Hindi Sex Porn खूनी हवेली की वासना
07-01-2018, 12:23 PM,
#39
RE: Hindi Sex Porn खूनी हवेली की वासना
खूनी हवेली की वासना पार्ट --40

गतान्क से आगे........................

तकरीबन 11 बजे वो बैठा पायल के आने का इंतेज़ार कर रहा था. पायल तो ना आई पर उसके सामने आ खड़ा हुआ ठाकुर पुरुषोत्तम सिंग.

"कहिए" ख़ान ने उससे हाथ मिलाते हुए पुछा

"रिपोर्ट लिखनी है" पुरुषोत्तम ने बैठते हुए कहा

"ज़रूर" ख़ान ने अपने सामने पड़ा रिजिस्टर खोला "किस बारे में?"

"गुमशुदा"

"कौन गुमशुदा है?" ख़ान ने हैरानी से पुछा

"हमारा भाई"

"ठाकुर तेजविंदर सिंग या ....?"

"तेज" पुरुषोत्तम बीच में बोल पड़ा

"काब्से?"

"कई दिन हो गये हैं"

"आखरी बार कब देखा गया था उन्हें?"

"जिस रात हमारे पिता का खून हुआ था"

"हां उस रात हवेली में मिला था मैं उनसे"

"उसके बाद सुबह घर से निकले तो वापिस नही आए" पुरुषोत्तम ने कहा

"ओके" ख़ान रिपोर्ट लिखने लगा पर फिर अचानक सिर उठाकर पुछा "पर जब मैं उस दिन आपसे हवेली में मिला था तो आपने कहा था के वो उस दिन सुबह ही कहीं गये थे"

"हां हमें लगा के वो रात को हवेली में आए थे"

"लगा? मतलब?"

"मतलब ये का हमने रात को हवेली के बाहर एक गाड़ी रुकने की आवाज़ सुनी थी. तेज की आदत थी के वो अक्सर यूँ ही देर से घर आते थे तो हमने सोचा के वही आए होंगे. सुबह हमने देखा तो गाड़ी नही थी तो हमें लगा के वो कहीं गये हैं"

"और ये भी उनकी आदत थी? यूँ बिन बताए सुबह सुबह घर से निकल जाना?"

"जी हां" पुरुषोत्तम ने सख़्त आवाज़ में जवाब दिया जैसे ख़ान को इशारा कर रहा हो के अपनी हद में रहो.

"ठीक है सर" ख़ान ने रिजिस्टर पुरुषोत्तम की तरफ करते हुए कहा "आप यहाँ साइन कर दीजिए, मुझे जैसे ही कुच्छ पता चला है मैं आपको खबर कर दूँगा"

"तुम्हारी रूपाली तो क्वाइट ए कॅरक्टर निकली यार" किरण ख़ान को फोन पर बता रही थी

"क्यो ऐसा क्या हुआ?" ख़ान ने पुछा

"वेल इट टर्न्स आउट के उसपर बचपन में एक रेप अटेंप्ट हुआ था"

"यॅ आइ नो अबौट दट" ख़ान ने जवाब दिया "और कुच्छ?"

"और ये के शी ईज़ ए कॉलेज ड्रॉप आउट"

"क्यूँ?"

"मॅ'म प्रेग्नेंट हो गयी थी जिसके चलते उनको कॉलेज से हटाया गया और उसे बाप ने जल्द बाज़ी में उसकी शादी करा दी"

"वाउ. सो इट ईज़ इनडीड ट्रू" ख़ान ने कहा

"वेट ए मिनिट. यू न्यू अबौट ऑल दिस?"

"यआः सुनने में आया था बट यकीन नही था"

"आंड व्हेन वर यू एग्ज़ॅक्ट्ली प्लॅनिंग ऑन टेल्लिंग मी?"

