Porn Kahani भोली-भाली शीला
01-07-2018, 02:12 PM,
#55
RE: Porn Kahani भोली-भाली शीला
पंडित & शीला पार्ट--54

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गतांक से आगे ......................

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पंडित जी ने जल्दी से एक ऑटो पकड़ा और उसमे बैठ कर दोनों घर की तरफ चल दिए ...

इतना उत्साह और ठरक तो उनपर आजतक नहीं चडी थी ..वो तो बस उड़कर घर पर पहुँच जाना चाहते थे ..जैसे - तैसे करके उनका घर आ ही गया, और अन्दर पहुँचते ही उन्होंने झट से कुण्डी लगायी और कोमल को अपनी बाहों में पकड़कर बेतहाशा चूमने लगे ..

''ओह्ह्ह्ह ....कोमल .....तुम जानती नहीं ...कितना तरसाया है तुमने मुझे ....अपना जलवा दिखा- २ कर ..जब से तुम्हे देखा है, सोते-जागते बस तुम्हारा चेहरा और ये बदन ही घूमता है मेरी आँखों के सामने ...तुमने मुझे पागल बना कर रख दिया है अपने हुस्न से ...''

कोमल उनसे छिटक कर दूर खड़ी हो गयी ..वो इतराते हुए बोली : "अच्छा जी ...पहले तो आप ऐसे साधू-संत बनते थे जैसे मेरे हुस्न का आपके ऊपर कोई असर नहीं होता ...अब क्या हो गया ...''

पंडित जी फंस चुके थे ..उनसे गलती जो हो चुकी थी ..जो अक्सर हर मर्द कर देता है ..औरत के हुस्न के आगे अपनी गेरत और ऱोब को ताक पर रखकर जब मर्द अपने हाथ पसारता है तो उसे औरत के रहमो करम पर ही चलना पड़ता है ..वो जैसा चाहेगी, वैसा करना पड़ता है ..अगर वो ऐसा ना करे तो सीन दूसरी तरफ से वैसा हो जाता है ..पर अब जो होना था वो हो चुका था, कोमल को पंडित जी ने अपनी कमजोरी अपनी ही जुबान से बयां कर दी थी ..

कोमल : "अच्छा ...एक बात बताइए पंडित जी ...आपको मुझमे सबसे ज्यादा क्या अच्छा लगता है ..''

वो किसी हिरोइन की तरह अपने जिस्म को तिरछा करके उनके सामने एक टांग पर खड़ी हो गयी ..उसका एक कुल्हा निकल कर अलग से चमकने लगा ..

पंडित जी बेचारे उसके मांस से भरे शरीर को देखकर अपनी लार टपकाने लगे ...उनका तो बस मन कर रहा था की उसके शरीर के हर हिस्से को पकड़कर अच्छी तरह से चूमे ...सहलाए ...खा जाए बस ...

उनकी नजरें उसकी छातियों पर चिपक गयी ..कोमल उनका जवाब समझ गयी ..और उसने अपनी टी शर्ट को ऊपर खिसका कर अपना पेट नंगा कर दिया ...और बड़े ही प्यार से अपनी ब्रेस्ट को सहलाते हुए पंडित जी की आँखों में देखकर पूछा : "ओहो ....तो ये पसंद है आपको ...ह्म्म्म्म ....''

पंडित जी भी अब परिस्थिति के हिसाब से चलने लगे थे ..वो जानते थे की अभी तो कोमल के हिसाब से चलने में ही भलाई है ..कहीं उसका मन न बदल जाए ...एक बार वो चुद जाए उनसे ..फिर बताएँगे उसको की वो क्या चीज है ..

कोमल की बात सुनकर पंडित जी ने हाँ में सर हिलाया ..जो सही भी था ..उसकी नंगी ब्रेस्ट को देखने की इच्छा तो उन्हें तब से थी जब से उन्होंने उसे पहली बार देखा था ..

कोमल सोफे पर जाकर बैठ गयी ..और उसका हाथ लहराता हुआ अपनी टी शर्ट के ऊपर आया और उसने अपनी उँगलियों से कपडा ऊपर करते हुए अपनी बायीं चूची बाहर निकाल दी ..और अपने हाथ से उसे मसलने लगी ..


