Hindi Sex Porn खूनी हवेली की वासना
07-01-2018, 12:24 PM,
#40
RE: Hindi Sex Porn खूनी हवेली की वासना
खूनी हवेली की वासना पार्ट --42

गतान्क से आगे........................

"चलिए अब मैं अपनी गुड़िया रानी को सिखाती हूँ के बिस्तर पर खेल कैसे खेला जाता है"

कहते हुए वो नीचे को सरक कर रूपाली के पैरों के पास पहुँच गयी और उसके पैरों को चूम लिया.

"क्या कर रही है?" रूपाली ने पुछा तो कल्लो ने उसको चुप रहने का इशारा किया. रूपाली ने एक नाइटी पहेन रखी थी जिसके नीचे कुच्छ नही था क्यूंकी वो जानती थी के आज रात वो कल्लो के साथ क्या खेल खेलने वाली है.

कल्लो ने अपने दोनो हाथों से उसकी नाइटी को पकड़ा और उसकी टाँगो को चूमते हुए धीरे धीरे नाइटी उपेर सरकाने लगी.

रूपाली जानती थी के अब वो थोड़ी देर बाद ही पूरी तरह नंगी हो जाएगी. दिल दी धड़कन ना चाहते हुए भी तेज़ हो चली थी. एक नंगी औरत को यूँ अपने जिस्म से खेलते देख उसकी हालत खराब होती जा रही थी.

नाइटी धीरे धीरे उपेर को खिसकती हुई रूपाली की जांघों तक पहुँची, फिर थोड़ा और खिसकी और चूत से हट गयी, फिर थोडा और उपेर हुई और चूचियो के उपेर होती हुई रूपाली के गले तक आ गयी.

यहाँ आकर कल्लो को रुकना पड़ा क्यूंकी रूपाली के हाथ उपेर को बेड के साथ बँधे हुए थे. नाइटी उतारने के लिए हाथ खोलने ज़रूरी थे.

"हाथ खोलने पड़ेंगे" रूपाली ने कहा तो कल्लो ने मुस्कुराते हुए इनकार में सर हिलाया और नाइटी को वहीं गले के पास ही छ्चोड़ दिया.

एक तरह से रूपाली भी अब बिस्तर पर पूरी तरह नंगी थी. लाल रंग की रोशनी में दोनो के जिस्म चमक रहे थे. एक पूरी तरह से काला और दूसरी शरीर पूरी तरह से गोरा.

अब कल्लो फिर उसके उपेर सवार हो गयी और झुक कर रूपाली की चूचियाँ अपने हाथों में पकड़ ली.

"इनको ऐसे पकड़ा जाता है और जब तक इनको निचोड़ कर इनका रस ना निकाल दिया जाए, इनमें कोई मज़ा नही. मैं बताती हूँ कैसे"

कहते हुए कल्लो ने उसकी दोनो चूचियो को अपने हाथ में कस कर पकड़ा और धीरे धीरे दबाने लगी. रूपाली की चूचियाँ ज़्यादा बड़ी नही थी और कल्लो के हाथ में पूरी तरह समा रही थी.

रूपाली के दिमाग़ ने जैसे उसका साथ छ्चोड़ दिया था. उसके शरीर में एक अजीब सा एहसास घर कर रहा हा. जैसे जैसे कल्लो के हाथ उसकी चूचियाँ दबा रहे थे, एक अजीब सा करेंट उसके सीने से उतर सीधा दिमाग़ तक आ रहा था.

अब उसको समझ आ रहा था के क्यूँ कल्लो ने पहली बार उसको अपनी चूचियाँ दबाने को कहा था.

"दबाने के बाद इनको चूसा जाता है" कल्लो ने कहा और इससे पहले रूपाली कुच्छ समझती या कहती, उसने झुक कर उसका एक छ्होटा सा निपल अपने मुँह में ले लिया.

रूपाली के मज़े की जैसे कोई इंतेहाँ नही रही. कल्लो कभी उसके छ्होटे से निपल को ज़ोर ज़ोर से चूस्ति, तो कभी अपनी जीभ से उसकी पूरी छाती को चाटने लगती. जब वो एक चूची को चूस रही होती तो दूसरी चूची को हाथ से मसल्ने लगती. वो इतनी ज़ोर ज़ोर से दबा रही थी के रूपाली को कभी मज़ा आता तो कभी दर्द होता.

"जब तक इनको निचोड़ ना लिया जाए" उसके दबाने के अंदाज़ से रूपाली को पता चला के निचोड़ लेने से उसका क्या मतलब था. और अब ये भी समझ आ गया था के कल्लो क्यूँ अपनी चूची उससे चुसवाना चाहती थी. जितना मज़ा इस वक़्त रूपाली को आ रहा था इतना ज़िंदगी में कभी नही आया था.

"ऐसे चूसी जाती हैं चुचियाँ" कल्लो ने कहा

"चुचियाँ?" रूपाली के मुँह से अपने आप ही निकल पड़ा

"हां" कल्लो ने मुस्कुराते हुए फिर अपने हाथ रूपाली की छातियो पर कस दिए "ये आपकी चुचियाँ. मस्त हैं. जैसे कच्चे आम"

कल्लो एक बार फिर रूपाली की चूचियो पर टूट पड़ी और बारी बारी चूसने लगी पर अब उसका एक हाथ धीरे धीरे रूपाली के पेट पर से सरकता हुआ नीचे को जाने लगा. रूपाली को हल्का सा अंदेशा था के ये हाथ किस तरफ जा रहा है पर हाथ बँधे होने की वजह से वो कुच्छ कर नही सकती थी.

