RE: Hindi Sex Porn खूनी हवेली की वासना
खूनी हवेली की वासना पार्ट --9
गतान्क से आगे........................
"रूपाली को जैसा झटका सा लगा. मुँह में? तो क्या मम्मी ने पापा की लड़कों वाली चीज़ मुँह में ले रखी थी? और अगले ही पल उसका शक सही साबित हो गया.
"हां काट लूँगा" कहते हुए पापा ने मम्मी का सर पकड़ा और नीचे को झुकाया. मम्मी ने मुँह खोला और पापा का अपने मुँह में ले लिया.
"छियैयियी मम्मी" रूपाली को जैसे उल्टी सी आ गयी.
उसकी माँ पापा का अपने मुँह में लेकर मुँह में अंदर बाहर कर रही थी. एक हाथ से उन्होने पापा का अपने हाथ में नीचे से पकड़ा हुआ था और धीरे धीरे हिला भी रही थी. जब वो मुँह में लेती तो हाथ नीचे चला जाता और जब मुँह से बाहर निकलती तो हाथ उपेर को आता.
"आउच" पापा ने अचानक कहा "काट क्यूँ रही हो?"
"आप तो बाल काटोगे नही" मम्मी ने अपने मुँह से बाहर निकाला और बोली "तो मैने सोचा के मैं ही काट लूँ"
"ये काटने के लिए नही मेरी जान चूसने के लिए है" पापा बोले और मम्मी ने फिर उनका मुँह में ले लिया
अब रूपाली को समझ आया के मम्मी क्या कर रही थी. वो पापा का चूस रही थी.
"छीयियी मम्मी" रूपाली ने देखते हुए सोचा "ये भी कोई चूसने की चीज़ है?"
उस हल्की सी रोशनी में कुच्छ देर तक यूँ ही मम्मी का सर उपेर नीचे होता रहा. कभी वो मुँह में लेके चूस्ति तो कभी जीभ बाहर निकाल कर चाटने लगती. कर वो रही थी और रूपाली को लग रहा था के जैसे उल्टी उसको आ जाएगी.
"निकलने वाला है मेरा" पापा की साँसें तेज़ हो चली थी "आज मुँह में ही निकाल लो ना प्लीज़"
"बिल्कुल नही" मम्मी ने कहा "चूस्टे हुए तुम्हारा थोड़ा सा भी अगर निकल आता है तो मुझे उबकाई आने लगती है"
"अच्छा ज़रा तेज़ तेज़ करो" पापा ने कहा
"बता देना जब निकलने लगे तो" मम्मी ने कहा और फिर मुँह में लेकर चूसने लगी
अब उनका सर तेज़ी से उपेर नीचे हो रहा था और मुँह के साथ साथ नीचे से हाथ भी उतनी ही तेज़ी से हिल रहा था. वो अब इतनी तेज़ी से चूस रही थी के कमरे में उनके चूसने की आवाज़ उठने लगी थी. रूपाली के साइड में लेटे पापा भी आह आह की आवाज़ कर रहे थे और उनकी साँस तेज़ हो गयी.
"निकल गया" अचानक पापा ने कहा
उनके कहते ही मम्मी ने फ़ौरन मुँह से निकाला और सीधी होकर बैठ गयी. उन्होने अब भी हाथ में पकड़ रखा था और हाथ तेज़ी से उपेर नीचे हो रहा था.
"आअहह" पापा ने आवाज़ की ओर उनका जिस्म जैसे काँपने लगा. क्या हुआ रूपाली को समझ नही आया पर अब जब मम्मी हिला रही थी तो कुच्छ फ़च फ़च की आवाज़ आने लगी.
और फिर रूपाली को लगा के कुच्छ गीला गीला सा आकर उसके हाथ पर गिरा. उसने अपने उंगलियाँ हिलाई तो कोई लिपलिपि सी चीज़ उसके हाथ पर पड़ी थी.
इस पूरे दौरान जो नयी बात हुई वो ये थी के रूपाली को ज़रा भी बुरा नही लगा और ना ही वो गिल्ट फीलिंग आई जिसने उसे काफ़ी दिन से परेशान कर रखा था.
