Porn Kahani भोली-भाली शीला
01-07-2018, 02:07 PM,
#33
RE: Porn Kahani भोली-भाली शीला
पंडित & शीला पार्ट--32

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गतांक से आगे ......................

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पंडित जी ने जिस प्रकार से उसके गले को पकड़ा हुआ था उन्हें अपने लंड का एहसास रितु के गले के अन्दर से साफ़ महसूस हो रहा था ..वो उसकी डीप थ्रोट यानी गले के अन्दर तक की चुदाई कर रहे थे ..जिसमे उन्हें बड़ा मजा आ रहा था ..और शायद रितु को भी .


पंडित को जब लगने लगा की रितु को उनका लम्बा लंड चूसने में तकलीफ हो रही है तो उन्होंने अपने चतुर दिमाग का इस्तेमाल किया और रितु से बोले


"ले ...बेटी ...अह्ह्ह ...रितु ....चूस अपने बाप का लंड ...जोर से ...अन्दर तक ...चूस ...भेन चोद ...''


उन्होंने गिरधर के अंदाज में गालियाँ देकर रितु को जैसे ही बेटी कहकर संबोधित किया उसमे जैसे एक नयी जान आ गयी ..फिर तो उसने अपनी और अपने गले की परवाह किये बिना पंडित जी के लंड को अपने मुंह में लेकर जैसे पूजने लगी ..उसकी सेवा करने लगी ..


और उसके मुंह से अजीब सी आवाजें भी निकलने लगी ..


''अह्ह्ह्ह ....पापा ......उम्म्म्म्म .....चोदो मुझे ....मेरे मुंह को ....अह्ह्ह्ह ....उम्म्म्म्म .......''


उसकी हरकतों में आये बदलाव को पंडित जी का लंड साफ़ महसूस कर पा रहा था .


अब पंडित जी से भी सब्र नहीं हुआ ..उन्होंने उसको खड़ा किया और उसके होंठों को अपने होंठों में दबाकर जोरों से चूसने लगे ..आज जैसी किस्स तो उन्होंने खुद भी किसी से नहीं की थी ..इतना जंगलीपन ..इतनी बर्बरता ..इतने रफ्फ तरीके से उन्होंने रितु के चेहरे को पकड़कर चुसा था की उसके होंठों के किनारे से खून की एक बूँद उभर आई ...जिसे पंडित जी ने अपनी जीभ से साफ़ कर दिया ..और फिर से उसके होंठों को पीने लगे ..


और रितु तो बस आँखे बंद किये अपने ''पापा'' की ''निर्दयता'' का मजा ले रही थी ..


पंडित जी ने एक कोने में रखी हुई लकड़ी की टेबल पर रितु को पेट के बल लिटा दिया और उसकी गांड को फेला कर उसे चोडा कर दिया ..और अपने अंगूठे पर ढेर साड़ी थूक लगा कर उन्होंने उसके पीछे वाले छेद को गीला कर दिया ..

अपनी गांड पर गीलापन पाकर वो सिहर सी उठी ..उसे पता चल गया की आज पंडित जी उसकी गांड का उदघाटन करने के मूड में हैं ..


और हो भी क्यों न , पंडित जी समझ चुके थे की अब रितु का गिरधर के चुंगल में फंसना लगभग तय है ..क्योंकि आग दोनों तरफ बराबर लगी हुई है ..इसलिए वो उसकी गांड मारने वाले पहले व्यक्ति बनना चाहते थे ..क्योंकि गिरधर तो वैसे ही गांड का दीवाना है, उसका बस चले तो वो चूत से पहले गांड मार ले रितु की ..इसलिए पंडित जी पहले से ही वहां अपने नाम का ठप्पा लगा देना चाहते थे .


रितु भी बस दम साधे उनके अगले एक्शन का इन्तजार कर रही थी ..और जैसे ही पंडित जी ने उसके पीछे वाले छेद पर अपने लंड को लगाया उसके किसी उदबिलाव की तरह से अपना सर ऊपर की तरफ उठा लिया और जोर से चीख पड़ी ..


''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ....पंडित जी .....ये कहाँ डाल रहे हो ..उम्म्म्म्म्म ''


उस साली को मजा भी आ रहा था और फिर भी किसी अबोध की तरह उनसे सवाल भी कर रही थी ..मानो उसे पता ही नहीं हो की यहाँ से भी होता है ..


पर तब तक पंडित जी के दो धक्को ने आधे से ज्यादा काम कर दिया था ..और उसकी भरी हुई गांड और भी ज्यादा भर कर दोनों तरफ मोर पंख जैसे फेल गयी .


अब रितु को भी दर्द होने लगा ..पहली बार जो था उसकी गांड में ..


''ओह्ह्ह पंडित जी ....धीरे करो .न ....अह्ह्ह्ह्ह्ह .....''


