RE: Porn Kahani भोली-भाली शीला
पंडित & शीला पार्ट--45
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गतांक से आगे ......................
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रितु की चूत को पूरी तरह से साफ़ सुथरा करने के बाद गिरधर ने उसे भी ऊपर उठाया और उसे घोड़ी बना कर उसके गोरे चूतड़ों पर एक बार हाथ फेरकर चेक किया की वो चुदाई के लिए तैयार है या नहीं ..उसने अपनी गांड को पीछे की तरफ धक्का देकर अपनी सहमती जताई..
और अगले ही पल उसने अपने लंड को रितु की चूत की सीमा के अन्दर दाखिल कर दिया ..गिरधर ने तो सिर्फ अपने लंड को लगाया था वहां ..बाकी का काम रितु ने कर दिया ..अपनी गांड को पीछे करके उसने अपना ''हक'' अपनी चूत में निगल लिया .
''ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह पापा ....उम्म्म्म्म्म .....आज हो गई मैं पूरी तुम्हारी ......अह्ह्ह्ह्ह ''
और उसके बाद तो गिरधर ने उसपर रहम ही नहीं लिया ..अपनी फूल जैसी बच्ची को उसने इतनी निर्दयिता से चोदना शुरू किया मानो इतने दिनों के बाद उसे चोदने का गुस्सा निकाल रहा हो .
गिरधर ने रितु के दोनों हाथ पीछे की तरफ खींचे और उसकी चूत का बेंड जोरों से बजाना शुरू कर दिया ..
''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .......ओफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ ....पापा .......धीरे ....अह्ह्ह्ह्ह .....गोश्ह्ह्ह्ह्ह .... ....उह्ह्ह ...अहह अह्ह्ह अह्ह्ह ओह्ह्ह ओग्ग्ग्ग ओ ........पापा ...मार डाला ....अह्ह्ह्ह्ह .....उम्म्म्म .....''
वो दूसरी बार झड़ने लगी ..
और जैसे ही गिरधर को महसुस हुआ की उसका रस निकलने वाला है ..उसने जल्दी से अपना लंड बाहर निकाला और रितु को सीधा करके लिटा दिया ..वो अपने पहले वीर्य से उसे नहलाना चाहता था ..और ये इच्छा उसके मन में तब से थी जब से उसने रितु को चोदने के बारे में सोचना शुरू किया था ..
और अपने पापा की नजरों में देखते हुए अपनी चूत को मसलना जारी रखा ..
और गिरधर ने भी रितु की आँखों में देखते हुए अपने लंड की पिचकारी सीधा उसके मुंह पर दे मारी ..
''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .....ले बेटी ........उम्म्म्म्म्म .........सारा रस पी ले पापा का ....अह्ह्ह्ह्ह्ह ...''
अपने पापा के प्यार को अपने चेहरे पर महसूस करते हुए वो इमोशनल सी हो गयी ..
ऐसा प्यार हर बाप बेटी में देखने को नहीं मिलता ..
गिरधर के लंड से निकला पानी रितु के गर्म शरीर पर गिरकर ऐसे पिघलने लगा जैसे गर्म जमीन पर पानी की बोछार पड़ने से वो भाप बनने लगता है.
अपने पापा की आँखों में प्यार से देखते हुए रितु ने उस पानी को अपने पुरे शरीर पर मलना शुरू कर दिया ..वो उनके वीर्य को पुरे शरीर पर मलकर अपने आपको उनके प्यार के अन्दर छुपा लेना चाहती थी .
अपने पुरे शरीर को गिरधर के वीर्य से ढकने के बाद उसकी आत्मा अन्दर तक तृप्त हो गयी.
और दूसरी तरफ माधवी की हालत खराब हो रही थी ..पंडित जी तो नूरी की चूत मार रहे थे घोड़ी बना कर ..और घोड़ी बनी हुई नूरी, माधवी की चूत में मुंह डालकर, चारा खा रही थी.
और माधवी की चूत का चारा ऐसा था की जितना खाओ उतना और निकल आता था अन्दर से..और आखिरकार उसकी चूत के अन्दर फंसा हुआ एक चक्रवात पुरे जोश के साथ बाहर की तरफ निकला और नूरी के चेहरे को बारिश की पहली फुहार की तरह भिगोता हुआ बाहर तक आया ..
''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ..........स्म्म्म्म्म्म उम्म्म्म्म्म्म ......मैं तो गयी ......अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .........उम्म्म्म्म्म्म्म ...''
