RE: Porn Kahani भोली-भाली शीला
पंडित & शीला पार्ट--55
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गतांक से आगे ......................
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सुबह उठकर पंडित जी ने सोच लिया की आगे क्या करना है ..क्योंकि हर बार वो कोमल को इस तरह सिर्फ अपना लंड चुसवा कर नहीं रह सकते थे . और इसके लिए उन्होंने एक मास्टर प्लान बनाया ..वैसे तो रोज की तरह कोमल को आज भी 11 बजे तक उनके पास पहुंचना था, पर पंडित जी ने कुछ और ही प्लान बनाया था .
अपने कार्यों से निवृत होकर वो 10 बजे ही शीला के घर पहुँच गए ..दरवाजा खुला हुआ था , वो जानते थे की इस समय सिर्फ शीला और कोमल ही घर पर होंगी ..
अन्दर पहुंचकर उन्होंने देखा की शीला किचन में खड़ी हुई नाश्ता बना रही है ..बाथरूम का दरवाजा बंद था, शायद कोमल अन्दर नहा रही थी . शीला की मोटी गांड की थिरकन देखकर उनका लंड एकदम से खड़ा हो गया.उसने हलके रंग की साडी पहनी हुई थी .
वो धीरे से उसके पीछे पहुंचे और उसकी कमर के चारों तरफ हाथ डालकर उसके नंगे पेट पर अपने पंजे जमा दिए ..और अपना खड़ा हुआ एफिल टॉवर उसकी सोलन की पहाड़ियों के बीच फंसा कर उसके जिस्म से चिपक गए ..
''क ......को को ......कौनssssssssssss ....'' वो एकदम से चोंक गयी ..
और जैसे ही उसने गर्दन घुमा कर पंडित जी का चेहरा देखा वो चोंक गयी .
''अरे ...पंडित जी आप ....और इतनी सुबह .......''
उसने अपने हाथों को पंडित जी के हाथों के ऊपर रखकर उन्हें और जोर से दबा दिया ..और अपनी गांड को पीछे की तरफ उनके लंड पर दबा कर उनका स्वागत किया .
पंडित : "बस ऐसे ही ....कल से तुम्हारी बहुत याद आ रही थी ...सोचा अभी जाकर मिल लेता हु ..घर पर कोई नहीं होगा ..''
शीला (कसमसाते हुए ) : "पर ....वो ...कोमल है अन्दर अभी ...वो तो कह रही थी की आज भी जाना है आपके साथ बाहर , बस वो नहाकर आपके पास ही निकलने वाली थी ....''
पंडित जी ने बुरा सा मुंह बनाया : "ये कोमल भी न ...मैंने कल ही उसे सब समझा दिया था की जिस कॉलेज में हम गए थे उसका फार्म भरने के लिए उसे अकेले ही जाना होगा आज ..शायद उसने सुना नहीं होगा ..मैंने तो सोचा था की अब तक वो जा चुकी होगी ..इसलिए चला आया ..और ये देखो ..ये भी कल से ऐसे ही खड़ा हुआ है ..''
पंडित जी ने अपने खड़े हुए लंड की तरफ इशारा किया ..
शीला उनकी तरफ घूम गयी ..उसने एक नजर बाथरूम के दरवाजे पर डाली और अगले ही पल उसने अपने दांये हाथ से पंडित जी के लाडले को अपनी गिरफ्त में ले लिया ...
''उम्म्म्म्म्म ....पंडित जी .....मुझे भी इसकी बड़ी याद आती है ....पर जब से कोमल आई है, पहले जितना समय ही नहीं मिल पाता ...मन तो कर रहा है यहीं आपको लिटा कर इसपर बैठ जाऊ ..पर अन्दर कोमल है ...''
पंडित : "एक काम करते हैं ...कोमल के जाने का वेट करते हैं ...उसके बाद करेंगे ..''
वो कुछ ना बोली, क्योंकि वो जानती थी की पंडित जी अपने आप संभाल लेंगे ..
पंडित जी बाहर जाकर सोफे पर बैठ गए ..और शीला उनके लिए चाय बनाने लगी .
थोड़ी ही देर में बाथरूम का दरवाजा खुला और कोमल बाहर निकली ..और उसकी हालत देखते ही पंडित जी का एफिल टावर और भी लंबा हो गया .
उसके भीगे हुए बालों से पानी रिस कर उसके सूट पर गिर रहा था .जिसकी वजह से उसकी ब्रेस्ट वाला हिस्सा गीला हो गया था ..और जैसे ही उनकी नजर नीचे पहुंची उनकी आँखे फटी की फटी रह गयी ..उसने नीचे पयजामी नहीं पहनी हुई थी , जो की उसके हाथ में थी, उसने सोचा होगा की अन्दर जाकर पहन लेगी, घर पर और कोई तो था नहीं, और बाथरूम में पहनने में मुश्किल भी होती है ..शायद इसलिए वो ऐसे ही बाहर निकल आई .....उसकी मोटी और नंगी टाँगे देखकर पंडित जी एकदम से खड़े हो गए .