वो छटपटाने लगी ..पंडित जी ने उसके दोनों हाथ पकड़कर पीठ से बाँध दिए ...और उसके बालों को पकड़कर पीछे की तरफ खींचा और उसे घोड़ी बना दिया ..और फिर एक जोरदार शॉट मारकर उसके अस्तबल में अपना पूरा घोडा उतार दिया ..


वो घोड़ी जैसे हिनहिना उठी .


''अग्ग्ग्ग्घ्ह्ह्ह्ह्ह्ह .......उम्म्म्म्म्म्म्म ........मर्र्र गयी ......अह्ह्ह्ह्ह्ह ....''


और उसके बाद तो पंडित जी ने उसके रेस कोर्स में अपने घोड़े को ऐसा दोड़ाया ..ऐसा दोड़ाया की एक पल के लिए तो रितु को भी यही लगने लगा की पंडित जी उसकी गांड नहीं मार रहे बल्कि अपने घोड़े को दौड़ा रहे हैं रेस में ..

पंडित जी का हर झटका उसे स्वर्ग का मजा दे रहा था ..वो जिस तरह से पेट के बल लेटी हुई थी ..उसकी चूत वाले हिस्से पर टेबल का कपडा रगड़ खा रहा था ..रगड़ क्या खा रहा था जैसे उसकी चूत को खा रहा था ..पंडित जी के हर झटके से वो सूती कपडा उसकी चूत की दरार में घुसता जा रहा था ..उसके होंठों पर अजीब किस्म की मुस्कान फेल रही थी ..दोनों छेदों में मिल रहे मजे को वो बयान भी नहीं कर पा रही थी ..बस चिल्ला कर और हंस कर मजे लेने में लगी हुई थी ..


बस उसके मुंह से टूटे फूटे शब्द निकल रहे थे ...जो थे ..


''ओह्ह पापा .....उम्म्म पापा ...जोर से पापा ...हां न… पापा ..''


और जल्द ही पंडित के लंड ने अपनी बार पहली सिंचाई कर दी रितु की बंजर गांड में ..जिसे महसूस करके उसका रोम रोम पुलकित हो उठा ..गांड के अन्दर गीलेपन के एहसास ने उसे ऐसा मजा दिया जैसा उसे अब तक नहीं आया था ..


और उसी गीलेपन के एहसास के साथ उसकी चूत से रगड़ खा रहे कपडे ने भी उसकी चूत को रगड़ -2 कर उसके ओर्गास्म तक पंहुचा दिया ..और वो दोनों तरफ से भीगी हुई सी हांफती हुई ..झड़ने लगी ..


''उम्म्म्म्म्म्म्म्म .......अह्ह्ह्ह्ह्ह ...मजा आ गया .......पंडित जी ..''


आखिर में जाकर रितु ने चुदाई का श्रेय आखिरकार पंडित जी को दे ही दिया ..


पंडित जी ने भी अपना मुसल बाहर खींचा और उसकी धुलाई करने के लिए बाथरूम में चले गए ..


रितु भी खड़ी हो गयी ...उसकी चूत में फंस कर टेबल का कपडा उसके साथ ही खिंच का बाहर आ गया और उसके पैरों के बीच लटक कर झूलने लगा ..


उसकी गांड से रिस रिसकर पंडित जी का प्रसाद बाहर निकल रहा था ..और उसकी चूत से निकल रहा गर्म पानी उस कपडे को गीला कर रहा था ..


उसने भी अपनी चूत और गांड पूरी तरह से साफ़ की और कपडे पहन कर वापिस अपने घर की तरफ चल दी ..


आज का नया ''अध्याय'' पंडित जी ने उसे बखूभी सिखाया था ..

दूसरी तरफ गिरधर ने पंडित जी के घर से निकलते ही इरफ़ान भाई को फ़ोन लगाया .


इरफ़ान : "हेल्लो ...कौन बोल रहा है ..''


गिरधर : "साहब ...मैं बोल रहा हु ..गिरधर ..वो मिले थे न हम कल रात को ...जी बी रोड के बाहर ''


इरफ़ान समझ गया की ये वही दल्ला है जिसके आइटम की उसने बीच रोड पर बजायी थी .


इरफ़ान : "अरे मियां ..तुम हो ..मैं सोच ही रहा था की शाम को तुम्हे फ़ोन करू ..पर तुमने खुद ही कर दिया ..बोलो क्या खबर है ..''


गिरधर : "साहब ...खबर तो बड़ी अच्छी है ..एक नया माल आया है मार्किट में ..सिर्फ दो चार दिनों के लिए ही है वो यहाँ ..और है भी मु****न लड़की ..आपको पसंद आएगी ..''


मु****न लड़की के बारे में सुनते ही इरफ़ान की तोप खड़ी हो गयी ..उसने लपलपाती जुबान से पूछा : "उम्र क्या होगी उसकी ...??''



गिरधर ने चटकारा लेते हुए बताया : "होगी करीब 24 के आस पास ''


जैसा पंडित जी ने उसे बताया था ..