ख़ान इनटेरगेशन रूम में बहा था. सामने कुर्सी पर था जै.
"मैं ज़्यादा बकवास करने वाला आदमी नही हूँ जाई" ख़ान ने कहा "और ना ही ज़्यादा बकवास सुनना पसंद करता हूँ"
जै चुप रहा.
"तो मैं तुमसे भी सीधी सीधी बात ही करता हूँ और उम्मीद करता हूँ के तुम भी मुझे सीधे सीधे ही जवाब दोगे" ख़ान ने बात जारी रखी और सवालिया नज़रों से जै की तरफ देखा.
जै फिर भी नज़रें झुकाए चुप ही रहा.
"देखो जै. तुम्हारे खिलाफ एक ओपन आंड शूट केस है. तुम फिलहाल पोलीस कस्टडी में हो इसलिए जब तक पोलीस सारे सबूत फाइनलाइस करके कोर्ट में केस सब्मिट नही करती तब तक तुम्हारा केस शुरू नही होगा पर उसमें ज़्यादा वक़्त नही लगेगा. कोर्ट में पुरुषोत्तम का वकील एक घंटे में ये साबित कर देगा के खून तुमने किया है और बस फिर हो गया तुम्हारा काम. ठाकुर खानदान का रुतबा और पहुँच काफ़ी आगे तक है इसलिए तुम ये मानकर ही चलो के तुम्हें सीधे फंदे पर ही लटकाया जाएगा. उमर क़ैद की उम्मीद तो करना ही मत.
जै ने नज़र उठाकर ख़ान की तरफ देखा. आँखों में डर सॉफ नज़र आ रहा था.
"तुम्हारे और तुम्हारी मौत के बीचे तुम बस ये मान लो के सिर्फ़ मैं खड़ा हूँ. यहाँ मैने हाथ खड़े किए और वहाँ तुम गये उपेर" ख़ान ने हाथ से आसमान की तरफ इशारा करते हुए कहा
"पर क्यूँ?" जै ने कहा
"क्या मतलब?" ख़ान बोला "क्यूँ क्या?"
"आप क्यूँ खड़े हैं? जै धीरे से बोला
"अजीब एहसान फारमोश हो यार" ख़ान बोला "मैं तुम्हारी जान बचाने की कोशिश कर रहा हूँ और तुम कहते हो के क्यूँ? क्यूँ भाई? मरने का बहुत शौक है?
जै ने फिर कुच्छ नही कहा
"तो सुनो" ख़ान बोला "मैं सिर्फ़ ये इसलिए कर रहा हूँ के तुमसे हमदर्दी है मुझे. फॉर सम रीज़न मेरा दिल कहता है के तुमने खून नही किया. मैं ये नही कहता के मैं बहुत ईमानदार और शरीफ पोलिकवाला हूँ बट फॉर सम पर्सनल रीज़न्स, किसी के साथ ना-इंसाफी होते नही देख सकता मैं. इसलिए तुम्हें बचाने की कोशिश कर रहा हूँ"
जै ने हां में गर्दन हिलाई.
"गुड. तो अब हम बात करें या अब भी मरने की ख्वाहिश है तुम्हारे दिल में? अगर ऐसा है तो बता दो. मेरा पास और भी काम है. जाके वो करूँगा, तुम्हारे साथ टाइम वेस्ट क्यूँ करूँगा"
जै कुच्छ देर खामोश रहा और फिर बोला.
"पूछिए क्या पुच्छना है"
जै की उमर कोई 35 के आस पास होगी. देखने में वो पक्का ठाकुर लगता था. लंबा कद, चौड़ा सीना, गाथा हुआ शरीर, गोरा रंग, तीखे नैन नक्श, चेहरे पर पूरा रौब. पर उस वक़्त वो अपनी उमर से 10 साल बड़ा और कई हफ़्तो का बीमार लग रहा था.
