Porn Kahani भोली-भाली शीला
01-07-2018, 02:12 PM,
#54
RE: Porn Kahani भोली-भाली शीला
पंडित & शीला पार्ट--53

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गतांक से आगे ......................

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और दूसरा लड़का अपनी गर्लफ्रेंड को अपने सामने बिठा कर उसकी पीठ से चिपका हुआ था ..उन दोनों का चेहरा पंडित जी और कोमल की तरफ ही था ..इसलिए पंडित जी उस लड़के के हाथों को साफ़ देख पा रहे थे जो उस लड़की के छोटे -२ निम्बुओ को निचोड़कर उनका रस निकालने में लगा हुआ था ..और साथ ही साथ अपने होंठों से उसकी गर्दन को ड्रेकुला की तरह चूस भी रहा था ..

लड़की के चेहरे पर आ रहे एक्सप्रेशन को देखकर साफ़ पता चल रहा था की उसे कितना मजा आ रहा था ..

पंडित जी ये सब देख ही रहे थे की कोमल की आवाज आई .: "पंडित जी ...आप थोडा इधर आइये ...''

वो किसी आज्ञाकारी कुत्ते की तरह कोमल के कहे अनुसार उसके पास पहुँच गए ..और पेड़ के बिलकुल नीचे बैठकर उन्होंने अपनी कमर पेड़ के तने से सटा दी ..और उनके बैठते ही कोमल सीधा आकर उनकी गोद में बैठ गयी ..

पंडित जी को तो इसकी उम्मीद बिलकुल भी नहीं थी ...पर वो शायद उन दोनों जोड़ों को हराना चाहती थी ..

पंडित जी का लंड तो पहले से ही खडा था और उसके ऊपर कोमल की मखमली गांड के स्पर्श से पंडित जी का लंड झटके मारने लगा और उन तरंगों को शायद कोमल ने भी साफ़ महसूस किया ...उनका लंड नीचे दब सा गया था ..इससे पहले की पंडित जी उसको एडजस्ट कर पाते कोमल एकदम से घुमि और उनके गले से लगकर अपनी बाहे पंडित जी की गर्दन के चरों तरफ लपेट दी ..

उसके जिस्म की मादक खुशबु को उन्होंने आँखे बंद करके पूरी तरह से महसूस किया ...और उसके मोटे मुम्मों का गुदाज्पन उनके सीने में गुदगुदी सी कर रहा था ..

कोमल उनके कान में बोली : "पंडित जी ....देखना ज़रा ..वो देख रहे हैं क्या यहाँ ...''

पंडित : "नहीं ...वो तो अपने में मस्त हैं ...''

कोमल : "पंडित जी ...आप ऐसे बैठे रहोगे तो वो कैसे देखेंगे ...कुछ करो न ..जिससे उनका ध्यान हमारी तरफ आये ...''

पंडित जी को अब तक पता चल चुका था की कोमल की मानसिकता कैसी है ..वो अन्दर से खुले और प्राकर्तिक विचारों वाली थी ..और दुनिया को अपना जिस्म और अदाएं दिखाकर दीवाना बनाने में विशवास रखती थी ..उसे सबकी अटेंशन चाहिए थी ..चाहे इसके लिए कोई भी मर्यादा लांघनी पड़े ..

पंडित जी ने उसके कहे अनुसार उसके बदन पर अपने हाथ फिराने शुरू कर दिए ..एक हाथ वो धीरे उसकी टांगों पर भी ले गए और उसकी चिकनी टांगों पर हाथ फिराते ही कोमल का शरीर कांप सा गया ..अब चाहे वो जितना भी दिखावा कर ले, अन्दर से तो उसकी चूत भी चरमराती होगी ..उसकी भावनाएं भी तो मचलती होंगी ..

और यही भावनाएं पंडित जी को बाहर निकलवानी थी ..ताकि वो खुद उनके लंड से चुदने की भीख मांगे ..और इसके लिए आज से अच्छा मौका कोई और हो भी नहीं सकता था ...

