RE: Hindi Sex Porn खूनी हवेली की वासना
खूनी हवेली की वासना पार्ट --52
गतान्क से आगे........................
6. और ठीक उसी टाइम, इंदर जी आप नीचे आए. चारो तरफ अंधेरा था इसलिए आपने तो पुरुषोत्तम जी को वहाँ खड़े देख लिया पर वो आपको नही देख पाए. आपने देखा के लाइट गयी हुई है और ठाकुर के कमरे के बाहर एक लड़की खड़ी है जो की आपको लगा के कामिनी है. बस आप ज़रा ग़लती यहाँ कर बैठे के आपने सोचा लड़की कमरे में जा रही है जबकि लड़की कमरे से बाहर आई थी. आपने भी वही देखा जो पुरुषोत्तम साहब ने देखा. एक लड़की ऐसी हालत में के कोई भी देख कर कह देगा के वो अंदर क्या करके आई है. अब जबकि आप सोच रहे थे के लड़की कामिनी है, तो जो आपने देखा वो देख कर आप पर क्या बीती होगी वो मैं बस सोच ही सकता हूँ. एक बाप और बेटी के बीच ऐसा रिश्ता, छ्हि छ्हि छ्हि ... गुस्सा तो बहुत आया होगा, नही?"
"आप अपनो हद से बाहर जा रहे हैं" अब तक खामोश बैठी कामिनी बोली
"अपनी औकात में रह ख़ान" पुरुषोत्तम चिल्लाया
"शट अप" ख़ान उससे भी ऊँची आवाज़ में चिल्लाया और कमरे में फिर खामोशी च्छा गयी.
" 7. खैर. कुच्छ देर बाद ही लाइट आ गई. उसके बाद तकरीबन 9.30 बजे तेज ठाकुर अपने बाप के कमरे में उनसे बात करने पहुँचे थे" ख़ान ने बात जारी रखी "वो वसीयत को लेकर झगड़ा करने गये थे. कुच्छ कहा सुनी हुई और इससे पहले के बात आगे बढ़ती, सरिता देवी अपने पति के कमरे में आ पहुँची और तेज ठाकुर गुस्से में पावं पटकते चले गये.
8. 9:40 के करीब सरिता देवी अपने पति के कमरे में पहुँची. उनके आने के बाद ही तेज ठाकुर उनके कहने पर वहाँ गये थे.
9. 9:45 के करीब ठाकुर ने भूषण को बुलाकर गाड़ी निकालने को कहा. कहाँ जाना था ये नही बताया और खुद सरिता देवी भी ये नही जानती थी के उनके पति कहाँ जा रहे हैं.
10. 10:00 बजे के करीब भूषण वापिस ठाकुर के कमरे में चाबी लेने गया. ठाकुर उस वक़्त कमरे में अकेले थे और सरिता देवी बाहर कॉरिडर में बैठी थी.
11. 10:00 के करीब ही जब भूषण ठाकुर के कमरे से बाहर निकला तो पायल कमरे में गयी ये पुच्छने के लिए के ठाकुर को और कुच्छ तो नही चाहिए था. पायल के हिसाब से ठाकुर ने उसको मना कर दिया और वो ऐसे ही बाहर आ गयी. पर ये एक पर्फेक्ट मौका था पायल या बिंदिया दोनो के लिए के ठाकुर साहब का काम तमाम करें. दौलत का जो हिस्सा इतनी मुश्किल से हाथ लगा था, वो अपने नाम ही रहता.
12. चंदर, बेटे तू कहता है के तू हवेली के गेट पर था पर जै के आने से पहले तुझे वहाँ किसी ने नही देखा था. गेट से घूमकर हवेली के पिछे की तरफ आना, ठाकुर साहब का खून करना और वापिस गेट पर पहुँच जाना, ज़्यादा मुश्किल और टाइम खपाने वाला काम नही था.
13. 10:05 के करीब जब भूषण कार पार्किंग की और जा रहा था तब उसने और ठकुराइन ने जै को हवेली में दाखिल होते हुए देखा.
14. 10:15 पर जब पायल किचन बंद करके अपने कमरे की ओर जा रही थी तब उसने ठाकुर के कमरे से जै को बाहर निकलते देखा. वो पूरा खून में सना हुआ था जिसके बाद उसने चीख मारी.
15. उसकी चीख की आवाज़ सुनकर जै को समझ नही आया के क्या करे. वो पायल को बताने लगा के अंदर ठाकुर साहब ज़ख़्मी हैं और इसी वक़्त पुरुषोत्तम और तेज आ गये. जब उन्होने जै को खून में सना देखा और अपने बाप को अंदर नीचे ज़मीन पर पड़ा देखा तो वो जै को मारने लगे.
16. जै भागकर किचन में घुस गया और अंदर से दरवाज़ा बंद कर लिया.
