RE: Porn Kahani भोली-भाली शीला
पंडित & शीला पार्ट--57
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गतांक से आगे ......................
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पंडित जी ने धीरे से उसके कानों में पूछा : "तुमने आज क्या देखा वैसे ...??"
उन्हें पता तो था कि कोमल घर के बाहर खड़ी हुई उनकी हर बात सुन या देख रही थी ..पर उसने कितना सूना या देखा वही पंडित जी कन्फर्म कर रहे थे ..
कोमल : "कहाँ .....कोई जगह ही नहीं थी देखने कि ...सिर्फ दीदी कि सिसकियाँ सुनायी दे रही थी ..और बीच-२ में एक दो बातें भी ...पर बाद में साथ वाली आंटी ने मुझे ऐसे खड़े हुए देख लिया और पूछने लगी कि बाहर क्यों खडी है ..इसलिए मैं वहाँ से निकल गयी ...कुछ ज्यादा देख ही नहीं पायी ''
उसने मायूसी से कहा ...
पंडित जी ने मन ही मन शुक्र मनाया कि उसने शीला कि इच्छा के बारे में नहीं सुना क्योंकि वो उसे अपने तरीके से राजी करवाना चाहते थे ..
पंडित जी ने हाथ फेरने चालु रखे ..और अब तो कोमल भी उनके हाथों का मजा ले रही थी ..उसने पंडित जी कि कमर के चारों तरफ हाथ लपेट लिए और बोली : "आप ही बताइये न ..क्या हो रहा था अंदर ...''
उसकी आँखों में दिख रही उत्सुक्तता पंडित जी को साफ़ दिख रही थी ..
पंडित (मुस्कुराते हुए) : "वही ...जो अक्सर होता है ...जब एक पुरुष एक स्त्री से मिलता है ..''
कोमल उनके सीने पर मुक्का मारते हुए बोली : "उंहु ....बताइये ना ...क्या कर रहे थे आप अंदर ...''
पंडित जी के दिमाग में योजना बन चुकी थी ..
पंडित : "तुम्हे पता है ..शीला के होंठ मुझे सबसे ज्यादा पसंद है ..उनकी नरमाहट ...मिठास ..ऐसी किसी और कि हो ही नहीं सकती ...''
कोमल कि आँखे फेल सी गयी ..उसे शायद विशवास नहीं था कि उसे बाहों में भरकर पंडित जी उसकी बहन कि तारीफ करेंगे ..
पर इसका भी एक कारण था ..
एक तो वो ऐसी बातें करके उसमे उत्तेजना का संचार करना चाहते थे ..
और दूसरी, वो शीला कि बड़ाई करके कोमल के मन में उसके लिए ललक पैदा करना चाहते थे ..
कोमल : "अच्छा जी ...मेरे होंठ क्या उतने मीठे नहीं है ..''
पंडित : "ये तो चखने के बाद ही पता चलेगा ...''
पंडित जी कि बात पूरी भी नहीं हो पायी थी कि वो लोमड़ी कि तरह से उछली और उनके होंठों पर अपने होंठों को जोर से रगड़ने लगी ..और तब तक रगड़ती रही जब तक पंडित जी ने अपने होंठ खोलकर उसके होंठों को अपने मुंह के अंदर निगल नहीं लिया ...
और फिर तो ऐसी चूमा चाटी हुई वहाँ कि दोनों को सांस लेने कि भी फुर्सत नहीं मिल रही थी ..एक दूसरे के मुंह से आ रही हवा से ही दोनों अपनी जिंदगी चला रहे थे .
और आखिरकार पंडित जी को ही हार माननी पड़ी ..और उन्होंने बड़ी मुश्किल से कोमल के चुंगल से अपने होंठों को छुड़ाया और उसे धक्का देकर पीछे किया ..
दोनों बुरी तरह से हांफ रहे थे ..
कोमल : "अब .....बोलो ....किसके ..मीठे हैं ...''
पंडित जी ने चालाकी का परिचय देते हुए कहा : "मीठे तो तुम्हारे हैं ...पर नरम उसके हैं ..''
अब वो बेचारी क्या बोलती ..आखिर उसकी बहन ही थी शीला ..
कोमल : "अच्छा ..और बताओ ...और क्या किया था आज ...''
वो पंडित जी के बिस्तर पर अपनी कोहनियों का सहारा लेकर आधी लेटी हुई थी ..उसकी छातियाँ अभी तक ऊपर नीचे हो रही थी ..और टी शर्ट में से उसके निप्पल कि छवि साफ़ दिख रही थी .