पंडित जी के हाथ फिसलते हुए जैसे ही कोमल की पिंडलियों तक पहुंचे उनका दिल जैसे धड़कना ही भूल गया ..इतनी सांचे में ढली हुई पिंडली थी जैसे किसी बड़े से मुर्गे की टंगड़ी ..उसको अपने दांतों से नोचकर खाने में कितना मजा आएगा ..ये सोचते हुए पंडित जी के मुंह में पानी भर आया ...

कोमल का सीना किसी मिसाईल की तरह से पंडित जी की छाती पर चुभ रहा था ..खासकर उसके उभरे हुए निप्पल जो किसी शूल की तरह उनकी त्वचा को भेद कर अन्दर घुसने का प्रयत्न कर रहे थे ..

यहाँ पंडित जी अपने मजे लेने में लगे थे और वहां कोमल दुसरे जोड़े की अटेंशन ना मिलने से परेशान सी थी ..

कोमल : "क्या पंडित जी ...लगता है आपके बस का कुछ नहीं है ..वो लोग तो देख भी नहीं रहे इस तरफ ..''

अब पंडित जी उस बेवकूफ को कैसे समझाए की इस दुनिया में जो दिखता है वही बिकता है ..जब तक वो दिखाएगी नहीं वो लोग खरीदेंगे कैसे ...

उनका दिमाग बिजली की तेजी से इस सुनहरे अवसर का मजा लेने का प्लान बनाने लगा ..

उन्होंने अचानक से अपना हाथ ऊपर किया और उसकी मिनी स्कर्ट को और ऊपर करते हुए उसको कोमल की कमर से लपेट दिया ..और ऐसा करते ही उसकी पेंटी सबके सामने नजर आने लगी ..

कोमल : "व्हाट .....ये क्या कर दिया आपने ....''

वो थोडा जोर से चिल्लाई यही, जिसकी वजह से सामने बैठे हुए जोड़े की नजरें उनके ऊपर आ गयी ..और जैसे ही उन्होंने कोमल की चिकनी गांड को एक छोटी सी कच्छी में कैद देखा उनकी आँखे फट कर बाहर निकलने को आ गयी ..

पंडित : "तुमने ही तो कहा था की कुछ करो ...वो देख नहीं रहे हैं ...अब देखो ..वो कैसे आँखे फाड़ कर तुम्हे ही देख रहे हैं ...और तुम्हारी चिकनी गांड को देखकर उस लड़के की हालत ही खराब हो रही है ...देखो ...''

पंडित जी ने उसकी चिकनी गांड की तारीफ खुल कर कर तो दी ..पर अगले ही पल उन्हें एहसास हुआ की उनके मुंह से ये क्या निकल गया है ..

कोमल थोड़ी देर तक तो उस लड़के की तरफ तिरछी नजरों से देखती रही ..और जब उसे विशवास हो गया की पंडित जी ने जान - बूझकर ऐसा किया है तो उसके होंठों पर एक अजीब सी मुस्कान आ गयी ...और अगले ही पल आँखे तरेर कर उसने पंडित जी को देखा और उस मुस्कान को और गहरा करके बोली : "अच्छा जी ...मेरी चिकनी गांड ...हम्म ....वाह पंडित जी ...ये सब भी आता है आपको ...''

पंडित जी सकपका से गए ..वो बोले : "वो ...वो तो बस ऐसे ही ....निकल गया मुंह से ...''

कोमल : "ऐसे ही निकला या .....''

उसने जान बूझकर अपने शब्द बीच में ही छोड़ दिए ..

कोमल : "वैसे ...मुझे ये भी पसंद है ...''

पंडित जी (हेरानी से उसकी आँखों में देखते हुए ) : "क्या !!!!"

कोमल : "येही ...जैसे अभी आपने बोला ...खुलकर ...मेरे बारे में ...मेरी चिकनी गांड ..के बारे में ..''

ओहो ...तो ये बीमारी इसको भी है ...पंडित जी ने आज तक जिस किसी के साथ भी गन्दी भाषा में बात की थी , वो सभी को पसंद आई थी ..

यानी सभी लड़कियों को ये लंड -चूत वाली भाषा पसंद आती है ..ऊपर से कितनी शरीफ बनती हैं ये ..और अन्दर से इतनी बदमाश ...शायद पंडित जी लड़कियों का मनोविज्ञान समझने लगे थे ..