17. 10:45 के करीब मुझे फोन आया था के ठाकुर का खून हो गया है जिसके बाद मैं हवेली पहुँचा."
बात पूरी करके ख़ान चुप हो गया.
"ओके" किरण बोली "थ्ट्स वेल एक्सप्लेंड. बट दा क्वेस्चन ईज़ स्टिल दा सेम. खून किया किसने था? विच वन ईज़ दा मर्डरर?
"दट वन" ख़ान ने अपनी अंगुली ड्रॉयिंग हॉल में मौजूद एक इंसान की तरफ उठाई "देर ईज़ अवर मर्डरर, दा वन हू किल्ड ठाकुर"
"इस सारे किस्से में सबसे गौर तलब बात ये है के हर किसी की गवाही किसी ना किसी ने दी है और ठाकुर साहब को उनकी मौत से 10 में पहले तक किसी ने ज़िंदा देखा था, मतलब के खून 10 मिनट में हुआ था. इसी बात ने मुझे सबसे ज़्यादा उलझा रखा था पर आक्च्युयली यही बात सबसे बड़ा क्लू थी" ख़ान ने समझाना शुरू किया
1. सरिता देवी - पूरी शाम अपने कमरे में थी. हर रात सोने से पहले अपने पति के कमरे में जाती थी और थोड़ी देर बात करके वापिस अपने कमरे में ही आकर सो जाती थी. उस रात भी ठाकुर साहब के कमरे में पहुँची और तकरीबन 10 बजे तक रही. इस बात की गवाही घर के 2 नौकर दे सकते हैं. पहले बिंदिया जो ठकुराइन की व्हील चेर को धकेल कर यहाँ से वहाँ ले जाती है. वो ही ठकुराइन को व्हील चेर पर बैठाती और उतारती है. उसने उस रात ठकुराइन को कमरे से ठाकुर के कमरे तक छ्चोड़ा और करीब 15-20 मिनट बाद कमरे से बाहर लाकर कॉरिडर में छ्चोड़ा. दूसरी गवाही भूषण दे सकता है जिसने ठकुराइन को पहले ठाकुर के कमरे में बात करते देखा और फिर बाद में कॉरिडर में बैठे देखा. इस पूरे वक़्त के दौरान ठाकुर साहब ज़िंदा थे.
2. पुरुषोत्तम सिंग - शाम को तकरीबन 6 बजे घर वापिस आए थे. अपने कमरे में गया और रात 8 बजे तक वहीं रहा. उसके बाद वो ऐसे ही थोड़ा घूमने के लिए बाहर निकला, शराब की दुकान से शराब खरीदी, नहर के किनारे बैठ कर पी और 9 बजे के करीब घर वापिस आए. पर इनके अपने कमरे में जाने के बाद भी ठाकुर साहब को ज़िंदा देखा गया था. इनके कमरे में होने की गवाही इनकी बीवी दे सकती हैं.
3. कुलदीप सिंग - इनकी गवाही इनकी बहेन दे सकती हैं जिन्होने इनको कमरे में देखा था. इनके कमरे में होने के वक़्त और बाद में भी ठाकुर साहब ज़िंदा थे.
5. कामिनी - इनकी गवाही इनके भाई देते हैं जिनके साथ ये खून होने के टाइम पर थी.
6. भूषण - रात 9 बजे वापिस अपने कमरे में पहुँचा. ठाकुर के बुलाने पर उनके कमरे में गया और फिर गाड़ी निकाली. इसकी गवाही ठकुराइन और खुद जै दे सकता है जिन्होने इसको खून के टाइम हवेली के बाहर खड़ा देखा.
7. बिंदिया - पूरा दिन ठकुराइन के साथ थी. बस क़त्ल के वक़्त अपने बेटी के साथ थी. इसकी गवाही इसकी बेटी दे सकती है.
8. पायल - बस एक आप मोह्तर्मा ही हैं जिनके बारे में ये कहा जा सकता है के आप ऐसा कर सकती हैं पर आपने ऐसा किया तो बाहर बैठी ठकुराइन को कुच्छ क्यूँ पता नही चला?
9. रूपाली - इनकी गवाही इनके पति देते हैं जिनके साथ ये खून होने के टाइम पर थी.
10. इंद्रासेन राणा - खून के वक़्त ये भी कमरे में ही थे. इसकी गवाही इनकी बहेन दे सकती हैं.
11. चंदर - जिस टाइम जै हवेली में दाखिल हुआ, ये गेट पर था और इसकी गवाही जै खुद दे सकता है.
ठाकुर साहब को आखरी बार ज़िंदा 3 लोगों ने देखा था, सरिता देवी, भूषण और पायल. पायल आखरी थी और भूषण ने उससे पहले पर इन दोनो ने ठाकुर साहब को सामने नही देखा था, सिर्फ़ बाथरूम में उनकी आवाज़ सुनी थी. वो बाथरूम में खड़े इनसे बात कर रहे थे.
