RE: Village Sex Kahani गाँव मे मस्ती
"अरे नहीं, ये बचपन से सीखा सिखाया है. इसे और उन दो कुत्तों और कुतिया को मैं शहर के पास की एक बाई से खरीद कर लाया हूँ. उस बाई का पेशा ही है, साली रंडी है, बहुत सी लड़कियाँ और लड़के पाल रखे हैं जो चाहे जैसी चुदाई करते हैं ग्राहकों के साथ. बहुत पैसे लेती है वह रंडी पर धंधा खूब चलता है उसका. पशुओं के साथ उन लड़के लड़कियों की चुदाई इस तरह के खेल भी दिखाती है उसके और ज़्यादा पैसे लेती है साली. सिखाकर कुत्ते, कुत्तिया, घोड़े आदि बेचती भी है. रसिक लोग जो पशुओं से चुदाई के शौकीन हैं, खरीद कर ले जाते हैं. मांजी ने पैसे दिए थे मुझे इन्हें खरीद लाने को. मोती
को बचपन से बस यही सिखाया गया है, बेचारे को मालूम भी नहीं होगा कि घोड़ी क्या होती है. यही हाल उन दो कुत्तों और कुतियो का है" रघु शैतानी से मेरी ओर देख कर मुस्करा रहा था.
मेरा सिर घूम गया. माँ इतनी चुदैल होगी मैं सोच भी नहीं सकता था. उसने रघु को इंसानों के साथ रति के लिए सिखाए जानवर खरीद लाने को कहा था. मेरे मन की बात भाँप कर रघु बोला. "तेरी माँ और मेरी माँ, साली महा चुदैल रंडिया हैं दोनों. नयी नयी चुदाई का रास्ता खोजती रहती हैं. अब हम दोनों बेटों के साथ तो उनकी मस्त चुदाई होती ही है. देखा कैसे मस्त रहती हैं अपने अपने बेटों से मरवाने से. अब कुछ और नया चाहिए उन्हें. और किसी को हम चारों मे शामिल करने को तो वे तैयार नहीं हैं. मेरी माँ साली महा चुदैल है. उसी ने यह रास्ता सोचा. बहुत पहले जब मैं छोटा था और उसे कोई चोदने वाला नहीं था तब एक दो बार कुत्ते से चुदवा चुकी है. बहुत मज़ा आया था उसे. इसीलिए जब एक दिन मालकिन बोली कि मंजू कुछ नया सोच तो उसने मालकिन को भी राज़ी कर लिया जानवर खरीद लाने को."
मैने पूछा. "तो अब क्या करती हैं दोनों उन कुत्तों के साथ?" मैं अपने लंड को पकड़कर मुठिया रहा था, मुझसे रहा नहीं जा रहा था.
रघु मेरा हाथ पकड़कर बोला. "देखेगा? चल मेरे साथ, तुझे रास लीला दिखाता हूँ. वैसे दोनों मोती पर भी फिदा हैं पर डरती हैं उसके लंड से. बस एक दो बार मेरे साथ चूसने की कोशिश कर लेती हैं. हो जाएँगी तैयार जल्दी ही. और फिर मोती को चोदने को चूत मिल ही जाएगी, घोड़ी की ना सही पर इंसानी घोड़ी की, और ज़्यादा मस्त और टाइट. पर उन कुत्तों के साथ तो उनकी मस्त जमती है. तेरी माँ तो ख़ास मेहरबान है उनपर. तू चल और देख ले"
मैं अब लंड पैंट से निकाल कर मूठ मांर रहा था. रघु ने मुझे रोकने की कोशिश की पर जब मैं नहीं रुका तो बोला "मुन्ना, तू गरम गया है, मैं जानता हूँ, ये जानवरों से चुदाई की बात ही ऐसी है, मैं तुझे नहीं रोकूंगा झड़ने से पर ऐसे फालतू ना बहा अपना वीर्य, चल मेरी ही गान्ड मांर ले. चल एक नये तरीके से मरवाता हूँ तुझसे." उसने मुझे मोती पर बिठा दिया. फिर मोती के लंड से निकले वीर्य की एक दो बूँदें उंगली पर लेकर अपनी गुदा मे चुपड लीं और मेरा लंड चूस कर गीला किया. फिर वह उचक कर मेरे सामने मोटी की पीठ पर चढ़ गया. अपनी धोती पीछे से उठा कर बोला "घुसेड दे मुन्ना
मेरी गान्ड मे तेरा लौडा"
मैं तो फनफना रहा था. रघु की गान्ड मे लंड डाल दिया. पक्क से वह पूरा घुस गया. तब मुझे समझ मे आया कि घोड़े का वीर्य कितना चिकना और चिपचिपा था. मैं बैठा बैठा ही रघु की गान्ड मांरने की कोशिश करने लगा.
रघु बोला. "ऐसे नहीं मुन्ना, बस बैठा रहा और मुझे पकड़ ले. अब मोती भागेगा तो अपने आप तेरा लंड मेरी गान्ड मे अंदर बाहर होगा." उसने मोती को एड लगाई और मोती घर की ओर चल पड़ा. उसकी चाल से मैं ऊपर नीचे आगे पीछे हिलने लगा और मेरा लंड रघु की गान्ड मे फिसलने लगा. बहुत सुखद अनुभव था. "रघु दादा मज़ा आ गया" मैं बोला.
"अब मोती को सरपट भगाता हूँ, फिर देखना राजा" कहकर रघु ने मोती को इशारा किया और वह घोड़ा दौड़ने लगा. मैने आँखें बंद कर लीं और रघु की कमर मे हाथ डालकर पीछे से चिपट गया. घोड़ा ऊपर नीचे होता था तो रघु की गान्ड अपने आप इतनी मस्त मारी जा रही थी कि मैं दो मिनिट से ज़्यादा ना रुक सका और चिल्लाकर झाड़ गया.
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