RE: Hindi Sex Porn खूनी हवेली की वासना
खूनी हवेली की वासना पार्ट --48
गतान्क से आगे........................
"ठाकुर इंद्रासेन राणा" ख़ान ने सीधा उसकी आँखों में देखते हुए सख़्त आवाज़ में कहा
"ऑल राइट ऑल राइट .... मी आंड कामिनी आर गोयिंग अराउंड आंड आइ डोंट थिंक हर फादर अप्रीशियेटेड दट"
"मतलब?" ख़ान का दिमाग़ उलझ कर रह गया
"मतलब ये के मैं और कामिनी प्यार करते थे एक दूसरे से. उसने एक बार अपने पिता से इस बारे में बात करने की कोशिश की पर वो आज भी पुराने ख्याल के थे. उन्हें यही लगा के लड़के का चक्कर अगर लड़की से है तो नो मॅटर के वो लड़का कितने अच्छे घर से है, वो लफंगा ही होगा क्यूंकी उसने लड़की को फँसा रखा है"
"बात आपने की थी?"
"नही मुझे कामिनी ने बताया था. शी वाज़ प्रेटी अपसेट अबौट इट टू. शी लव्ड मी टू मच यू नो"
"ओके" ख़ान ने हामी भरी
"उस रात हवेली मैं उसको भागने के लिए गया था"
और यहाँ ख़ान पर जैसे बॉम्ब सा फूटा.
"क्या?"
"हां" इंदर बोला "हम लोगों का भाग जाने का प्लान था. उस रात हवेली मैं उसी इरादे से गया था"
ख़ान ने अपना पेन और पेपर एक तरफ रख दिया.
"ठाकुर इंद्रासेन राणा. कुड यू प्लीज़ डिस्क्राइब मी दा इवेंट्स ऑफ तट नाइट. कुच्छ भी मत छ्चोड़िएगा, एक एक बारीक चीज़. जैसा आपने देखा वैसा"
"वेल मैं उस दिन शाम को वहाँ पहुँचा था. कामिनी और मैं पहले ही इस बारे में फोन पर बात कर चुके थे. मेरा प्लान तो ये था के हम दोनो बाहर ही कहीं मिल जाएँ पर वो ठाकुर साहब से एक आखरी बार और बात करना चाहती थी आंड ई आम नोट शुवर वाइ बट वो चाहती थी के जब वो इस बारे में बात करे, तो मैं भी उसके साथ वहाँ मौजूद रहूं"
"ओके" ख़ान ने अब सारी बातें लिखनी शुरू कर दी थी "कीप गोयिंग"
"तो उस शाम मैं हवेली पहुँचा. सब कुच्छ नॉर्मल था, जैसा की अक्सर होता है. मैं सबसे मिला पर ठाकुर साहब से उस वक़्त मुलाकात बड़ी कड़वी सी रही. मैने झुक कर उनके पावं च्छुने चाहे थे पर वो मुड़ कर चले गये"
"आपकी बहेन जानती हैं ये सब?"
"रूपाली दीदी? पहले नही जानती थी पर उस शाम जब ठाकुर साहब ने मेरे साथ ऐसा बर्ताव किया तो दीदी को अजीब लगा. मैने उन्हें टालना चाहा पर वो मानी नही और मजबूर होकर मुझे उनको सब बताना पड़ा"
"आंड हाउ डिड शी रिक्ट टू इट?"
"नोट टू गुड. शी वाज़ प्रेटी आंग्री टू सी हर ब्रदर ह्युमाइलियेटेड लाइक दट. बट एनीवेस, मेरी कामिनी से कोई बात हो नही पाई. मैं अपने कमरे में ही रहा और मर्डर के टाइम भी वहीं था"
"यू हॅव आन अलीबी?"
