RE: Hindi Sex Porn खूनी हवेली की वासना
खूनी हवेली की वासना पार्ट --47
गतान्क से आगे........................
"मुझे तो समझ नही आ रहा के जब जै मौका-ए-वारदात से रंगे हाथ पकड़ा गया तो आप और क्या इन्वेस्टिगेट करना चाह रहे हैं. पर अगर इस सबका नतीजा ये है के केस जल्दी ख़तम होगा और मैं लंडन जा पाऊँगा, तो मैं आपके साथ पूरी तरह को-ऑपरेट करने को तैय्यार हूँ" कुलदीप आराम से कुर्सी से टेक लगाकर बैठ गया.
ख़ान ने एक बार उसको उपेर से नीचे तक अच्छी तरह देखा. वो एक मीडियम बिल्ट का गोरा चिटा हॅंडसम लड़का था. चेहरे और आँखों से समझदारी सॉफ झलकती थी.
"नो" ख़ान बोला "यू आर नोट को-ऑपरेटिंग विथ मी कॉज़ यू वाना गो बॅक टू लंडन. यू आर सिट्टिंग हियर टॉकिंग टू मी कॉज़ यू डोंट वॉंट दा वर्ड अबौट यू आंड पायल टू गो आउट. कॉज़ यू आर टू स्केर्ड ऑफ वॉट यू एल्डर ब्रदर ईज़ गोयिंग टू डू अबौट इट"
"यआः दट ईज़ आ रीज़न टू" कुलदीप ने भी बात मान ली.
"ऑल राइट देन" ख़ान ने एक सिगरेटे जलते हुए कहा "खून के वक़्त आप कहाँ थे?"
"जी मैं अपने रूम में था. टी.वी. देख रहा था और तब नीचे आया जब हवेली में शोर उठा"
"कोई इस बात की गवाही दे सकता है?"
"ओह" कुलदीप ऐसे बोला जैसे कोई बहुत बड़ी बात समझ आ गयी हो "सो आइ आम ऑन दा सस्पेक्ट लिस्ट टू"
"ऑफ कोर्स" ख़ान ने भी उसी अंदाज़ में जवाब दिया "नाउ गेटिंग बॅक टू दा क्वेस्चन. कोई इस बात की गवाही दे सकता है?"
"हां" कुलदीप बोला "मेरी भाभी उस वक़्त मेरे कमरे में आई थी"
"रूपाली जी?"
"एस" कुलदीप बोला "मेरे कुच्छ कपड़े बाहर सूख रहे थे. भाभी उनको देने के लिए आई थी. और उसी बीच पायल भी मेरे कमरे में थोड़ी देर के लिए बात करने आई थी. तो वो भी मेरी अलीबी है"
"ओके आंड अपने बड़े भाई की मौत के बारे में आपका क्या ख्याल है?"
"कौन तेज भैया?" कुलदीप बोला "नोट मच आइ हॅव तो कॉँमेंट. ही वाज़ ए ड्रंक आंड ही डाइड कॉज़ ऑफ दट"
"इस पूरे केस से रिलेटेड आप कुच्छ भी ऐसा मुझे बता सकते हैं जो यू थिंक ईज़ विर्द? कुच्छ ऐसा जो आपको अजीब लगा था या कुच्छ ऐसा जो इस केस में हेल्प कर सके?"
कुलदीप सोचने लगा.
"सोचिए. शायद कुच्छ याद आ जाए" ख़ान ने कहा
"नही याद नही कर रहा हूँ. याद तो मुझे है. मैं सिर्फ़ ये डिसाइड करने की कोशिश कर रहा हूँ के बताऊं या नही"
"कुच्छ ऐसा है जो आप जानते हैं"
"यस" कुलदीप बोला "कॅन आइ गेट आ सिगरेट?"
"ओक" ख़ान ने सिगरेट कुलदीप की तरफ बढ़ाई "क्या जानते हैं आप?"
