Porn Kahani भोली-भाली शीला
01-07-2018, 02:12 PM,
#52
RE: Porn Kahani भोली-भाली शीला
पंडित & शीला पार्ट--51

***********
गतांक से आगे ......................

***********

पंडित जी के मन में तो लड्डू से फुट रहे थे ..वो तो वैसे भी कोमल के साथ जाना चाहते थे ...उसकी सारी इच्छाएं जो पूरी करनी थी उन्हें ....

पंडित जी (अकड़ के साथ) : "पर इन सबमे मुझे क्या मिलेगा ...''

शीला : "मैं हु न उसके लिए ...आप जो कहोगे मैं करुँगी ...आपकी गुलाम बनकर रहूंगी ..''

पंडित जी ने भी चतुराई से काम लिया और बोले : "तुम्हारी बहन सच में बहुत सुन्दर है ..और इसमें कोई शक नहीं है की जब मैंने उसे देखा था तो मेरे मन में भी उसे ...चोदने का ख़याल आया था ..''

शीला फटी हुई आँखों से पंडित जी को देखने लगी ..

पंडित : "पर तुम्हारे कहने पर मैंने वो इरादा बदल दिया था ..और अब तुम चाहती हो की मैं उसके साथ रहू ..और फिर भी मेरे मन में उसके लिए वैसे विचार ना आये ...तो तुम्हे मेरे सामने कोमल बनकर रहना होगा ..मतलब, मैं तुम्हारे साथ जो भी करूँगा वो कोमल समझकर और तुम भी मेरे सामने अपने आपको कोमल बुलाओगी ..बोलो मंजूर है ...''

शीला ने कुछ देर तक सोचा ..और धीरे से बोली : "ठीक है ...मुझे कोई आपत्ति नहीं है इसमें ..''

पंडित : "चलो ..मेरे कमरे में जाओ ..और सारे कपडे उतारकर मेरी प्रतीक्षा करो ...मैं अभी आता हु बस ..कोमल''

कोमल नाम लेते हुए पंडित जी ने कुछ ज्यादा ही जोर दिया ...

शीला ने उनकी बात मान ली और उठकर उनके कमरे की तरफ चल दी ..

पंडित जी भी पांच मिनट के बाद अन्दर की तरफ चल दिए ..

और उनकी आशा के अनुरूप वहां शीला बैठी थी ...जमीन पर ...पूरी नंगी ..


पंडित जी उसके सामने जाकर खड़े हो गए ..और बोले : "कोमल ...चल चूस मेरा लंड ...''

कोमल उर्फ़ शीला ने बिना किसी परेशानी के पंडित जी के लंड को अपने मुंह में धकेला और चूसने लगी ..

पंडित जी : "साली ...तू फिर से शीला बन गयी ...पता है न तू कोमल है ...जिसने आज तक कोई लंड नहीं देखा ...तू तो ऐसे चूसने लग गयी जैसे बचपन से चूसती आई है ..''

शीला को अपनी गलती का एहसास हुआ ...उसने खुद को मन ही मन कोमल के जैसा अबोध और नादान सोचा और फिर पंडित जी के लंड को पकड़कर धीरे से मुंह में डाला ...और हलके से काट लिया ...

पंडित जी दर्द से बिलबिला उठे ...''अह्ह्ह्ह्ह ....सास्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स लिईईईईइ … ....काटती है ...''

शीला : "ओहो ....माफ़ करना ...मुझे पता नहीं है न ..की कैसे चूसते हैं ...''

वो कोमल के केरेक्टर में घुस चुकी थी ..

पंडित जी : "चल ...अब ज्यादा नाटक मत कर ....जोर-२ से चूस इसे ...रंडी की तरह ... ''
पंडित जी की परमिशन मिलते ही उसने उन्हें बिस्तर पर लिटाया और उनके लंड को पागल कुतिया की तरह नोचने - खसोटने लगी, अपने मुंह से ...


"अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ......मेरी जान .....उम्म्म्म्म्म ...धीरे .....चूस .... ....मेरी रानी .....कोमल .....''

उनकी आँखे बंद थी ...दिमाग में कोमल घूम रही थी ...और वो भी लंड चूसती हुई ...और उनके मुंह से भी उसका ही नाम निकल रहा था ..और सामने लंड चूसने वाली कोई और नहीं शीला थी, कोमल की बड़ी बहन ...ये सब करिश्मा पंडित जी ही कर सकते हैं बस ..

