RE: Village Sex Kahani गाँव मे मस्ती
रघु बोला. "शुरू मे दुखता है बेचारे को अब तक, जब कि कई बार मुझसे
गान्ड मरा चुका है. बस अब देखना कैसे मस्ती मे आता है" कहकर वह
धीरे धीरे कुत्ते की गान्ड मे लंड पेलने लगा.
मा बोली "अब तेरा एक आठ इंची जाएगा तो दुखेगा ही, आख़िर बेचारा कुत्ता ही
है, कोई घोड़ा या घोड़ी नही जिसकी छेद तुझे ले ले आराम से. और चूत होती तो
बात और है, उसकी गान्ड मे डालेगा तो दुखेगा ही इसे. पर है दोनों हरामी
कुत्ते, ना जाने इन्हे मराने मे क्या मज़ा आता है"
मंजू बोली "ये रघु की करतूत है. इसे ऐसी ही कुत्ते चाहिए थे जो गान्ड भी
मराते हो. उस औरत से ख़ास ट्रैनिंग दिलवाई है इन्हे. इतना ही नही, ये तो
घोड़ा भी ऐसा लाया है जो गान्ड मरवा लेता है तो कुत्तों की बात ही क्या है"
दो मिनिट बाद शेरू मूह घुमाकर रघु का हाथ चाटने लगा. रघु
बोला "अब मज़ा आया बेटे, अभी तो रुक, देख फिर कैसे गान्ड मारता हू तेरी." और
हौले हौले उसने पूरा लंड कुत्ते की गान्ड मे उतार दिया. एक दो बार थोड़ा
आगे पीछे होकर उसने लंड ठीक से बैठा है की नही इसकी तसल्ली करा ली और
फिर शेरू की कमर पकड़कर उसकी गान्ड मारने लगा.
शेरू ने एक दो बार कू कू किया और फिर वह भी मंजू को चोदने मे जुट
गया. कुछ देर उनकी लय बेमेल रही, कभी शेरू आगे होता और कभी रघु पर
जल्दी ही रघु और शेरू ने अपनी लय जमा ली. अब वे एक सुर मे चोदने लगे.
शेरू जब आगे होकर मंजू की चूत मे लंड पेलता तो रघु पीछे होकर
अपना लॉडा कुत्ते की गान्ड मे से आधा खींच लेता. जब शेरू मंजू की चूत
मे से लंड निकालता तो रघु आगे होकर कच्च से उसकी गान्ड मे जड़ तक
लंड पेल देता.
शेरू को इतना मज़ा आ रहा था कि वह जीभ निकालकर कू कू करता हुआ सिर
घुमाकर देखने लगा. "चुम्मा चाहिए मेरे राजा?" लाड से कहकर रघु
आगे झुका और कुत्ते की जीभ मूह मे लेकर चूसने लगा. वासना मे उसने
करीब करीब पूरी सात आठ इंच की जीभ अपने मूह मे निगल ली थी. शेरू की
गीली जीभ से टपकती लार अब उसके मूह मे जा रही थी जिसे रघु ऐसे निगल
रहा था जैसे अमृत हो.
यह देखकर मैं ऐसे मस्त हुआ कि मैने दोनों हाथों मे ज़िनी की तूथनी
पकड़ी और उसकी पूरी जीभ अपने मूह मे निगल ली. ज़िनी की लार मेरे मूह मे बह
रही थी. मेरी आँखों मे देखते हुए वह सुंदर कुतिया मानो कह रही थी कि
चूस लो मेरे स्वामी, मेरी हर चीज़ तुम्हारी है. उसकी लार चुसता हुआ मैं
अब हचक हचक कर ज़िनी को चोदने लगा. इस हालत मे मुझे लग रहा था
जैसे ज़िनी की लार मीठा शहद या चासनी का रस है.
इतनी उत्तेजना ज़्यादा देर रहना संभव नही था. पहले मंजू झड़ी और
कराहने लगी. उसके बाद शेरू झाड़ा और कू कू करता हुआ अपने आप को
रघु की गिरफ़्त से छुड़ाने की कोशिश करने लगा. रघु भी कुत्ते की गान्ड मे
एक दो करारे धक्के लगाकर अचानक झाड़ गया और लस्त होकर शेरू के उपर
अपना शरीर टिका कर हान्फता हुआ आराम करने लगा. शेरू किसी तरह उसका
भार सहने की कोशिश करता हुआ भोंकने लगा कि चलो हो गया, अब उतरो.