वो भी पंडित जी को अपने घर में देखकर चोंक गयी ..उसने एक नजर किचन की तरफ डाली और मुस्कुराती हुई पंडित जी के पास आई और बोली : "क्या बात है पंडित जी ...आप और यहाँ ..सब्र नहीं हुआ क्या ..एक घंटे में आ तो रही थी आपके पास ही ..''
उसकी आवाज सुनकर शीला किचन से बाहर निकल आई ..और कोमल को आधी नंगी खड़ी देखकर वो उसपर चिल्लाई : "कोमल ....कुछ तो शर्म कर ले ...चल अन्दर ...और पुरे कपडे पहन कर आ ..''
अपनी बहन की फटकार सुनकर उसे अपने नंगे पन का एहसास हुआ, वो अन्दर की तरफ भागी तो पंडित जी की निगाहों ने उसके हिलते हुए चूतड़ अपनी आँखों के केमरे में कैद कर लिए ..
शीला : "देखा पंडित जी ...कितनी नासमझ है ...इसकी इसी बात से मैं डरती हु ...अक्ल नाम की कोई चीज नहीं है इसके अन्दर ..पता नहीं क्या होगा इसका ..''
पंडित : "सब ठीक होगा, तुम चिंता मत करो ..''
वो बात कर ही रहे थे की कोमल बाहर आ गयी ..इस बार पुरे कपडे पहन कर .
पंडित जी : "कोमल ...हम जिस कॉलेज में कल गए थे, तुम आज वहीँ चली जाना और वहां से फार्म लेकर भर देना ..मुझे आज तुम्हारे साथ जाने की आवश्यकता नहीं है ..''
कोमल उनकी बात सुनकर हेरान सी होकर उन्हें देखने लगी, की एकदम से पंडित जी को क्या हो गया और वो उसे ऐसा क्यों कह रहे हैं, खासकर कल के वाक्य के बाद तो उन्हें मिलने की ज्यादा ललक होनी चाहिए ..फिर पंडित जी ऐसा क्यों कह रहे हैं ..
पंडित जी ने उसके चेहरे की परेशानी पड़ ली और बोले : "मैंने तो ये बात तुम्हे कल भी बोली थी ..पर शायद तुम भूल गयी हो, वैसे भी मुझे आज शीला के साथ कुछ काम है ..''
पंडित जी की बात सुनकर कोमल फिर से चोंक गयी ..
पंडित : "मेरा मतलब है , मैंने शीला से वादा किया था की परेशानियों के निवारण के लिए आखिरी बार एक और शुधि क्रिया करनी होगी ..और ये शुधि क्रिया इसके घर पर ही हो सकती थी, इसलिए मैं इतनी सुबह -२ यहाँ आ गया ''
कोमल को दाल में कुछ काला लगा ..उसे अपनी बहन शीला पर शक सा होने लगा ..कहीं पंडित जी का टांका तो नहीं भिड़ा हुआ उसकी बहन के साथ ..पर वो कुछ ना बोली ..क्योंकि उसके मन में तो खुद ही चोर था .वो सोचने लगी की उसकी बची हुई इच्छाओं का क्या होगा ..वो बिना कुछ बोले अन्दर चली गयी ..
शीला ने मुस्कुराते हुए पंडित जी की आँखों में देखा , दोनों की आँखों में वासना के बादल तैर रहे थे ..शीला उनके लिए चाय लेने अन्दर चली गयी .
वो चाय पी रहे थे की कोमल भी आ गयी, उसके कंधे पर उसका बेग था .
शीला : "अरे ..इतनी जल्दी जा रही है ..नाश्ता तो कर ले ..''
वो शायद गुस्से में थी ..वो बोली : "अभी भूख नहीं है ...बाहर खा लुंगी कुछ ..''
और इतना कहकर वो बाहर निकल गयी ..
पंडित जी नीचे सर करके मुस्कुरा दिए ..उनका तीर निशाने पर जो लगा था .
उसके जाते ही शीला ने दरवाजा बंद कर लिया ..जैसे वो खुद भी कोमल के जाने का इन्तजार कर रही थी .
वो धीरे-२ चलती हुई पंडित जी के पास आई ..उसकी साँसे इतनी तेजी से चलने लगी की उनकी आवाज पंडित जी को भी सुनाई दे रही थी ..उसका सीना बड़ी तेजी से ऊपर नीचे हो रहा था ..
वो पंडित जी के सामने आकर खड़ी हो गयी ..बिलकुल पंडित जी की टांगो के बीच ..पंडित ने ऊपर देखा और उसकी साड़ी के आँचल को पकड़कर नीचे खिसका दिया ..
और जैसे ही उनकी नजर ऊपर गयी तो सिवाए दो बड़े पर्वतों के उन्हें कुछ दिखाई नहीं दिया ..शीला का चेहरा भी नहीं ..इतनी बड़ी छातियाँ थी शीला की .
