RE: Hindi Sex Porn खूनी हवेली की वासना
खूनी हवेली की वासना पार्ट --26
गतान्क से आगे........................
कल्लो ने एक बार दरवाज़े के बाहर नज़र डाली और बंद करके दरवाज़े के पास खड़े खड़े अपनी कमीज़ उपेर को उठाई. रूपाली आँखें फाडे देखने लगी. कल्लो को नंगी वो पहले भी देख चुकी थी पर आज जब अपनी मर्ज़ी से वो उसके आगे नंगी हो रही थी तो रूपाली को अलग ही मज़ा आ रहा था.
और उससे कहीं ज़्यादा मज़ा उसको इसलिए आ रहा था के वो कल्लो को मजबूर कर रही थी.
कल्लो ने अपनी कमीज़ उठाकर गले तक कर दी. उसके बड़ी बड़ी चूचियाँ ब्रा में रूपाली के सामने आ गयी.
"ब्रा खोल" रूपाली ने कहा
तभी बाहर से रूपाली की माँ की आवाज़ आई. वो कल्लो को आवाज़ देकर बुला रही थी.
"आई मालकिन"
कल्लो ने चिल्ला कर जवाब दिया और फ़ौरन अपनी कमीज़ नीचे करके कपड़े ठीक करती कमरे से बाहर निकल गयी.
रूपाली अभी अभी स्कूल से वापिस आई थी और अपने कमरे में चेंज कर रही थी. घर पर उस वक़्त सिर्फ़ एक कल्लो ही मौजूद थी और उसका भाई भी आते ही खेलने के लिए भाग गया था. थॅकी हुई रूपाली ने अपने कपड़े बदले और थोड़ी देर के लिए बिस्तर पर गिर गयी.
कल जब से उसने कल्लो को अपने सामने कमीज़ उठाए खड़ा देखा था तबसे उसके दिल-ओ-दिमाग़ में एक अजीब सी हलचल मची हुई थी. कल्लो की बड़ी बड़ी चूचियाँ बार बार उसकी नज़रों के सामने आ जाती थी और जाने क्यूँ उसका दिल करता था के वो एक बार उन्हें च्छुकर देखे.
कभी उसके दिमाग़ में ऐसी बातें सोचकर गिल्ट और शरम आती के वो ऐसी गंदी बातें सोच रही है वो भी अपने घर की नौकरानी के बारे में तो कभी उसके दिल में एक अजीब सा रोमांच भर जाता ये सोचकर के वो फिर कल्लो को ऐसा करने के लिए मजबूर कर सकती है.
दोस्त के नाम पर उसकी सहेली उसकी अपनी माँ और दोस्त उसका छ्होटा भाई थे. वो उस इलाक़े के ठाकुर की बेटी थी इसलिए स्कूल में उसके टीचर भी उसके साथ बड़े अदब से बात करते थे.
घर के 2 नौकर रखवाली के लिए उसके और उसके भाई के साथ स्कूल जाते थे और सारा दिन स्कूल के बाहर बैठे रहते थे. इस वजह से स्कूल की बाकी लड़कियाँ उससे दूर ही रहती थी. बस कुच्छ लड़कियाँ ही थी जो उससे बात करती थी और वो भी ऐसी थी जो किताबों में ही डूबी रहती थी.
केयी बार तो रूपाली ने ये भी सुना था के उन किताबी लड़कियों के साथ रहने की वजह से उसको भी बाकी लड़कियाँ बहेनजी कहती थी इसलिए उससे दूर ही रहती थी.
वो एक गर्ल्स स्कूल में पढ़ती थी इसलिए लड़को के नाम पर वो किसी को भी नही जानती थी. बस जिस एक लड़के से वो बात करती थी वो उसका अपना भाई ही था.
लड़कों के साथ एक लड़की का क्या रिश्ता हो सकता है उसको ये बात भी पिक्चर्स देख देख कर ही पता चली थी और जानती थी के स्कूल की कुच्छ लड़कियों का ऐसा चक्कर है कुच्छ बाहर के लड़कों के साथ.
पर जिन लड़कियों से उसकी दोस्ती थी उनकी आशिक़ी अपनी किताबों के साथ थी. और रूपाली के साथ तो हर वक़्त 2 पहेलवान होते थे जिसकी वजह से उसका किसी लड़के के करीब जाना ना-मुमकिन सा ही था.
और इन सब बातों की वजह से सेक्स की तरफ उसकी जानकारी ना के बराबर थी. गाओं के एक लड़कियों के स्कूल में पढ़ने वाली उस लड़की को सेक्स का कोई ग्यान नही था. सेक्स क्या होता है, क्यूँ होता है, बच्चे कैसे पैदा होते हैं, कहाँ से पैदा होते हैं कुच्छ नही जानती थी वो.
उसके लिए सेक्स के साथ पहला सामना अपने माँ बाप और घर के नौकरों को सेक्स करते हुए देखना ही था. कुच्छ दिन बाद उसने अपनी एक सहेली से इस बारे में बात की जो थी तो खुद भी बहेनजी ही पर रूपाली जानती थी के उसको कुच्छ ना कुच्छ तो पता होगा ही.