उधर मा दो तीन बार झाड़ गयी थी पर टॉमी अब भी उसपर लगा हुआ था.
अम्मा अब कराहने लगी. "छोड़ रे टॉमी! बहुत चोद लिया, अब चूत फट जाएगी,
मैं झाड़ गयी रे राजा, छोड़ ना!" और छूटने की कोशिश करने लगी. पर वह
कहाँ मानने वाला था. भोंक भोंक कर गुर्रा कर उसने मा को मना किया
और मेरी मा को चोदने की गति दूनी कर दी. बेचारी मा अब कराह रही थी.
उसकी चुदि बुर को यह घचा घच चुदाई सहना नही हो रही थी. "मंजू
कुछ कर ना! अब मार डालेगा ये कुत्ता मुझे!" वह याचना करने लगी.
"चुद लो मालकिन, पैसा वसूल कर लो, बड़ी फुदक रही थी चुदाने को, है
ना? अब वह कुत्ता भी नही छोड़ने वाला, कहता होगा अपनी मालकिन को पूरा
खलास करके ही झडुन्गा, उसे पूरा मस्त कर दूँगा" मंजू ने मज़ाक किया.
वह अब चूतड़ उपर करके नीचे लेट गयी थी कि शेरू का वीर्य बाहर ना
निकल आए.
मंजू बाई मुझे बोली "बेटे, अब समझ मे आया कुत्तों से चुदाई मे क्यों
मज़ा आता है, जबकि इनके लंड कोई बड़े नही है, तेरे जीतने ही है, बस थोड़े
और बड़े होंगे. पर ये घंटों चोदते हैं बिना झाडे, ये इनकी खूबी है"
आख़िर शेरू झाड़ा और मा लस्त होकर ज़मीन पर ढेर हो गयी. पर मैने
देखा कि मा ने भी चूतड़ उठाए रखे कि कुत्ते का वीर्य चूत मे ही रहे.
मैं सोच रहा था कि ये ऐसा क्यों कर रही है? मन मे शरारती ख़याल आया
कि कुत्ते से गर्भ तो नही रखना इन्हे, छोटे छोटे पप्पी जन्म देने को?
पर अब मैं भी झडने के करीब था. ज़िनी अब तक नही झड़ी थी और अपनी कमर
हिला हिला कर मस्त चुदवा रही थी.
इतने मे रघु उठा. शेरू की गान्ड से लंड निकालते हुए बोला. "मुन्ना, रुक,
झाड़ मत, बहुत मस्त चोद रहा है तू ज़िनी को. और तुझे उसका चुम्मा भी
मीठा लग रहा है, है ना? अब एक और आसान दिखाता हूँ, उसमे आराम से
अपनी रानी को तू चूम सकेगा"
उसके कहने पर मैने चोदना रोक कर कुतिया की चूत मे से लंड निकाल लिया.
वह कू कू करने लगी. रघु ने उसे उठाया और चूमता हुआ बिस्तर पर ले
गया. "रुक रानी, ऐसे मत कर, अब ठीक से आदमियों जैसे सामने से चुदा.
मुझसे बहुत बार चुदि है तू ऐसे, अब मुन्ना को चोदने दे."
रघु ने ज़िनी को बिस्तर पर पीठ के बल लिटा दिया जैसे औरत हो. वह दुम हिलाते
हुए खुशी खुशी चारों पंजे हवा मे फैलाकर मेरी राह देखने लगी.
रघु ने उसके नीचे एक तकिया रखा और कहा. "अब चढ़ जा मुन्ना, ऐसे चोद
जैसे मा या मालकिन को चोदता है."
मैने ज़िनी की खुली रिसति चूत मे लंड डाला और अंदर बाहर करने लगा.
रघु बोला. "ऐसे नही, लेट जा उसपर, चिपक जा. तब आएगा मज़ा." मैं ज़िनी को
बाहों मे भरकर लेट गया. मुझे लगा था कि वह नाज़ुक खूबसूरत कुतिया
मेरा वजन सह पाएगी या नही पर उसने अपने पंजों से मुझे जाकड़ लिया
ऑरा मेरा मूह चाटते हुए छट पटाने लगी जैसे कह रही हो कि अ
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