"यआः, माइ सिस्टर. शी केप्ट चेकिंग ऑन मी ऑल ईव्निंग. शी नोस आइ वाज़ इन माइ रूम ऑल ईव्निंग टिल दा टाइम ऑफ दा मर्डर"
"ओके. बोलते रहिए" ख़ान ने कहा
तभी शर्मा ख़ान के कमरे में दाखिल हुआ.
"सर" उसने अंदर दाखिल होए हुए कहा और और कमरे में बैठे इंदर को देख कर अचानक रुक गया.
"ओह्ह्ह्ह. मुझे पता नही था. बाद में आता हूँ" कह कर वो फिर बाहर जा ही रहा था के ख़ान ने हाथ के इशारे से रोक लिया.
"नही कोई बात नही. कहो"
शर्मा ने एक नज़र इंदर पर डाली जैसे सोच रहा हो के उसके सामने बताए या ना बताए.
"किस बारे में बात करनी है?" ख़ान उसकी दुविधा समझते हुए बोला
"वो आपने ठाकुर तेजविंदर सिंग की गाड़ी तलाश करने को कहा था ना" शर्मा बोला
"मिली?"
"हां सर मिल गयी"
"कहाँ?"
"नहर के किनारे ही मिली है एक जगह. लगता है के उन्होने वहाँ बैठ कर शराब पी होगी और फिर नहर में गिर पड़े. बहती हुई उनकी लाश आगे निकल गयी और अगले गाओं में मिली"
"ह्म्म्म्मम. और कुच्छ"
"हां" शर्मा बोला "वो अकेले नही थे. कोई लड़की थी वहाँ उनके साथ"
"लड़की?"
"हां सर" शर्मा बोला
"कैसे पता?"
"गाड़ी में से ये मिला है सर" कहते हुए शर्मा ने अपने हाथ में पकड़े प्लास्टिक बॅग से एक काले रंग का ब्रा निकाला.
"लगता है मरने से पहले शराब के साथ साथ शबाब भी लाए थे ठाकुर"
"ह्म्म्म्म" ख़ान बोला "इंट्रेस्टिंग. कोई फिंगर प्रिंट्स?"
शर्मा ने इनकार में गर्दन हिला दी.
"इसको चेक कराओ. देखो इस पर कोई फिंगर प्रिंट्स मिलते हैं या नही" ख़ान ने शर्मा के हाथ में पकड़े ब्रा की तरफ इशारा किया
"कहाँ सर. इस पर तो ठाकुर तेज के फिंगर प्रिंट्स ही मिलेंगे. खोला तो उन्होने ही होगा"
ख़ान ने घूर कर देखा तो शर्मा हस्ता हस्ता चुप हो गया.
"अगर कोई लड़की थी तो सवाल ये है के उसने पोलीस को क्यूँ नही बताया जब तेज नहर में गिरा था" इस बार इंदर बोला
शर्मा और ख़ान दोनो ने घूर कर उसकी तरफ देखा जैसे आँखों आँखों में सवाल कर रहे हों के आपकी सलाह किसने माँगी?
"सॉरी" इंदर बोला "जस्ट ए पॉइंट ऑफ व्यू. ऐसा भी हो सकता है के तेज लड़की के जाने के बाद नहर में गिरा हो इसलिए लड़की को पता ही ना हो"
"सवाल ही पैदा नही होता" शर्मा फ़ौरन बोला "गाड़ी गाओं के बाहर जंगल के बीच मिली है. लड़की अगर वहाँ गयी तेज के साथ थी तो पैदल थोड़े आई होगी. तो उसने तो देखा ही होगा"
"पर अगर गाड़ी वहाँ मिली है तो आब्वियस्ली वो पैदल ही आई है. तेज के नहर में गिरने के बाद पैदल आई या पहले, ये सवाल मतलब का है" इंदर भी आगे से बोला
तभी दोनो ने ख़ान की तरफ देखा. ख़ान शर्मा को हैरत से देख रहा था जैसे कह रहा हो के हाउ कुड यू डिसकस दा केस वित सम्वन हू हिमसेल्फ ईज़ ए सस्पेक्ट?
