RE: Hindi Porn Stories कंचन -बेटी बहन से बहू तक का सफ़र
गतान्क से आगे ......
“ठीक है छोड़ देते हैं लेकिन थोड़ा ऊपर भी चेक करना पड़ेगा.”
ये कहते हुए पापा ने मेरी चूत छोड़ के मेरे खुले हुए ब्लाउस के नीचे से हाथ डाल के चूचिओ को पकड़ लिया और सहलाते हुए बोले,
“ कंचन तुम तो ऊपर से भी बिल्कुल मम्मी जैसी हो. अब हमे समझ में आया कि हम तुम्हें बार बार मम्मी क्यों समझ लेते हैं. लेकिन तुम्हारी छातियाँ तो सुचमुच बहुत सुन्दर और कसी हुई हैं.”
“इससस्स….आअहह…. धीरे प्लीज़…” पापा पीछे से मेरे साथ चिपके हुए थे और मेरी बड़ी बड़ी चूचिओ को सहला रहे थे. उनका तना हुआ मोटा लंड मेरे चूतरो की दरार में घुसा हुआ था और मेरी पॅंटी को भी मेरे चूतरो के बीच की दरार में घुसेड दिया था. मैं भी पापा का लंड पकड़ना चाहती थी.
“ऊओफ़.. पापा ये क्या चुभ रहा है ?”
ये कहते हुए मैं हाथ पीछे की ओर ले गयी और पापा के लंड को पकड़ लिया जैसे कि मैं चेक करना चाहती हूँ कि क्या चुभ रहा है. पापा का लंड हाथ में आते ही मैने हाथ एकदम वापस खींच लिया.
“हाई राम ! पापा ! आपका तो खड़ा हुआ है. हे भगवान ! कहीं आपका अपनी बेटी के लिए तो नहीं खड़ा है ?” मैं झूठा गुस्सा करते हुए बोली.
“नहीं नहीं बेटी, देखो आज हम 15 दिन के बाद वापस आए हैं और कल फिर दो महीने के लिए चले जाएँगे. तुम तो शादीशुदा हो और समझदार हो. अगर तुम्हारा पति इतने दिनों के बाद वापस आए और उसे अगले दिन फिर दो महीने के लिए जाना हो तो वो तुम्हारे साथ क्या करेगा ?”
जी हमें क्या पता ?”
“अब क्यों भोली बनती हो, बोलो ना.”
“जी कैसे बोलें हमे तो बहुत शरम आ रही है.”
“बेटी अपने पापा से क्या शरमाना. बोलो , जबाब दो”
“जी वो तो….वो तो……हमारा मट्लब है…”
“अरे शरमाओ नहीं बोलो.”
“जी वो तो सारी रात ही……”
“सारी रात क्या बेटी ?”
“जी हमारा मतलब है कि वो तो सारी रात हमे तंग करते.”
“ कैसे तंग करता बेटी ?”
“ जैसे एक मरद अपनी बीवी को करता है.”
“ ओ ! अगर वो तुम्हें सारी रात तंग करता तो तुम उसे तंग करने देती ?”
“जी ये तो उनका हक़ है. हम कौन होते हैं उन्हें रोकने वाले.”
“ तुम्हारा मट्लब है तुम उसे इसलिए तंग करने देती क्यूंकी ये उसका हक़ है, इसलिए नहीं कि तुम्हें भी तंग होने में मज़ा आता है ? बोलो ?”
“ तंग होने में तो हर औरत को मज़ा आता है.”
“ तो तुम्हें तंग करने के लिए उसका खड़ा तो होता होगा ना बेटी ?”
“ कैसी बातें करते हैं पापा ? बिना खड़ा हुए कैसे तंग कर सकते हैं ?”
“ बस ये ही तो हम भी तुमसे कहना चाहते हैं. हमारा भी इसीलिए खड़ा है क्योंकि हम भी आज तुम्हारी मम्मी को तंग करना चाहते थे. लेकिन तुमने तो हाथ ऐसे खींच लिया जैसे ये तुम्हें काट खाएगा. तुम भी देख लो कि हमारा ये तुम्हारी मम्मी के लिए कितना परेशान है.” ये कहते हुए पापा ने मेरा हाथ पकड़ के अपने लंड पे रख दिया. मेरी तो मानो बरसों के मुराद पूरी हो गयी. मैं शरमाने का नाटक करती हुई बोली,
“ हाई पापा ये क्या कर रहे हैं हमे तो बहुत शरम आ रही है.”
“ बेटी शरम की क्या बात है ? किसी मरद का पहली बार तो पकड़ नहीं रही हो. ठीक से पाकड़ो ना. तुम्हें अक्च्छा नहीं लगा हमारा ?”
बाप रे ! क्या मोटा लॉडा था. इतना मोटा की मेरी उंगलिओ के घेरे में भी नहीं आ रहा था. मैं उनके लॉड पे हाथ फेरते हुए बोली,
“हाई राम! ये तो कितना मोटा है!”
“पसंद नहीं आया?”
“ नहीं पापा आपका तो बहुत अक्च्छा है. लेकिन सच ! ये तो बहुत ही मोटा है !”
“तुम्हारे पति का ऐसा नहीं है ?”