कोमल आगे बोली : "पंडित जी ...ये भी ...मेरी एक दबी हुई इच्छा है ...ऐसी भाषा में बात करना ...''

उसने सकुचाते हुए कह ही दिया ...

पंडित जी ने तो अपना माथा ही पीट लिया ...जैसे बस इसी की कमी रह गयी थी ..

पर अगले ही पल उन्होंने कोमल के कान में धीरे से कहा : "तेरी चूत के अन्दर ऐसे और कितने गुबार भरे पड़े हैं ...''

उनकी बात सुनकर वो शरारती लहजे में मुस्कुरायी और अपनी गुलाबी आँखों से उन्हें देखते हुए बोली : "ऊँगली डालकर निकाल लीजिये चूत से ..जितने भी भरे पड़े हैं ...''

ओह तेरी की ...यानी ये कोमल उन्हें खुला चेलेंज कर रही है ...अपनी चूत में ऊँगली डालने के लिए ...

उन्होंने जैसे ही उसकी पेंटी के लास्टिक में अपनी ऊँगली डाली कोमल ने उनका हाथ पकड़ लिया : "पंडित जी !!!!!...आप भी न ....मैं तो मजाक कर रही थी ..''

पंडित ने मन ही मन कहा : 'ऐसी बातों में मजाक नहीं करते पगली ...''

पर बेचारे कुछ बोल ही नहीं पाए ..

कोमल का ध्यान फिर से उस जोड़े की तरफ गया ..लड़की तो उस लड़के से बातें करने में लगी हुई थी ..पर लड़के का ध्यान अब सिर्फ और सिर्फ कोमल की खुली हुई गांड पर था ...जिसपर से वो चाह कर भी अपनी नजरें नहीं हटा पा रहा था ..और अचानक उस लड़की को नाजाने क्या हुआ, उसने जोर से उस लड़के के चेहरे को पकड़ा और उसके होंठों को प्यासी कुतिया की तरह से चूसने लगी ...लड़के का सार ध्यान फिर से अपनी प्रेमिका की तरफ चला गया ..

कोमल ये देखकर मचल कर रह गयी ...और पंडित जी की तरफ देखकर बोली : "पंडित जी ....चूमो मुझे ....जैसे वो कुतिया चूम रही है ..उसी तरह ...चूमो मुझे ...''

पंडित जी उसके गुस्से को देखकर हेरान रह गए ...वो जानते थे की इस वक़्त वो नहीं, उसका गुस्सा बोल रहा है ..

पंडित जी जानते थे की ऐसी सिचुएशन को कैसे हेंडल करना है ...

पंडित जी : " अच्छा ठीक है ...पर पहले ये बताओ ...तुम्हे आज तक किसी ने पहले कभी चूमा है ...यहाँ ...''

कहते हुए उन्होंने कोमल के कच्चे होंठों को छु लिया ..वो सिमट सी गयी और बोली : "नहीं ...किसी ने नहीं ..''

पंडित : "और तुम अपनी पहली किस्स इस तरह से लेना चाहती हो ...गुस्से में ...वो भी किसी और को दिखाने के लिए ...''

कोमल ने अपना सर झुक लिया ...जैसे उसे अपनी गलती का एहसास हो गया था ..

पंडित : "देखो कोमल ...ये प्यार है ..काम शास्त्र है ..जिसमे नफरत , गुस्से और जलन की भावना का कोई स्थान नहीं है ..इसमें लगाव है ..आकर्षण है ..पर दिखावा नहीं है ..''

पंडित जी ने अपने ज्ञान का पिटारा खोलना शुरू कर दिया उसके सामने ..

पंडित : "अगर प्यार करना है तो किसी को दिखाने के लिए नहीं, अपने मन की प्यास को बुझाने के लिए करो ..''

और जब पंडित जी ये सब बोल रहे थे उनकी नजरें उसके नमकीन और गुलाबी होंठों पर थी ..इतने सेक्सी होंठ उन्होंने आज तक नहीं देखे थे ..उसपर चमक रहा पानी ऐसे था जैसे ओस की बूंदे ...

