Hindi Sex Porn खूनी हवेली की वासना
07-01-2018, 12:05 PM,
#4
RE: Hindi Sex Porn खूनी हवेली की वासना
खूनी हवेली की वासना पार्ट --4

गतान्क से आगे........................

"ह्म्‍म्म" शर्मा ने कहना शुरू किया "तो सर जिस वक़्त खून हुआ उस वक़्त हवेली में 11 लोग थे.

1. पुरुषोत्तम सिंग - ठाकुर साहब का सबसे बड़ा बेटा. बेहद शरीफ इंसान. काम सार खुद देखता है. या ये कह लीजिए के ठाकुर साहब का पूरा बिज़्नेस अकेले ही चलाता है. स्कूल कुच्छ टाइम तक यहाँ शहर में गया और उसके बाद ठाकुर साहब ने उसको लंडन पढ़ने के लिए भेज दिया. वो अपनी पढ़ाई पूरी करके आया तो ठाकुर साहब ने उसकी शादी करा दी और अब पूरा काम वही देखता है. उसके बारे में जो यहाँ आस पास बात उड़ी हुई है वो ये है पुरुसोत्तम नमार्द है साला"

"नमार्द?" ख़ान ने सवालिया नज़र से शर्मा की तरफ देखा

"खड़ा नही होता साले का" शर्मा हस्ते हुए बोला "और आप तो जानते ही हो सर, ये बातें च्छुपति नही. कहते हैं के शादी से पहले दोस्तों के साथ एक पार्टी करी, वहाँ कुच्छ रंडिया बुलाई गयी पर बेचारे ठाकुर साहब कुच्छ कर ही नही सके क्यूंकी उनका खड़ा ही नही हुआ. कितनी सच्चाई है ये तो बस पुरुषोत्तम ही जानता है"

"ह्म्‍म्म्म" ख़ान ने हामी भरी"

"दूसरा तेजविंदर" शर्मा ने बात जारी रखी "ठाकुर साहब का दूसरा बेटा. एक नंबर का आय्याश और रंडीबाज. इलाक़े में शायद ही कोई रंडी बची हो जिसके साथ वो ना सोया हो. ज़्यादातर वक़्त शराब के नशे में रहता है और अपने बड़े भाई की तरह वो पढ़ने के लिए लंडन नही गया. उसके बारे में बात ये उड़ी हुई है के वो आजकल ठाकुर साहब से बटवारे को लेकर अक्सर लड़ता था. उसका गुस्सा बहुत मश-हूर है. माथा गरम हो जाए तो फिर वो कुच्छ नही देखता"

"ओके" ख़ान ने कहा

"तीसरा कुलदीप. ठाकुर साहब का सबसे छ्होटा बेटा. उसके बारे में ज़्यादा कुच्छ नही जानता क्यूंकी वो बहुत छ्होटा था जब उसको लंडन भेज दिया गया था. उस वक़्त पुरुषोत्तम भी लंडन में ही था इसलिए वो अपने भाई के साथ रहा. बाद में पुरुषोत्तम वापिस आ गया पर कुलदीप पढ़ाई पूरी करने के लिए वहीं रुका रहा. आजकल च्छुतटियों में आया हुआ है"

"ह्म्‍म्म्म"

"कामिनी. ठाकुर साहब की एकलौती बेटी और उनकी आँखों का सितारा. उसको बहुत चाहते थे ठाकुर साहब. उसको लोग या तो गूंगी कामिनी कहते हैं या पागल कामिनी"

"ऐसा क्यूँ?" ख़ान ने पुचछा

"कुच्छ बोलती नही सर" शर्मा बोला "चुप रहती है बिल्कुल. आजकल शायद ही गाओं में किसी ने उसको बात करते सुना हो. कुच्छ लोग कहते हैं के उसपर भूत का साया है और कुच्छ कहते हैं के पागल है दिमाग़ से और इसलिए ही ठाकुर साहब इतना लाड करते थे उसको"

"जै. ठाकुर साहब के छ्होटे भाई के बेटा और आक्च्युयली खानदान का सबसे बड़ा बेटा. ठाकुर साहब के तीनो बेटे हैं बेटी उससे छ्होटी हैं. वो कोई 15-16 साल का होगा जब उसके माँ बाप एक कार आक्सिडेंट में मारे गये और उसके बाद वो कुच्छ टाइम तक हवेली में रहा. फिर एक दिन अचानक ठाकुर साहब ने उसको हवेली से निकाल दिया और जायदाद का एक छ्होटा सा हिस्सा उसके नाम कर दिया. कोई नही जानता के ऐसा क्यूँ हुआ पर जै प्रॉपर्टी को लेकर ठाकुर साहब से केस लड़ रहा था"

"रूपाली" शर्मा बोला "ठाकुर साहब की बहू. उसके बारे में क्या बताऊं सर. बहुत सारी बातें उड़ी हुई हैं"

"जैसे के?" ख़ान बोला

"जैसे के लोग कहते हैं उसका कॅरक्टर एक रंडी की सलवार के नाडे से भी ज़्यादा ढीला है"

"अच्छा?" ख़ान हस्ता हुआ बोला "और?"