अपनी चूत में पंडित जी के लंड का प्रहार और मुंह पर माधवी की चूत की बोछार महसूस करके नूरी भी बावली सी होकर गुनगुनाने लगी ...
''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ....... ..उम्म्म्म्म्म्म्म्म ......सुडुपsssssssssssssss ......अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .....क्या मखन जैसा स्वाद है ....उम्म्म्म्म्म .......''
पर पंडित जी के धक्के उसकी जीभ को माधवी की चूत पर टिकने नहीं दे रहे थे ..
वो पीछे मुंह करके पंडित जी से बोली : "क्या करते हो ..पंडित जी ...अह्ह्ह्ह्ह ......चूसने तो दो ...कितनी स्वाद है .......''
पंडित जी ने उसकी बात मान ली और धीरे -२ धक्के मारने लगे ..
फिर नूरी ने आराम से माधवी की चूत को साफ़ सुथरा बना दिया . पर पंडित जी के धक्को की स्पीड धीरे होने से उसका मजा खराब हो गया था ..माधवी की चूत को साफ़ करके उसने फिर से पंडित जी की तरफ देखा और बोली : "अब हर बात बोलनी पड़ेगी क्या ..स्पीड बढाओ अब फिर से ..''
पंडित जी मुस्कुरा दिए और फिर से 100 की स्पीड पर अपनी बाईक चला दी उसकी चूत के हाईवे पर ..
इसी बीच नूरी ने जब देखा की गिरधर गहरी साँसे लेता हुआ बिस्तर पर पड़ा है और उसकी नजरें अब उसकी और पंडित जी की चुदाई पर ही है तो वो बड़ी ही शोख अदा के साथ गिरधर से बोली : "अरे मियां ..दूर से ही देखते रहोगे क्या ..बेटी को सामने देखकर आप तो भूल ही गए थे की किसकी मारने आये थे ..जरा हमारे सामने भी तशरीफ़ लाइए ..''
गिरधर उसकी रसीली बातें सुनकर अपने मरे हुए लंड की तरफ देखने लगा ..
उसकी दुविधा देखकर नूरी फिर बोली : "इसकी चिंता छोडिये आप ..बस यहाँ तशरीफ़ लाइए ...''
नूरी ने उसे अपने सामने आकर बैठने का निमंत्रण दिया ..जहाँ माधवी अपनी चूत पसारे अपनी उखड़ी हुई साँसों पर काबू पा रही थी ..जैसे ही गिरधर उठकर वहां आया दोनों की नजरें एक पल के लिए मिली , और अगले ही पल उन्होंने अपनी -२ नजरें नीचे कर ली और एक दुसरे के बाजू से निकल कर दूसरी तरफ निकल गए .
गिरधर जाकर बैठ गया झटके खा रही नूरी के मुंह के सामने ..
नूरी (गिरधर की आँखों में देखकर ) : "क्या अंकल ...आप तो मेरे लिए आये थे और मेरे हिस्से की खीर आपने रितु को खिला दी ..ये गलत बात है ..''
उसकी पतली उँगलियाँ गिरधर के लंड के ऊपर चलने लगी ..उसका शरीर ऐंठने लगा ..
पंडित जी उसकी बात सुनकर मुस्कुराने लगे , उन्होंने गिरधर को आँख मारकर उसकी बात में साथ देने को कहा ..
गिरधर भी समझ गया ..और उसी अंदाज में बोला : "लंड से निकली खीर पर पहला हक तो बेटी का ही होता है ..ये तुमसे अच्छा कौन जानता है ..तुम भी तो ऐसे ही तरस रही थी इरफ़ान भाई की खीर खाने के लिए ..''
नूरी के पास उसकी बात का कोई जवाब नहीं था ..वो तो खुद उस दौर से निकल चुकी थी ..जहाँ वो अपने अब्बा के लंड के लिए तरसती थी ..और जब उसे वो मिल गया था तभी उसकी प्यास सही मायने में बुझी थी .
उसने अपनी पलकें झुका कर गिरधर की बात से सहमति जताई ..और पलकों के साथ - 2 उसका मुंह भी झुक गया उसके लंड के ऊपर ..और अपनी सांप जैसी जीभ निकाल कर वो उसके लंड को सहलाने लगी ..
गिरधर के मोटे लंड पर चमक रही नसों पर अपनी जीभ की नोक चुभा कर वो उसके अन्दर उत्तेजना का संचार कर रही थी ..
