RE: Antarvasna stories मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग
तूफान शांत हो गया. उसने मेरी कमर से हाथ खींच कर बंधन
ढीला किया और मुझे कुच्छ राहत मिली, लेकिन मैं मदहोशी मे पड़ी
रही. वो उठ बैठा और अपने साथी के पास गया और बोला ' यार ऐसा
ग़ज़ब का माल है प्यारे मज़ा आ जाएगा. ऐसा माल बड़ी मुश्किल से
मिलता है.
मैने मूड कर भाभी की तरफ देखा. भाभी के ऊपेर भी पहले वाला
आदमी चढ़ा हुआ था और उनकी चूत मार रहा था.भाभी भी सी हाई-हाई
करते हुए बोल रही थी ' हाई राजा ज़रा ज़ोर से चोदो और ज़ोर से
हय्य्यीइ चूचिया ज़रा कस कर दबाओ हाईईईईई मैं बस झड़ने वाली
हूँ और अपने छूतदों को धड़धड़ ऊपेर नीचे पटक रही थी.
हॅयियी मैं गयी राजा कह कर उन्होने दोनो हाथ फैला दिए तभी वो
आदमी भी भाभी की चूचियाँ पकड़ कर गाल काट ते हुए बोला ' मज़ा
आ गया मेरी जान' और उसने भी अपना पानी छ्चोड़ दिया.कुच्छ देर बाद
वो भी उठा और अपने कपड़े पहन कर साइड मैं हट गया.भाभी उस
आदमी के हटने के बाद भी आँखे बंद किए लेटी थी और मैने देखा
कि भाभी की चूत से उन दोनो का वीर्य और रज बह कर गंद तक आ
पहुँचा था.
अब उनका दूसरा साथी मेरे करीब बैठ कर मेरी चूचियों पर हाथ
फिराने लगा और बचा हुआ चौथ आदमी अब मेरी भाभी पर अपना
नंबर लगा कर बैठ गया. उसके बाद हम भाभी नंद की उन दो
आदमियों ने भी चुदाई की. अबकी बार जो आदमी मेरी भाभी पर चढ़ा
था उसका लंड बहुत ही ज़्यादा मोटा और लंबा{ करीब 11'} का था. पर
मेरी भाभी ने उसका लंड भी खा लिया.
चुदाई का दूसरा दौर पूरा होने पर जब हम उठ कर अपने कपड़े
पहनने लगे तो उन्होने कहा की पहले तुम दोनो नंद भाभी अपनी नंगी
चूचियों को आपस में चिपका के दिखाओ. इस पर जब हम शरमाने
लगी तो कहा कि जितना शरमाओगी उतनी ही देर होगी तुम लोगों को. तब
मेरी भाभी ने उठ कर मुझे अपनी कोली मैं भरा और मेरी चूचियों
पर अपनी चूचियाँ रगड़ी और निपपलोन से निपल मिला कर उन्हे आपस
मे दबाया. वो चारों आदमी इस द्रिश्य को देख कर अपने लुंडों पर
हाथ फिरा रहे थे. मुझे कुच्छ अटपटा भी लग रह था और कुच्छ
रोमांच भी हो रहा था.
उसके बाद हमने कपड़े पहने और वो लोग हमे अपनी कार में वापस
मेले के मेन गाउंड तक ले आए. उन्होने रास्ते मे फिर से हमे
धमकाया कि यदि हमने उनकी इस हरकत के बारे मे किसी से कुच्छ कहा
तो वो लोग हमे जान से मार देंगे. इस पर हमने भी उनसे वादा किया
कि हम किसी को कुच्छ नही बताएँगे.जब हम लोग मेले के ग्राउंड पर
पहुँचे तो सुना कि वहाँ पर हमारा नाम अनाउन्स कराया जा रहा
था और हमारे मामा-मामी मंडप मे हमारा इंतेज़्ज़र कर रहे थे. वो
चारों आदमी हमे लेकर मंडप तक पहुँचे. हमारे मामा हमे देख
कर बिफर पड़े कि कहाँ थे तुम लोग अब तक , हम 4 घंटे से तुम्हे
खोज़ रहे थे. इस पर हमारे कुच्छ बोलने से पहले ही उन चार मे से
एक ने कहा आप लोग बेकार ही नाराज़ हो रहें है, यह दोनो तो आप
लोगों को ही खोज रही थी और आपके ना मिलने पर एक जगह बैठी रो
रही थी, तभी इन्होने हमे अपना नाम बताया तो मैने इन्हे बताया कि
तौंहारे नाम का अनाउन्स्मेंट हो रहा है और तुमहरे मामा मामी
मंडप मे खड़े है. और इन्हे लेकर यहाँ आया हूँ.तब हमारे मामा
बहुत खुश हुए ऐसे शरीफ{?} लोगों पर और उन्होने उन अजन्बीयो का
शुक्रिया अदा किया. इस पर उन चारों ने हमे अपनी गाड़ी पर हमारे
घर तक छ्चोड़ने की पेशकश की जो हमारे मामा-मामी ने तुरंत ही
कबूल कर ली. हम लोग कार में बैठे और घर को चल दिए. जैसे
