RE: Maa ki chudai मॉं की मस्ती
मनु यही तो चाहता था,वो तुरंत बोला कि कल शाम को जब रमण भैया आएँगे तब आप ऐसी ही कोई बढ़िया आउटफिट पहन-ना.
आरती ने कहा कि नही घर पर इस ड्रेस का क्या काम.ये तो किसी पार्टी वगेरह मे ही अच्छी लगती हैं.
मनु-तो वो ही तो है कल हमारे घर पर ही है,पर है तो पार्टी ही जिसमे मे आप और रमण भैया शामिल होंगे,और रमण भैया को भी अच्छा लगे-गा .
आरती ने कहा कि ऐसा रमण ने कब कहा.
मनु-वो तो हमेशा ही कहते हैं कि आप बहुत सुंदर हैं,और वो आपको पसंद भी करते हैं.
आरती-मनु ये तुम क्या कह रहे हो,ये ठीक नही है.
मनु-इसमे क्या बुरा है,वो तो आपसे सिर्फ़ दोस्ती ही करना कहते हैं,और कुछ नही कहते.उस दिन भी आप जब वादा करके उनके साथ मूवी देखने नही गयी तो उनको कितना बुरा लगा था,आपको पता भी है.
आरती-ये तो मुझे भी पाया है कि मैं उसको वादा करके उसके साथ नही गयी,तो रमण को बुरा तो लगा ही होगा,पर मेने सोचा कि जब तुम्हे ये पता चलेगा कि मे रमण के साथ अकेले मे मूवी देखने गयी हूँ ,तो तुम क्या सोचोगे.
मनु-इसमे सोचने की क्या बात है,मैं भी तो अपने दोस्तों के साथ मूवी देखने जाता हूँ.
आरती-पर ये अलग है,ऐसे में अगर तुम्हारे पिता जी को पता चल गया तो क्या होगा.
मनु-अरे वो खुद बाहर क्या-2 करते हैं आपको बताते हैं क्या,फिर जब उनको बाहर मस्ती करने का हक़ है तो आपको क्यूँ नही.
आरती-तो तुम्हे मेरे रमण के साथ मूवी जाने के बारे मे सब पता था,और तुम्हे कोई एतराज़ नही था.
मनु-आरे वो तो रमण भैया ने मुझे बता ही दिया था,और फिर मैने कहा ना कि अगर आप को कहीं किसी के साथ कोई ख़ुसी मिलती है तो इसमे मुझे क्या एतराज़ होगा.
आरती-मुझे लगा कि तुमको बुरा लगेगा और तुम अपने पिता जी से कह दोगे इसलिए मेने पिक्चर का प्रोग्राम कॅन्सल कर दिया था.
मनु-आरे मा अब तो आपको पता चल गया कि मुझे आप की किसी बात से कोई प्राब्लम नही है तो फिर आप क्यूँ घबरा रही हो,और अब इसी बात पर प्लीज़. कल शाम को कोई बढ़िया सी ड्रेस पहन लेना कि रमण भैया की आपसे नाराज़गी भी दूर हो जाए,और आपको भी अच्छा लगे
ये सब बातें सुन कर आरती के दिल मे एक हलचल सी मच गयी,अब उसको मालूम था कि उसके बेटे मनु को भी उसकी और रमण की दोस्ती से कोई एतराज़ नही है,बल्कि वो तो खुद कह रहा है कि आरती को भी अपनी ख़ुसी के लिए थोड़ी सी आज़ादी लेनी चाहिए,और वो खुद कह रहा है कि वो और रमण दोस्ती कर लें तो फिर वो भी आगे बढ़ सकती है.
अब आरती इस टेंशन से मुक्त थी कि मनु क्या सोचगा,अब तो वो खुद कल शाम का इंतेज़ार कर रही थी,कल के लिए क्या तैयारी करनी है और क्या-2 घर मे चाहिए वो बस ये ही सोच रही थी.
और आरती ने सोच लिया था कि वो अब रमण को पहले से ज़्यादा लिफ्ट देगी,इसलिए कल पहन-ने के लिए कोई बढ़िया आउटफिट भी चाहिए,जिसमे कि उसका बेटा मनु भी बुरा ना फील करे और वो रमण को भी खुश और टिस्स कर सके.
अगले दिन रमण सही ट्यूशन के टाइम पर मनु के यहाँ पहुँच गया,मनु ने रमण को देखते ही कहा कि भैया आप जल्दी नही आ गये.
रमण ने कहा कि नही पहले हम रोज़ अपने टाइम पर जो ट्यूशन होती है उसकी पढ़ाई करेंगे और उसके बाद शाम को एंजाय्मेंट का प्रोग्राम एंजाय करेंगे.
ये सुन कर मनु ने कहा कि ये ठीक नही है,आज तो छुट्टी होनी चाहिए थी,पर तभी आरती बोली जो उन दोनो की बातें सुन रही थी कि रमण ये तुम सही कह रहे हो पहले पढ़ाई के टाइम पढ़ाई फिर बाद मे दूसरे सब काम.
आरती ने अभी तो दिन मे पहन-ने वाली नाइटी ही पहनी हुई थी,क्यूंकी वो भी रमण को इतनी जल्दी आना एक्सपेक्ट नही कर रही थी,और वो सोच रही थी कि रमण तो शाम को ही आएगा तभी चेंज कर लेगी,पर रमण का ये बिहेवियर उसके दिल को छू गया कि जब पढ़ाई करनी है तब और कोई काम नही करना ,इस-से उसके दिल मे रमण के प्रति और ज़्यादा आकर्षण उत्पन्न हो गया.
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