"ठाकुर खानदान से ही है और उसका बाप भी काफ़ी रईस है. लोग कहते हैं के जब उसकी शादी हुई उससे पहले वो पेट से थी और बच्चा गिराया गया था इसलिए उसके घर वालों ने जल्दी जल्दी में शादी कर दी. कुच्छ तो ये तक कहते हैं के ठाकुर साहब को अपनी बहू का कॅरक्टर पता था पर वो ये भी जानते थे के उनका बेटा नमार्द है इसलिए उन्होने भी शादी से इनकार नही किया"

"ह्म्‍म्म्मम" ख़ान ने गर्दन हिलाई

"इंद्रासेन राणा" शर्मा बोला "या शॉर्ट में इंदर. रूपाली का भाई. उसके बारे में मैं कुच्छ नही जानता सर सिवाय इसके के शहर में ही रहता है और कुच्छ बिज़्नेस करता है. उस रात अपनी बेहन से मिलने आया हुआ था"

"ओके" ख़ान बोला

"सरिता देवी" शर्मा ने बात जारी रखी "ठाकुर साहब की धरम पत्नी यानी के ठकुराइन. कई साल पहले सीढ़ियो से गिर गयी थी जिसके बाद से व्हील चेर पर ही बैठ गयी. ठाकुर साहब ने बहुत इलाज कराये, देसी और विदेशी दोनो पर कुच्छ नही हुआ. उनके बारे में यही है के बहुत बड़ी पुजारन हैं, धरम करम में पूरा विश्वास है बस. चल फिर नही सकती इसलिए हर काम एक नौकरानी ही करती है"

"अब आते हैं नौकरों पर सर" शर्मा बोला "यूँ तो हवेली में बहुत सारे नौकर हैं पर सब सुबह आते हैं और शाम तक अपने अपने घर चले जाते हैं. 4 ऐसे हैं जो हवेली में ही रहते हैं. उनमें से वो जो बुड्ढ़ा एक खड़ा था वहाँ वो था भूषण. हवेली का सबसे पुराना और वफ़ादार नौकर. ठाकुर साहब की गाड़ी चलाता था और ज़्यादातर काम वही देखता था. शादी उसने कभी की नही और अपनी सारी ज़िंदगी ठाकुर खानदान की नौकरी करने में ही गुज़री है"

"ओके"

"वो जो ठकुराइन के पिछे उनकी व्हील चेर पकड़े खड़ी थी वो थी बिंदिया. गाओं की ही एक औरत है. उसका पति ठाकुर साहब के खेतों में काम करता था. जब वो मरा तो ठाकुर साहब ने उसको हवेली में ही रख लिया ताकि ठकुराइन की देख-भाल कर सके."

"पायल. बिंदिया की बेटी. वहीं हवेली में अपनी माँ के साथ रहती है"

"चंदर या चंदू कह लीजिए. गूंगा है, बोल नही पाता. उसके माँ बाप जब वो छ्होटा था तब ही मर गये थे उसके बाद से बिंदिया ने उसको पाल पोसकर बड़ा किया. अपना बेटा कहती है उसको. वो भी वहीं उसके पास ही हवेली में रहता है"

"ह्म्‍म्म्मम" ख़ान ने एक सिगरेट जलाई "अब देखना ये है के इनमें से किसके पास ठाकुर साहब को मारने की वजह थी और किसने उस रात ये काम किया. मुझे पूरा यकीन है के बाहर का कोई नही था. इन्ही में से किसी ने ये काम किया है और ग़लत टाइम पर वहाँ पहुँच गया जै"

"सर आपको इतना यकीन कैसे है के उसने ही मर्डर नही किया?" शर्मा ने पुछा

"पता नही यार. किया भी हो सकता है पर जाने क्यूँ मुझे लगता है के वो वहाँ बस ग़लत टाइम पर था. इतना बेवकूफ़ नही लगता वो शकल से. अगर उसको ठाकुर का खून करना ही होता तो उस वक़्त क्यूँ करता जब पूरी दुनिया हवेली में मौजूद थी और वो पकड़ा जाता"

"ह्म्‍म्म .. " शर्मा ने गर्दन हिलाई.