"गुड" ख़ान हाथ मलते हुए बोला "वैसे तो इस सवाल का जवाब क्वाइट ऑब्वियस है पर फिर भी मैं पुछ ही लेता हूँ. ठाकुर साहब को तुमने मारा?"
जै ने इनकार में गर्दन हिलाई
"ह्म्म्म्म" ख़ान ने कहा "तुम मौका-ए-वारदात से रंगे हाथ पकड़े गये थे. तुम्हारे आने से 10 मिनट पहले ठाकुर साहब को ज़िंदा देखा गया था. फिर तुम आए और ठाकुर साहब मारे गये. इस बीच उनके कमरे में कोई नही गया इस बात के गवाह कई लोग हैं. मतलब ठाकुर साहब को लोगों ने ज़िंदा देखा, फिर तुम कमरे में गये और ठाकुर साहब मुर्दा.
"उनको मेरे आने से पहले ही किसी ने मार दिया था. जब मैं कमरे में दाखिल हुआ तो वो ज़मीन पर पड़े हुए थे. मैने सिर्फ़ उनको सहारा देकर उठाने की कोशिश कर रहा था क्यूंकी मुझे लगा के वो गिर गये हैं जिसकी वजह से उनको चोट लगी और खून निकल रहा था. मुझे क्या पता था के वो मरे पड़े थे. मैं उनको उठाने की कोशिश कर ही रहा था के तभी वो मनहूस नौकरानी आ गयी"
ख़ान ने सामने पड़ी एक फाइल उठाई
"ये बात तो मैं तुम्हारे स्टेट्मेंट में ऑलरेडी पढ़ चुका हूँ. जो एक बात तुम्हारे सॅट्मेंट में नही थी वो ये थी के इतनी रात को तुम वहाँ करने क्या गये थे?"
"चाचा जी ने बुलाया था" जै बोला
"ठाकुर साहब ने?" ख़ान फाइल वापिस बंद करते हुए बोला
"हां" जै बोला "उन्होने मुझे फोन करके फ़ौरन आने को कहा था जिसकी वजह से मैं उस मनहूस घड़ी में हवेली जा पहुँचा"
"क्यूँ बुलाया था?" ख़ान ने कहा
"पता नही. फोन पर बताया नही उन्होने. बस आने को कहा था"
ख़ान कुच्छ देर तक मुस्कुराते हुए जै को देखता रहा
"सही जा रहे हो दोस्त. पहले जब तुमसे पुछा गया था के तुम हवेली क्यूँ पहुँचे तो तुमने बताया नही क्यूंकी उस वक़्त तुम सच च्छूपा रहे थे. अब आराम से बैठके 2 दिन तक अच्छे से सोचकर मुझे ये कहानी सुना रहे हो?"
"नही" जै ने फ़ौरन जवाब दिया "यही सच है. आप चाहें तो मेरे फोन रेकॉर्ड्स चेक कर सकते हैं. उस रात मेरे मोबाइल पर हवेली से फोन आया"
"वो तो मैं चेक करूँगा ही जै पर तुम मुझे ये बताओ के जब तुमसे ये पहले पुछा गया था के तुम हवेली में क्या कर रहे थे तो तुम चुप क्यूँ रहे. तब क्यूँ नही बताया के ठाकुर साहब ने बुलाया था?"
"मैं कहता भी तो कौन मानता ख़ान साहब" जै ने बोला "उस वक़्त मैं डर गया था. मेरे अपने ही मेरे खिलाफ खड़े थे. हर कोई मुझे खूनी कह रहा था, अपने ही चाहा का खूनी. उस वक़्त सब कुच्छ इतना अचानक हुआ के मुझे समझ ही नही आया के किस बात का क्या जवाब दूँ"
ख़ान हल्के से हसा.
"कमाल हैं यार. तुम्हें इतना समझ आ गया के तुम सबको ये बता दो के तुमने खून नही किया और जब तुम वहाँ पहुँचे तो खून ऑलरेडी हो चुका था पर तुम्हें ये समझ नही आया के तुम सबको ये बता दो के ठाकुर साहब ने ही तुम्हें उस रात हवेली में बुलाया था? ह्म्म्म्मम?