पंडित जी की आँखे फटी की फटी रह गयी ...

इतनी गोलाई ली हुई छाती उन्होंने पहली बार देखि थी ..और उसपर लगा हुआ किशमिश तो सुभान अल्लाह ...

अब तो पंडित जी से भी सब्र करना मुश्किल हो गया ...उन्होंने आगे बढकर उसकी टी शर्ट को पकड़ा और उसे सर से निकाल कर एक कोने में फेंक दिया ..

उफ्फ्फ्फ़ ....क्या क़यामत थी कोमल ..

सुनहरे आम उसकी छातियों से लटक रहे थे ..जिनमे से मानो शहद टपक कर उसके निप्पल के रास्ते नीचे गिर रहा था ..

पंडित जी ने झट से अपना मुंह आगे किया और उसकी चूची को अपने मुंह में रखकर उसका रस पीने लगे ..

''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .......उम्म्म्म्म्म्म ..........ओह्ह्ह्ह्ह ....पंडित जी ........आज पहली बार .....उम्म्म्म ...किसी ने मुझे यहाँ ....से चूसा है .....अह्ह्ह्ह्ह्ह ....''

वो तो पागल ही हो गयी ...पंडित जी के होंठों का कमाल अपनी ब्रैस्ट पर देखकर ...

'जब तेरी चूत चुसुंगा तो क्या हाल होगा तेरा ..' पंडित जी ने मन ही मन सोचा ..

उसके पूरे शरीर में अजीब सी तरंगे उठ रही थी ..और अन्दर से गुदगुदी भी हो रही थी ...जिसकी वजह से सिस्कारियों के बीच-२ उसकी हंसी भी निकल रही थी ..पर कुल मिलाकर ऐसा उसने आज तक महसुस नहीं किया था ..

और आवेश में आकर कब उसके हाथ पंडित जी के शरीर से उनके लंड तक जा पहुंचे उसे भी पता नहीं चला ...

और जैसे ही पंडित जी का पठानी लंड उसके हाथ में आया ..वो बिदक कर दूर हो गयी पंडित जी से ...और बोली ....: "ये ....ये ...क्या है .....''

पंडित जी ने मुस्कुराते हुए अपनी पेंट खोली ...और अपना लंड बाहर निकाल कर उसकी भूखी आँखों के सामने परोस दिया ...

जिसे देखते ही कोमल गहरी-२ साँसे लेने लगी ..या ये कह लो की उसकी साँसे उखड़ने लगी ..

और उसने आगे बढकर बदहवासी में पंडित जी के लंड को अपने हाथों में पकड़ लिया ...और जैसे ही उसके ठन्डे हाथों में उनका गर्म लंड आया ..उसके मुंह से एक सिसकारी निकल गयी ..

''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ,.......स्स्स्स्स्स्स्स ......उम्म्म्म्म्म्म्म .......''

पंडित जी अब समझ चुके थे की कोमल पूरी तरह से उनके कंट्रोल में आ चुकी है ...उनके लंड को देखकर सभी का यही हाल होता है ..और वैसे भी कोई भी लड़की अगर लड़के का लंड देख ले तो उसका यही हाल होता है ...लंड है ही ऐसी चीज ..

पंडित जी ने उसे हुक्म सा दिया : "चल ...चूस मेरी बांसुरी ...''

और उनकी बात मानकर कोमल उनके सामने आई और उनके उफान खा रहे लंड को अपने कोमल हाथों में पकड़ा और अपने गुलाबी होंठों के पीछे से अपनी गुलाबी जीभ निकाल कर उनके लंड से टच करी ..


और उसके मुंह की गर्मी अपने लंड पर महसूस करते ही पंडित जी को लगा की उनका लंड उसकी तपिश से कोयला न हो जाए ..

उन्होंने फिर से उसे कहा : "चाटो नहीं ....चुसो ...पूरा अन्दर लो ...शाबाश ...''

पंडित जी की बात मानकर जैसे ही उसने अपना मुंह खोला ..पंडित जी ने एक जोरदार शॉट लगाकर अपना लंड उसके मुंह की बांडरी के अन्दर डाल दिया ...


''उम्म्म्म्म्म्म .....अह्ह्ह्ह्ह्ह ......उम्म्म्म्म्म्म्म ......''