"आइ थिंक ये बात शायद आप भी जानते होंगे बट माइ डॅड हॅड आन इल्लिसिट रीलेशन. नाजायज़ रिश्ता"
"किसके साथ?" ख़ान ने बिंदिया के बारे में सोचा पर फिर अंजान बनते हुए कहा
"दट आइ डुन्नो पर उस रात मैने उनके कमरे से एक लड़की को निकलते हुए देखा था" कुलदीप सिगरेट का काश लगाता हुआ बोला
"कौन लड़की?"
"आइ डुन्नो. पर उस रात थोड़ी देर के लिए लाइट गयी थी. भाभी मुझे कपड़े देने के लिए मेरे कमरे में आई और फिर मैं टीवी देख ही रहा था के लाइट चली गयी. मेरे कमरे में पानी नही था इसलिए मैं नीचे आया"
"ओके और फिर?"
"फिर मैं किचन की तरफ बढ़ ही रहा था के डॅड के कमरे का दरवाज़ा खुला और उसमें से एक लड़की बाहर आई. उसके बिखरे हुए बाल देख कर ही अंदाज़ा हो जाता था के वो अंदर क्या करके आई है"
"कौन थी वो लड़की?"
"एज आइ सेड, आइ डुन्नो. उस वक़्त ड्रॉयिंग हॉल में काफ़ी अंधेरा था और उस लड़की की पीठ मेरी तरफ थी"
"अंधेरा था तो आपको बाल कैसे दिख गये?"
"जब वो बाहर थी तो उसी वक़्त डॅड कमरे से एक सेकेंड के लिए बाहर आए और उन्होने उस लड़की को कुच्छ दिया, आइ डुन्नो वॉट. उनके कमरे से कॅंडल की हल्की सी रोशनी आ रही थी. उसी रोशनी में एक पल के लिए उस लड़की के बॉल दिखाई दिए"
"पर लड़की का चेहरा नही दिखा?"
"नो" कुलदीप गर्दन हिलाता हुआ बोला
"कैसे बाल थे उसके?"
"लंबे बाल थे" कुलदीप हस्ने लगा "ये लंडन नही है ख़ान साहब जहाँ लड़किया बाल अलग अलग तरीके से कटवाती हैं. ये गाँव है जहाँ बालों का एक ही स्टाइल होता है. सीधे लंबे बाल और उस लड़की के भी वैसे ही थे आंड गेस वॉट, हवेली में रहने वाली हर औरत के बॉल ऐसे ही हैं. सो नो, मैं बालों के अंदाज़े से नही बता सकता के वो कौन थी"
"आपको कैसे पता के वो हवेली में रहने वाली ही कोई थी? कोई बाहर की भी हो सकती है?"
"कोई बाहर की औरत? मेरे डॅड इस तरह अपने बेडरूम में लाएँगे? अपनी पूरी फॅमिली के सामने? यू गॉटा बी किडिंग मी"
"ह्म्म्म्ममम" ख़ान बोला "गुड पॉइंट. सो लेट्स सी, हवेली में रहती है बिंदिया, पायल, आपकी मोम, रूपाली और आपकी बहेन. सिन्स वो घर की कोई औरत नही हो सकती तो आइ आम गेसिंग के वो घर की कोई नौकरानी ही थी. या तो बिंदिया या पायल ......."
"ऑल राइट स्टॉप इट" कुलदीप तड़प कर बोला "वो पायल नही थी"
"क्यूँ? आप उससे प्यार करते हैं इसलिए?"
"नही कॉज़ वो औरत इन दोनो के सिवा कोई और भी हो सकती है"
"कौन? आपकी मोम जो व्हील चेर पर बैठी हैं? या आपकी बहेन जो ......"
"या मेरी भाभी" कुलदीप ने बीच में बात काट दी
ख़ान अब तक सोच रहा था के नाम बिंदिया का आएगा पर जब अचानक नाम रूपाली का आ गया तो वो भी चौंक पड़ा.
"आपकी भाभी? रूपाली?"