रूपाली ने उसको ये नही बताया था के उसने किसी देखा पर उसकी दोस्त ने उसे समझाया के उसने क्या देखा था.
पहली बार जब रूपाली को पता चला के बच्चे कैसे पैदा होते हैं और कहाँ से बाहर आते हैं तो उसका दिल धक से रह गया था. दिल ही दिल में उसने कहीं ये कसम भी खा ली थी के वो कभी बच्चे पैदा नही करेगी.
उसकी सहेली ने उसे एक बाइयालजी की किताब दिखा कर समझाया था के सेक्स क्या होता है, कैसे होता है और रूपाली यही सोचती रह गयी के ये लेसन उनकी बाइयालजी क्लास में बिना पढ़ाए छ्चोड़ क्यूँ दिया गया था.
"पर ये सब अब बदलने वाला है" रूपाली ने दिल ही दिल में सोचा.
वो 12थ स्टॅंडर्ड में थी और एग्ज़ॅम होने वाले थे मतलब कुच्छ ही महीने बाद वो कॉलेज जाएगी. उनके गाओं में कोई कॉलेज नही था और उसके लिए उसे पास के शहर जाना पड़ता.
गाओं से कुच्छ और लड़के लड़की भी कॉलेज के लिए रोज़ाना शहर जाते थे और शाम को घर लौट आते थे इसलिए रूपाली को ये खबर थी के अपने माँ बाप को मनाने के लिए उसे ज़्यादा मेहनत नही करनी पड़ेगी. बस ये सोचकर परेशान थी के अगर ये 2 पहलवान कॉलेज के लिए भी रोज़ उसके साथ शहर गये तो मुसीबत हो जाएगी.
कॉलेज के बारे में रूपाली ने सुना था के वहाँ लड़के लड़कियाँ साथ में पढ़ते हैं और किसी की किसी से बात करने पर कोई रोक टोक नही थी. उसको दिल ही दिल में पता नही कैसे ये यकीन हो गया था के वो कॉलेज जाएगी और वहाँ उसको एक अच्छा सा लड़का मिलेगा जिससे वो भी प्यार करेगी.
और फिर उस लड़के के साथ फिल्म देखने जाया करेगी जैसे की टीवी पर दिखाते हैं.
और फिर उन दोनो की शादी हो जाएगी.
और फिर बच्चे होंगे.
"नही" बच्चे सोचते ही रूपाली की सोच का सिलसिला फ़ौरन टूट गया "बच्चे नही पैदा करूँगी मैं. हे भगवान ... छ्ह्हीईई"
सोचती हुई वो बिस्तर से उठ बैठी.
उसके बहुत तेज़ भूख लगी हुई थी. बाथरूम जाकर उसने अपना हाथ मुँह धोया और खाने के लिए बाहर निकल ही रही थी के कमरे का दरवाज़ा खुला और कल्लो खाने की प्लेट लिए अंदर आ गयी.
"अर्रे तू यहाँ क्यूँ ले आई" रूपाली ने उसको देखकर पुछा "मैं नीचे आ ही रही थी"
"नही कोई बात नही" कल्लो ने कहा "मुझे लगा के आप थक गयी होंगी तो मैं यहीं ले आई"
"टेबल पे रख दे" उसने कल्लो को इशारा किया और टवल से अपना मुँह सॉफ करने लगी.
हाथ मुँह धोते वक़्त कुच्छ पानी उसके कपड़ो पर गिर गया था जिसकी वजह से उसकी हल्के पीले रंग की कमीज़ कंधो और चूचियो पर गीली हो गयी थी. उस गीली कमीज़ के नीचे उसका काले रंग का ब्रा सॉफ नज़र आ रहा था.
"मुझे काला नही पसंद" कल्लो ने अचानक उसकी तरफ देखते हुए कहा
"मतलब?" रूपाली को उसकी बात का मतलब समझ नही आया.
कल्लो ने उसकी छातियो की तरफ इशारा किया जहाँ उसकी कमीज़ हल्की से कहीं कहीं से उसकी छातियो पर चिपक गयी थी.
"काला ब्रा" कल्लो ने अंगुली दिखाते हुए कहा "काला पसंद नही है मुझे"
रूपाली को एक पल के लिए शरम सी आ गयी और उसने फ़ौरन अपनी कमीज़ ठीक की.
"तो काला पेहेन्ति क्यूँ है तू?" रूपाली ने पुचछा
"काला कहाँ पहना है" कल्लो ने फ़ौरन अपने गिरेबान की तरफ देखा
"अभी नही पहले तो पहना था" रूपाली शरारत से मुस्कुराते हुए बोली
कल्लो समझ गयी के उसका इशारा पहले कब की तरफ था.
"क्या करूँ बीबी जी" कल्लो बोली "यहाँ दुकान में जाओ तो 3 ही रंग मिलते हैं, काला, सफेद या क्रीम कलर"
उसकी बात पर दोनो हस पड़ी.
"उमर के हिसाब से तो आपके भी काफ़ी बड़े हैं" कल्लो ने फिर उसकी चूचियो की तरफ इशारा किया.