और ये सुनते ही इरफ़ान ने एक लम्बी और ठंडी सांस ली और उसका हाथ सीधा जाकर अपने लंड को सहलाने लगा और उसने मन ही मन सोचा 'उम्म्म्म्म बिलकुल नूरी की उम्र की है ये तो ..'


गिरधर : "अरे साहब ...क्या हुआ ...क्या सोचने लगे ''


इरफ़ान : ''उम्म्म्म ...कुछ नहीं ...बोलो कब और कहाँ ...''


अब इसके बारे में तो पंडित जी ने उसे बताया ही नहीं था ..


उसने कुछ देर सोचा और फिर बोला : "वो भी बता दूंगा साहब ...लड़की खानदानी है ..बस थोड़े मजे और थोड़े पैसो के लिए ये कर रही है ..मैंने सोचा की पहले आप से पूछ लू और बुकिंग ले लू , फिर उसके साथ सीन फिक्स करके बता दूंगा ...''


इरफ़ान : "ठीक है ..तुम पैसों की फ़िक्र मत करो ..बस जल्दी से इससे मिलने का इंतजाम करवाओ ..''


खानदानी और वो भी जवान लड़की ...मजा आ जाएगा ..इरफ़ान के मन में तो लड्डू फूटने लगे ..


गिरधर : "ठीक है साहब ..मैं आपको दोबारा फ़ोन करता हु ..''


उसने फ़ोन रखा और झट से पंडित जी से आगे का प्रोग्राम पूछने के लिए फ़ोन लगाया ..पर उन्होंने उठाया ही नहीं ..उठाते भी कैसे, वो उसकी लड़की जो चोद रहे थे .


रितु की गांड मारने के बाद जब पंडित जी वापिस अपने पलंग पर आकर लेटे तो उन्होंने गिरधर की मिस काल देखि ..और उसे फ़ोन किया , तब तक रितु वापिस अपने घर की तरफ निकल चुकी थी .


पंडित : "हाँ गिरधर बोलो ..''


गिरधर : "पंडित जी ..मैंने आपके कहे अनुसार उसे फ़ोन कर दिया है ..और वो तो जवान लड़की के बारे में सुनकर पागल सा हुए जा रहा है ..और पूछ रहा था की कब और कहाँ मिल सकती है ..बस इसी के लिए फ़ोन कर रहा था मैं , वो तो आपने बताया ही नहीं ..''


पंडित जी भी सोच में पड़ गए ..उन्होंने भी इसके बारे में नहीं सोचा था ..अपने कमरे में वो ला नहीं सकते थे ..गिरधर के घर पर भी मुमकिन नहीं था ..और उस दिन जैसे सड़क के बीचो बीच भी असंभव था ..


पंडित जी की तरफ से कोई जवाब ना आते देख गिरधर ही बोल पडा : "पंडित जी ..अगर आप बुरा ना माने तो मेरे पास एक जगह है ..''


पंडित : "कोन सी ...जल्दी बताओ ..''


वो यहाँ से थोड़ी दूर है ..वहां एक खंडहर है ..जिसमे कोई आता जाता नहीं है ..शायद कोई पुराना किला है .


पंडित समझ गया की वो किस जगह की बात कर रहा है ..वो लगभग उनकी कालोनी से बिलकुल बाहर की तरफ था ..और वहां आबादी भी काफी कम थी , बिलकुल सुनसानियत में बना हुआ था वो पुराना किला ..


पर खंडहर में चुदाई कैसे संभव होगी ..पंडित जी सोचने लगे ..


गिरधर : "मैं अक्सर उस इलाके में जब सब्जी बेचने जाता हु तो सुस्ताने के लिए वहीँ पर सोने चला जाता हु , कोई नहीं आता जाता वहां ..''


पंडित को उसका सुझाव सही लगा ..ऐसी जगह पर ही चुदाई करवाना सही रहेगा ..ना तो कोई होगा वहां और ना ही कोई पहचान पायेगा बाप बेटी को चुदते हुए देखकर .


पंडित : "ठीक है ..गिरधर ..वही जगह फाइनल करते हैं ..तुम बोल दो इरफ़ान को ..और आज शाम का समय ले लो उससे , मैं लड़की को बोल दूंगा ..''


पंडित जी को पूरा विशवास था की नूरी इस बात के लिए कभी मना नहीं करेगी इसलिए उससे बिना पूछे उन्होंने प्रोग्राम पक्का कर दिया था .


गिरधर : "ठीक है पंडित जी ...पर एक गुजारिश है पंडित जी आपसे ..''


पंडित : "हाँ ..बोलो ..''


गिरधर (खींसे निपोरते हुए ) : "वो ...वो ..लड़की से मजा ..मुझे भी मिलेगा क्या ...''


पंडित जी हंस दिए ..और सोचने लगे 'ये गिरधर भी कितना बड़ा ठरकी है ..साला हर किसी को चोदने के लिए उतावला रहता है ..'
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RE: Porn Kahani भोली-भाली शीला - by sexstories - 01-07-2018, 02:07 PM

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