अब पूरा का पूरा लंड उसके मुंह के अन्दर था ...जो पहली बार लंड चूस रही लड़की के लिए एक महान उपलब्धि थी ..

पंडित जी तभी समझ गए की ये एक बहुत बड़ी चुदक्कद बनेगी ..

कोमल तो जैसे पागल हो चुकी थी ..उसके मुंह से लार निकल - २ कर पंडित जी के लंड को स्नान करवा रही थी ..उसकी जीभ किसी साबुन की टिकिया की तरह उनके लंड को रगड़ रही थी ..और घिसने की वजह से हलकी सी झाग भी बन रही थी ..

आज तक पंडित जी के लंड को इतनी इज्जत किसी ने नहीं बक्शी थी ..अगर पंडित जी ने जबरदस्ती अपने लंड को उसके चुंगल से ना छुडवाया होता तो वो उनका जूस निकाल कर ही रहती अपने मुंह में ..

और चूसने की वजह से उनका लंड अपने पूरे जलवे बिखेरता हुआ दोनों के बीच खम्बे जैसा खड़ा था ..


उसकी दोनों छातियों के बीच वो किसी स्तम्भ की तरह चमक रहा था ..

कोमल ने पंडित जी को बेड पर लिटा सा दिया और खुद उनकी बगल में लेट गयी ..और उनके डंडे को पकड़ कर उसका मर्दन करने लगी ..

पंडित : "ओह्ह्ह्ह ....कोमल ......अब ......अब नहीं रहा जाता .....उम्म्म्म्म्म ......मेरा बस निकलने वाला है ...''

कोमल : "तभी तो मैं कर रही हु .....ताकि आपका निकल जाए ...''

वो जानती थी की पंडित जी वो क्यों बोल रहे हैं, फिर भी उसने जान बूझकर ऐसा बोला ..

पंडित : "अब .....अब ..तुम नीचे आओ ....मुझे ये तुम्हारी चूत में डालना है ...''

कोमल एकदम से रुक सी गयी और बोली : "ये…ये कैसे होगा ....आपका इतना बड़ा है ...मेरे अन्दर कैसे जाएगा ..''

उस बेचारी का कोई कसूर नहीं था, पंडित जी का लंड कोई भी पहली बार में देखकर येही सोचेगा ..

पंडित : "कुछ नहीं होगा ...मैं हु न ...तुम्हे कोई तकलीफ नहीं होगी ..''

कोमल : "नहीं पंडित जी ...प्लीज ...आज रहने दीजिये ...मुझसे नहीं होगा ...मैं ऐसे कर रही हु न ...''

पंडित जी जानते थे की अगर ज्यादा जोर जबरदस्ती करेंगे तो अभी जो मिल रहा है, उससे भी हाथ धोना पड़ेगा ..

उन्होंने फिर से कोमल का हाथ अपने लंड पर रखवाया और बोले : "कोई बात नहीं ...जैसा तुम चाहो ..पर अभी जो करना है…वो दिल से करो ...''

पंडित जी के ऐसा कहते ही कोमल के तन बदन में एक नया रक्तसंचार हो गया ..और वो अपने नंगे बदन को पंडित जी के शरीर से घिसते हुए उनके लंड को बुरी तरह से ऊपर नीचे करने लगी ..



''उम्म्म्म्म कोमल ........तुम्हारे नर्म हाथों में आकर आज ये ज्यादा ही खुश हो रहा है ...'' पंडित जी ने अपने लंड की तरफ इशारा करते हुए कोमल के होंठों को चूम लिया ...

अचानक पंडित जी के अन्दर से आ रही एक तरंग ने उन्हें सचेत किया की अब लावा कभी भी निकल सकता है ..

उन्होंने कोमल के हाथ के ऊपर अपना हाथ रख दिया और दुसरे हाथ से उसके सर को नीचे धकेलने लगे ..

वो समझ गयी की पंडित जी क्या चाहते हैं ..

उसका चेहरा धीर-2 नीचे आया और ठीक उनके लंड के ऊपर आकर रुक गया ..और वो अब उसे ऊपर नीचे करते हुए अपने होंठों से भी टच कर रही थी ..जिसकी वजह से पंडित जी की कंपकंपी छूट रही थी ..और एक जोर्दान गर्जन के साथ पंडित जी ने अपने लंड से रस का त्याग कर दिया ..

