RE: Porn Kahani भोली-भाली शीला
पंडित & शीला पार्ट--58
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गतांक से आगे ......................
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पंडित जी ने पलक झपकते ही शीला का गाउन उतार फेंका ..उसने ब्रा तो पहनी नहीं थी इसलिए उसकी मोटी - २ छातियाँ झूलती हुई पंडित जी के सामने आ गयी ..नीचे उसने सिर्फ एक पतली सी पेंटी पहन रखी थी .
पंडित जी नीचे झुके और उन्होंने शीला कि डाली में से बेर पकड़कर अपने मुंह में डाल लिया और उसे चूसकर उसका स्वाद लेने लगे ..
शीला बीच कमरे में ऊपर से नंगी होकर खड़ी थी ..वो सिर्फ अपनी आँखे बंद करके सिस्कारियां मारने के सिवाए कुछ नहीं कर पा रही थी .
अपने बांये हाथ को पंडित जी ने उसकी चूत कि तिजोरी में डाला और अपनी बीच वाली ऊँगली को चाभी बनाकर वहाँ का ताला खोल दिया ..
पंडित जी को ऐसा लगा कि उनकी ऊँगली मोम से बनी हुई है जिसे उन्होंने किसी आग कि भट्टी के अंदर डाल दिया है .
काफी देर तक उसके बेर का स्वाद लेने के बाद उन्होंने दूसरे बेर को भी उतनी ही देर तक चखा ..तब तक शीला कि भी हालत बुरी हो चुकी थी ..उससे जब सहन नहीं हुआ तो उसने पंडित जी का चेहरा ऊपर उठाया और अपने होंठों से लगा कर उनका रस पीने लगी ..
पंडित जी को चूमते हुए उसके चेहरे पर असीम सी ख़ुशी थी ..
शायद अपनी बहन के सामने वो सब करने कि ख़ुशी थी ..
शीला तो पंडित जी के साथ रासलीला करने में मग्न थी और ये भी नहीं जानती थी कि वो सब उसकी छोटी बहन साफ़ देख पा रही है ..वैसे भी अभी तक तो शीला कि पीठ थी कोमल कि तरफ इसलिए कोमल को ज्यादा सावधानी नहीं बरतनी पड़ रही थी और वो खुली आँखों से सारा ज्ञान बटोर रही थी .
पंडित जी ने शीला को नीचे धक्का दिया और एक ही झटके में अपने कपडे उतार कर अपना खुन्कार लंड उसके मुंह में धकेल दिया ..और वो भी भूखी लोमड़ी कि तरह उनके लंड को कुतर कुतर कर खाने लगी .
नीचे बैठ जाने कि वजह से शीला तो कोमल कि आँखों से ओझल सी हो गयी थी ..इसलिए वो अब खुलकर अपने शरीर को पुरे बिस्तर पर मचला रही थी ..ऐसा लग रहा था कि पंडित जी कर तो शीला के साथ रहे हैं पर मजे कोमल को मिल रहे हैं .
वो बड़ी ही प्यासी नजरों से पंडित जी को देख रही थी ..उसकी नजर रह -रहकर उनके लंड कि तरफ जा रही थी ..पर उसकी बड़ी बहन कि वजह से वो उनके लंड को देख ही नहीं पा रही थी ..पूरा निगल चुकी थी शीला पंडित जी के लंड को ..
अपने शरीर से नियंत्रण खोता जा रहा था कोमल का ..उसने एक तीखी सी सिसकारी लेते हुए अपना हाथ अपने शॉर्ट्स के अंदर खिसका दिया ..और गीले पार्क के अंदर अपनी उँगलियों से खुदाई करने लगी .
पंडित जी के सामने इतना उत्तेजक दृश्य था ..नीचे शीला बैठ कर उनका लंड चूस रही थी और सामने उसकी छोटी बहन कोमल अपनी जवानी का जलवा दिखाकर उनके लंड के अंदर एक नए रक्त का संचार कर रही थी .