अब पंडित जी के लंड की पिचकारियाँ जल्द ही निकलने वाली थी ...उन्होंने शीला को उठाकर बिस्तर पर पटका और बोले : "अब मैं तुझे चोदुंगा .....और तू चीखेगी भी ऐसे , जैसे पहली बार चुदने पर चीखी थी तू ..''

शीला की हालत तो बस ऐसी थी की उसकी गीली चूत में लंड आ जाए ...उसने हाँ में सर हिलाया ..और अपनी टाँगे फेला दी और उन्हें ऊपर करके अपने हाथों से बाँध लिया ......अपने मालिक के लिए ..
पंडित जी आगे आये और उन्होंने अपने लंड का सुपाड़ा उसकी चूत पर रखा और एक जोरदार पंजाबी झटके के साथ उन्होंने अपना पूरा लंड अन्दर पेल दिया ...

''आआयीईईई .......मर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र .....गयी ......रे .......अह्ह्ह्ह्ह्ह ..........पंडित जी ........चोद डाला ......आपने कोमल को ......अह्ह्ह्ह्ह्ह ......उम्म्म्म्म्म .....दर्द हो रहा है ....अह्ह्ह्ह्ह्ह ...''

उसे तो मजा आ रहा था ...ये सब तो वो बस पंडित जी को खुश करने के लिए बोल रही थी ...ताकि वो उसकी जमकर चुदाई करे ...

और पंडित जी ने किया भी वैसे ही ...उन्होंने उसकी चूत का ऐसा बेंड बजाया ...ऐसा बंद बजाया ...की उसकी चूत का पानी बूंदों की किश्तों के रूप में बाहर की तरफ निकलने लगा ...


''अह्ह्ह ....अह्ह्ह्ह्ह ....ओफ्फ्फ प…. ....पंडित जी .......आपने तो ....अह्ह्ह्ह ...फाड़ डाली .....अह्ह्ह ...मेरी कच्ची चूत .....अह्ह्ह .....पर .....अह्ह्ह ....मजा ....आ रहा है .....अह्ह्ह ....''

पंडित जी : "मैंने कहा था न कोमल ....मजा आएगा ....मेरा लंड है ही ऐसा ......तू पता नहीं किसके साथ घूमती है ...कैसा होगा वो ...असली मजा लेना है तो ...मेरे लंड से ही चुदियो ....समझी .....''

पंडित जी ने बातों ही बातों में अपनी मन की बात शीला को बता दी ...और शीला भी शायद समझ गयी थी पंडित जी के कहने का क्या मतलब है ...पर चुदाई के खुमार में वो ऐसी डूबी हुई थी की वो कुछ बोल ही नहीं पा रही थी ...

और एक जोरदार झटके के साथ ...शीला की चूत में से एक ज्वालामुखी फट पड़ा ....

और रास्ते में आ रहे लंड को बाहर धकेलता हुआ फुव्वारे के रूप में बाहर उछला ...

''अह्ह्ह्ह्ह ......पंडित जी ......मैं तो गयी ............अह्ह्ह्ह्ह ......गयी आपकी कोमल .....''

पंडित जी ने एक दो झटके और मारे तो उन्हें भी लगने लगा की वो भी झड़ने वाले है ...उन्होंने अपना लंड बाहर निकाल और एक झटके से शीला को पलटकर उल्टा कर दिया ...और अपने लंड को मसलकर जोरदार पिचकारियाँ मारी और अपने रस से उसकी गांड के ग्लोब को ढक दिया ...

शीला बेचारी गहरी साँसे लेती हुई अपने आप पर काबू पाने की कोशिश कर रही थी ...

कुछ ही देर में शीला वहां से चली गयी ...कल के लिए उसने बोल दिया था की वो कोमल को उनके पास ही भेज देगी ..

पंडित जी मन ही मन बहुत खुश थे ...अब वो थोडा आराम करना चाहते थे ...

क्योंकि रात को …

वादे के मुताबीक ....

रितु आने वाली थी ...

अपनी माँ माधवी को लेकर ...