''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .....कोमल ......उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ .........पी ले ........सारा रस ......तेरे लिए ही है ये .......अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .....''

वो भला उनकी बात से कैसे इनकार करती ..उसने अपना मुंह नीचे किया और उनकी बोछारों को सीधा अपने मुंह के अन्दर स्थान दे दिया ..


उसका स्वाद उसे ऐसा लगा जैसे गाडी और नमकीन लस्सी पी रही हो वो ...और स्वाद का पता लगते ही उसने इधर-उधर फैला हुआ रस भी अपनी जीभ से चाट-चाटकर अपने मुंह के अन्दर समेट लिया ..

और पंडित जी गहरी साँसे लेते हुए बेड से उठ खड़े हुए ..

अब कोमल की बारी थी .

वैसे अगर पंडित जी चाहते तो आधे घंटे के आराम के बाद आराम से कोमल को चोद सकते थे ..पर आज कोमल पूरी तरह से इसके लिए तैयार नहीं थी ..इसलिए उसको सिर्फ कत्रिम तरीके से सुख देना होगा आज ..

उन्होंने कोमल को अपनी जगह पर लिटा दिया और खुद उसके सामने आकर बैठ गए ..

उसकी कच्छी को उन्होंने एक ही झटके में उतार फेंका , उसकी चिकनी चमेली को देखकर पंडित जी के मुंह में पानी आ गया ..

उन्होंने आव देखा न ताव और अपना मुंह सीधा उसकी रसीली चूत के अन्दर दे मारा ..

''अह्ह्ह्ह्ह्ह ........ओह्ह्ह्ह्ह्ह ....पंडित जी ......उम्म्म्म्म्म्म्म ....सक मी .......उम्म्म्म्म्म ''

उसने पंडित जी के बालों को पकड़ा और उन्हें धीरे-२ सहलाते हुए अपनी चूत की लकीर पर उनकी जीभ की कलम से प्यार के तराने लिखने लगी ..

अचानक पंडित जी की जीभ का काँटा कोमल की क्लिट में फंस गया ..और वो मछली की तरह तड़प उठी ..उसका पूरा शरीर ऐंठ गया ..उसकी कमर बेड से ऊपर उठकर कमान की तरह टेडी हो गयी ..

पंडित जी ने बड़ी मुश्किल से उसके ऊपर जा रहे शरीर को अपने हाथों से पकड़कर नीचे उतारा ..और उनके हाथ सीधा उसकी दोनों ब्रेस्ट के ऊपर आकर जम गए ..जिन्हें वो जोर-२ से दबाकर उसका दूध निकालने लगे और उनका मुंह तो नीचे लगा ही हुआ जिसमे से रिस रिसकर उसका अमृत वो सीधा पी रहे थे ..

इतना मीठा और गर्म रस पीकर उनकी आत्मा तक तृप्त हो गयी ...

वो उठ खड़े हुए और उन्होंने अपनी चार उँगलियाँ एक साथ उसके अन्दर डाल दी और उन्हें अन्दर बाहर करते हुए उसके रस को अपनी उँगलियों से बाहर निकालने लगे ..



और अब चीखने की बारी कोमल की थी ...

''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ........उम्म्म्म्म्म्म्म्म ........ओफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ ........पंडित जी ......... उम्म्म्म्म्म्म्म्म .....''

उसने पंडित जी की आँखों में देखते-२ अपनी चूत की पिचकारी से ऐसे फव्वारे पंडित जी के ऊपर छोड़े की वो बुरी तरह से भीग गए ...

और पंडित जी ने मुंह नीचे करके उसकी चूत का सारा रस अपने मुंह के अन्दर समेट लिया ...

उसके बाद पंडित जी ने उसे चुदाई के सम्बन्ध में थोडा और ज्ञान दिया ताकि अगली बार चुदने में उसे कोई परेशानी ना हो ..

उनका ज्ञान बटोरकर वो अपने घर चली गयी ..

और पंडित जी भी आराम से लम्बी तानकर सो गए ..
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