ही हम घर पहुँचे कि विश्वनथजी बहेर आए हमसे मिलने के
लिए. संयोग की बात यह थी कि यह लोग विश्वनथजी की पहचान वाले
थे. इसलिए जैसे ही उन्होने विश्वनथजी को देखा तो तुरंत ही
पूचछा ' अर्रे विश्वनथजी आप यहाँ, क्या यह आपकी फॅमिली है तो
विश्वनथजी ने कहा अर्रे नही भाई फॅमिली तो नही पर हमारे परम
मित्रा और एक ही गाओं के दोस्त और उनका परिवार है यह.फिर
विश्वनथजी ने उन लोगों को चाइ पीने के लिए बुलाया और वो सब लोग
हमारे साथ ही अंदर आ गये.वो चारों बैठ गये और विश्वनथजी
चाइ बनाने के लिए किचन पहुँचे तभी मेरे ममाजी ने कहा बहू
ज़रा मेहमानों के लिए चाइ बना देने और मेरी भाभी उठ कर किचन
मे चाइ बनाने के लिए गयी. भाभी ने सबके लिए चाइ चढ़ा दी और
चाइ बनाने के बाद वो उन्हे चाइ देने गयी, तब तक मेरे मामा एर
मामी ऊपेर के कमरे में चले गये थे और नीचे के उस कमरे उस
वक़्त वो चारों दोस्त और विश्वंतजी ही थे. कमरे में वो पाँचों
लोग बात कर रहे थे जिन्हे मैं दरवाज़े के पीछे खड़ी सुन रही
थी. मैने देखा कि जब भाभी ने उन लोगों को चाइ थमायी तो एक ने
धीरे से विश्वनथजी की नज़र बचा कर भाभी की एक चूची दबा
दी.भाभी हाई कर के रह गयी और खाली ट्रे लेकर वापस आ गयी.वो
लोग चाइ की चुस्की लगा रहे थे और बातें कर रहे थे, .
विश्वनथजी- आज तो आप लोग बहुत दिनों के बाद मिले हैं,क्यों
भाई कहाँ चले गये थे आप लोग? क्यों भाई रमेश तुमहरे क्या हाल
चाल है.
रमेश- हाल चाल तो ठीक है, पर आप तो हम लोगों से मिलने ही
नही आए, शायद आप सोचते होगे कि हमसे मिलने आएँगे तो आपका
खर्चा होगा.
विश्वनथजी- अर्रे खर्चे की क्या बात है.अर्रे यार कोई माल हो तो
दिलाओ , खर्चे की परवाह मत करो, वैसे भी फॅमिली बहेर गयी है
और बहुत दिन हो गये है किसी माल को मिले.अर्रे सुरेश तुम बोलो ना
कब ला रहे हो कोई नया माल?
सुरेश- इस मामले मे तो दिनेश से बात करोमाल तो यही साला रखता
है.
दिनेश- इस समय मेरे पास माल कहाँ? इस वक़्त तौमहेश के पास माल
है.
महेश _ माल तो था यार पेरकाल साली अपने मैके चली गयी है.पर
अगर तुम खर्च करो तो कुच्छ सोचें.
विश्वनथजी- खर्चे की हमने कहाँ मनाई की है. चाहे जितना
खर्चा हो जाए, लेकिन अकेले मन नही लग रहा है यार कुच्छ जुगाड़
बनवओ.
मैं वहीं खड़े-खड़े सब सुन रही थी मेरे पीछे भाभी
भी आकेर खड़ी हो गयी और वो भी उन लोगों की बातें सुन ने लगी.
सुरेश- अकेले-अकेले कैसे तुम्हारे यहा तो सब लोग है.
विश्वनथजी- अर्रे नही भाई यह हमारे बच्चे थोड़ी ही है, हमारे
बच्चे तो गाओं गये है,यह लोग हमारे गाओं से ही मेला देखने आए
है.
महेश- फिर क्या बात है. बगल मे हसीना और नगर ढिंढोरा.अगर
तुम हमारी दावत करो तो इनमे से किसी को भी तुमसे चुदवा देंगे.
विश्वनथजी- कैसे?
महेश- यार यह मत पूच्छो की कैसे, बस पहले दावत करो.
विश्वनथजी- लेकिन यार कहीं बात उल्टी ना पड़ जाएँ , गाओं का
मामला है, बहुत फ़ज़ईता हो जाएगा.
सुरेश- यार तुम इसकी क्यों फ़िक्र करते हो सब कुच्छ हमारे ऊपेर छोड़
दो
रमेश- यार एक बात है, बहू की जो सास {मीन्स माइ मामी} है उस पर
भी बड़ा जोबन है. यार मैं तो उसे किसी भी तरह चोदुन्गा.
विश्वनथजी- अर्रे यार तुम लोग अपनी बात कर रहे या मेरे लिए बात
कर रहे हो
महेश- तुम कल दोपहर को दावत रखना और फिर जिसको चोदना चोहेगे
उसी को चुदवा देंगे, चाहे सास चाहे बहू या फिर उसकी ननद
विश्वनथजी- ठीक है फिर तुम चारों कल दोपहर को आ जाना.
क्रमशः......................
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