रूपाली का जन्म एक ज़मींदार के घर में हुआ था इसलिए बचपन से ही उसको कोई कमी नही थी. जो चीज़ चाही, वो माँग ली और मिल भी जाती थी. घर पर सिर्फ़ उसके पिता, उसकी माँ और एक छ्होटा भाई था. बड़ा सा घर जिसमें बहुत सारे नौकर और एक छ्होटा सा परिवार. यही वजह थी के बहुत ही कम उमर में उसने बडो वाले खेल देख भी लिए थे और खेल भी लिए थे.

उसकी उमर कोई 14-15 साल की रही होगी जब उसने पहली बार एक आदमी और एक औरत को जिस्मानी संबंध बनाते हुए देखा. सनडे का दिन था. उस दिन उसके माँ बाप मंदिर जाया करते थे. सुबह सुबह तड़के निकल जाते थे और 11 बजे तक वापिस नही आते थे. उन्होने लाख कोशिश की थी के रूपाली भी सुबह सुबह उठकर उनके साथ चले पर रूपाली ना तो कभी इतनी सुबह उठ पाती थी और ना ही वो कभी मंदिर गयी.

हर सनडे की तरह उस दिन भी घर पर वो अकेली थी. माँ बाप भाई मंदिर के लिए जा चुके थे जहाँ से उन्होने 11 बजे तक वापिस नही आना था. सनडे के दिन सब नौकरो की छुट्टी होती थी. सिर्फ़ दो नौकर घर पर होते थे. एक सफाई करने वाली कल्लो और दूसरे उनके घर पर खाना बनाने वाले शंभू काका. 11 बजे तक वो दोनो अपना काम करते रहते थे और रूपाली अपने कमरे में पड़ी सोती रहती थी.

शंभू की उमर कोई 60 के पार थी और वो रोज़ ही आकर 3 वक़्त का खाना बना जाया करता था. कल्लो की उमर भी 40 के आस पास ही थी. उसके रंग एक दम उल्टे तवे जैसा काला था जिसकी वजह से सब उसको कल्लो कहा करते थे. उसका असली नाम क्या था, ये तो शायद बस वो खुद ही बता सकती थी.

यूँ तो रूपाली सनडे को 10-11 बजे से पहले बिस्तर नही छ्चोड़ती थी पर उस दिन नींद ना आने की वजह से वो 8 बजे ही बिस्तर से निकल गयी. थोड़ी देर यूँ ही बेड पर बैठे रहने के बाद उसने शंभू काका को चाइ के लिए बोलने की सोची और बिस्तर से निकली.

पूरा घर खाली पड़ा था. वो खुद भी जानती थी के आज घर पर सिर्फ़ कल्लो और शम्भी काका ही होंगे. आँखें मलति वो किचन तक पहुँची पर वहाँ कोई भी नही था. उसने ड्रॉयिंग रूम की तरफ देखा पर उधर भी कोई नज़र नही आया. वो शंभू काका का नाम पुकारने ही वाली थी के एक हसी की आवाज़ सुनकर चुप हो गयी. आवाज़ उसके माँ बाप के कमरे से आ रही थी.

एक पल के लिए रूपाली को लगा के उसके माँ बाप घर पर ही हैं पर जब हसी की आवाज़ दोबारा आई तो वो समझ गयी के ये आवाज़ उसके माँ बाप की नही है. रूपाली को कुच्छ ठीक नही लगा और उसने फिर शंभू काका का नाम पुकारना ठीक नही समझा. दबे पावं से वो अपने माँ बाप के कमरे तक पहुँची. दरवाज़ा बंद था और अंदर से लॉक्ड था.

रूपाली कमरे के बाहर खड़ी सोच ही रही थी के वो हसी की आवाज़ फिर से आई और इस बार रूपाली समझ गयी के आवाज़ कल्लो की थी. रूपाली सोच में पड़ गयी. कल्लो उसके माँ बाप के कमरे में, अंदर से दरवाज़ा बंद, रूपाली को कुच्छ ठीक नही लगा. अंदर क्या हो रहा था वो नही जानती थी पर ये समझ गयी के वो कुच्छ था ग़लत था इसलिए ही दरवाज़ा बंद है. वरना नौकरों का उसके माँ बाप के कमरे में क्या काम.

