RE: Maa ki chudai मॉं की मस्ती
आरती ने अब अपने दिल को समझा लिया कि अगर उसको अपनी जवानी के मज़े लेने हैं और घर मे मौज करनी है तो फिर,मनु को तो साथ रखना ही पड़ेगा और वो तो तभी साथ देगा जब उसको कुछ मिलेगा,और वो जो चाहता है वो आरती ही उसको दे सकती है,इसलिए ये तो अब खुद उसपेर ही निर्भर है कि वो क्या करे.
ये विचार दिमाग़ मे आते ही आरती ने अपना मन पक्का कर लिया कि अब वो अपनी जवानी का फुल मज़ा लेगी,और उसके लिए अब अपने बेटे का लंड भी अपनी चूत मे ले लेगी,तब उसने अपने हाथ को मनु के लंड पर धीरे-2 आगे-पीछे करना शुरू कर दिया,जब रमण ने ये देखा कि आरती ने अब हालत को समझ लिया है,और अब वो सब कुछ करने को तैयार है तो ,उसने मनु को कहा कि लो यार अब तुम भी इस जवानी के मज़े लो.
मनु का लंड हालाँकि आरती के हाथ मे था और वो अपनी मा के नरम मुलायम हाथ के स्पर्श से और ज़्यादा उत्तेजना महसूस कर रहा था,पर मन के किसी कोने मे अभी भी थोड़ी सी झिझक मा -बेटे वाली बाकी थी,इसलिए वो इतना खुल कर आरती के साथ वो सब नही कर पा रहा था.
ये बात रमण भी समझता था कि अभी पहली ही बार मे दोनो ही मा-बेटे मे कुछ झीजक तो रहेगी ही,पर जब एक बार बेटे का लंड मा की बुर की सैर कर लेगा तो सारी शरम हया ख़तम हो जाएगी,और फिर खुल कर वासना का खेल होगा.
रमण के लंड मे अब तनाव बढ़ता जा रहा था,और अब वो फिर से आरती की चुदाई करने की तैयारी कर रहा था,अब आरती भी धीरे-2 सब कुछ समझ कर रंग मे आने लगी थी और अब उसका हाथ लगातार ही मनु के लंड पर आगे-पीछे हो रहा था,और उसकी सिसकियाँ बढ़ती जा रही थी.
अब मनु को भी अपनी मा के लंड को मसल्ने से और आहें भरने से जोश बढ़ रहा था,और उसने अपनी मा की चुचियो को ज़ोर से मसलना शुरू कर दिया था,तभी उसने झुक कर अपनी मा के मम्मे को चूसना शुरू कर दिया,जैसे ही मनु ने अपना मूह आरती के मम्मे पर रखा आरती को फिर से करेंट सा लगा,क्यूंकी चुदाई एक अलग अहसास है,पर अपने बेटे से ही चुदाई बिल्कुल ही दूसरा अहसास है.
और ये बात रमण को भी समझ आ रही थी कि अब जो आरती ही नही उसका भी जोश इतना बढ़ गया है,वो मा-बेटे के वासना के खेल के कारण है,और इसमे उसी बात का प्रभाव सबसे ज़्यादा है,कि वो ये देख रहा है कि कैसे एक जवान बेटा अपनी ही माँ के मम्मों को चूस रहा है.
अब जो रमण ने आरती की चूत मे उंगलियाँ डाली तो उसको उसमे पहले से कहीं ज़्यादा गर्मी महसूस हुई,उसने इस बार अपने हाथ के साथ-2 आरती का हाथ भी पकड़ कर उसकी ही चूत मे डाल दिया,एक साथ 4-4 उंगलियाँ जैसे ही आरती की चूत मे गयी वो तो एकदम से पानी ही छोड़ने लगी,और झाड़ गयी.
इस बार रमण ने अपना अंडरवेर जो वहीं पड़ा था उठाया और उसको एक तरफ से पकड़ कर आरती की चूत मे घुसा दिया,और उस-से आरती की चूत के रस को काफ़ी सारी मात्रा मे सोख लिया,फिर उसने वो अंडरवेर उसी साइड से आरती की नाक के पास लगाया,तो वो उसकी खुसबू से मदहोश सी हो गयी,तब रमण ने उस हिस्से को आरती के मूह मे डाल दिया,तो आरती उसको बुरी तरह से चूसने लगी,उसको अब कॉकटेल चाटने मे पहले से भी ज़्यादा मज़ा आ रहा था.जब उसमे से रस आना कम हुआ तो रमण ने आरती का वो वाला हाथ जो उसने चूत मे डाला था पकड़ा और उसकी वो उंगलियाँ उसके मूह मे डाल दी,अब तो आरती वासना के नशे मे पागल हो गयी थी,और अनप-शनाप बोलने लगी थी.अब मेरी चूत को फाड़ दो,इसका भोसड़ा बना दो,आज मैं अपने ही बेटे का लंड अपनी चूत मे लूँगी,आजा मेरे बेटे अपनी माँ की चूत मार ले और मादरचोद बन जा.
ये सब सुन कर मनु का जोश तो सातवें आसमान पर ही जा पहुँचा था ,और अब वो फिर से झड़ने को तैयार था,अब आरती भी उसके लंड पर हाथ तेज़ी से चला रही थी,तभी मनु एक बार फिर झाड़ गया,और उसके रस ने आरती के हाथ को भर दिया,जो कि आरती ने जल्दी से अपनी नाक के पास ले जा कर देखा,तो उसको उसमे से बहुत ही मादक खुसबू आई,फिर उसने अपनी जीभ से अपने हाथ को चाटना शुरू कर दिया,उसको उसका स्वाद बहुत ही अच्छा लग रहा था,और वो मनु के सारे रस को अपनी जीभ से चाट -2 कर सॉफ कर गयी
अब मनु का लंड झाड़ कर ढीला हो गया था,और आज की रात मे वो इतनी बार झाड़ गया था कि अब खुद भी कुछ थकान महसूस करने लगा था,तो इस कारण वो झाड़ कर वहीं अपनी मा के पास ही बिस्तर पर गिर गया,और हाँफने लगा.
पर तब तक रमण का लंड तन कर बहुत कड़क हो गया था,और झटके मारने लगा था,अब रमण से सबर नही हो रहा था,और कुछ-2 यही हाल आरती का भी था,तो अब आरती ने रमण के लंड को पकड़ कर अपनी तरफ खींचना शुरू कर दिया.
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