RE: Sex Stories hindi मेरी मौसी और उसकी बेटी सिमरन
मेरी बात सुन उसने मुझे देखा. वह हिचकिचा रही थी. फिर उसने मुस्काराकार अपने चेहरे को मेरे लंड पर झुकाया और होंठो को सुपाड़े के पास लाई. कुछ देर तक रुकी फिर अपनी गरम ज़बान निकाल सुपाड़े पर लगाया और फिर मुझे देखा. वह कुछ शरमाने सी लगी तो मैं उसकी हिम्मत बढ़ाता बोला, “क्या हुआ सिमरन लो ना मुँह मे. लो बहुत मज़ा आता है चाटने मे. अगर अच्छा ना लगे तो मत चाटना. अरे कोई ज़बरदस्ती नही है मैं तो तुम्हारा भाई ही हूँ कोई बाहर वाला या तुम्हारा पति नही जो बुरा मानूं.”
तब उसने मुँह खोला और सुपाडे को अंदर लिया. फिर उसने केवल सुपाडे को तीन चार बाद अंदर बाहर किया और शायद उसे अच्छा लगा था क्योंकि उसके बाद उसने अपनी ज़बान बाहर निकाली और पुर लंड को चारो ओर से ज़बान लगा लगा चाटने लगी.मे मस्त हो गया और आहह हाये करने लगा. कुछ देर तक उसने लंड को ज़बान से ही चाटा.
फिर उसने लंड को अपने मुँह मे लिया और कसकर चूसने लगी. अब तो मैं समझ गया कि अब घर मे जन्नत हो गयी है. वह अपना मुँह तेज़ी से लंड पर ऊपर नीचे चलाती चाट रही थी. मैंने उसके सर को पकड़ा और अपनी गाँड उछाल उछाल उसके मुँह को ही चोद्ने लगा. वह भी तेज़ी से चाट रही थी.
10 मिनट बाद मे हांफता सा बोला, “हाहह बस… बस कर सिमरन अब निकाल दे अपने मुँह से बाहर अब झडने वाला है. आहह हाये मैं गया.”
फिर उसने लंड को मुँह से बाहर किया और देखने लगी. मेरे लंड ने दो चार झटके लिए और फ़च से झड़ने लगा. वह बहुत गौर से देख रही थी. मैं लेटा था इसलिए सारा पानी मेरे ऊपर ही गिर गया. दो मिनट बाद लंड एकदम लूज हो गया और वह भी नॉर्मल हुई. तब मैंने उसकी पैंटी से अपना लंड और पानी को पोंछा और पैंटी को अपने बेड के नीचे डाल दिया. मैं मौसी की बात सोच रहा था कि सिमरन का कोई कपड़ा अपने रूम मे मौसी को मिले तो वह उसे फँसाए.
फिर सिमरन को अपनी बाँहों मे भर लिया और अपने ऊपर लिटा लिया. वह मेरे ऊपर थी और उसके मम्मे मेरे सीने से दब रही थी और चूत लंड के ज़रा ऊपर पेट पर थी. मैं उसके दोनो गुदाज़ चूतड़ पर हाथ लगा सहलाता हुआ उससे बातें कर रहा था.
“सिमरन मेरी बहन कैसा लगा लंड चाटने?”
“भैया….”
“आए शरमा मत बता ना अपने भैया का लंड कैसा लगा? अगर अच्छा नही लगा तो फिर नही कहूँगा चाटने को.”
“नही नही भैया.”
“क्या नही नही?”
“व्व वो मेरा मतलब है भैया बहुत अच्छा लगा चाटने मे. भैया प्लीज़ अब मैं रोज़ रात को आपके साथ ही लेटुंगी. आप प्लीज़ रोज़ मेरी चूत को चाटियेगा और मैं आपका लंड.”
“ठीक है जान तुम्हारा हर तरह से मैं ख्याल रखूँगा. अब बताओ क्या इरादा है?”
“भैया जो आप चाहें.”
“मैं तो तुमको अभी खूब मज़ा देना चाहता हूँ. बोलो लोगी मज़ा?”
“जी भैया बिल्कुल बोलिए क्या करेंगे?”
“अब तुम्हारी चूत को अपनी उंगली से चोद्कर तुमको मज़ा दूँगा.”
“हाये भैया उंगली से कैसा लगता है?”
“उंगली से भी मज़ा आता है. तुमको लगेगा कि कोई तुम्हारी चूत को चोद रहा है.”
“हाये भैया कोई कौन, मेरे भैया क्यों नही?”
“हाये तुम मेरा लंड अपने अंदर लो तो ऐसा ही कहता.”
“मुझे डर लगता है भैया प्लीज़ आप उंगली से करिए.”
तब उसे एक कुर्सी पर बिठाया और उसके सामने बैठ उसकी चूत को खोल ज़ुबान लगा चाटने लगा. वह अपने पैरों को मेरे कंधों पर रखे थी. मैंने कुछ देर तक चूत को चाटा फिर एक उंगली को उसकी चूत मे कच से पेल दिया. उसके मुँह से हाये निकला. फिर उंगली को अंदर बाहर कर सिमरन की चूत को फिंगर फक करने लगा. उसे मज़ा मिला और वह चूत को उचका उंगली से चुद्वाती रही. मैं एक हाथ से उसके मम्मों को दबा दबा उसे फिंगर फक कर रहा था.
इस बार वह पहले से भी ज़्यादा झड़ी. जब वह झड़ रही थी तो उसने मेरी उंगली को अपनी चूत मे ही दबा लिया और होंठो को कसे झड़ती रही. उसने टाँगो को मेरी गर्देन पर कस रखा था और मैं उसकी रानो को चाट रहा था. उसकी गाँड बहुत तेज़ी से झटके ले रही थी.
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