Hindi Chudai Kahani हमारा छोटा सा परिवार
02-10-2018, 12:24 PM,
RE: Hindi Chudai Kahani हमारा छोटा सा परिवार
मम्मी के सिस्कारियां शुरू हुईं तो उन्होंने रुकने का नाम ही नहीं लिया। अक्कू के हर धक्के से मम्मी का सारा शरीर सर से पैर तक हिल उठा। 

"आअह अक्क्कूऊऊ ज़ोर से चोदो अक्कूऊऊऊ आअन्न्न्ह्ह आआह्ह्ह बेटाआआआआ ज़ोओओओओररर से चोदो मुझे। "

मम्मी अक्कू के धक्कों से बिलबिला उठीं पर उनके कामोन्माद की पराकाष्ठा वायु मंडल के भी दूर तक चली गयी। 

अक्कू ने अपने हाथो को बिस्तर पर टिका कर मम्मी की चूत का मर्दन स्नेह भरे निर्मम प्रचंड प्रहारों से जो प्रारम्भ किया उसके बाद उसने बिलकुल भी शिथिलता नहीं दिखाई। 

मम्मी अब अपने लाडले के हाथों में मोम की तरह पिघल गयीं। अक्कू जैसे चाहे मम्मी को तराश सकता था। 

अक्कू ने मम्मी को एक बार झाड़ा और फिर मम्मी की रति-निष्पति मानो एक लम्बी जंजीर बन गयी। 

जब अक्कू दुबारा मम्मी की चूत में झड़ा तब तक मम्मी अनगिनत अविरत चरमानंद के अतिरेक से अभिभूत हो बिस्तर पर निष्चल ढलक गयीं। 

मैं भी पापा के लंड के ऊपर अपनी चूत रगड़ते हुए अनेक बार चरम-आनंद की बौछारों से गीली हो गयी। 
मैं अपने अनगिनत चरम-आनन्दों की बौछारों से विचलित हो कर पापा से लिपट गयी। पापा ने दोनों उभरते उरोज़ों को अपने विशाल हाथों में भर कर मसलते हुए मुझे प्यार से चूमा। मेरे दमकते चेहरे पर पसीने की बूँदें फ़ैल गयीं थीं। रात की रानी की सुगंध हौले से कमरे में समा कर हमारे अगम्यगमनी सम्भोग के रस के महक से मिल गयी। 

अक्कू ने मम्मी के पसीने से चमकते सुंदर मुंह को चूम चूम कर और कर दिया। 

मम्मी ने मुस्करा कर कहा ,"मेरे लाडले का मूसल लंड अभी भी अपनी माँ की चूत में तनतना रहा है। अब अक्कू तू मेरे कर मुझे और चोद। "

मम्मी ने पलट कर अपना मांसल गदराया दैव्य सैंदर्य से भरा शरीर अक्कू के लिए पूरा खोल दिया। 

अक्कू ने मम्मी के गदराई जांघों को फैला कर अपना लंड मम्मी के मलाशय के छोटे से छेद पर लगा कर एक ज़ोर का धक्का मारा । 

"ह्ह्ह्य अक्कू कितने बेदर्दी से तुमने मेरी गांड में अपना मोटा लंड घुसा दिया ?" मम्मी के उल्हने में वात्सल्य, वासना की उमंग और अक्कू के सम्भोग-कौशल के लिए गर्व भी। 

अक्कू ने मुस्करा कर मम्मी के अध-खुले मीठे मुंह के ऊपर अपना मुंह दबा लिया और भीषण धक्कों से अपना पूरा लंड मम्मी के में जड़ तक ठूंस दिया। 

मम्मी बिलबिला उठीं पर उनकी चीखें अक्कू के मुंह में दब गयीं। 

मैंने तड़प कर पापा से कहा ,"पापा, अब मुझसे नहीं रहा जाता। प्लीज़ मुझे अब चोदिये। "