“ जी इतना मोटा नहीं है. बेचारी मम्मी कैसे झेलती है इसे ?”
“ हाई बेटी क्या बताएँ, तुम्हारी मम्मी तो इसे बहुत प्यार करती है. सच वो इसके बिना रह नहीं सकती है. काश इस वक़्त वो यहाँ होती. लेकिन कोई बात नहीं हमारी प्यारी बिटिया तो है ना हमारे पास.” अब मैं पापा के मोटे लॉड को बड़े प्यार से सहला रही थी. अब मैने पापा की ओर करवट ले ली थी. पापा भी मेरी चूचिओ को सहला रहे थे. मैं पापा के लॉड को दबाते हुए बोली,
“ हाई पापा आप तो ऐसे कह रहे हैं जैसे बीवी नहीं तो बेटी ही चलेगी.”
“ क्यों नहीं चलेगी ? बेटी बिल्कुल बीवी जैसी ही तो लगती है. लेकिन लगता है हमारी बेटी को हमारा पसंद नहीं आया.”
“नहीं पापा हमे तो आपका बहुत पसंद आया. हम तो सोच रहे हैं कि इस मोटे राक्षस ने तो अब तक बेचारी मम्मी की उसको बहुत चौड़ा कर दिया होगा.”
“ नहीं बेटी हम 25 साल से तुम्हारी मम्मी को चोद रहे हैं लेकिन अभी तक उसकी बहुत टाइट है.” पापा ने पहली बार चोदने जैसे शब्द का इस्तेमाल किया. मैं समझ गयी कि पापा अब धीरे धीरे लाइन पे आ रहे थे.
“ सच पापा, काश हम आपकी बेटी ना हो के आपकी बीवी होते !. हम आपको आज इस तरह तड़पने नहीं देते.”
पापा मेरे विशाल चूतरो पे हाथ फेरते हुए बोले,
“ बेटी हम तो तुम्हें बिकुल मम्मी ही समझ रहे हैं. देखो ना तुम्हारे ये विशाल नितूंब बिल्कुल मम्मी की तरह ही फैले हुए हैं. और ये तुम्हारी पॅंटी भी इनके बीच में ठीक मम्मी की पॅंटी की तरह ही घुसी जा रही है.” पापा ने पॅंटी के ऊपर से ही एक उंगली मेरी गांद के छेद पे टिका दी.
“ इसस्सस्स…पापा ! ये पॅंटी अपने आप हमारे नितुंबों के बीच में नही घुसी जा रही है. इसे तो आपके इस डंडे ने धकेल के हमारे नितुंबों के बीच में घुसेड दिया है. अक्च्छा हुआ हमने पॅंटी पहनी हुई है नहीं तो राम जाने आज आपका ये मोटा डंडा कहीं और ही घुस जाता.”
“ अक्च्छा होता अगर घुस जाता. आख़िर अंजाने में ही तो घुसता.” पापा ने अब मेरी पॅंटी के अंडर हाथ डाल के मेरे चूतरो को सहलाना शुरू कर दिया था.
“ कंचन एक बात पूच्छें, बुरा तो नहीं मानोगी ?”
“ नहीं पापा पूच्हिए ना. बुरा क्यों मानेंगे ?”
“ बेटी जब तुम 10थ में थी तब एक बार तुम्हारी मम्मी ने हमे बताया था कि तुम्हारी चूत पे बहुत घने और लंबे बाल हैं. क्या ये बात सच है? हम इस लिए पूछ रहे हैं क्योंकि आज भी जब हम आए तो तुम्हारी फैली हुई टाँगों के बीच में से , पॅंटी से बाहर निकले हुए तुम्हारी चूत के बाल नज़र आ रहे थे.” अब तो पापा खुल के चूत जैसे शब्द इस्तेमाल करने लगे. शायद वासना की आग और शराब के नशे का असर था. पापा के मुँह से अपनी चूत की बात सुन के मेरे तन बदन में वासना की आग लग गयी. मैं बहुत भोले स्वर में बोली,
“जी पापा, हम क्या करें, बचपन से ही हमारे वहाँ बहुत घने बाल हैं. 12 साल की उमर में ही खूब बाल आ गये थे. और 16 साल की होते होते तो बिल्कुल जंगल ही हो गया था. हमारी सहेलियाँ हमे चिढ़ाती थी कि क्या जंगल उगा रखा है. हमे तो स्कूल में भी बहुत शरम आती थी. हमेशा बाल पॅंटी से बाहर निकले रहते थे और लड़के हमारी स्कर्ट के नीचे झाँकने की कोशिश करते थे.”
“ हाई कितने नालायक थे ये लड़के जो हमारी बेटी की स्कर्ट के नीचे झाँकते थे. वैसे बेटी जब तुम 16 साल की थी तो एक बार हमारी नज़र भी ग़लती से तुम्हारी स्कर्ट के नीचे चली गयी थी.”
“हाई राम! ना जाने क्या दिखा होगा आपको ?” मैं पापा के लॉड को बारे प्यार से सहलाते हुए बोली.
“अब बेटी तुम बैठती ही इतनी लापरवाही से थी कि तुम्हारी स्कर्ट के नीचे से सब दिख जाता था.”
“ हाई 16 साल की उमर में आपने हमारा सब कुच्छ देख लिया ?”
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