को कहें की उनके ऊपर बैठ कर उनके मुँह पे ही मूत ले लेकिन शरम के मारे कभी कह ना पाए. अपनी बेटी की झांतों भरी चूत से निकलती पानी की धार की कल्पना करते करते उनका लंड तन गया था. काफ़ी देर से बिटिया ने पेशाब रोक रखा था. दो मिनिट तक प्सस्सस्स्स्स्स्स्स्स्सस्स………… का मधुर संगीत चलता रहा. जैसे ही प्सस्सस्स………… की आवाज़ आनी बंद हुई शर्मा जी जल्दी से वापस बाहर सोफा पे बैठ गये. इतने में कंचन भी आ गयी और फ्रिज में से बर्गर निकाल कर डाइनिंग टेबल पर खाने के लिए बैठ गयी. जहाँ शर्मा जी बैठे हुए थे वहाँ से डाइनिंग टेबल के नीचे से उन्हे कंचन की टाँगें नज़र आ रही थी.
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