पंडित जी जानते थे कि वो पूरी गर्म है ..वो चाहते तो अभी उसकी चूत मारकर सारे मजे लूट सकते थे ..पर वो उसे अभी और तड़पाना चाहते थे ..पर जितने मजे अभी वो ले सकते थे वो भी छोड़ना नहीं चाहते थे ..
इसलिए वो बोले : "शीला को मेरा लंड चूसना सबसे ज्यादा पसंद है ...और मेरे होंठों को चूसने के बाद वो सबसे पहले मेरा लंड ही चूसती है ...''
कहते -२ पंडित जी उसकी टांगो के बीच जाकर खड़े हो गए ..
कोमल कि नाक में से निकल रही हवा अचानक तेज हो गयी ..जैसे उसे सांस लेने में तकलीफ हो रही हो ..
और वो धीरे-२ सीधी होकर बैठ गयी ..और उसके हाथ पंडित जी कि धोती के ऊपर फिसलने लगे ..
अंदर कैद हुए लंड कि गर्माहट को जैसे ही कोमल ने अपनी हथेलियों पर महसूस किया वो पागल सी हो गयी ..और धोती के ऊपर से ही उनके लंड को अपने मुंह के अंदर लेकर चूमने लगी ..
इतनी बैचेनी ..इतनी कसमसाहट ..पंडित जी ने आज तक किसी के द्वारा महसूस नहीं कि थी ..
उन्होंने जल्दी से अपनी धोती खोल दी ..और जैसे ही उनका अंडरवीयर नीचे गिरा, उनके दैत्याकार लंड को अपनी भूखी जीभ से इतना नहलाया कोमल ने कि नीचे जमीन पर उसकी लार का ढेर लग गया ..
और पंडित जी कि आँखों में देखते हुए जैसे ही उनके लंड को अपने मुंह में लिया ..पंडित जी अपने पंजो पर खड़े होकर सिस्कारियों कि सीटियां मारने लगे ...
''स्स्स्स्स .....अह्ह्ह्हह्ह्ह ....उम्म्म्म्म्म्म ......कोमल ........अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह .......धीरेेेे .....''
वो तो लंड के साथ -२ उनकी गोटियां भी चूस रही थी ..
कोमल ने ऊपर आँखे करके पंडित जी से आँखों ही आँखों में पूछा ...''अब बोलो पंडित जी ....कौन अच्छा चूसता है ...''
पर पंडित जी जवाब देने वाली हालत में नहीं थे ..उन्हें तो लग रहा था कि उनका लंड किसी सकिंग मशीन में फंस गया है ..कोमल के मुंह से निकल रहे हर झटके के साथ वो और अंदर घुसते चले जा रहे थे ..
और दो मिनट के अंदर ही पंडित जी के लंड ने उनका साथ छोड़ दिया और पंडित जी ने भरभराकर अपने लंड का सारा पानी कोमल के मुंह के अंदर निकाल दिया ..
''अह्ह्ह्हह्ह्ह .....अह्ह्ह ओह्ह्हह्ह्ह्ह ....कोमल ......मैं तो गया ......अह्ह्ह्हह्ह ...''
और वो निढाल से होकर वहीँ उसकी बगल में गिर गए ..
आँखे बंद करके वो सोच रहे थे कि उन्होंने ये कैसा पंगा ले लिया है ...अपनी बहन से बेहतर बनने के लिए ये कुछ भी कर सकती है ..पर उसके लिए उन्हें क्या -२ सहन करना होगा ये तो आने वाला वक़्त ही बतायेगा ..
कोमल ने अपनी साँसे सम्भाली और फिर से पंडित जी से पुछा : "बोलिये न ..कौन चूसता है अच्छा ..''
कोमल को अपनी परफॉर्मन्स का रिजल्ट जल्द से जल्द जानना था .
पंडित : "निसंदेह तुम ..मुझे तो ऐसा लग रहा था कि मैंने अपना लंड किसी मशीन में डाल दिया है .."
अपनी सकिंग पावर कि तारीफ सुनकर वो फूली न समायी ..और पंडित जी से लिपट गयी ..
अचानक वो पंडित जी से बोली : "मुझे देखना है .."
पंडित जी : "क्या !! क्या देखना है ..?"
कोमल : "आप जो भी करते हो दीदी के साथ वो सब मुझे देखना है ..''
पंडित जी आँखे फाड़े उसकी तरफ देखे जा रहे थे कि वो आखिर चाहती क्या है ..
कोमल : "हाँ ...आपने सही सुना ..मुझे देखना है कि आप कैसे दीदी के साथ वो सब करते हो ..और वो कैसा फील करती है ..''
पंडित : "पर वो सब देखकर तुम्हे क्या मिलेगा ..?"