और कोई होता तो कोमल को साथ मिलाने में जरा भी देरी ना करता ..पर पंडित जी जानते थे कि कोमल को जितना तरसायेंगे वो बाद में उतना ही मजा देगी ..अभी ना सही कल तो उसे उनके लंड के नीचे आना ही है .
यही सोचकर उन्होंने अपना सारा ध्यान शीला कि तरफ कर दिया ..
उन्होंने उसे उठाया और ऊपर लेजाकर कोमल कि बगल में लिटा दिया ..कोमल ने पहले से ही अपनी हालत सुधार ली थी और फिर से बुत्त बनकर सोने का नाटक करने लगी ..
पंडित जी ने शीला को पेट के बल लिटा दिया ..ताकि कोमल वो सब आसानी से देख सके जो पंडित जी उसके साथ करना चाह रहे हैं ..अब कोमल ने अपनी आँखे खोल ली थी और सिर्फ एक फुट कि दूरी से वो सब देख रही थी जिसके लिए वो ना जाने कब से तरस रही थी .
पंडित जी ने अपनी खुरदुरी जीभ शीला कि कमर पर रख दी और उसे नीचे से ऊपर कि तरफ चाटना शुरू कर दिया ..
''अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ...स्स्स्स्स्स्स्स्स्स ....उम्म्म्म ...पंडित जी ......अह्ह्हह्ह ....क्यों तरसा रहे हो ...जल्दी आओ न अब ..''
उसके जिस्म के नमक को पंडित जी अपनी जीभ से इकठ्ठा करते हुए निगल गए .
अब वो बेचारी शीला को क्या समझाते कि वो इतनी देरी क्यों लगा रहे हैं, वो तो कोमल को अपनी कला का नमूना दे रहे थे ..और उनकी कला का प्रभाव कोमल पर अंदर तक पड़ रहा था .
फिर उन्होंने शीला सीधा करके पीठ पर लिटा दिया ..और अब उसकी महकती हुई, दहकती हुई , रसीली ,मीठी सी चूत उनके सामने थी ..उन्होंने बिना उसकी पेंटी उतारे अपना चेहरा उसकी टांगो के बीच डाला और उसकी मोटी सी चूत को अपने मुंह के अंदर भरकर एक जोरदार कट्टी मार ली .
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''अह्ह्ह्ह्ह्ह्य्य्य्य्य्य ........मार्र्र्र्र .....गयी .....अह्ह्ह्हह्ह .....पंडित जी ......क्या करते हो ....कच्चा खा जाओगे क्या ....अह्ह्ह्हह्ह्ह .....''
शायद आवेश में आकर पंडित जी ने अपने पैने दांत कुछ ज्यादा ही तेज मार दिए थे शीला के खजाने पर ..
और उसका भुगतान करते हुए उन्होंने बड़े ही प्यार से उसकी चूत को सहलाना शुरू कर दिया ..और अपने मोटे-२ होंठों के बीच उसकी चूत के पतले होंठ फंसाकर उन्हें मरहम लगाने लगे .
अपनी बहन कि चूत के साथ ऐसा खिलवाड़ होता देखकर कोमल को जलन सी होने लगी ..वो सोचने लगी कि वो सब उसके साथ क्यों नहीं हो रहा ..और मन ही मन अपने आप को कोसने लगी कि उसने पहले से ही पंडित जी को क्यों नहीं कहा उसके साथ भी ये सब करने को ...कितना मजा आए रहा है दीदी को ..काश वो मजा इस समय उसे भी मिल सकता ..
वो सोच ही रही थी कि पंडित जी का एक हाथ सीधा आकर उसकी चूत से टकराया ...उसका पूरा शरीर सिहर सा उठा ..शीला तो अपनी चूत चुस्वाने में बिज़ी थी इसलिए उसकी आँखे बंद थी ..