"अब आप जो चाहे कह लें" जै बोला "सच यही है"
"चलो मान लेते हैं तुम्हारी बात" ख़ान आगे को झुका "वैसे तुम्हारी शकल देखकर लग नही रहा के अपने चाचा के मारने का ज़रा भी अफ़सोस है तुम्हें"
"जिस इंसान से मैं पिच्छले 10 साल में सिर्फ़ कोर्ट में ही मिला, कभी जिससे सीधे मुँह बात नही हुई, जिसके साथ मैं कोर्ट में केस लड़ रहा हूँ उसके मरने पर क्या अफ़सोस हो सकता है ख़ान साहब?" जै बोला
"बात तो सही कह रहे हो" ख़ान ने कहा "वैसे ये कोर्ट केस प्रॉपर्टी को लेकर ही है ना?"
"हाँ" जै बोला "मेरे पिता और चाचा जी जायदाद में बराबर के हिस्सेदार थे तो इस हिसाब से मेरा आधी प्रॉपर्टी पर हक़ बनता है पर मुझे मिला क्या? एक शहर में मकान और थोड़ी सी ज़मीन."
"ह्म्म्म्म" ख़ान ने गर्दन हिलाई
"आप ये सोचिए ना ख़ान साहब. मैं उनके साथ कोर्ट में केस लड़ रहा था जिसके जीतने पर मैं प्रॉपर्टी से और हिस्सा ले सकता था. उनको मारके मुझे क्या मिलता, मिलता तो उनसे केस जीतकर. उनके मरने से तो बल्कि मुझे नुकसान हुआ. अब प्रॉपर्टी जाने कितने हिस्सो में बट जाएगी. पहले जहाँ मैं सिर्फ़ एक चाचा जी से केस लड़ रहा था, अब उनके 3 बेटों से लडूँगा"
"बात तो सही कह रहे हो" ख़ान बोला "ये पॉइंट यूज़ कर सकते हैं हम तुम्हारे फेवर में कोर्ट में बट फॉर नाउ, इट ब्रिंग्स उस टू अनदर पॉइंट. तुम्हारे साथ ऐसा सलूक क्यूँ हुआ?"
"मतलब?" जै ने सवालिया नज़र से ख़ान की तरफ देखा.
"मतलब के जहाँ तक मुझे पता है, तुम्हारे माँ बाप काफ़ी पहले मर गये थे, जब तुम काफ़ी छ्होटे थे. उसके बाद ठाकुर साहब ने पाल पोसकर तुम्हें बड़ा किया और एक दिन अचानक हवेली से निकाल दिया. क्यूँ?"
"क्यूंकी मैने प्रॉपर्टी में हिस्सा माँगा था" जै बोला
"कॅरी ऑन ... बोलते रहो" ख़ान ने इशारा किया
"जब तक मैं उनके टुकड़ो पर पलता रहा तब तक सब ठीक था. कोई प्राब्लम नही, कोई इश्यू नही पर जिस दिन मैने उनसे प्रॉपर्टी में अपने हिस्से की बात की उसी दिन मुझे लात मारकर निकाल दिया गया" जै ने कहा
"उमर क्या है तुम्हारी?" ख़ान ने अचानक पुछा
"जी?" जै अचानक उठे इस सवाल से चौंक पड़ा
"एज... हाउ ओल्ड आर यू?" ख़ान ने सवाल दोहराया
"33. क्यूँ?" जै ने पुछा
"ह्म्म्म्मम" ख़ान ने दोबारा फाइल खोली "इसमें 35 लिखी है. खैर. अब तुम 33 के हो और ये कॅब्की बात है, जब तुम्हें निकाल दिया गया था?"
"कोई 10 साल पहले की" जै जे जवाब दिया
"यानी तब तुम 23 के थे. डोंट यू थिंक यू वर ए लील यंग टू अस्क फॉर युवर शेर इन दा प्रॉपर्टी?"
क्रमशः........................................
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