RE: Maa ki chudai मॉं की मस्ती
रमण आरती के मम्मे देखते ही उन पर टूट पड़ा और उनको फिर से बुरी तरह से हॉर्न की तरह से दबाने लगा,फिर उसने आगे बढ़ कर अपने होठ उसकी चुचियों पर रख दिए और वो उनको चूसने लगा,मम्मों की चुसाइ से आरती की आँखें और गुलाबी हो गयी,और वो मदहोशी मे अपना सिर इधर उधर पटकने लगी थी,अब उससे बर्दाश्त नही हो रहा था,और वो कह रही थी कि रमण उसको बुरी तरह से रोन्द दे,और उसको मसल कर उसकी चूत को फाड़ दे,अब उसके अरमान जो उसने छुपा रखे थे वो पूरी तरह से भड़क गये थे,उसका पति घर पर नही था और बेटा उसको खुद ही चुदवाने के लिए मौका दे कर वहाँ से चला गया था,तो वो हर तरह से आज़ाद थी,अपनी मन की इच्छा को पूरा करने के लिए.
उसने रमण का सर अपनी चुचियों से हटा कर उसको नीचे की तरफ धकेला तो रमण समझ गया कि अब आरती क्या चाह रही है
रमण को जब आरती नीचे की तरफ धकेलने लगी तो रमण ने आरती के मम्मों को चूसना छोड़ दिया और नीचे हो कर अपना मूह पैंटी के उपर से ही आरती की चूत पर रख दिया,आरती की चूत की महक ने एक बार तो रमण को इतना मदहोश कर दिया कि उसके होश ही उड़ गये और वो बेहोश सा हो गया,तब आरती ने उसका सिर पकड़ कर तेज़ी से अपनी चूत पर दबाया तब वो वापस होश मे आया,फिर उसने अपने हाथ आगे कर के पहले उसकी पैंटी के कपड़े को हल्का सा साइड किया और उसकी चूत की महक को अपनी नाक से सूंघने लगा,आरती से अब सबर नही हो रहा था,और वो चाह रही थी कि रमण उसकी चूत को चूसे चाटे और खा जाए,तो जब रमण सिर्फ़ उसकी चूत की महक ही ले रहा था,तब आरती का सबर जवाब देने लगा और उसने रमण को बोला कि ये तुम क्या कर रहे हो मेरे अंदर आग लगी हुई है,और मेरी ....... आह सुलग रही है,इसका कुछ करो.
रमण बोला इसका ही तो इलाज़ करना है पर इसमे से जो महक आ रही है,वो ही मुझे इतना मदहोश कर रही है कि मेरा दिल उसको छोड़ ही नही रहा ,और मैं इसको सिर्फ़ सूँघे ही जा रहा हूँ.
आरती बोली अब इसको सूंघना छोड़ो और इसको चूसो और खा जाओ.
रमण-किसको
आरती आरे इसी को जिसको सूंघ रहे हो.
रमण -भाभी जी जब आप मेरे साथ यहाँ तक आ गयी हैं तो अब शरमाना छोड़ो और इसको-2 मत करो इसका नाम लो ये क्या है.
आरती- अर्रे साले जब तू नाम ही सुन-ना चाहता है तो सुन ,साले तो मेरी चूत को चूस ले ,और चूत को खा जा यही मेरे से सुनना चाहता है ना तू.
रमण -ये हुई ना बात अब आप जब मुझे ऐसे बोलेंगी तो मेरी क्या मज़ाल है कि मैं आप को तृप्त ना करूँ.
ये कह कर रमण ने आरती को वहीं पर सोफे पर ही लिटा दिया और फिर उसी पैंटी को उतारने लगा,आरती ने भी अपने चूतड़ उँचे करके अपनी पैंटी उतारने मे उसकी मदद की,और आरती की पैंटी जैसे-2 नीचे जा रही थी वैसे-2 आरती की सुंदर चूत रमण के सामने आती जा रही थी
जैसे ही आरती की पैंटी चूत के नीचे आई,रमण की आँखों ने झपकना बंद कर दिया,आरती की चिकनी चूत देख कर वो सब कुछ भूल गया,आरती ने आज ही अपनी चूत के बाल साफ किए थे,क्यूंकी वो खुद ही अपनी चूत कुटवाना चाहती थी,ये उसकी छुपी हुई इच्छा थी,इसलिए उसने चूत को खूब चिकना किया हुआ था,और जब इतनी चिकनी मक्खन जैसी चूत रमण के सामने आई तो वो अपने होशो हवाश खो बैठा,आज उसका इतने दिन का सपना जो पूरा होने जा रहा था,जब उसने उस चूत को खूब निहार लिया तब वो झुका और उसने सबसे पहले आरती की चूत का एक गहरा चुंबन लिया,फिर अपनी जीभ निकाली और चूत को चाटना शुरू किया,चूत पहले से ही रस से भरी हुई थी,और उसका पानी बाहर तक छलक रहा था,इसलिए जैसे ही उसकी जीभ ने चूत को छुआ,तब आरती के शरीर मे भी एक अज्जीब से मदहोशी और करेंट दौड़ गया और रमण को एकदम नमकीन स्वाद मिला ,जो उसके लिए अमृत जैसा था,फिर वो चूत को पहले उपर से ही कुत्ते की तरह से चाटने लगा,पर जब उपर स्वाद आना बंद हो गया तब उसने अपने हाथ की उंगलियों से उसकी चूत को पकड़ा और उसके छेद को खोला तब अंदर से चूत का गुलाबी छेद जो फूल और पिचक रहा था दिखने लगा,उसकी चूत मे अंदर लबा-लब पानी भरा हुआ था और वो बहुत हसीन लग रही थी,जब रमण उसको निहारने ही लगा .
आरती से सबर नही हुआ और वो बोली कि अब क्या मेरी चूत को ही निहारते रहोगे इसमे अपनी जीभ डाल दो ना अब सहन नही हो रहा,तब रमण ने दोनो तरफ से चूत के छेद को और फेलाया और अपनी पूरी की पूरी जीभ एक ही बार मे उसकी रसीली चूत मे घुसा दी,पर जैसे बाल्टी मे पानी भरा हो और उसमे कुछ डालो तो पानी बाहर छलक जाता है,ऐसे ही आरती की चूत से भी उसका रस बाहर छलक गया,तब रमण ने अपनी जीभ बाहर निकाली और पहले जो रस बाहर छलक गया था उसको चाट कर सॉफ करने लगा,जब वो सारा रस साफ हो गया तब उसने फिर से धीरे-2 अपनी जीभ आरती की चूत मे घुसनी शुरू की,पर इस बार वो बाहर से ही चपड-2 चाट-ता जा रहा था,क्यूंकी वो उस अमृत की एक भी बूँद बर्बाद नही करना चाहता था.
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