रूपाली के छ्होटे भाई इंदर का कमरा बिल्कुल उसके माँ बाप के कमरे से लगता हुआ था जबकि खुद रूपाली का कमरा 1स्ट्रीट फ्लोर पर था. पहले नीचे का वो कमरा रूपाली का हुआ करता था पर जब वो थोड़ा बड़ी हुई तो उसको उपेर वाला कमरा दे दिया गया और उसका छ्होटा भाई जो पहले अपने माँ बाप के साथ सोया करता था अब उस कमरे में सोने लगा. दोनो कमरो के बीच एक अडजाय्निंग दरवाज़ा था जिसका मकसद सिर्फ़ ये थे के अगर बच्चा रात को डरकर उठे तो उसके माँ बाप फ़ौरन वहाँ पर आ सकें. रूपाली को याद था के वो जब वो छ्होटी थी तो बहुत डरती थी जिसकी वजह से उसके माँ बाप उस दरवाज़े को अक्सर खुला रखते थे ताकि वो दोनो उसको देख सकें और रूपाली डरे नही.

धीरे धीरे रूपाली खामोशी से अपने भाई के कमरे में दाखिल हुई. वो कमरा कभी उसका खुद का हुआ करता था इसलिए वो अच्छी तरह से उस कमरे को पहचानती थी. 2 कमरो के बीच का दरवाज़ा पुराने ज़माने के दरवाज़ो की तरह था यानी किसी खिड़की की तरह 2 किवाड़ थे जो बंद करके बीच में एक कुण्डा लगाया जाता था. एक साल बहुत ज़्यादा बारिश की वजह से दरवाज़ा सील गया था जिसकी वजह से ढंग से बंद नही होता था. बंद होने के बाद भी दोनो किवाडो के बीच इतनी जगह बच जाती थी के उसमें से दूसरे कमरे में देखा जा सके. रूपाली दरवाज़े के पास पहुँची और झाँक कर अपने माँ बाप के कमरे में देखा. यूँ तो उस दरवाज़े पर एक परदा हुआ करता था पर किस्मत से आज परदा खुला हुआ नही था. दरवाज़े में से देखते ही रूपाली को जो नज़र आया उसने उसकी आँखें खोलकर रख दी.

एक पल के लिए रूपाली को समझ नही आया के वो क्या देख रही है या जो वो देख रही है वो क्या है. आँखें मलकर उसने दोबारा देखा तो मंज़र वैसा ही था. रूपाली ने गौर से देखना शुरू किया और समझना चाहा के अंदर हो क्या रहा है.

पहली चीज़ जो उसको दिखी वो था कल्लो का चेहरा. बॉल बिखरे हुए, माथे पर पसीना, आँखें फेली हुई, और मुँह खुला हुआ. उसकी एल्बोस बेड पर थी और जो झुकी हुई थी जिसकी वजह से उसके बॉल बार बार उसके चेहरे पर गिर जाते थे जिनको वो एक हाथ से अपने चेहरे से हटा देती थी. उसका सर आगे पिछे हो रहा था जैसे वो हिल रही हो और हर बार जैसे ही हो आगे को होती, उसके मुँह से आह ऊह जैसी आवाज़ निकलती.

अगली चीज़ जिसपर रूपाली का ध्यान गया वो थी कल्लो की चूचियाँ जिन्हें देखकर रूपाली का मुँह खुला रह गया. उसने एक 2 बार अपनी माँ को ब्रा में देखा था पर कल्लो की छातियाँ देखकर तो वो हैरत मान गयी. कल्लो आगे को झुकी हुई थी जिसकी वजह से उसकी चूचियाँ उसके शरीर और नीचे बेड के बीच में लटक रही थी. वो इतनो बड़ी बड़ी थी के शरीर और बेड के बीच थोडा फासला होने के बाद भी उसके निपल्स नीचे बेड पर टच कर रहे थे. जैसे ही कल्लो को शरीर हिलता, वो दोनो भी आगे पिछे को झूलती.

रूपाली की आँखों के लिए ये सब कुच्छ नया था. पहली नज़र पड़ते ही उसको एक झटका सा लगा था जो अब धीरे धीरे कम हो रहा था. उसकी आँख जो एक पल के लिए सामने के मंज़र पर यकीन नही कर पाई थी अब धीरे धीरे अड्जस्ट हो रही थी.

पहली बार रूपाली ने गौर से सिर्फ़ चूचियो से फोकस हटाकर कमरे में पूरी तरह नज़र फिराई.

क्रमशः........................................
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RE: Hindi Sex Porn खूनी हवेली की वासना - by sexstories - 07-01-2018, 12:05 PM

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