कल की रूपाली जो इतने खुले तरीके से कल्लो को अपनी छातियाँ दिखाने पर मजबूर कर रही थी आज अपनी बात पर शर्मा बैठी. शायद इसलिए क्यूंकी आज इशारा उसके अपने जिस्म की तरफ था.
"चल जा ना" उसने बात टालते हुए कहा "खाना खाने दे मुझे"
"आज नही देखोगी?" कल्लो ने पुछा
"क्या?"
"ये ...." कल्लो ने अपनी दोनो चूचियो को कमीज़ के उपेर से पकड़ते हुए कहा.
एक पल में सब उल्टा हो गया. जहाँ रूपाली इस सोच में थी के कल्लो को डराकर उसकी चूचिया देखेगी कल्लो के खुद ही कहने पर जैसे सकते में आ गयी.
पहली बार उसको एहसास हुआ के आख़िर वो एक बच्ची थी और कल्लो एक खेली खाई औरत.
"क्या हुआ मालकिन?" कल्लो ने अपनी चूचियाँ अपने हाथों में दबाते हुए कहा "आज नही देखोगी? आज तो घर पर कोई है भी नही"
रूपाली के मुँह से एक बोल ना फूटा. कल्लो अपनी चूचियाँ अपने हाथों में पकड़े रूपाली के करीब आ खड़ी हुई.
"आपको पसंद हैं मेरे?"
रूपाली सिर्फ़ हां में सर हिलाकर रह गयी.
"देखोगी?"
"रूपाली ने फिर हां में सर हिलाया.
कल्लो ने अपने हाथों से अपनी कमीज़ का पल्लू अपनी गर्दन तक उठा दिया. सफेद रंग की ब्रा में बंद उसकी चूचियाँ एक बार फिर रूपाली की आँखों के सामने आ गयी.
हमेशा की तरह इस बार भी रूपाली चुप चाप उसकी चूचियो पर नज़र जमाकर रह गयी. दोनो चूचियाँ बा-मुश्किल ब्रा में समा रही थी.
"क्या पसंद है आपको इनमें?" कल्लो ने पुछा
"कितनी बड़ी हैं तेरी" इस बार रूपाली ने जवाब दिया.
'इससे पहले किसी की देखी हैं आपने?"
रूपाली ने सॉफ झूठ बोलते हुए इनकार में अपनी गर्दन हिला दी. उसने अपनी माँ को पूरी तरह नंगी देखा हुआ था पर ये बात वो कल्लो से तो नही कह सकती थी.
"झूठ बोल रही हैं आप" कल्लो ने कहा तो रूपाली का कलेजा मुँह को आ गया.
"इसको कैसे पता के मैने अपनी माँ को नंगी देखा है" दिल ही दिल में रूपाली ने सोचा
"क्यूँ अपनी खुद की रोज़ नही देखती क्या?" कल्लो ने हस्ते हुए कहा तो रूपाली की जान में जान आई और वो भी हस पड़ी.
"बस अपनी ही देखी हैं. मेरा मतलब था के मैने तेरे अलावा और किसी औरत की नही देखी"
"अच्छे से देखनी हैं?" कल्लो ने पुछा
रूपाली के दिल की धड़कन तेज़ हो चली. वो जानती थी के कल्लो का क्या मतलब था. उसने हां में सर हिलाया.
"लो देख लो" कहते हुए कल्लो ने अपनी ब्रा को नीचे से पकड़ा और अपनी छातियों के उपेर कर दिया. दोनो नंगी छातियाँ ब्रा से बाहर निकल आई.
रूपाली की आँखें खुली रह गयी. ये सच था के वो खुद भी एक लड़की थी पर अपने सामने किसी औरत को इतने करीब से नंगी देखने का उसका ये पहला मौका था, ख़ास तौर से तब जबकि सामने वाली औरत खुद उसे ही दिखाने
के लिए नंगी हो रही थी.
कल्लो अपने हाथों से कमीज़ और ब्रा पकड़े चुप चाप रूपाली के सामने खड़ी रही और रूपाली उसकी चूचियो को ऐसे देखने लगी जैसे कोई रिसर्च वर्क कर रही हो. वो दिल ही दिल में कल्लो की चूचियो और अपनी चूचियो को
मिलाने लगी.
उसकी खुद की चूचियाँ एकदम गोरी थी और कल्लो की एकदम काली.
उसकी खुद की चूचियाँ अभी छ्होटी थी बिल्कुल कच्चे अमरूद की तरह और उसने अभी ब्रा पहेनना शुरू ही किया था जबकि कल्लो की बहुत बड़ी बड़ी थी.
उसकी खुद की चूचियाँ एकदम तनी हुई थी बिल्कुल एवरेस्ट की छोटी की तरहजबकि कल्लो की नीचे को लुढ़की हुई थी, शायद बहुत बड़ी थी इसलिए.
उसके खुद के निपल्स छ्होटे छ्होटे और ब्राउन कलर के थे जैसे किस मिस के दाने हों जबकि कल्लो के बड़े बड़े और काले रंग के थे.
क्रमशः........................................
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