कोमल (थोडा सोचकर) : "हिम्मत ...मिलेगी मुझे ..''
पंडित जी समझ गए कि वो अपनी चुदाई से पहले देखना चाहती थी कि वो पंडित जी के लंड को सम्भाल भी पायेगी या नहीं ..
उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा : "ठीक है ...पर ये सब होगा कैसे ..?"
कोमल : "वो सब मैंने सोच लिया है ..कल माँ और पिताजी दो दिन के लिए गाँव जा रहे हैं ..सिर्फ मैं और दीदी ही होंगी अकेले ..आप कल रात को वहाँ आ जाना ..''
पंडित : "पर शीला तुम्हारे सामने कभी भी नहीं करेगी वो सब ..''
पंडित जी ने ये जान बूझ कर बोला था ..वर्ना वो अच्छी तरह से जानते थे कि शीला तो खुद अपनी बहन के साथ थ्रीसम का प्लान बनाकर बैठी है .
और पंडित जी चाहते तो अभी वो थ्रीसम कर सकते थे ..बस शीला के मन कि बात कोमल को बताने कि देर थी ..वो कभी मना नहीं करती ..पर अगर सब कुछ इतनी आसानी से हो जाए तो उसमे कोई मजा नहीं है, ये सोचकर उन्होंने कोमल को कुछ नहीं बताया ..और कोमल कि योजना को सुनने लगे ..
पूरी योजना सुनकर पंडित जी अवाक रह गए और बोले "क्या सच में तुम ऐसा करना चाहती हो ...."
कोमल : "हाँ ...तभी तो मैं वो सब देख पाऊँगी ..''
पंडित जी ने हामी भर दी और कल उनके घर आने के लिए बोल दिया ..
और कोमल कि योजना के अनुसार शीला को इस प्लान के बारे में कुछ भी नहीं बताना था ..
जाते-२ पंडित जी ने कोमल से कहा : "अच्छा सुनो ..तुम कल कोई सेक्सी से कपडे पहनना ...''
कोमल उनकी बात सुनकर मुस्कुराती हुई चली गयी ..
अगले दिन रात के दस बजे का इन्तजार करते-२ पंडित जी को ऐसा लगा जैसे सालों का इन्तजार कर रहे हैं वो .
और दस बजते ही पंडित जी शीला के घर कि तरफ चल दिए .
वहाँ पहुंचकर देखा कि पूरा घर अन्धकार में डूबा हुआ है ..उन्होंने धीरे से दरवाजा खड़काया ..और लगभग 2 मिनट के बाद अंदर से शीला कि आवाज आयी : "कौन है ..?"
पंडित : "मैं हु शीला ..''
शीला उनकी आवाज पहचान गयी ..और हेरान होते हुए दरवाजा खोल दिया ..
शीला : "अरे पंडित जी आप ...? इतनी रात को .."
पंडित जी उसको धक्का देते हुए अंदर घुस गए ..शीला ने भी बाहर निकल कर इधर उधर देखा और फिर पीछे से दरवाजा बंद करके वो भी अंदर आ गयी .
पंडित : "बस ऐसे ही ..आज ना तो तुम ही आयी और ना ही कोमल ..सोचा कि चलकर देख लू कि सब ठीक तो है न ..और वैसे भी तुमसे मिले बिना रहा नहीं जाता एक भी दिन ..''
शीला (धीरे से) : "आप भी न पंडित जी कमाल करते हैं ..आजकल कुछ ज्यादा ही शैतान हो गए हैं आप ..दरअसल ..आज कोमल कि तबीयत ठीक नहीं थी ..और माँ-पिताजी ने भी आज गाँव जाना था ..इसलिए मैं बाहर ही नहीं निकल पायी ..वर्ना आपसे मिलने का तो मेरा भी मन कर रहा था ..''
शीला ने एक पतला सा गाउन पहना हुआ था जिसे अंदर कुछ भी नहीं था ..और पंडित जी से बात करते-२ उसके निप्पल पुरे खड़े हो चुके थे और पंडित जी कि आँखों में वो शालीमार हीरे कि तरह चमक रहे थे .
शीला : "और तबीयत खराब होने कि वजह से कोमल भी दवाई लेकर जल्दी ही सो गयी ..''
पंडित : "तुम्हारे माँ-पिताजी के जाने कि बात तो मुझे कल ही कोमल ने बता दी थी ..इसलिए तो आया हु इस वक़्त तुमसे मिलने ..''
शीला : "पर ....वो ...अंदर कोमल भी तो है ...वो मेरे कमरे में ही सो रही है ..अगर उसकी नींद खुल गयी तो ..''