"यार कहा तो के बस उड़ती उड़ती अफवाह सुनी थी. ऐसा कोई पूरा यकीन नही था के ऐसा हुआ है"

"ओके" किरण ने कहा "बट आइ बेट दट यू डू नोट नो व्हाट आइ आम गोयिंग टू टेल यू नाउ"

"ओके. आइ आम रेडी. शूट"

"उसपर जो रेप अटेंप्ट हुआ था उसमें उसके घर की नौकरानी का भी नाम आया था दट शी वाज़ ए पार्ट ऑफ सेट्टिंग दा एंटाइयर डील उप. यू सी देयर मेल सर्वेंट अटेंप्टेड दा रेप बट इट ईज़ साइड दट ए फीमेल सर्वेंट वाज़ इन्वॉल्व्ड टू आंड शी प्लेड अन ईक्वल पार्ट"

"वेर आर यू गेटिंग विथ दिस?" ख़ान उलझता हुआ बोला

"डमी" किरण ऐसी बोली जैसे ख़ान बहुत बड़ा बेवकूफ़ हो "पूरी बात सुनो. रूपाली के बाप ने उस मेल सर्वेंट को तो उसी रात मार दिया था, जिसके लिए बाइ दा वे उसके खिलाफ कोई रिपोर्ट भी फाइल नही हुई, पर वो फीमेल सर्वेंट बच गयी और यहीं शहर में एक महिला आश्रम में रहती है"

"वो बच गयी तक तो मुझे ऑलरेडी पता था पर कहाँ रहती है दट शुवर केम अस ए सर्प्राइज़. वेर डिड यू दिग ऑल दिस फ्रॉम इन ए डे?"

"जर्नलिस्ट हूँ यार. आधी जासूस कह सकते हो"

"आधी नही पूरी जासूस हो तुम. बट आइ स्टिल डोंट अंडरस्टॅंड वेर आर यू गेटिंग विथ ऑल दिस. आइ स्टिल डोंट सी दा पॉइंट"

"हे भगवान" किरण ने कहा "अर्रे यार अगर रूपाली के बारे में कोई बात पता करनी है, उसके पास्ट में कुच्छ ऐसा है जिसके चलते हमें इस केस में मदद मिल सके तो हमें उस नौकरानी से बात करनी चाहिए"

"नौकरानी से क्यूँ?"

"देखो उस वक़्त सब ये कह रहे थे के रूपाली एक लूज कॅरक्टर लड़की थी जो खुद अपने नौकर के साथ लगी हुई थी. बाद में जब वो कॉलेज में प्रेग्नेंट हुई तो ये बात जैसे अपने आप साबित ही हो गयी. और उपेर से उसके पति को सब नमार्द कहते हैं. तो बहुत ज़ाहिर है के उसका शादी के बाद कोई अफेर वगेरह रहा हो जो शायद ठाकुर के खून की वजह बना हो"

"वाउ" ख़ान हैरानी से बोला "तुम तो सही में पूरी जासूस निकली यार. एक दिन में ठाकुर के पूरे खानदान की हिस्टरी खोद निकाली"

"ऑफ कोर्स" किरण बच्ची की तरह इठलाती हुई बोली

"बट आइ डोंट थिंक के हमें उस नौकरानी से बात करके कुच्छ पता चलने वाला है"

"वर्त ए शॉट. वैसे ही हमारे पास इस केस में कोई ज़्यादा लीड्स नही हैं. तो जो हैं, वही फॉलो करके देख लेते हैं"

"यॅ. साउंड्स लॉजिकल. आंड आइ गेस तुम्हें ऑलरेडी पता है के वो नौकरानी किस महिला आश्रम में रहती है"

"ओह यॅ"

"ठीक है. 2 घंटे दो मुझे. यहाँ कुच्छ काम निपटा के अभी निकलता हूँ. कहाँ मिलना है?"

किरण ने उसको अड्रेस लिखवा दिया.