और उन दोनों को एकसाथ चोदने की इच्छा पंडित जी के मन में ना जाने कब से थी ..

शाम को पंडित जी ने खाना जल्दी खा लिया ..बादाम वाला दूध भी पी लिया, जिसकी उन्हें आजकल कुछ ज्यादा ही जरुरत महसूस हो रही थी ..और पुरे आठ बजे उनके घर का दरवाजा खडका ..उन्होंने जल्दी से जाकर दरवाजा खोल दिया ..

सामने रितु खड़ी थी ..उसके चेहरे की मुस्कराहट और चमक बता रही थी की वो आज कितनी खुश है ..

और उसके पीछे शरमा कर खड़ी हुई माधवी को देखकर पंडित जी का लोड़ा एकदम से टन्ना गया ..उसके चेहरे की लालिमा बता रही थी की वो कितना असहज महसूस कर रही है अपनी बेटी के साथ आकर ..

दोनों अन्दर आ गयी और पंडित जी ने दरवाजा बंद कर दिया ..

हमेशा की तरह पंडित जी ने धोती और कुरता पहना हुआ था ..रितु ने टी शर्ट और पायजामा और माधवी ने सलवार सूट ..

माधवी सीधा जाकर पंडित जी के बेड पर बैठ गयी .

रितु : "ये क्या माँ ..जब से हम घर से निकले हैं, आप तो ऐसे शरमा रहे हो जैसे पहली बार कर रहे हो ये सब ...''

माधवी कुछ ना बोली

रितु : "देखो माँ ..आप अगर ऐसे ही शर्माते रहोगे तो वो कैसे करोगी जो करने आई हो ..ओफ्फो ..आपको ऐसे बैठना है तो बैठो ..मुझसे तो रहा नहीं जा रहा अब ..''

इतना कहते ही वो पंडित जी पर ऐसे झपटी जैसे कोई लोमड़ी अपने शिकार पर झपटती है ..उसने पंडित जी को अपनी बाहों में दबोचा और उन्हें लेकर बेड पर गिर पड़ी ..जहाँ उसकी माँ पहले से सकुचाई सी बैठी थी ..

पंडित जी ने भी अपने आप को रितु के जज्बातों के हवाले कर दिया ..और उसकी उत्तेजना का मजा लेने लगे ..

रितु ने पंडित जी के लंड वाले हिस्से पर अपनी गरम चूत को लगाया और उसे जोर से दबा कर उसकी कठोरता का एहसास अपनी चूत पर लेते हुए एक जोरदार सिसकारी मारकर अपने होंठो से पंडित जी के होंठों को दबोच लिया ..और उन्हें बुरी तरह से चूसने लगी ..

''उम्म्म्म्म्म्म ......पुच्च्छ्ह्ह्ह्ह्ह ....मुच्च्छ्ह्ह .....अह्ह्ह्ह्ह ....''

रितु आज कुछ ज्यादा ही उत्तेजित लग रही थी ..वो तो पंडित जी को खा जाने वाले मूड से आई थी आज ..

पंडित जी की नजरें बेड पर बैठी हुई माधवी की तरफ थी ..जो कनखियों से अपनी बेटी को बेशर्मी से पंडित जी का रस पीते हुए देख रही थी ..माधवी के गुलाबी होंठ फड़क रहे थे ..उसके मुंह में भी पानी आ रहा था ..पर शायद किसी चीज ने रोक हुआ था उसके अन्दर की जानवर को .

पर पंडित जी को मालुम था की ऐसे तूफ़ान को ज्यादा देर तक अपने अन्दर संभाल कर रखना संभव नहीं है ..वो कहते है ना .. खाने और सेक्स में शरम करोगे तो नुक्सान अपना ही है ..

रितु ने अपने कपडे उतारने शुरू कर दिए ..और एक मिनट के अन्दर ही वो पूरी नंगी थी ..उसने पंडित जी को भी नंगा करने में ज्यादा देर नहीं लगायी ..

और जैसे ही उसकी आँखों के सामने पंडित जी का खड़ा हुआ लंड आया ..वो प्यासी छिपकली की तरह अपनी जीभ लपलपाती हुई उनके लंड के ऊपर आई और उसे अपने मुंह में धकेल दिया ..

और उनके लंड को लोलीपोप की तरह चूसते हुए उसका रस पीने लगी .