उन्होंने अपने हाथ उठा कर शीला के हिम शिखरों पर रख दिए ..और अपने होंठ उसकी नाभि पर रखकर अपनी जीभ वहां घुसेड दी ..
''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .......पंडित जी ........उम्म्म्म्म्म .....''
उसने पंडित जी का बोदी वाला सर पकड़ कर अपने पेट पर घुमाना शुरू कर दिया ..उसकी चूत की फेक्ट्री में से ताजा रस निकल कर बाहर तक आ गया, जिसकी सुगंध पंडित जी के नथुनों तक जैसे ही पहुंची उन्होंने उसकी गांड पर अपने हाथों का दबाव अपने चेहरे की तरफ किया और अपना सर नीचे करके साड़ी के ऊपर से ही उसकी चूत पर अपने दांतों से काट लिया ..
''अय्य्यीईईइ .......उम्म्म्म्म ....धीरे ......करो ......पंडित .......धीरे ......''
शायद उत्तेजनावश पंडित जी ने कुछ ज्यादा ही जोर से काट लिया था उसे ..
पंडित जी तो जैसे पागल हो गए थे ..उन्होंने आनन् फानन में उसकी साडी निकाल फेंकी ..और जब उसके पेटीकोट का नाड़ा नहीं खुला तो उसे ऊपर खिसका कर शीला की कच्छी अपने हाथों से निकाल फेंकी ..और उसकी टांगो को पकड़ कर उसे सोफे पर चड़ने को कहा ..शीला गहरी साँसे लेती हुई सोफे पर चढ़ गयी और अपने हाथों से पेटीकोट को पकड़कर अपनी कमर तक उठा लिया ..वो पंडित जी के दोनों तरफ पैर करके खड़ी हो गयी और जैसे ही पंडित जी ने अपना चेहरा ऊपर करके उसे इशारा किया वो धीरे -२ अपना यान उनके चेहरे पर लेंड करने लगी ..और जैसे ही पंडित जी की गर्म जीभ ने उसकी चूत को छुआ तो ऐसी आवाज हुई जैसे कोई गर्म सरिया ठन्डे पानी में डाल दिया हो ...
सुरर र्र् ....की आवाज के साथ पंडित की की जीभ उसकी चाशनी से डूबी गर्म चूत के अन्दर घुसती चली गयी ..
''ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ......पंडित जी ..... ....उम्म्म्म्म्म्म्म्म ............''
उसने अपने हाथों से बड़े प्यार से उनके चेहरे को पकड़ा और उनकी आँखों में देखते हुए उसने अपना ब्लाउस उतारकर एक कोने में फेंक दिया ...और फिर ब्रा को भी खोलकर साईड में रख दिया ..
पंडित जी की जीभ तो शीला की चूत चूस रही थी पर उनकी नजरें उसे ऊपर से नंगा होते देख रही थी ..और जैसे ही उसके कड़े -२ निप्पल उभरकर सामने आये तो उन्होंने अपनी उँगलियों के बाच उन्हें फंसा कर ऐसे उमेठा की शीला दर्द के मारे अपना आसन छोड़कर खड़ी हो गयी ..
''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ......उम्म्म्म्म्म ...पंडित जी .........इतना जोर से क्यों दबाते हो इन्हें ....उम्म्म्म्म्म्म .....धीरे करो ....नाआ ......''
पंडित जी ने तब तक अपने लंड को धोती और कच्छे के मायाजाल से आजाद करा लिया था और वो भी नीचे से पुरे नंगे थे ..
शीला ने पेटीकोट को किसी तरह से निकाल कर फेंक दिया और अब वो भी जन्मजात नंगी होकर उनके सामने खड़ी थी ..
पंडित जी ने उसकी कमर को पकड़कर नीचे करना शुरू किया ..और जैसे ही उसकी चूत ने उनके लंड को टच किया ..दोनों की साँसे तेज हो गयी ...और फिर बिना कोई वार्निंग दिए शीला ने अपना पूरा भार पंडित जी के ऊपर डालकर उनके नाग को अपनी पिटारी में डाल लिया ..
''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ......ओह्ह्ह्ह्ह्ह ....शीला ......उम्म्म्म्म्म्म्म .......''
उन्होंने शीला की गर्दन में अपनी बाहें डालकर उसे दबोच लिया और और वो उछल -२ कर बाकी का काम करने लगी ..
तभी पंडित जी की नजरें खिड़की पर गयी ..जो आधी खुली हुई थी और वहां पर खड़े साए को देखकर उन्हें ये समझते देर नहीं लगी की वो कौन है ..
वो कोमल थी ..जो काफी देर तक जुगाड़ करती रही की देखे तो सही की अन्दर हो क्या रहा है ..पर जब कोई जगह और छेद नहीं मिला तो आधी खुली खिड़की पर ही खड़ी हो गयी ..वहां से कुछ ज्यादा दिख तो नहीं रहा था पर अन्दर की सारी आवाजें जरुर सुनाई दे रही थी ..
और यही तो पंडित जी चाहते थे ..
उनका प्लान सफल होता दिख रहा था .
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