पंडित जी ने बिना देरी किये अपना हाथ उसकी शॉर्ट्स के अंदर डाल दिया ..और उसकी कुंवारी चूत के छत्ते से ढेर सारा शहद निकाल कर बाहर ले आये ..और सीधा अपने मुंह में लेजाकर उसे निगल गए ..
वाह .....इतना मीठा शहद ....उनकी प्यास और भी बड़ उठी ...उनका हाथ फिर से वहाँ गया और फिर से अपनी गीली उँगलियाँ लेकर बाहर निकला ..पर इस बार उन्होंने उन उँगलियों को खुद चाटने के बजाये शीला के मुंह कि तरफ खिसका दिया ...जिसे वो प्यासी कुतिया कि तरह चूस गयी ..
वो सोच रही थी कि पंडित जी उसका खुद का रस उसे चटा रहे हैं ..पर वो नहि जानती थी कि ये तो उसकी कुंवारी बहन कि चूत का पानी है ..
अब पंडित जी से भी सहन करना मुश्किल हो रहा था ..
वो अपने घुटनों को मोड़ कर शीला कि टांगों के बीच आ गए ..और अपने ढोलू को उसकी ढोली पर रखकर एक जोरदार झटका मारा ..और एक ही बार में पूरा का पूरा उसके अंदर घुस गए ..
शीला आनद से चीत्कार उठी ..
''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .....उम्म्म्म्म्म्म ...पंडित जी ..... येस्स्स्स .....अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ........अब मत तरसाओ ....मारो जोर से ....अपने धक्के ....चोदो अपनी रांड को .....चोदो मुझे .....जोर से .......''
अपनी बहन के मुंह से रंडियों जैसी बातें सुनकर कोमल कि हैरानी कि सीमा नहीं रही ..पर साथ ही साथ वो ये सब खुद भी बोलना चाह रही थी ..क्योंकि माहोल ही ऐसा बन चुका था वहाँ का ..अगर अपनी दीदी कि जगह वो खुद वहाँ होती तो शायद वो भी यही कहकर चिल्ला रही होती ..
अब शीला ऐसे चिला रही थी जैसे उसे अपनी बहन के होने या ना होने से कोई फर्क ही नहीं पड़ता ..अगर कोमल सच में भी सो रही होती तो इस वक़्त उसकी तेज चीखों से वो जरुर जाग चुकी होती .
पंडित जी ने पुरे पंद्रह मिनट तक उसको नीचे लिटा कर चोदा ..और फिर जब वो थक से गए तो वो खुद नीचे लेट गए और शीला को ऊपर आने के लिए कहा ..शीला भी आज पुरे मूड में थी ..उसने पंडित जी के पैरों कि तरफ मुंह कर लिया और उनके लंड को निगल कर उनपर बैठ गयी ..
और फिर शुरू हुआ अंतरिक्ष कि सैर का सिलसिला ..शीला पंडित जी के उड़नखटोले पर बैठकर अंतरिक्ष कि सैर पर निकल गयी ..और उन दोनों का हर झटका दोनों को चरम सुख कि तरफ धकेल रहा था ..
और अंत में दोनों ने एक साथ अपने-२ रस का त्याग कर दिया ..
''अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ......शीला .......मेरी जान .....अह्ह्ह्हह्ह ........मैं आया .....अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ....''
और पंडित जी के लंड कि सफ़ेद धार उसकी चूत कि दीवारों कि सफेदी करने लगी .
पूरी तरह से निढाल होकल शीला उनके ऊपर से उतरी और अपनी चूत से दोनों के रस को जमीन पर गिरने से बचाने के चक्कर में जल्दी-२ भागकर वो बाथरूम के अंदर चली गयी ..
उसके जाते ही कोमल किसी चीते कि तरह उनके गीले लंड के ऊपर लपकी और पलक झपकते ही अपनी बहन और पंडित जी के मिले जुले रस के मिश्रण को चट कर गयी ..
और अपनी बहन के आने से पहले फिर से उसी अवस्था में सो गयी .
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