अपनी माँ की तरफ देखा तो पाया की वो अब भी ललचाई हुई नजरों से उन दोनों को ही देख रही है ..

रितु ने लंड बाहर निकाला और माधवी से बोली : "माँ ..तुम यहाँ क्या ऐसे ही बैठने के लिए आई हो ...''

माधवी : "तू कर ले ...मैं बाद में करती हु ...''

उसने कह तो दिया था ..पर पंडित जी जानते थे की ऐसी हालत में काबू पाकर रखना ज्यादा देर तक मुमकिन नहीं है ..

उनके दिमाग में एक आईडिया आया ..माधवी को ललचाने का ..उसे ऐसे -२ सीन देखाए जाए जिन्हें देखकर माधवी अपने आप पर काबू न रख पाए और कूद पड़े बीच में ही ..

उन्होंने रितु को बेड के ऊपर खींचा और खुद नीचे टाँगे लटका कर बैठ गए ..और खड़ी हुई रितु की चूत को अपने मुंह के सामने रखकर अपना मुंह वहां लगा दिया और उसके शरीर के लचीलेपन से तो वो वाकिफ थे ही ..उन्होंने धीरे - २ रितु के ऊपर वाले हिस्से को पीछे करके पूरा झुका दिया ..और अपना खड़ा हुआ लंड उसके घूम कर उल्टा हुए मुंह के अन्दर ड़ाल दिया ..

बड़ा ही अजीब आसन बना वो ..पर दोनों को मजा काफी आ रहा था इसमें ..

रितु की चूत की फांके संतरे की तरह फेल कर बाहर निकल रही थी जिनपर लगा हुआ रस पंडित जी अपनी जीभ से किसी कुत्ते की तरह चाट कर साफ़ कर रहे थे .

उसी तरह उनका खड़ा हुआ लंड रितु के मुंह के अन्दर तक घुस रहा था, कारण था उसका एंगल , क्योंकि पंडित जी का लंड मुड़ा हुआ था बीच में से ..

दोनों को ऐसी हालत में देखकर माधवी की चूत की टंकी ऐसे बहने लगी जैसे वहां से कोई ढक्कन हटा दिया हो ..

उसके हाथ अपने आप रेंगने लगे अपनी चूत के ऊपर ..पंडित जी समझ गए की अब यही वक़्त है ..उन्होंने रितु को अपने चुंगल से आजाद किया और उसके कान में कुछ कहा ..

उसके बाद दोनों ने माधवी को खड़ा किया और पीछे से रितु और आगे से पंडित जी ने उसको अपनी बाहों में जकड लिया ..

रितु ने माधवी के कान में कहा : "माँ ...अब देखना ..आपके साथ क्या होता है ..''

इतना कहते ही रितु ने अपनी माँ की कमीज पकड़कर ऊपर उठा दी ..माधवी ने भी अपने हाथ ऊपर किये और कमीज निकाल दी ..और जैसे ही उसकी गोरी चूचियां सामने आई, पंडित जी ने लपक कर अपना मुंह उसकी गुदाज छातियों पर दे मारा ..

''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .......उम्म्म्म्म्म ....पंडित जी .....''

उसने पंडित जी का सर अपनी छाती पर जोर से दबा दिया ..

पीछे से रितु ने अपनी माँ की ब्रा खोल दी ..और अपने हाथ आगे करके उसकी छातियों को अपने हाथों में पकड़ लिया ..

ये पहला मौका था जब रितु ने अपनी माँ की ब्रैस्ट को पकड़ा था ..वो इतनी बड़ी और मुलायम थी की उसे खुद अपनी माँ से इश्र्या होने लगी ..

उसने अपने हाथों में दोनों थन पकड़कर पंडित जी के मुंह के आगे परोस दिए ..जिसे पंडित जी ने ख़ुशी -२ ग्रहण कर लिया ..

माधवी चिहुंक उठी ...

''आउय्य्यीईईइ .........धीरे .....काटो मत .......चूसऒऒऒओ ......अह्ह्ह्ह्ह्ह .....''

पर पंडित जी अब कहाँ मानने वाले थे ..उन्होंने माधवी के चिकन मोमोज को इतनी बुरी तरह से झंझोड़ा की उसने पंडित जी के मुंह को अपनी छातियों पर जोर से भींच कर वहीँ दबा दिया ..ताकि वो अपने दांतों से उनकी दुर्गति ना कर पाए ..