"कल्लूऊऊऊऊ" जैसे ही हाथ ने रूपाली की चूत को सहलाया, उसको लगा के वो फिर बेहोश हो जाएगी.

"ये दोनो कच्चे आम और ये संतरे की फाँक" कल्लो बोली और रूपाली की चूत को पूरी तरह अपने मुट्ठी में भर लिया.

"क्या कर रही है तू?" रूपाली की आँखें अब बंद हो चली थी

"एक जवान कच्ची कली को औरत बना रही हूँ" कहते हुए कल्लो रूपाली के उपेर ऐसे चढ़ गयी जैसे कोई मर्द औरत के उपेर वासना में चढ़ जाता है. अब तक जो काम धीरे धीरे आराम से हो रहा था उसमें अब तेज़ी आ गयी. दोनो के नंगे जिस्म एक दूसरे से लिपट गयी. रूपाली पूरी तरह कल्लो के नीचे थी और कल्लो कभी उसकी

चूचियाँ चूस्ति, तो कभी उसके चेहरे को पर जहाँ रूपाली का ध्यान अटका हुआ था वो उसकी चूत थी जिसको कल्लो का हाथ बुरी तरह रगड़ रहा था.

"हाए मैं मर गयी कल्लो" वो नशे की सी आवाज़ में बोली

"अभी कहाँ मर गयी तू" कल्लो ने जवाब दिया "अभी तो तेरी चूत को पता नही कितने लंड चखने हैं"

रूपाली के दिमाग़ ने फ़ौरन इस बात की तरफ इशारा किया के कल्लो आप से सीधा तू पर आ गयी थी पर इस वक़्त उसको कोई परवाह नही थी. इस वक्त तो ध्यान सारा अपनी चूत पर था.

"ज़ोर से रगड़" रूपाली खुद ही बोल पड़ी

"क्यूँ?" कल्लो के हाथ में तेज़ी आ गयी "मज़ा आ रहा है?"

"हां"

"इसको चूत कहते हैं. यहीं घुसता है मर्द का लंड"

"क्या?" रूपाली ने सवाल किया पर कल्लो ने जवाब नही दिया.

वो फिर झुक कर रूपाली के निपल्स पर टूट पड़ी. गोरी चूचियाँ इस तरह चूसे जाने से लाल पड़ गयी थी और रूपाली को हल्का हल्का दर्द भी होने लगा था.

"आराम से कर ना" रूपाली ने कहा "तकलीफ़ होती है"

"ये तकलीफ़ नही है" कल्लो उसके गले को चाटने लगी "तकलीफ़ क्या होती है ये तो तब पता चलेगा जब कोई लंड तेरी कोरी चूत का भोसड़ा बनाएगा"

कल्लो अब पूरी तरह से बदल चुकी थी. जी मालकिन, जी मालकिन करने वाली नौकरानी इस वक़्त रूपाली के जिस्म की मालकिन बन पूरी तरह तू तदाक पर आ गयी थी. पर रूपाली को उसकी ये बातें सुनकर गुस्सा आने के बजाय जैसे और मज़ा आ रहा था.

"क्या कर रही है" रूपाली को अचानक कल्लो की एक अंगुली अपनी चूत के अंदर घुसती हुई महसूस हुई

"तेरी चूत के फाटक खोल रही हूँ" कल्लो ने कहा

इससे पहले के रूपाली कुच्छ समझती, एक झटके में कल्लो की एक अंगुली उसकी कच्ची चूत के अंदर पूरी तरह घुस गयी.

"आआहह" दर्द के मारे रूपाली का शरीर काँप उठा और उसके मुँह से चीख निकल पड़ी. पर कल्लो ये बात जानती थी इसलिए फ़ौरन ही उसके होंठ रूपाली के होंठों पर आ गये और वो चीख घुटकर रह गयी.

रूपाली का पूरा शरीर काँपने लगा और दर्द की शिद्दत से उपेर नीचे होने लगा. कल्लो की एक अंगुली पूरी तरह उसकी चूत के अंदर थी और रूपाली को लग रहा था के वो मर जाएगी. कल्लो के नीचे दबी ना तो वो हिल पा रही थी और ना ही चूत से अंगुली बाहर निकाल पा रही थी.

"ऊऊम्म्म्मम ईओओओओण्ण्ण्ण" उसकी आवाज़ कल्लो के मुँह के अंदर घुट रही थी.

"बस बस" कल्लो ने अपने होंठ उसके होंठों पर रखे रखे कहा "हो गया काम"

और फिर जैसे एक दर्द की तेज़ लहर फिर रूपाली की जांघों की बीच उठी और कल्लो की दूसरी अंगुली उसकी चूत में घुसती चली गयी.

"हो गया भोसड़ा तैय्यार" कल्लो ने धीरे से कहा "अब तो बस इंतेज़ार एक लंड का है"

रूपाली को समझ नही आ रहा था के क्या हो रहा है. कल्लो की 2 अँगुलिया अब उसकी चूत में अंदर बाहर हो रही थी. कभी दर्द की एक तेज़ लहर उसकी जान निकाल देती तो कभी इतना मज़ा आता के उसका दिमाग़ सुन्न पड़ जाता. कल्लो अब भी उसके उपेर झुकी हुई उसके होंठ चूस रही थी. उपेर उसकी जीभ रूपाली के मुँह में अंदर बाहर हो रही थी, नीचे उसकी अँगुलिया चूत में.

क्रमशः........................................
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