RE: Maa ki chudai मॉं की मस्ती
फिर रमण ने अपनी उंगलियों को थोड़ा सा उसकी चूत मे घुमाया और फिर निकाल कर आरती के मूह मे ले जा कर डाल दी,आरती को एक बार तो वो कॉकटेल का स्वाद अज्जीब सा लगा और वो बोली कि ये क्या कर रहे हो.
रमण बोला कि जानेमान ये तो तुम्हारी चूत और मेरे लंड के प्रेमरस का कॉकटेल,(यानी कि कॉक का टेल कॉकटेल)इसको चाटो इसका स्वाद अमृत जैसा लगेगा,ये सुन कर आरती ने उसकी उंगलियो को मूह मे ले ही लिया और उसके बाद उसको भी उसमे स्वाद आने लगा और वो उसको चूसने लगी,अब आरती पूरी मस्ती मे आ गयी थी,फिर रमण ने दुबारा से आरती की चूत मे उंगली डाली और इस बार अपनी उंगली पर पहले से बहुत ज़्यादा रस लगा कर उसके मूह मे डाला इस बार आरती ने खुद उसका हाथ पकड़ लिया और उसकी उंगलियाँ चूसने लगी,जब वो चपड-2 करके रमण की उंगलियाँ चूस रही थी तो रमण ने मनु को इशारा किया कि वो भी बाहर आ जाए,मनु उसका इशारा समझ कर बाहर रमण के पास आ गया,आरती तो उस टाइम रमण की उंगलियो से कॉकटेल ही चूसे जा रही थी,तब रमण ने मनु को उसकी एक चुचि को दबाने का इशारा किया.
अब सीन ये था कि रमण एक हाथ से आरती की चुचि दबा रहा था और उसका दूसरा हाथ आरती के मूह मे था,और मनु अपने दोनो हाथों से अपनी ही मा की चुचि को दबा रहा था,जब आरती को ये समझ मे आया कि अब कोई और भी उसकी चुचि को दबा रहा है तो उसने आँखें खोल कर और पलट कर देखा कि ये तो उसका खुद का बेटा मनु ही है,ये देखते ही उसका शरीर एकदम से ठंडा पड़ गया और उसने सभी तरह की हरकतें बंद कर दी.
रमण ने जब ये देखा तो वो बोला कि जानेमन क्या हुआ?
आरती पहले तो कुछ भी नही बोली,और चुप चाप पड़ी रही,फिर बोली कि मनु तुम यहाँ क्या कर रहे हो?
रमण-अर्रे जानेमन अब इस-से क्या शरमाना इसको तो सब पता ही है,और अगर हम इसको अपने साथ नही मिलाएँगे तो फिर हम भी मस्ती नही कर पाएँगे.
आरती-पर मैं इसके साथ ये सब नही कर सकती.आख़िर ये मेरा बेटा है.
रमण-तो क्या हुआ,अगर ये तुम्हारा बेटा है तो ,है तो ये भी एक मर्द ही ना,और देखो ये तुम से कितना प्यार करता है,जब इसने खुद ही तुमको मेरे से चुदवाने का मौका दिया है तो फिर इसका भी यो कुछ हक़ बनता है,फिर अगर ये हमारे साथ रहेगा तो घर मे ही तुम्हे दो-2 लंड का स्वाद हमेशा मिलता रहेगा,फिर ये किसी को बताएगा भी नही,और हम मिल कर मस्ती कर सकेंगे.
आरती-पर मेरा दिल नही मानता,कि मैं अपने बेटे के साथ ये सब करूँ.
रमण-तुम समझ क्यों नही रही,तुम एक बार को ये भूल जाओ कि ये तुम्हारा बेटा है,फिर इसके लंड पर नज़र डालो,ये कह कर रमण ने मनु का नंगा लंड निकाल कर आरती के सामने कर दिया,अब लंड महाराज तो जोश मे थे ही और जब उनको अपनी मा की चूत मरने का मौका मिलने वाला था तो वो और भी जोश मे आ गये,तो जैसे ही रमण ने उसको आगे किया और आरती का एक हाथ पकड़ के उसके हाथ को मनु के लंड पर रखा तो वो और भी ज़्यादा फूल गये,अब जब आरती ने अपने बेटे का इतना मोटा लंड देखा तो एक बार तो उसकी आह ही निकल गयी,पर फिर भी उसने कुछ नही बोला,तो रमण बोला जब इतना मोटा लंड घर मे ही मौजूद रहेगा तो तुम जब चाहे इसको अपनी चूत मे ले सकती हो,और किसी को पता भी नही चलेगा.
तब आरती ने अपने दिल मे सोचा कि अब जो होना था वो तो हो ही चुका है,और अब तो मनु ने भी मुझको रमण से चुदवाते हुए देख ही लिया है तो अब छुपाने को तो कुछ बचा ही नही है,फिर अब उसको भी ये मान ही लेना चाहिए कि वो खुद भी तो अब अपने बेटे के इतने मोटे लंड को देख कर अब उस-से चुदवाना ही चाहती है
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