"सॉरी सर" शर्मा मुँह बंद करता हुआ बोला
"इस ब्रा पे फिंगर प्रिंट्स चेक कराओ और देखो के वहाँ आस पास किसी और गाड़ी के टाइयर्स के निशान हैं क्या" उसने शर्मा से कहा. शर्मा गर्दन हिलाता हुआ चला गया.
"हां तो आप कह रहे थे?" उसने इंदर की तरफ घूमते हुए कहा
"फिर मैं पूरी शाम अपने कमरे में ही रहा. थोड़ी देर वॉक के इरादे से मैं खाना खाने के बाद बाहर निकला. ड्रॉयिंग रूम में मैने कामिनी को चाई की ट्रे लिए ठाकुर साहब के कमरे में जाते देखा तो मुझे लगा के शायद वो अब बात करेगी इसलिए मैं बाहर गया नही और फिर अपने कमरे में लौट आया. फिर उसके बाद थोड़ी देर के लिए लाइट गयी तो मैं अपने कमरे की खिड़की खोल कर वहीं खड़ा हो गया कॉज़ गर्मी लग रही थी"
"ओके" ख़ान लिख रहा था
"लाइट थोड़ी देर बाद ही आ गयी पर मैं खिड़की पर ही खड़ा रहा. हवा अच्छी चल रही थी. तभी हवेली के बाहर एक कार आकर रुकी और उसमें से जै निकला. वो अंदर गया और थोड़ी देर बाद ही पायल के चीखने की आवाज़ आई. उसके बाद आप जानते ही हैं के क्या हुआ"
इंदर बोल कर चुप हो गया पर ख़ान अपने सामने रखे उस पेपर को खामोशी से घूरता रहा जिसमें वो इंदर की सारी बातें लिख रहा था.
"सर?" उसको चुप देख फिर से इंदर बोला
"एक बात बताइए. यू सेड आपने कमरे में जाते हुए कामिनी को देख. आपको पूरा यकीन है वो कामिनी थी?"
"बिल्कुल यकीन है"
"आपने चेहरा देखा था कामिनी का?"
"नही चेहरा तो नही देखा कॉज़ उस वक़्त वो ऑलमोस्ट कमरे में दाखिल हो चुकी थी. बस उसके कपड़ो की एक हल्की सी झलक दिखाई दी"
"कपड़े?"
"हां. दीदी अपने और कामिनी के लिए एक हल्के गुलाड़ी रंग का सलवार कमीज़ लाई थी. दोनो बिल्कुल एक जैसे दिखते हैं. एक दीदी के पास था और दूसरा कामिनी के पास. उस रात कामिनी ने वही सूट पहेन रखा था जिसे देख कर मैं समझ गया था के ये वही है"
"ये भी तो हो सकता है के वो आपकी बहेन हो. उनके पास भी तो वैसा ही सलवार कमीज़ है"
"नही दीदी अपने कमरे में ही थी, मैने उनके कमरे के आगे से निकलते हुए अंदर जीजाजी से उन्हें बात करते सुना था. तो वो लड़की कामिनी ही थी"
"मैं ठाकुर साहब को काहे को मारूँगा साहब?" ख़ान के सामने बैठा चंदर जैसे बिलख कर रोने को तैय्यार था. थोड़ा बहुत वो लिख पढ़ सकता था इसलिए ख़ान ने उसके लिए एक पेन और पेपर का इंटेज़ाम करा दिया था.
"मैने कब कहा के तूने मारा है?" ख़ान ने 2 टुक जवाब दिया
चंदर एकदम चौंक पड़ा.
"अब बता सीधे सीधे, जब ठाकुर साहब का खून हुआ, तब कहाँ था तू?"
"मैं गेट पर ही था साहब" चंदर ने काग़ज़ पर लिखा.
"पूरी बात बता, शुरू से आख़िर तक. क्या क्या देखा?"
क्रमशः........................................
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