RE: Maa ki chudai मॉं की मस्ती
आरती बोली वो तो ठीक है पर मनु क्या सोचेगा.
रमण बोला वो तो खुद ही चाहता है कि आप कम से कम हमारे साथ तो बिल्कुल फ्रेंड्ली रहें.
इन सब बातों के बीच आरती जो कि रमण से बिल्कुल सटी हुई बैठी थी,उसको अंदर ही अंदर कुछ-2 होने लगा था,वैसे भी रमण ने अपना काफ़ी सारा वजन आरती पर डाल रखा था,और वो फोटुस दिखाने के बहाने आरती से चिपका जा रहा था,उसका खुद का लोड्ा पॅंट फाड़ कर बाहर आने को तैयार था.
आरती की चूत से भी इन गरम -2 बातों के कारण पानी सा निकल रहा था,और वो गर्मी महसूस कर रही थी.
रमण की बात सुन कर वो बोली कि अगर मनु को कोई भी ऐतराज नही है तो वो तो घर मे ऐसी मॉर्डन ड्रेस पहन ही सकती है.
रमण बोला अगर आप को शक़ है तो मे मनु से पुछवा दूँगा.
आरती जल्दी से बोली कि नही नही ऐसी कोई बात नही है,और मुझे आप की बातों का यकीन है,मैं कोशिस करूँगी.
अब तो रमण का दिल बल्लियों उछलने लगा था,कि ये मुर्गी उसके जाल मे आ रही है.
फिर इतने मे ही मनु बाहर से आ गया,और उसने उन दोनो को साथ-2 बाते देख लिया,आरती एकदम से घबरा गयी,ये बात मनु भी ताड़ गया,इसलिए माहौल को हल्का करने के लिए बोला कि रमण भैया तुम मेरी मम्मी के साथ क्या कर रहे हो.
रमण बोला कि यार वो उस दिन पार्टी मे जो फोटुस खींची थी वो दिखा रहा हूँ.
मनु बोला अर्रे भैया उस पार्टी की मा की फोटुस तो बहुत ही शानदार आई थी,अच्छा है कि तुम मम्मी को दिख रहे हो,पर पापा को मत दिखना ,नही तो वो आपकी और मेरी दोनो की पिटाई कर देंगे,कि उनकी बीवी की इतनी खूबसूरत और सेक्सी फोटुस तुम लोग क्यूँ देख रहे हो,और हां रमण भैया ये फोटुस मुझे भी मैनल पर सेंड कर देना.
रमण ने कहा कि यार उस दिन दिखा तो दी थी अब क्या करोगे.
मनु बोला कि भैया वो फोटुस ऐसी हैं कि एक बार क्या कई बार देखने पर भी मन नही भरता.क्यों मम्मी मैं सही कह रहा हूँ ना,रमण भैया ने आपको हर ऐंगल से शूट किया है,आप लग भी जबरदस्त सेक्सी रही हो.
अब तो आरती क्या बोल सकती थी,वो बोली कि क्या सच मे उस दिन मैं तुमको इतनी पसंद आ रही थी.
मनु बोला और नही तो क्या,अगर आप मेरी मा नही होती तो आप को बताता कि आप मुझे कैसी लग रही थी.
आरती सब समझ रही थी,और वो बात को आगे नही ले जाना चाहती थी,नही तो पता नही मनु क्या-2 बोल सकता था,इसलिए वो चुप ही रही.
पर यहाँ से रमण ने बात को आगे बढ़ाया,और बोला कि यार तुम बताओ तो सही.हमे भी तो पता चले कि तुम क्या कह रहे हो.
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