और गिरधर भी बड़े ही प्यार से उसके रसीले होंठों से बाहर निकल रही जीभ को अपने लंड की दीवारों पर रेंगता हुआ महसूस करके उसके अन्दर फिर से रक्त का संचार होने लगा ..और ना चाहते हुए भी उसके मुंह से एक तीखी सी सिसकारी निकल ही गयी ...
''उम्म्म्म्म्म्म्म्म ....स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स .........अह्ह्ह्ह्ह्ह ''
जिसे सुनकर उसकी बेटी और पत्नी ने एक साथ उसकी तरफ देखा , जिसे उसने नरंदाज कर दिया .
पंडित जी ने अचानक ही नूरी की गांड के अन्दर अपना अंगूठा फंसा दिया जिसे महसूस करके नूरी के पुरे शरीर में जलतरंग सी उठने लगी ..
'उम्म्म्म्म्म्म ......पंडित जी ......अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ......... बस .....ऐसे ही .....अह्ह्ह्ह ...धीरे ....धीरे ...अह्ह्ह .....स्स्स्स ...''
पंडित जी तो उसे पीछे वाले छेद से भी तेयार कर रहे थे .
पंडित जी नूरी के दोनों चूतड़ों पर अपने हाथ फेरते हुए वो उन्हें दबा भी रहे थे .
और दूसरी तरफ नूरी के होंठों ने जैसे ही गिरधर के पुरे लंड को अपने मुंह में भरकर एक चुप्पा मारा ..वो बेड पर लेट ही गया ..और नूरी पूरी लगन के साथ उसके लंड को चूसने में लग गयी ..
नूरी : "उम्म्म .....मुंह में ...इतना ...बड़ा लग रहा है .....चूत में जाकर ...तो ये तबाही ...मचा देगा ...''
गिरधर का लंड अब फिर से उम्मीदवार की तरह खड़ा हो गया था .
और जब पंडित जी को लगा की सही वक़्त आ चुका है तो उन्होंने एक जोरदार धक्का देकर नूरी को गिरधर के ऊपर लिटा दिया ..और अपने हर धक्के से उसे तिनका-तिनका ऊपर की तरफ खिसकाने लगे ..और जैसे ही नूरी की चूत गिरधर के लंड के पास पहुंची , पंडित जी ने अपना लंड उसकी चूत से बाहर निकाल लिया ..और अपने अंगूठे को भी उसकी गांड के छेद से बाहर निकालकर अपने लंड को वहां पर ठूस दिया ..लंड पर लगे हुए घी की मदद से नूरी की गांड के घुसने में उन्हें ज्यादा मुशक्कत नहीं करनी पड़ी ..और नीचे से जैसे ही गिरधर के लंड को खाली छेद मिला वो खुले सांड की तरह वहां दाखिल हो गया ..
अपने दोनों छेदों में एक साथ लंड की हुकूमत महसूस करके नूरी झूम - २ कर चुदवाने लगी ..
''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ....हाअन्न्न्न्न्न .......ऐसे ही .............उम्म्म्म्म्म्म ....यही तो चाहती थी .....अह्ह्ह्ह्ह्ह ......इतने दिनों से ......यही तमन्ना थी .....अह्ह्ह ...एक साथ ..दोनों ...जगह ...अह्ह्ह्ह .......बस ऐसे ही ....चोदो ...मुझे .....
फिर क्या था ...गिरधर ने अपने हाथों से उसकी कमर को लपेटा और उसके दांये मुम्मे को मुंह में ठूसकर नीचे से धक्के लगाने शुरू कर दिए ..
पंडित जी ने नूरी की गांड के छल्ले में अपने लंड का पाईप पुरे प्रेशर से उतारना चालु रखा ..
दोनों के तेज धक्को से उसकी माँ - बहन एक कर दी .
''उम्म्म्म्म अह्ह्ह्ह .....अह्ह्ह्ह्ह ....येस्स्स…''
गिरधर उसके कानों को अपने मुंह में भरकर बुदबुदाया : "ले ....भेन की ड़ी ...अह्ह्ह ....ले .....तेरी चूत का बेन्ड बजा दूंगा आज .....अह्ह्ह ....ले साली ...कुतिया .....बड़ी आग है न तेरे अन्दर ...अह्ह्ह्ह्ह .....ले ...साली ...और ले ....और ले ....''