पापा ने मुझे प्यार से पलंग पर लिटा दिया और पलंग के पास की मेज पर राखी शीशी से द्रव्य अपने महाकाय लंड के ऊपर बूँद बूँद टपका कर उसे गोले के तेल से नहला दिया। मेरे शरीर और मन में सन्निकट पापा के विकराल लंड के आक्रमण के विचार से सनसनी फ़ैल गयी। ना चाहते हुए भी मेरे होंठों से मेरे मस्तिष्क में मचलते शब्द निकल गए ," पापा क्या मैं आपका इतना अपने चूत में ले पाऊंगीं 

? "

पापा ने मेरी गोल मांसल जांघों को पूरा फैला कर अपना लंड का अविश्विसनीय महाकाय सुपाड़ा मेरी कुंवारी अक्षतयोनी के तंग रति रस से लबलबाये संकरे द्वार के ऊपर टिका कर कोमलता से मुझे सान्तवना दी ," सुशी बेटा जितना लंड तुम आराम से ले पाओगी उतने से ही तुम्हे चोदूंगा। "

मेरे हृदय में हलचल मच उठी। मैंने अपने डर को दिखा कर पापा को मुझे मम्मी की तरह चोदने से संकुचित कर दिया। मैंने मन ही मन अपने को प्रतारणा दी और जल्दी से बोल उठी, "पापा मेरा वो मतलब नहीं था। मैं तो आपके आनंद के बारे में सोच रही थी। यदि आप मुझे मम्मी के समान नहीं चोद पाये तो मुझे बहुत बुरा लगेगा। आप मुझे अपने पूरे लंड से चोदियेगा पापा, प्लीज़। यदि आपने अपना पूरा लंड मेरी चूत में नहीं डाला तो मैं आपसे कभी भी बात नहीं करूंगीं। 

पापा ने हलके से हंस कर मुझे कस कर चूमा , "मैं अपनी प्यारी बेटी को क्या कभी नाराज़ कर सकता हूँ। पर बेटा जब मैं लंड अंदर डालूँगा तो तुम्हे दर्द होगा। सुशी तुम अपने पापा को क्षमा कर दोगी न तुम्हे दर्द करने के लिए। "

"पापा, आप मुझे लड़की से स्त्री बना रहे हैं। पहली बार की चुदाई में दर्द तो होगा ही। उस दर्द में आपका मेरे लिए प्रेम भी तो मिश्रित होगा। आप मेरे दर्द की बिलकुल फ़िक्र न करें। " मैंने पापा के सुन्दर मुंह को चुम कर उन्हें उत्साहना दी। 

पापा ने अपना भारी विशाल शरीर से मेरा नन्हा अविकसित मुश्किल से किशोरावस्था के पहले वर्ष के विकास से भरा शरीर को धक दिया। 

पापा ने मेरे मुंह को अपने मुंह से दबा कर कर अपना महाकाय लंड का सुपाड़ा मेरी नन्ही कमसिन अविकसित चूत में दबाने लगे। मैं अपनी चूत को फैलता हुआ महसूस कर बिलबिला उठी। 

पापा ने मुझे अपने नीचे दबा कर निस्सहाय कर दिया था। मेरी चूत का संकरा गलियारा पापा के विकराल लंड के सुपाड़े के प्रभाव से फैलने लगा। पापा ने एक बेदर्द धक्के से पूरा सुपाड़ा मेरी चूत में धकेल दिया। मेरी चीख मेरे रुआंसे मुंह से उबल पड़ी। 

मेरे नाख़ून पापा के बलशाली बाज़ुओं की त्वचा में गढ़ गए। पापा ने मुझे नन्ही बकरी के तरह दबोच कर एक और भीषण धक्का मारा। उनका विशाल अमानुषिक लंड के कुछ इंच मेरी चूत में उस तरह प्रवेश हो गए जैसे मस्त हाथी गन्ने के खेत में घुस जाता है। मैं दर्द के अधिकाय से बिलबिला उठी। मेरी आँखों में गरम आंसू भर गए। मेरी चीख पापा ने मुंह में भर गयी। 
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