RE: Hindi Porn Stories कंचन -बेटी बहन से बहू तक का सफ़र
“तभी तो हमने अपनी बिटिया की उस वक़्त नहीं ली.” पापा ने इस बार मेरे होंठों को चूमते हुए कहा.
“लेकिन अब तो हम शादीशुदा हैं.”
“क्या मतलब?”
“पापा, 16 साल की उमर में आप अपनी बेटी की लेना चाहते थे, लेकिन अब अपनी बेटी की लेने का मन नहीं करता?”
“बहुत करता है बेटी.”
“तो फिर ले क्यूँ नहीं लेते अपनी प्यारी बिटिया की चूत? देखिए ना आपके मोटे लॉड के लिए कितना तरस रही है.”
“तुम तो हमारी बेटी हो.” पापा थोड़ा हिचकिचाए. लेकिन मैं अच्छी तरह जानती थी कि अपनी बेटी को चोदने के लिए वो हमेशा से ही पागल थे.
“ओफ! पापा बेटी के पास चूत नहीं होती क्या? अच्छा चलिए हमें मम्मी समझ के चोद लीजिए.”
“नहीं, नहीं मम्मी समझ के क्यों, हम अपनी बेटी को बेटी समझ के ही चोदेन्गे.” ये कहते हुए पापा ने मेरे पेटिकोट का नाडा खींच लिया और पेटिकोट को मेरे बदन से अलग कर दिया. फिर उन्होने मेरा ब्लाउस भी उतार दिया. अब पापा पागलों की तरह मेरे बदन को और चूचिओ को चूमने और चाटने लगे. मेरे मुँह से भी वासना से भरी सिसकारियाँ निकलने लगी.
“कंचन बेटी तुम्हारा बदन तो बिल्कुल वैसा है जैसा तुम्हारी मम्मी का सुहाग रात के वक़्त था.”
“हाई पापा, अपनी सुहाग रात समझ के अपनी बेटी को चोद लीजिए.” धीरे धीरे पापा मेरे बदन को चूमते हुए मेरी टाँगों के बीच में पहुँच गये.
“ईइस्स्स...अया...पापा मेरी इस पॅंटी ने ही तो आपको इतना तंग किया है ना, उतार दीजिए अपनी बेटी की पॅंटी अपने हाथों से.”
“हाँ बेटी तुम्हारी इस पॅंटी ने तो बरसों से मेरी नींद हराम कर रखी है. आज तो मैं इसे अपने हाथों से उतारूँगा.” ये कहते हुए पापा ने मेरी पॅंटी खींच के मेरी टाँगों से निकाल दी. अब मैं बिल्कुल नंगी पापा के सामने टाँगें फैलाए पड़ी हुई थी. पापा ने मेरी टाँगें चौड़ी की और अपने होंठ मेरी जलती हुई चूत पे टिका दिए. मैं आज अपने ही बाप से चुदने जा रही थी, ये सोच के मेरी वासना की आग और भी भड़क रही थी. मैने चूतेर उचका के अपनी चूत पापा के होंठों पे रगड़ दी. अब तो पापा पागलों की तरह मेरी चूत चाट रहे थे. आज तक तो सिर्फ़ मेरी पॅंटी सूंघ कर ही मेरी चूत की खुश्बू लेते थे, लेकिन आज तो असली चीज़ सामने थी. मैं पापा का सिर अपनी चूत पे दबाते हुए बोली,
“पापा, किसकी खुश्बू ज़्यादा अच्छी लगी, मेरी पॅंटी की या चूत की?”
“अरे बिटिया, दोनो ही बहुत मादक हैं. पति के घर जाने से पहले अपनी पॅंटी हमें ज़रूर देती जाना.”
“हाई पापा, अब तो ये चूत और पॅंटी दोनो आपकी है, जब मन करे ले लीजिए.” काफ़ी देर चूत चाटने के बाद पापा खड़े हुए और अपने मोटे लॉड का सूपड़ा मेरे होंठों पे टीका दिया. मैने जीभ निकाल के सुपरे को चॅटा और फिर पूरा मुँह खोल के उस मोटे काले मूसल को मुँह में लेने की कोशिश करने लगी. बड़ी मुश्किल से मैने उनका लंड मुँह में लिया. पापा का लंड चूस के तो मैं धन्य हो गयी. आज तक तो इस मूसल को सिर्फ़ मम्मी ने ही चूसा था. सपनों में तो मैं ना जाने कितनी बार चूस चुकी थी. पापा मेरे मुँह को पकड़ के मेरे मुँह को चोदने लगे. उनके मोटे मोटे बॉल्स नीचे पेंडुलम की तरह झूल रहे थे. फिर उन्होने मेरे मुँह से लंड निकाला और मेरे होंठों को चूमते हुए बोले,
“कंचन मेरी जान, अब अपनी प्यारी चूत को चोदने दो.” मैने चुदवाने की मुद्रा में अपनी टाँगें चौड़ी कर के मोड़ ली. अब मेरी चूत पापा के सामने थी.
“लीजिए पापा, अब मेरी चूत आपके हवाले है.” पापा ने अपना मोटा सुपरा मेरी चूत के मुँह पे टीका दिया. मेरा दिल ज़ोर ज़ोर से धक धक करने लगा. आख़िर वो घड़ी भी आ गयी थी जब पापा का लंड मेरी चूत में जाने वाला था. पापा ने लॉड के सुपरे को मेरी चूत के कटाव पे थोड़ी देर रखा और फिर धीरे से मेरी चूत में दाखिल कर दिया. मेरी आखों के सामने तो जैसे अंधेरा सा च्छा गया.
क्रमशः.........
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