RE: Village Sex Kahani गाँव मे मस्ती
मैने भी मंजू की गान्ड एक बार मारी पर उसके बाद वह अपनी चूत मे मेरा मुँह लेकर लेट गयी और रात भर मुझसे चुसवाती रही "तेरा यह कमसिन मुँह है ही इतना कोमल और प्यारा कि चोदने को ही बना है राजा मैं या मेरा बेटा इसे हमेशा चोदा करेंगे मुन्ना, नहीं तो मन नहीं भरता हमारा"
सुबह एक बार फिर उसने मुझे अपनी गान्ड चोदने दी बाद मे हमने अपनी अपनी मा की गान्ड जीभ से सॉफ की और उसमे से वीर्य चूसा मुझे बहुत माल मिला, मा की गान्ड मे से आधी कटोरी के करीब रघू का वीर्य मैने चूसा होगा
उस दिन सब इतने थक गये थे कि दिन भर सोए रात को भी कोई चुदाई नहीं हुई दूसरे दिन से हमारी चुदाई सधे ढंग से चल पडी सामूहिक चुदाई अब बस हफ्ते मे एक दो बार किसी किसी रात को होती थी मा ने ही कहा कि बार बार करने से मज़ा चला जाएगा हाँ अकेले मे जोड़ी बनाकर हम कभी भी चोद लेते थे
दोपहर को मैं अक्सर मा के कमरे मे सोता उसका दूध पीते हुए उसे चोदता या उसकी चूत चूसता मा के गोरे मासल शरीर को चूमना मुझे बहुत अच्छा लगता था जब भी मौका मिलता मैं उसकी गोरी पीठ, नितंब या जांघों और पेट को चूमता नितंबों के बीच मुँह छुपाकर मा का गुदा चूसना भी मेरा मनपसंद शौक बन गया था वह मुझपर बहुत खुश थी मुझे अपनी बुर चूसाना और दूध पिलाना उसे बहुत अच्छा लगता था मेरा लंड भी वह खूब चूसती थी अपने कमसिन बेटे के वीर्य का स्वाद उस मस्त कर देता था
मा की गान्ड मारने को मुझे कम मिलती जब वह बहुत मूड मे होती थी या जब मैं उसे चूस कर या चोद कर खुश कर देता था तभी मारने देती वह अपनी गान्ड का इस्तेमाल इनाम जैसे करने लगी थी बात यह थी कि रघू अब उसकी गान्ड के पीछे दीवाना था मा को उससे मरानी ही पड़ती थी नहीं तो वह मा को ना चोदता, ना लंड चूसने देता मा तो उसके लंड की दीवानी थी इसलिए मन भर कर चुदाने के बाद इनामस्वरूप अपनी गान्ड दे देती रघू को
मंजू ने तो मुझे अपनी चूत का गुलामा बना लिया था अपनी मालकिन के बेटे से बुर चुसवाने मे उसे बहुत मज़ा आता बस जब भी हमारी जोड़ी जमती, मेरी सिर अपनी जांघों मे दबाकर शुरू हो जाती घंटों चुसवाने के बाद मुझे अपनी गान्ड मारने देती
रघू से मेरा संभोग कई बार होता अब स्कूल जाते समय वह मुझे नहीं भोगता था क्योंकि घर मे आराम से वह कभी भी मेरे उपर चढ सकता था हाँ बीच मे साइकिल रोक कर मेरा मूत पी लेता जब मा और मंजू आपस मे जोड़ी बनाकर कमरे मे घुस जाते तो रघू मेरे कमरे मे आ जाता वह मेरी गान्ड का दीवाना था ही, घंटों मेरी गान्ड मारता और मुझसे मरवाता मुझसे गान्ड मरवाने मे उसे बहुत मज़ा आता मैं भी मन लगाकर बिना झडे उसकी गान्ड खूब देर तक मारता और उसे संतुष्ट कर देता
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