और उसके झटकों ने नूरी को अन्तरिक्ष की तरफ उछाल दिया ..ये तो भला हो पंडित जी का जिन्होंने नूरी की गांड में लंड डालकर उसे ऊपर जाने से रोका हुआ था ..वर्ना गिरधर के झटकों से उछलकर वो पता नहीं कहा उड़ गयी होती ..
पंडित जी ने नूरी के बालों को पकड़ कर उसकी कुतिया बना रखी थी ..जिसे वो इतनी बेदर्दी से चोद रहे थे जैसे किसी बात की खुन्दक निकाल रहे हो ..पंडित और गिरधर अपने -२ झटके ऐसी ले में एक साथ मार रहे थे की बीच में नूरी का शरीर पिस्स कर रह गया .दोनों एक साथ अपनी -२ तलवारें नूरी की चूत और गांड रूपी म्यान में से बाहर निकालते और उतनी ही तेजी से अन्दर भी घुसा डालते ..
नूरी की आँखे बंद थी ..सर हवा में घूम रहा था ..शरीर दोनों के बीच पिस्स कर जल रहा था ..ऐसा एहसास तो आज तक उसे कहीं नहीं मिला था ..बिना टिकट के वो अन्तरिक्ष की यात्रा कर रही थी .
और जल्दी ही उसकी हालत बिगड़ने लगी ..अपनी चूत के साथ-२ उसकी गांड के अन्दर भी ओर्गास्म बनने लगा ...सबसे पहले चूत का नंबर आया ..
''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ........गिरधर ....अंकल .....अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ......स्स्स्स्म्म्म्म्म्म .......मैं तो गयी .....अह्ह्ह्ह्ह्ह .....''
गिरधर भी उसकी सेक्सी अंदाज को देखकर उसके होंठों को चबाते हुए उसकी चूत के गोदाम में अपना माल उतारने लगा ..
''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ......उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ ...नूरी .......क्या माल है तू .......उम्म्म्म्म ...ये ले .....सारा रस ले ले मेरा ......अह्ह्ह्ह्ह ....''
और फिर नंबर था पंडित जी का ..जो मेराथन के घोड़े की तरह भागते चले जा रहे थे उसकी गांड को मारते हुए ..और आखिरकार उनके घोड़े के मुंह से भी झाग निकलने लगी ..और नूरी की गांड के छल्ले को उन्होंने पूरा भर दिया ..
''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ...नूरी .......ये ले ........मेरा प्रसाद भी ले .....अपनी गांड में ....अह्ह्ह्ह्ह्ह ......''
अपनी गांड के रास्ते एक मिनट के अन्दर ही अपने दुसरे ओर्गास्म को महसूस करके नूरी तो जैसे मरने के कगार पर पहुँच गयी ..वो बेहोश हो गयी ..पर पंडित जी को उसपर कोई दया नहीं आई ..वो उसकी गांड मारते ही रहे ..
और पंडित जी ने भी अपना पूरा रस उसकी गांड के अन्दर उतारने के बाद घोड़ी से नीचे उतरे और बेड के किनारे पर लेटकर अपनी साँसों पर काबू पाने लगे ..
पुरे कमरे में सेक्स की भीनी खुशबु तेर रही थी ...माधवी तो कब की उठकर जा चुकी थी नहाने के लिए ..
रितु अभी तक अपने पापा के रस को अपनी बॉडी पर किसी लोशन की तरह मॉल रही थी ..
पंडित जी ने नूरी को उठाकर उसे पानी पिलाया और फिर उसे कपडे पहनने को कहा ..काफी देर हो चुकी थी ..अपने-२ कपडे पहन कर दोनों बाहर निकल गए .
गिरधर धीरे से उठा और रितु को अपनी गोद में उठाकर बाथरूम की तरफ चल दिया ..जहाँ माधवी पहले से ही नंगी होकर नहा रही थी ..
बाप - बेटी को आता देखकर पहले तो माधवी वहां से जाने लगी, पर गिरधर ने उसका हाथ पकड़ लिया और कहा : "अब तो ये सब तुम्हारे सामने होता ही रहेगा ..यही रुको ..और तुम भी मजे लो ..''
माधवी भी जानती थी की अब तो ये रोज का खेल होगा वो भागती रहेगी तो उसका ही नुक्सान है ..इसलिए उसने सहमति जताते हुए गिरधर की बात मान ली और नीचे झुककर उसके लंड को मुंह में लेकर चूसने लगी ..और गिरधर भी खुश होते हुए अपनी फूल सी बेटी के पंखुड़ियों जैसे होंठों को चूसने लगा .
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