RE: Antarvasna stories मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग
तभी दूसरे वाले ने कहा अर्रे बूढू इसका नाम वीना है. उन दोनो
में से एक मेरे नितंबों में उंगली करे बैठा था, और दूसरा मेरी
चूचियों और गालों का सत्यानाश कर रहा था और मैं डरी-सहमी
से हिरनी की भाँति उन दोनो की हरकतों को सहन कर रही थी. वैसे
झूठ नही बोलूँगी क्योंकि मज़ा तो मुझे भी आ रहा था पर उस वक़्त
डर भी ज़्यादा लग रहा था. मैं दोहरे दबाव में अधमरी थी. एक
तरफ़ शरारत की सनसनी और दूसरी तरफ इनके चंगुल में फँसने
का भय-.वो मस्त आँखो से मेरे चेहरे को निहार रहे थे और एक साथ
मेरी दोनो गदराई चूचियों को दबाते कहा चुपचाप हम लोगों को
मज़ा नही डोगी तो हम तुम दोनो को जान से मार देंगे.तेरी जवानी तो
मस्त है. बोल अपनी मर्ज़ी से मज़ा देगी कि नही?
कुच्छ भी हो मैं सयानी तो थी ही, उनकी इन रंगीन हरकतों का असर
तो मुझ पर भी हो रहा था.फिर मैने भाभी की तरफ देखा, . आगे
वाले दोनो आदमियों में से एक मेरी भाभी के गाल पर चूमी- बॅट्क
भर रहा था और जो ड्राइवर था वो उनकी चूत में उंगली कर रहा
था. उन दोनो ने मेरी भाभी की एक एक थाइ अपनी थाइस के नीचे दबा
रखी थी और साडी और पेटिकोट कमर तक उठाया हुआ था. और
भाभी दोनो हाथों में एक-एक लंड पकड़ के सहला रही थी. उन दोनो
के खड़े मोटे-मोटे लंडो को देख कर मैं डर गयी कि अब क्या होगा.
तभी उनमे से एक ने भाभी से पूचछा' कहो रानी मज़ा आ रहा है ना?
और मैने देखा कि भाभी मज़ा करते हुए नखरे के साथ बोली 'उन्ह हाँ'
तब उसने कहा ' पहले तो नखरा कर रही थी, पर अब तो मज़ा आ
रहा है ना, जैसा हम कहेंगे वैसा करोगी तौकसम भगवान की
पूरा मज़ा लेकर तुम्हे तुम्हारे घर पहुँचा देंगे. तुम्हारे घर किसी
को पता भी नही लगेगा कि तुम कहाँ से आ रही हो. और नखरा
करोगी तो वक़्त भी खराब होगा और तुम्हारी हालत भी और घर भी
नही पहून्च पाओगि. जो मज़ा राज़ी-खुशी में है वो ज़बरदस्ती
में नही.
भाभी - ठीक है हुमको जल्दी से कर के हमे घर भिजवा दो.
भाभी की ऐसी बात सुन कर मैं भी ढीली पड़ गयी. मैने भी कहा
कि हमे जल्दी से करो और छ्चोड़ दो.
इतने में ही कार एक सुनसान जगह पर पहुँच गयी और उन लोगों ने
हमे कार से उतारा और कार से एक बड़ा सा ब्लंकेट निकाल कर थोड़ी
समतल सी जगह पर बिच्छाया और मुझे और भाभी को उस पर लिटा
दिया. अब एक आदमी मेरे करीब आया और उसने पहले मेरी ब्लाउस और
फिर ब्रा और फिर बाकी के सभी कपड़े उतार कर मुझे पूरी तरह से
नंगा किया और मेरी चूचियों को दबाने लगा. मैं गनगना गयी
क्योंकि जीवन में पहली बार किसी पुरुष का हाथ मेरी चूचियों पर
लगा था. मैं सीस्या रही थी. मेरी चूत में कीड़े चलने लगे थे.
मेरे साथ वाला आदमी भी जोश में भर गया था, और पागलों के समान
मेरे शरीर को चूम चाट रहा था.मेरी चूत भी मस्ती में भर
रही थी. वो काफ़ी देर तक मेरी चूत को निहार रहा था.. मेरी चूत
के ऊपेर भूरी-भूरी झांटेन उग आई थी. उसने मेरी पाव-रोटी जैसी
फूली हुई चूत पर हाथ फेरा तो मस्ती में भर उठा और झूक कर
मेरी चूत को चूमने लगा, और चूमते-चूमते मेरी चूत के टीट
{क्लाइटॉरिस} को चाटने लगा.अब मेरी बर्दाश्त के बाहर हो रहा था और
मैं ज़ोर से चीत्कार रही थी. मुझे ऐसी मस्ती आ रही थी कि मैं
कभी कल्पना भी नही की थी.