पंडित जी और कुछ बोल पाते इससे पहले ही कोमल ने उनके चेहरे को अपने हाथों में पकड़ा और अपने होंठों से उनके होंठों को बंद कर दिया ...

जैसे कह रही हो ''अब बस भी करो पंडित जी ...आप बोलते बहुत हो ..''

और पंडित जी की तो जैसे लाटरी निकल गयी ...आज उन्हें ये एहसास हो गया था की कोमल जैसे होंठ उन्होंने आज तक नहीं चूसे ...वो तो अपने होंठों को बस उनके लिप्स पास रगड़ ही रही थी ..क्योंकि ये उसका पहला मौका था और उसे कुछ बही नहीं आता था, पर जब पंडित जी ने चार्ज संभाला और अपने होंठों से उसके नर्म और मुलायम लबों का शहद चाटना शुरू किया तो उनके पुरे शरीर के रोयें खड़े हो गए ...

अचानक उनका एक हाथ फिसलता हुआ सीधा उसकी ब्रेस्ट के ऊपर चला गया जो ऐसी स्थिति में स्वाभाविक ही होता है ..और वहां हाथ लगाते ही पंडित जी को ऐसा एहसास हुआ जैसे उनके हाथ में पानी का गुब्बारा आ गया है .. थोडा मुलायम और थोडा कठोर ..
और जैसे ही पंडित जी ने उसके गुब्बारों की हवा निकालनी शुरू की तो कोमल का पूरा शरीर मादकता के नशे में झूमने सा लगा और उसका असर उसके शरीर के अंगो पर हुआ ..

उसकी आँखे नशे में डूबकर बंद होती चली गयी ...

उसके होंठों के मांस में एक अलग तरह की नरमी आ गयी और उनमे से मीठा पानी निकलने लगा जिसकी वजह से पंडित जी को उसके होंठों को चूसने में और भी मजा आने लगा ..

उसके निप्पल की कसावट और भी ज्यादा हो गयी और वो फेलने लगे ..पंडित जी की उँगलियाँ अगर उन्हें मसल कर उनकी सुजन नहीं निकाल रहे होते तो वो फट ही जाने थे ..

और सबसे ज्यादा असर तो हुआ उसकी चूत पर ..जिसमे से नीम्बू पानी जैसे द्रव्य की सरंचना होने लगी और वो द्रव्य छल -२ करता हुआ कच्छी की मर्यादाओं को लांघता हुआ पंडित जी की जाँघों को तर करने लगा ..

ऐसा एहसास तो उसे अपने जीवन में आज तक नहीं हुआ था ..

अब तो पंडित जी ने भी अपनी आँखे बंद कर ली ..और कोमल को घुमा कर अपनी गोद में ऐसे बिठा लिया की उसकी दोनों टाँगे उनकी कमर के दोनों तरफ आ गयी ..और ऐसा करने से उनके लंड के ठीक ऊपर कोमल की चूत आ गयी ...और उन्होंने ये सोचते हुए की वो दोनों पूरी तरह से नंगे हैं ..और पंडित जी अपने लंड को उसकी चूत में डालकर उसे चूम रहे हैं ..कोमल के होंठों को बुरी तरह से चूसना शुरू कर दिया ...

पंडित जी बैठे-२ ही दिन में सपना सा देखने लग गए थे ..पर जो वो सपने में देख रहे थे वो अब वैसे भी उन्हें सच होता दिख रहा था ..

उन्होंने आँखे खोली और वो वास्तविकता में वापिस आ गए .और उन्होंने अपनी किस्स तोड़ दी ..उन्होंने देखा की कोमल अब भी अपनी आँखे बंद करके अपने फड़कते हुए होंठों को उनके सामने पसारे उनकी प्रतीक्षा कर रही है ..पर जब कुछ देर तक पंडित जी के होंठ नहीं आये तो उसने आँखे खोल दी ..

और उन शरबती आँखों को देखकर एक पल के लिए पंडित जी सारी दुनियादारी भूल गए ..

एक गुलाबीपन आ चूका था उनमे ..एक अजीब सी चमक भी आ गयी थी ..शर्म थी ..प्यार था ..लज्जा थी ..और विशवास था ..