"ओह कम ऑन. डोंट लुक सो सर्प्राइज़्ड. एवेरिवन नोस शी ईज़ ए स्लट आंड आइ आम शुवर यू हॅव हर्ड ऑफ इट टू" कुलदीप ने कहा
"वेल इट विल टेक मोरे दॅन जस्ट ए गॉसिप फॉर मी टू बिलीव दट यू फादर हॅड ए रीलेशन विथ हिज़ डॉटर इन लॉ"
"ओके देन हाउ अबौट दिस" कुलदीप आगे को झुकता हुआ बोला "जब भाभी मेरे कमरे में मुझे कपड़े लौटने आई तो उन्होने एक गुलाबी रंग का सलवार सूट पहेन रखा था और जो औरत डॅड के कमरे से निकली थी, उसने वही गुलाबी रंग का सूट पहना हुआ था. आइ नो लाइट नही थी पर उस हल्की सी रोशनी में मैने कपड़े पहचान लिए थे"
ख़ान चुप चाप कुलदीप की तरफ देख रहा था
"आइ नो के मैं अपने ही घर की इज़्ज़त उड़ा रहा हूँ बट हेल, हू केर्स. वैसे भी इज़्ज़त बची नही है कुच्छ. आंड गेस वॉट, ई वाज़ नोट दा ओन्ली वन हू सॉ इट. माइ ब्रदर ऑल्सो सॉ इट. ही वाज़ स्टॅंडिंग ऑन दा अदर साइड ऑफ दा हॉल"
"कौन पुरुषोत्तम?" ख़ान ने पुछा तो कुलदीप ने हां में सर हिला दिया
दोनो चुप होकर बैठ गये. ख़ान का सर चकराने लगा. उसको सारी बात एक एक करके याद आने लगी.
ठाकुर उस रात किसी के साथ सोया था.
उसने सोचा था के वो बिंदिया थी.
कुलदीप कहता था के वो रूपाली थी क्यूंकी उसने एक गुलाबी रंग का सलवार कमीज़ पहेन रखा था.
कल ही पायल बैठी कह रही थी के रूपाली ने उसको एक हल्के गुलाबी रंग का सलवार कमीज़ दिया था.
"मर्डर की रात आप हवेली में क्या कर रहे थे?" ख़ान ने अपने सामने बैठे हुए इंदर से पुछा
"अम आइ ए सस्पेक्ट?" इंदर की शकल देख कर ही लग रहा था के वो काफ़ी घबराया हुआ था.
इंदर को देख कर ही इस बात का एहसास हो जाता था के उस इंसान को बचपन से किसी चीज़ की कोई कमी नही हुई. जो चाहा, वो मिल गया. रईसी उसके हर अंदाज़ में झलकती थी. शकल सूरत से वो अच्छा था पर अब भी बचपन की कई निशान उसकी पर्सनॅलिटी में रह गये थे. सारी ज़िंदगी कभी अपने माँ बाप तो कभी अपनी बड़ी बहेन का सहारा लेकर चलने वाला इंसान उसकी हर बात में शामिल था.
"नोट एट यू आर नोट" ख़ान ने जवाब दिया "पर आपकी जगह मैं होता तो पोलीस का पूरा साथ देता, ख़ास तौर से तेज की मौत के बाद"
"पर वो तो एक आक्सिडेंट था" इंदर ने बेचैन सा होते हुए जवाब दिया.
"अभी ये कह पाना ज़रा मुश्किल है के क्या आक्सिडेंट था और क्या इंटेन्षनल. फिलहाल मेरे सवाल आपसे ये है ठाकुर के क्या आप कुच्छ भी ऐसा जानते हैं जो मुझे नही पता या जो अगर मुझे बाद में पता लगे तो आप पर शक करने पे मजबूर कर दे?"
"नही ऐसा कुच्छ नही है मेरे पास बताने को" पर इंदर के अंदाज़ में झूठ कूट कूट कर भरा पड़ा था.
क्रमशः........................................
|