RE: Hindi Porn Stories कंचन -बेटी बहन से बहू तक का सफ़र
“ हाई पापा ! आपने तो अपनी बेटी की पॅंटी तक देख ली ?. और आज तो दूसरी बार देखी है. सच, हमे तो ये सोच सोच के ही बहुत शरम आ रही है.”
“ क्या करता बेटी ? एक तो तुम झुकी हुई थी और ऊपर से गीला पेटिकोट तुम्हारे नितुंबों पे चिपका जा रहा था. पॅंटी सॉफ नज़र आ रही थी. बस एक बहुत बड़ी ग़लती होते होते बची.”
“ कैसी ग़लती पापा?”
“ मैं तो पीछे से हाथ डाल के तुम्हें मम्मी समझ कर पकड़ने ही वाला था.”
“तो इसमें कैसी ग़लती ? एक बाप ने बेटी को पीछे से पकड़ भी लिया तो क्या हुआ ?”
“ नहीं नहीं तुम समझी नहीं. हम तो वो चीज़ पकड़ने जा रहे थे जो एक बाप अपनी बेटी की नहीं पकड़ सकता.”
“ ऐसी भी क्या चीज़ है हमारे पास पापा जो आप नहीं पकड़ सकते ?”
“ बस बेटी अब ज़िद ना करो. आगे हम नहीं बता सकते.”
“क्यों पापा….? प्लीईआसए…! बताइए ना…”
“नहीं नहीं अब आगे नहीं बता सकते. ज़िद ना करो.”
“ठीक है मत बताइए. हम ही कल सुबह मम्मी को सुबकुच्छ बता देंगे.”
“ऊफ़.. तुम तो बहुत खराब हो गयी हो. अच्छा बेटी बता देते हैं. हम तुम्हें मम्मी समझ कर तुम्हारी टाँगों के बीच में से हाथ डाल कर तुम्हारी उसको पकड़ने वाले थे.”
“ हाई राम ! पापा आप तो सुचमुच बहुत खराब हैं. क्यों इस तरह परेशान करते हैं आप मम्मी को ?” मैं पापा के साथ चिपकते हुए बोली. अब तो उनका लंड लोहे की रोड की तरह तना हुआ था. इस बातचीत के दौरान उनके हाथ अब भी मेरी चूचिओ पर थे, लेकिन अभी तक उन्हें इस बात का एहसास नहीं था.
“ हम नहीं, तुम्हारी मम्मी हमें परेशान करती है. उसकी है ही ऐसी कि जब तक दिन में एक दो बार ना पकड़ लें, हमे चैन नहीं आता.” अब तो पापा का लंड मेरे चूतरो में चुभ रहा था. मेरी चूत भी उनकी बातें सुन के गीली हो गयी थी. उनका डर दूर हो गया था और अब शराब का सरूर फिर असर कर रहा था. मैने उन्हें और बढ़ावा देते हुए पूचछा,
“ सच बहुत प्यार करते हैं आप मम्मी से. लेकिन ऐसा भी क्या है मम्मी कि उसमें जो आप हमेशा उतावले रहते हैं ?”
“ हाई बेटी क्या बताएँ, तुम तो शादीशुदा हो इसलिए तुम्हें बता सकते हैं. तुम्हारी मम्मी की वो तो बहुत फूली हुई है. बहुत ही जानलेवा है. हमने सोचा कि क्यों ना दिन की शूरवात अपनी प्यारी बीवी की फूली हुई उसको पकड़ के करें. हमने तो सपने में भी नहीं सोचा था की तुम हो. हमारे आने की आहट सुन के जब तुम सीधी हुई तब हमे पता चला कि वो मम्मी नहीं तुम थी. नहीं तो अनर्थ हो जाता. बोलो बेटी अब भी कहोगी कि एक बाप ने बेटी को पीछे से पकड़ लिया तो क्या हुआ ?”
“ हम तो अब भी वही कहेंगे पापा. अगर ग़लती से आपने हमारी वो पकड़ भी ली होती तो क्या हुआ. ग़लती तो सभी से हो जाती है.” मैं अब पापा को उकसा रही थी.
“ बेटी वोही ग़लती आज रात भी होने जा रही थी.”
“ तो क्या हुआ? ग़लती किसी की भी हो माफ़ कर देनी चाहिए और फिर आप तो हमारे पापा हैं, हम आपकी ग़लती माफ़ नहीं करेंगे तो फिर किसकी माफ़ करेंगे .”
पापा बारे प्यार से फिर मेरे गालों को चूमते हुए बोले,
“सच हमारी बिटिया तो बहुत समझदार है. लेकिन आज हमे, तुम्हारे और मम्मी के बीच एक फरक ज़रूर नज़र आया.”
“वो क्या पप्पू?”
“तुम्हारी वो तो मम्मी से भी ज़्यादा फूली हुई है.”
“हाई राम! आपको कैसे पता?” मैने चोन्क्ने का नाटक करते हुए पूचछा.
“बेटी अभी जब तुम गहरी नींद में सो रही थी तो हमने मम्मी समझ के तुम्हारी उसको सहला दिया था.”
“हे भगवान!.......सच?”
“देखो बुरा ना मानो बेटी, तुम जानती हो ये अंजाने में हो गया.”
“और क्या क्या फरक देखा आपने? ज़रा हमें भी तो पता लगे.”
“ बस एक और फरक ये है की तुम्हारी छातियाँ बहुत सख़्त और सुडोल हैं और तुम्हारी मम्मी की अब ढीली होती जा रही हैं.”
“लगता है आपकी ये ग़लती हमें कुच्छ ज़्यादा ही महेंगी पड़ रही है. और बताइए, और क्या क्या फरक देख लिया आपने?”
“बस बेटी इतना ही. उसके बाद तो तुम जाग गयी.”
“मान लीजिए मैं नहीं जागती, तो फिर क्या होता?”
“तब तो अनर्थ हो जाता.”
“क्या अनर्थ हो जाता?”
“देखो बेटी तुम तो जानती हो हम आज 15 दिन बाद आए हैं. हम तुम्हारे साथ वो ही कर बैठते जो एक पति अपनी पत्नी के साथ करता है.”
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