RE: Hindi Porn Stories कंचन -बेटी बहन से बहू तक का सफ़र
कंचन अपने चूतेर मतकाती हुई आगे चल पड़ी. शर्मा जी का लॉडा इतना तना हुआ था कि उन्हें चलने में भी मुश्किल हो रही थी.
खाना खाने के बाद शर्मा जी ऑफीस चले गये. उनके ऑफीस जाते ही नीलम अपना कॅमरा ले कर आ गयी.
“ ले कंचन, देख ले तूने अपने पापा का क्या हाल कर दिया था.”
कंचन तो बेसब्री से वीडियो देखने का इंतज़ार कर रही थी.
“ जल्दी दिखा ना यार, देखें तेरी बात कितनी सच है.”
“सोलह आने सच है मेरी जान, ले देख.” कंचन ने जो देखा तो उसे विश्वास ही नहीं हुआ. वीडियो का फोकस कंचन की टाँगों के बीच में था. कंचन पॅंटी में क़ैद अपनी ही चूत देख कर शर्मा गयी. तभी कॅमरा का फोकस शर्मा जी पर गया. पापा, कंचन की गोरी गोरी टाँगों के बीच में झाँक रहे थे. उनका चेहरा लाल हो गया था और वो बार बार अपने होंठ चाट रहे थे. इतने में कॅमरा शर्मा जी की पॅंट के उभार पे गया. पापा की पॅंट का उभार देख कर कंचन शर्म से लाल हो गयी. उसने तो कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उसके पापा उसकी चूत देख कर उत्तेजित हो जाएँगे. पापा पॅंट के ऊपर से ही अपना लॉडा सहला रहे थे. नीलम बोली,
“अब तो यकीन हो गया ?”
“ सच नीलम मुझे तो अब भी यकीन नहीं होता. किसी बाप का लंड अपनी ही बेटी के लिए कैसे खड़ा हो सकता है?”
“ तू उनकी बेटी ज़रूर है पर औरत भी तो है. दुनिया में ऐसा कौन मरद है जिसका लंड औरत की चूत देख के खड़ा ना हो जाए. बेटी हुई तो क्या हुआ. चूत तो चूत ही होती है. हां अगर तुझे अब भी विश्वास नहीं होता तो मेरे दिमाग़ में एक और प्लान है.” उसके बाद नीलम ने कंचन को अपना प्लान बताया. प्लान सुन कर कंचन का दिल धक धक करने लगा लेकिन उसे प्लान बहुत पसंद आया.उधेर शर्मा जी की तो नींद हराम हो गयी थी. सारी रात उनकी आँखों के सामने बेटी की कुँवारी चूत की फांकों में फँसी हुई पॅंटी का नज़ारा घूमता रहा. ज़िंदगी में पहली बार शर्मा जी ने किसी की चूत की फांकों में इस तरह पॅंटी फँसी हुई देखी. ओर वो भी 18 साल की जवान लड़की की. आज महीनों बाद उन्हें बेटी की पॅंटी के दर्शन हुए थे. और जब हुए तो ऐसे हुए कि उनकी नींद हराम हो गयी. ऊफ़! क्या जानलेवा नज़ारा था. रात में बेटी की चूत याद करके शर्मा जी ने तीन बार मूठ मारी.
अगले दिन प्लान के मुताबिक कंचन ने स्कूल से वापस आ के वो स्कर्ट पहन ली जो वो 9थ में पहना करती थी और अब तो उसके घुटनों से 10 इंच ऊपर रहती थी. उसके बाद दोनो ने सीधी लगा कर बॅस्केटबॉल पोले पे लगी बास्केट को लटका कर दिया और सीधी झाड़ियो में डाल दी. इतने में शर्मा जी के आने की आहट हुई. दोनो सहेलियाँ बॅस्केटबॉल पोले पे लटकी बास्केट को देखने लगी. शर्मा जी ने आते ही पूचछा,
“ अरे हमारी बिटिया यहाँ क्या कर रही है?”
“ पाप्पू आप आ गये. हम आपका ही इंतज़ार कर रहे थे. ज़रा ये बास्केट ठीक कर दीजिए ना….”
शर्मा जी का तो हाथ वहाँ तक पहुँच नहीं सकता था,
“ बेटी सीधी कहाँ है ?”
“जी पापू वो तो मिल नहीं रही है. मिल जाती तो हम ही ठीक कर देते.”
“बिना सीधी के कैसे काम चलेगा बेटे?”
“ पाप्पो आप ऐसे करो. आप नीचे बैठ जाओ. नीलम आपके कंधों पर बैठ कर बास्केट को ठीक कर देगी.”
“ठीक है. आओ बेटी नीलम. हमारे कंधों पे बैठ जाओ.”
“जी अंकल.” शर्मा जी नीचे बैठे और नीलम उनके कंधों के दोनो ओर टाँगें कर के बैठ गयी. बैठने से पहले उसने अपनी स्कर्ट इस तरह से अड्जस्ट की कि अब उसकी पॅंटी में कसी हुई चूत डाइरेक्ट शर्मा जी की गार्डेन पे रगड़ने लगी. अब शर्मा जी खड़े हो गये. नीलम बास्केट तक पहुँचने का नाटक करने लगी. शर्मा जी को बेटी की जवान सहेली नीलम की चूत की गर्मी अपनी गर्दन पे महसूस होने लगी. नीलम भी खूब हिल हिल के अपनी चूत शर्मा जी की गर्देन पे रगड़ रही थी. थोड़ी देर ये नाटक करने के बाद नीलम बोली,
“अंकल मेरा हाथ तो अब भी नहीं पहुँच रहा. कंचन लंबी है, उसका हाथ पहुँच जाएगा.” ये सुन कर शर्मा जी के दिल की धड़कन तेज़ हो गयी. आज तो बेटी की चूत उनकी गर्देन पे महसूस होगी. वो बोले,
“ ठीक है कंचन बेटी तुम ट्राइ करो.”
“एक मिनिट पापू मैं अभी आई, मुझे ज़ोर का बाथरूम लगा है.”
क्रमशः.........
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