पंडित जी को अपनी आँखे पढ़ता पाकर उसने शर्माते हुए फिर से अपनी आँखे बंद कर ली और उनके गले से लग कर धीरे से बोली : "आप ऐसे क्यों देख रहे हो मुझे ...''

पंडित जी ने भी धीरे से उसके कानो में कहा : "मैं देख रहा था की तुम्हारी जिन्दगी की इस पहली किस्स ने तुमपर क्या असर किया है ..और कहाँ -२ असर किया है ...''

कहते हुए उनका हाथ उसके स्तनों से होता हुआ उसकी भीगी चूत से स्पर्श करता हुआ अपनी जाँघों तक आ गया ..जो उसके निम्बू पानी से पूरी तरह से भीग चुकी थी ..

कोमल ने पंडित जी को सॉरी कहा और उठकर अपनी स्कर्ट नीचे कर ली और उनकी बगल में बैठ गयी ..और अपने बेग में से एक रुमाल निकाल कर उन्हें दिया ताकि वो उस रस को साफ़ कर सके ...

पर पंडित जी ने ये कहते हुए मना कर दिया की "तुम्हारी चूत के अन्दर से निकला पहला झरना है ये ..इसकी महक कुछ देर तो रहने दो मेरे शरीर पर ...''

जिसे सुनकर कोमल का चेहरा और भी लाल हो गया और वो अपना मुंह नीचे करके मुस्कुराने लगी ..

पंडित : "कैसा लगा तुम्हे ...ये सब करते हुए ...''

कोमल : "सच कहु पंडित जी ...मैंने ये सब सिर्फ और सिर्फ एक एक्सपीरियंस पाने के लिए और उन लोगो को दिखाने के लिए किया था ..पर जिस तरह से आप मेरे साथ कर रहे थे ..वो सब न तो मैंने सोचा था और ना ही ऐसा कभी महसूस किया था ...पर जो भी हुआ, मुझे अच्छा लगा ...मतलब ..बहुत अच्छा लगा ...''

वो बोलती जा रही थी और पंडित जी मंत्रमुग्ध से उसे देखते जा रहे थे ..

कोमल : "पंडित जी ...आप भी सोचते होंगे की कैसी लड़की है ये ..जो बिना किसी शर्म और लज्जा के आपसे अपनी हर बात भी मनवा रही है और अब ये सब भी कर रही है ...पर आप ही बताइए मेरी जैसी लड़की का और है ही कौन ..आपने आज तक मेरी किसी भी बात का फायेदा नहीं उठाया और यही बात मुझे सबसे अच्छी लगी ..इसलिए मैंने भी सोच लिया है की अब आपसे ही मुझे बाकी के सारे एक्सपीरियंस लेने है ..''

पंडित जी चोंक गए ...उन्होंने पूछा : "किस तरह के एक्सपीरियंस ...??"

कोमल (शर्माते हुए ) : "अब इतने भी भोले नहीं हैं आप पंडित जी ....''

उसकी बात का मतलब समझते ही पंडित जी की बांचे खिल गयी ...उन्होंने खुल कर कहा : "यानी ...चुदाई की बात कर रही हो तुम ...मुझसे चुद्वाकर अपना कोमार्य मुझे सोम्पना चाहती हो ...''

कोमल ने हँसते हुए अपना सर हाँ में हिलाया ...

उसकी ये बात सुनते ही पंडित जी ने उसे अपनी छाती से लिपटा लिया ...

कोमल ने उनके कानों को चूमते हुए धीरे से कहा : "पर ...जो भी करेंगे ...सब आराम से ..धीरे-२ ..कोई जल्दी नहीं है मुझे ...ठीक है ...''

पंडित : "तुम चिंता मत करो ...तुम्हारी चुदाई ऐसी होगी की आज तक किसी ने नहीं की होगी ...तुम्हे सेक्स के हर पहलु से ऐसे अवगत करवाऊंगा की तुम भी कहोगी की वह पंडित जी आपसे चुद कर सच में मजा आ गया ...''

और उसके बाद कुछ और देर बैठ कर दोनों पंडित जी के कमरे की तरफ चल दिए ...

क्योंकि अब वहां बैठ कर समय व्यर्थ करना उचित नहीं था ..
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