पंडित : "वो तो और भी अच्छा होगा, हमें वो सब करते देखकर उसका मन भी कर जाएगा ..और यही तो तुम भी चाहती हो न ..''
शीला : "हाँ ...मगर ऐसे नहीं ..उसे इस तरह नहीं पता चलना चाहिए ..आपने तो अभी तक कोई बात नहीं कि न उसके साथ .."
पंडित जी ने ना में सर हिलाया ..और ऐसा करते-२ उनका एक हाथ अपने लंड पर भी आ गया और वो उसे हिला कर खड़ा करने लगे ..
शीला भी उनकी हरकत देखकर अंदर से गर्म होने लगी ..पर उसे अपनी छोटी बहन के उठने का डर भी सता रहा था ..अब वो बेचारी क्या जानती थी कि ये तो खुद कोमल और पंडित जी का प्लान था ..
पंडित जी ने उसका हाथ पकड़ा और आगे चल दिए ..शीला के कमरे कि तरफ ..
शीला ने एकदम से अपना हाथ छुड़ाया : "ये क्या ...अगर कुछ करना ही है तो यहीं पर करो न पंडित जी ..वहाँ कोमल सो रही है ..''
पंडित : "अगर तुम कुछ करना चाहती हो तो वहीँ पर करना होगा ..तभी तुम्हारी शर्म निकलेगी अपनी बहन के सामने ..और वैसे भी वो दवाई ले कर सो रही है ..उसकी नींद नहीं खुलेगी ..सोचो ..तुम एक ही कमरे में नंगी होकर मुझसे चुदवा रही हो ..और सामने तुम्हारी बहन सो रही है ..''
पंडित जी ने उसे खुली आँखों से एक हसीं सपना दिखा दिया ..
वो भी उसे इमेजिन करते हुए पंडित जी के पीछे-२ अंदर आ गयी ..
और यही तो पंडित जी और कोमल का प्लान था ..पंडित जी को किसी भी तरह से शीला को सोती हुई कोमल के सामने चोदना था ..इस तरह से वो आसानी से उनकी चुदाई देख और सुन सकती थी ..
जब तक शीला पंडित जी को दोबारा रोक पाती वो दोनों उसके कमरे में पहुँच चुके थे ..अंदर जीरो वाल्ट का बल्ब जल रहा था ..और बिस्तर पर कोमल बड़े ही सेक्सी पोज़ में सो रही थी ..और पंडित जी के कहे अनुसार उसने एक छोटी सी सेक्सी सेटिन कि निक्कर और ऊपर उसी कपडे कि शर्ट पहनी हुई थी ..जो इतनी तंग और छोटी थी कि कोमल कि नाभि साफ़ सिख रही थी और उसने अंदर ब्रा नहीं पहनी थी इसलिए उसके निप्पल भी चमक रहे थे ..
अच्छा नाटक कर रही थी वो सोने का .
दूधिया रौशनी में उसका गोरा बदन पूरी तरह से चमक रहा था ..पंडित जी का लंड उसे देखकर पूरा खड़ा हो गया ..
शीला अब भी उन्हें खींचकर बाहर चलने का इशारा कर रही थी ..पंडित जी ने होंठों पर ऊँगली रखकर उसे चुप कराया और धीरे से फुसफुसाए : "बाहर नहीं ...यहीं पर करेंगे आज ..इसी पलंग पर ...अब बस मजे लो ...कुछ बोलना नहीं ...वर्ना वो उठ जायेगी ..''
पंडित जी ने उसे बोलने के लिए इसलिए भी मना किया था क्योंकि वो नहीं चाहते थे कि शीला के मुंह से कोई ऐसी बात निकल जाए जिससे कोमल को ये पता चल जाए कि उसकी बहन के मन में क्या चल रहा है ..
और दूसरी तरफ शीला कि चूत में से भी गर्म रस निकलकर उसकी जाँघों तक बहने लगा था ..सिर्फ ये सोचकर कि आज पंडित जी उसे उसकी छोटी बहन के सामने ही चोदने कि बात कर रहे हैं ..और वो भी एक ही बिस्तर पर ..इतना काफी था उसकी टांगो के बीच में से चूत का रस निकालने के लिए .
पंडित जी ने शीला को अपने गले से लगा लिया ..और उन्हें अपनी छाती पर उसकी मिसाईल पर लगी नोक बुरी तरह से चुभ रही थी .
और जब वो उसे गले मिल रहे थे तो उनका चेहरा कोमल कि तरफ था ..रौशनी कम थी पर फिर भी ध्यान से देखने पर पंडित जी को कोमल कि खुली हुई आँखे साफ़ दिख रही थी ..उन्होंने आँख मारकर उसे आगे का खेल देखने के लिए कहा ..
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