इसी बीच रितु ने माधवी की सलवार का नाड़ा खोलकर उसे नीचे गिरा दिया ..नीचे उसने हमेशा की तरह कच्छी नहीं पहनी हुई थी ..

रितु ने अपने हाथ की तीन उँगलियाँ एक साथ आगे लेजाकर अपनी माँ की चूत में डाल दी ..और पीछे से अपने होंठों को उनकी गर्दन पर रखकर वहां चूसने लगी ..

''अय्य्य्य्य्य्य्य्य्य ........उम्म्म्म्म्म्म्म ......उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ ..... ''

इतना मजा तो उसे आज तक नहीं आया था ..एक साथ चार हाथ और दो -२ होंठों के प्रहार से उसका शरीर कांपने सा लगा ...

और वो झड गयी ...थोड़ी देर के लिए ही सही, पर वो शांत हो गयी थी ..

रितु के हाथ में अपनी माँ की चूत से निकला अमृत आया और उसने उसे पी लिया ..

अब उसकी चूत में भी खुजली हो रही थी ..
माधवी को थोडा टाइम लगना था फिर से चार्ज होने में, इसलिए रितु ने उन्हें सोफे पर बिठा दिया ..और खुद जाकर बेड पर लेट गयी ..पंडित जी को पता था की अब क्या करना है ..

वो जाकर रितु के साईड में लेट गए ..और उसकी टांग को उठा कर अपना पपलू वहां फिट कर दिया ..और उसकी आँखों में देखकर एक कसक से भरा झटका अन्दर की तरफ मारा ...

''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .........ओम्म्म्म्म्म्म्म ......पंडित ......जी ......स्स्स्स्स्स ......मार ही डालोगे .....उम्म्म्म ...''



रितु की गर्दन को उन्होंने बुरी तरह से पकड़ा हुआ था ..और उसके हिलते हुए मुम्मों पर उनकी पकड़ ऐसी थी मानो गोंद से चिपका दिए हो उनके हाथ वहां पर ..

रितु : "अह्ह्ह्ह .....ओह्ह्ह ......अब बोलो ........किसके साथ ज्यादा मजा आता है .....उम्म्म्म .....बोलो ....मम्मी ....के साथ .....या ....मेरे ....साथ ....''

ओ तेरी .....ये कैसा सवाल पूछ रही है ये ....और वो भी अपनी माँ के सामने ...

रितु : "बोलो ....अह्ह्ह्ह ......किसकी .....चूत मारने में ज्यादा मजा आता है ...उम्म्म्म ...ओफ्फ्फ ....ओफ्फ्फ ....अह्ह्ह्ह ....बोलो ना ...मेरे राजा ....''

वो पंडित जी को ललचा रही थी ...उसके अन्दर शायद कुछ चल रहा था और वो उसका जवाब चाहती थी ...शायद वो जानना चाहती थी की उसके होते हुए अब तक आखिर पंडित जी उसकी माँ के भी पीछे क्यों पड़े हैं ..पर उस बेचारी को कौन समझाए की औरत की उम्र में साथ उसकी सेक्स करने की पॉवर में भी बढोतरी होती चली जाती है ..बशर्ते उसका मन हो वो सब करने में ..एक्सपीरियंस वाली औरत जो मजा दे सकती है, वो आजकल में चुदना सीखी लड़कियां क्या देंगी ..पर अभी कुछ बोलने का मतलब था एक को नाराज करना और पंडित जी ऐसा हरगिज नहीं चाहते थे ..

वो बोले : "तुम दोनों ....अहह ....अपनी-२ जगह पर ज्यादा मजे देती हो ......उम्म्म .....दोनों को ...अ ह्ह्ह्ह्ह ....एक साथ करूँगा ....तब बताऊंगा ....अभी तो तू ऊपर आ मेरे ...''

और इतना कहते हुए उन्होंने उसको अपने ऊपर खींच लिया और वो भी उनके लंड के सिंहासन पर विराजमान होकर हिचकोले खाने लगी ..
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RE: Porn Kahani भोली-भाली शीला - by sexstories - 01-07-2018, 02:12 PM

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