RE: Hindi Porn Stories कंचन -बेटी बहन से बहू तक का सफ़र
गतान्क से आगे ......
पापा खुश हो गये और मेरे गालों पे किस करते हुए बोले,
“ शाबाश, कंचन तुम सुचमुच बहुत समझदार हो. लेकिन तुमने हमे पहले क्यों नहीं बताया ?”
“ कैसे बताती ? हमारी तो आँख लग गयी थी. लेकिन कॅंडल तो जल रही थी ना. आपने हमें पहचाना कैसे नहीं?”
“ कैसे पहचानते? एक तो तुम पेट के बल लेटी हुई हो ऊपर से तुम्हारा मुँह भी ढका हुआ था, और पीछे से तुम बिल्कुल मम्मी की तरह लगती हो.”
“ क्या मुतलब आपका ?”
“ बेटी तुम्हारा डील डोल बिल्कुल मम्मी की तरह है. ऊपर से सोती भी तुम बिल्कुल मम्मी के ही अंदाज़ में हो.”
“ मम्मी के अंदाज़ में सोती हूँ? मैं कुच्छ समझी नहीं?”
“ वो भी जब सोती है तो उसके कपड़े कहाँ जा रहे हैं उसको कोई खबर नहीं होती है. तभी तो हमसे आज ग़लती हुई.”
“हाई राम ! तो क्या हमारे कपड़े….?”
“ हां बेटी तुम्हारा पेटिकोट भी मम्मी की तरह जांघों के ऊपर तक चढ़ा हुआ था और पूरी टाँगें नंगी नज़र आ रही थी.”
“ हाअ….पापा ! आपने हमे ऐसी हालत में देख लिया ?”
“ तो क्या हुआ बेटी ? बचपन में तो हम ना जाने कितनी बार तुम्हें नंगी देख चुके हैं.” अब पापा का डर थोड़ा दूर हो गया था और शायद उनके लंड में फिर से जान आ रही थी.
“ जी बचपन में और अब में तो बहुत फरक है.” मैं शरमाती हुई बोली.
“ फरक है तभी तो हम तुम्हें पहचान नहीं सके. अब तो तुम्हारी जांघें बिल्कुल तुम्हारी मम्मी की तरह हो गयी हैं. इसके इलावा एक और भी कारण था जो हम समझे कि यहाँ मम्मी लेटी है.”
“ और क्या कारण था ?”
“ नहीं छोड़ो वो हम नहीं बता सकते.”
“ प्लीज़ बताइए ना पापा.”
“ नहीं बेटी वो बताने लायक नहीं है.”
“ ठीक है नहीं बता सकते तो हम कल ही मम्मी को बता देंगे की आपने हमारे कपड़े…..”.
“ नहीं नहीं बेटी ऐसा अनर्थ मत करना.”
“ तो फिर बता दीजिए.”
“ समझ नहीं आता कैसे बताएँ.”
“ अरे पापा हम भी तो शादी शुदा हैं. और फिर अपनी बेटी से क्या च्छुपाना ? बता दीजिए ना.” मैने पापा को उकसाते हुए कहा. मुझे पता था कि अभी तो शराब के नशे में वो सब कुच्छ बता सकते हैं.
“ ठीक है बता देते हैं. देखो बेटी बुरा मत मानना. सोते वक़्त तुम्हें कम से कम अपने कपड़ो का तो ध्यान रखना चाहिए. आज तो तुम्हारा पेटिकोट बिल्कुल ऊपर तक चढ़ा हुआ था और सच कहें बेटी, तुम्हारे नितूंब भी बिल्कुल तुम्हारी मम्मी की तरह बड़े बड़े हैं. यहाँ तक की तुम्हारी जांघों के बीच में से तुम्हारी गुलाबी पॅंटी भी नज़र आ रही थी. तुम्हारी मम्मी के पास भी बिल्कुल ऐसी ही पॅंटी है. सोते पे तुम पैर भी अपनी मम्मी की तरह फैला के सोती हो. तभी तो तुम्हारे वहाँ के….. हमारा मतलब है…… तुम्हारी जांघों के बीच के बॉल भी पॅंटी में से बाहर निकाल रहे थे. तुम्हारी मम्मी भी जब टाँगें फैला कर सोती है तो उसके वहाँ के बॉल पॅंटी से बाहर निकले हुए होते हैं. हमे ये बहुत ही मादक लगता है. इसलिए तुम्हारी मम्मी अक्सर हमे रिझाने के लिए भी जान बुझ कर ऐसे सोती है. हमे लगा कि तुम्हारी मम्मी हमें रिझा रही है.बस इसी कारण ग़लती ही गयी.”
“सच पापा हमे तो बहुत शरम आ रही है. आपने तो हमारा सब कुच्छ देख लिया.”
“अरे बेटी इसमें शरमाने की क्या बात है ? सब कुच्छ कहाँ देखा . थोड़ा बहुत देख भी लिया तो क्या हुआ ? आख़िर हम तुम्हारे पापा हैं.”
“ हमे तो अब भी विश्वास नहीं हो रहा कि आप हमे पहचान नहीं सके.”
“तो तुम सोचती हो कि हमने जान बुझ के तुम्हारे कपड़े उतारे ? नहीं बेटी, तुम्हें बिल्कुल अंदाज़ नहीं है कि तुम कितनी अपनी मम्मी की तरह लगने लगी हो. आज तो दूसरी बार है, हमे तो पहले भी एक बार बहुत ज़बरदस्त धोका हो चुक्का है.” मैं ये सुन कर चौंक उठी.
“ पहले कब आपको धोका हुआ ?”
“ बेटी एक दिन किचन में पानी पीने गया था. तुम शायद नहा के निकली थी और सिर्फ़ पेटिकोट और ब्लाउस में ही थी. बदन गीला होने की वजह से ब्लाउस और पेटिकोट भी तुम्हारे बदन से चिपके जा रहे थे. तुम्हारी पीठ मेरी तरफ थी और तुम आगे झुक कर फ्रिज में से कुच्छ निकाल रही थी. मैं तो समझा की तुम्हारी मम्मी है.”
“ फिर क्या हुआ ?”
“ बस बेटी अब आगे बताने लायक बात नहीं है.”
“ बताइए ना….प्लीईएआसए पापा..” मैने बारे ही मादक स्वर में कहा. मैं उनकी वासना की आग फिर से भड़का देना चाहती थी ताकि वो खुल कर मुझसे बात कर सकें.
“ तुम तो बहुत ही ज़िद्दी हो. सच बेटी , पीछे से तुम बिल्कुल अपनी मम्मी जैसी लग रही थी. बिल्कुल मम्मी की तरह ही फैले हुए नितूंब हैं तुम्हारे. मुझे शक इसलिए भी नहीं हुआ क्योंकि तुमने वोही गुलाबी रंग की पॅंटी पहनी हुई थी जो आज पहनी है और जैसी मम्मी के पास भी है. और ठीक उसी तरह वो पॅंटी तुम्हारे इन नितुंबों के बीच में सिमटी जा रही थी जैसे ये मम्मी के नितुंबों के बीच में सिमट जाती है.” पापा फिर से मेरे चूतरो को पॅंटी के ऊपर से सहलाते हुए बोले.मेरा पेटिकोट तो पहले से ही कमर तक ऊपर चढ़ा हुआ था.
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