"यू नो किरण एक बात समझ नही आ रही" फोन रखते रखते ख़ान बीच में बोल पड़ा

"ये केस है ही ऐसा. शुरू से एंड तक कुच्छ भी समझ नही आ रहा. तुम कौन सी बात की बात कर रहे हो?"

"यही के तुम ये सब क्यूँ कर रही हो?" ख़ान ने धीमी आवाज़ में कहा जैसे डर रहा हो के किरण बुरा ना मान जाए "आइ मीन ये सब भाग दौड़, ये तुम सिर्फ़ एक कहानी के लिए नही कर रही"

थोड़ी देर फोन पर खामोशी रही.

"यू नो मुन्ना कभी मेरी वजह से तुम्हारी नौकरी जाते जाते बची. मेरी वजह से तुम जैसा काबिल ऑफीसर एक छ्होटे से गाओं में पोस्टेड है. तो मैं इस केस में तुम्हारी मदद करके बस अपनी ग़लती सुधारना चाह रही हूँ. तुम्हें तुम्हारी इज़्ज़त वापिस दिलवाना चाह रही हूँ"

"ह्म्‍म्म्म" ख़ान के गले से आवाज़ आई.

"मैं ये तुम्हारे किए कर रही हूँ" और किरण ने फोन रख दिया.

2 मिनिट बाद ही सेल फिर बजा. मेसेज था. ख़ान को इस मेसेज के आने का जैसे पूरा यकीन था. उसने पढ़ना शुरू किया.

तू कहीं भी रहे सर पर तेरे इल्ज़ाम तो है,

तेरे हाथों की लकीरों में मेरा नाम तो है.

मुझे तू अपना बना या ना बना तेरी मर्ज़ी,

तू ज़माने में मेरे नाम से बदनाम तो है.

देखकर मुझे लोग तेरा ही नाम लेते हैं,

शुक्र है मोहब्बत का ये अंजाम तो है.

तू सितम्गर ही सही फिर भी तेरे दीदार से,

मेरे दिल-ए-बीमार को आराम तो है.

उसी दोपहर ख़ान और किरण दोनो कल्लो के सामने बैठे हुए थे. महिला आश्रम का पता ढूँदने में कोई तकलीफ़ नही हुई थी पर कल्लो बड़ी मेहनत और मिन्नत से उनके साथ बात करने को राज़ी हुई थी.

......................................

उस रात कल्लो के साथ बिस्तर पर बेहोश होने बाद रूपाली को फिर पूरी रात होश नही आया. बेहोशी से वो सीधा नींद के आगोश में चली गयी और फिर सीधा सुबह ही आँख खुली.

"क्या हुआ था कल रात?" मौका देख कर वो किचन में कल्लो के पास पहुँची और पुछा

"बेहोश हो गयी थी आप" कल्लो मुस्कुराते हुए बोली

"ऐसा क्यूँ हुआ?" रूपाली ने डरते हुए पुछा

"डरने की कोई बात नही. मज़ा अगर बहुत ज़्यादा आ रहा हो तो अक्सर बिस्तर पर ऐसा हो जाता है और फिर आपका तो पहली बार था"

"ह्म्‍म्म्म" रूपाली मुस्कुरा उठी "फिर तूने क्या किया?"

"क्या करती. आपको कपड़े पहनाए और फिर अपने कपड़े पहेनकर अपने कमरे में चली गयी"

तभी रूपाली की माँ किचन में आ गयी और दोनो चुप हो गयी. इसके बाद पूरा दिन रूपाली को कल्लो से अकेले में बात करने का कोई मौका नही मिला.

रात को डिन्नर टेबल पर कल्लो को बहुत हैरानी हुई जब रूपाली ने उसको बताया के आज रात और अगली कुच्छ रात वो उसके कमरे में ही रुकेगी. उसने अपनी माँ से बहाना कर लिया था के अक्सर रात को उसकी तबीयत खराब लगने लगती है इसलिए वो कुच्छ दिन तक कल्लो को अपने कमरे में सुलाना चाहती है.

क्रमशः........................................
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