वो जितना ही अपनी जीभ{टंग} मेरी कुँवारी चूत पर चला रहा
था उतना ही उसका जोश और मेरा मज़ा बढ़ता जा रहा था. मेरी चूत
में जीभ घुसेड कर वो उसे चक्कर घिन्नी की मानिंद घुमा रहा था,
और मैं भी अपने चूतड़ ऊपेर उचकाने लगी थी. मुझे बहुत मज़ा आ
रहा था. इस आनंद की मैने कभी सपने मैं भी नही कल्पना की
थी. एक अजीब तरह की गुदगुदी हो रही थी
फिर वो कपड़े खोल कर नंगा हो गया. उसका लंड भी खूब लंबा और
मोटा था लंड एकद्ूम टाइट होकेर साँप की भाँति फुंफ़कार रहा था.और
मरी चूत उसका लंड खाने को बेकरार हो उठी. फिर उसने मेरे छूतदों
को थोडा सा उठा कर अपने लंड को मेरी बिलबिलती चूत में कुच्छ इस
तरह से चांपा की मैं तड़प उठी, चीख उठी और चिल्ला
उठी 'हॅयियी मेरी चूत फटी, हाईईईईईई मैं मारीईई अहहााआ
हाए बहुत दर्द हो रहा है जालिम कुच्छ तो मेरी चूत का ख्याल
करो. अर्रे निकालो अपने इस जालिम लंड को मेरी चूत में से
हाऐईईइन मैं तो मरी आज' और मैं दर्द के मारे हाथ-पेर पटक
रही थी पर उसकी पकड़ इतनी मज़बूत थी कि मैं उसकी पकड़ से छ्छूट
ना सकी. मेरी कुँवारी चूत को ककड़ी की तरह से चीरता हुआ उसका
लंड नश्तर की तरह चुभता गया. आधे से ज़्यादा लंड मेरी चूत
में घुस गया था. मैं पीड़ा से कराह रही थी तभी उसने इतनी ज़ोर
से ठप मारा कि मेरी चूत का दरवाज़ा ध्वस्त होकेर गिर गया और उसका
पूरा लंड मेरी चूत में घुस गया. मैं दर्द से बिलबिला रही थी
और चूत से खून निकल कर बह कर मेरी गांद तक पहुँच गया.
वो मेरे नंगे बदन पर लेट गया और मेरी एक चूची को मुँह मैं
लेकर चूसने लगा. मैं अपने छूतदो को ऊपेर उच्छलने लगी, तभी
वो मेरी चूचियों को छ्चोड़ दोनो हाथ ज़मीन पेर टेक कर लंड को
चूत से टोपा तक खींच कर इतनी ज़ोर से ठप मारा कि पूरा लंड जड़
तक हमारी चूत में समा गया और मेरा कलेज़ा थरथरा उठा.यह
प्रोसेस वो तब तक चलाता रहा जब तक मेरी चूत का स्प्रिंग ढीला
नही पड़ गया. मुझे बाहों में भर कर वो ज़ोर-ज़ोर से ठप लगा
रहा था. में दर्द के मारे ओफफ्फ़ उफफफफफफ्फ़ कर रही थी. कुच्छ देर
बाद मुझे भी जवानी का मज़ा आने लगा और मैं भी अपने चूतड़
उच्छाल-उच्छाल कर गपगाप लंड अंदर करवाने लगी. और कह रही
थी 'और ज़ोर से रज़्ज़ा और ज़ोर से पूरा पेलो , और डालो अपना लंड'
वो आदमी मेरी चूत पर घमसान धक्के मारे जा रहा था. वो जब
उठ कर मेरी चूत से अपना लंड बाहर खींचता था तो मैं अपने
चूतड़ उचका कर उसके लंड को पूरी तारह से अपनी चूत मैं लेने की
कोशिश करती.और जब उसका लंड मेरी बछेदानि से टकराता तो मुझे
लगता मानो मैं स्वर्ग मैं उड़ रही हूँ. अब वो आदमी ज़मीन से दोनो
हाथ उठा कर मेरी दोनो चूचियों को पकड़ कर हमे घापघाप पेल
रहा था. यह मेरे बर्दाश्त के बाहर था और मैं खुद ही अपना मुह्न
उठा कर उसके मुह्न के करीब किया कि उसने मेरे मुह्न से अपना मुह्न
भिड़ा कर अपनी जीभ मेरे मुह्न में डाल कर अंदर बाहर करने
लगा.इधेर जीभ अंदर बहेर हो रही और नीचे चूत मे लंड अंदर
बहेर हो रहा था . इस दोहरे मज़े के कारण में तुरंत ही स्खलित हो
गयी और लगभग उसी समय उसके लंड ने इतनी फोर्स से वीर्यापत किया
की मे उसकी छाती चिपक उठी. उसने भी पूर्ण ताक़त के साथ मुझे
अपनी छाति से चिपका लिया.
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