"ओके" किरण बोली
"यही सोचकर मैने बाथरूम का जायज़ा लिया. थोड़ी सी अल्ट्रा वायिलेट लाइट डालने से ही वहाँ खून के धब्बे सॉफ दिखाई दे गये"
"आंड?" किरण बोली
"आंड ये के उनपर हमला पहले ही हो चुका था और वो बाथरूम में खड़े बहते खून को रोकने की कोशिश कर रहे थे. हमला करने वाला उनके अपने घर का था इसलिए शोर भी नही मचा सकते थे. बस खामोशी से भूषण को गाड़ी निकालने को कहा क्यूंकी वो डॉक्टर के पास जाना चाहते थे"
"ओह" भूषण बोला "उसको अपने सवाल का जवाब मिल गया के उस रात ठाकुर कहाँ जा रहे थे.
"उस रात ठाकुर साहब के कमरे से लड़की को निकलते देख पुरुषोत्तम जी ने सोचा के रूपाली हैं, इंदर को लगा के पायल है पर वही नज़ारा अगर एक माँ देखती तो उसको क्या लगता?"
कहता हुआ ख़ान ठीक सरिता देवी के सामने जा खड़ा हुआ.
"आपके पति आपके साथ नही सो सकते थे और दूसरी औरतों के साथ सो रहे थे ये बात आप जानती थी. पर उस रात जब पायल कमरे से निकली तो उसको 2 नही, 3 लोगों ने देखा था. पुरुषोत्तम ,इंदर और आपने. आपके गुस्से की अब इंतेहाँ नही रही जब आपको लगा के निकलने वाली आपकी अपनी बेटी है जो अपने बाप के साथ सोकर आई है. गुस्से में तपती आप ठाकुर साहब के कमरे में पहुँची. आपको आया देख तेज ठाकुर अपनी कमरे में चले गये. आप और ठाकुर साहब के बीच झगड़ा हुआ. गुस्से में आपके हाथ में स्क्रू ड्राइवर आ गया और आपने उसी से ठाकुर साहब पर हमला किया. मैं सिर्फ़ अंदाज़ा लगा सकता हूँ के उस वक़्त ठाकुर साहब आपकी व्हील चेर के नज़दीक ही थे इसलिए आप उनपर हमला कर सकी. स्क्रू ड्राइवर उनके सीने के अंदर पेवस्त हो गया और उस पतली सी चीज़ ने उनका लंग पंक्चर किया. ठाकुर साहब सेहतमंद आदमी थे इसलिए फ़ौरन गिरे नही. वो बाथरूम में गये और अपने ज़ख़्म च्छुपाने की कोशिश करने लगे क्यूंकी ये समझाने के लिए के उनकी पत्नी ने उनपर क्यूँ हमला किया उनको बहुत कुच्छ समझाना पड़ता. अपनी इज़्ज़त बचाने के लिए वो चुप रहे और भूषण को कह कर जल्दी गाड़ी निकालने को कहा. और यही वो वक़्त था जब बिंदिया, पायल और भूषण ने ठाकुर साहब को बाथरूम से बात करते हुए सुना. बिंदिया आपको कमरे के बाहर छ्चोड़ गयी थी इसलिए सबको यही लगा के आपके बाहर आ जाने के बाद तक ठाकुर साहब ज़िंदा थे जो कि असल में वो थे भी पर ज़्यादा देर तक नही रहे. लंग पंक्चर होने की वजह से उनकी साँस ज़्यादा देर नही चली. ठीक उसी वक़्त जै वहाँ पहुँचा और उसको वो ज़मीन पर गिरे पड़े मिले. सबको लगा के खून उसने किया है पर हक़ीक़त तो ये है के वो जानलेवा वार आप 15 मिनट पहले ही करके आ गयी थी"
थोड़ी देर के लिए सब चुप रहे.
"आप सही कह रहे हैं" अब तक चुप चाप सब सुन रही ठकुराइन बोली.
सरिता देवी अपना इक़बाल-ए-जुर्म कर चुकी थी और जै को जैल से रिहा कर दिया गया था.
ख़ान को भी उस छ्होटे से गाओं से वापिस हेडक्वॉर्टर में ट्रान्स्फर करने के ऑर्डर्स आ गये थे.
मीडीया में उस केस को फिर से ज़बरदस्त तरीके से उछाला गया और ख़ान को उम्मीद से कहीं ज़्यादा वाह-वाही मिली.
गाओं में उसकी वो आखरी रात थी. समान वो सारा पॅक कर चुका था.
"ओके आइ विल लीव नाउ" किरण सारा दिन उसके साथी ही थी और समान पॅक करने में उसका हाथ बटा रही थी "आंड आइ विल पिक यू अप टुमॉरो अट 11"
"मत जाओ ना" ख़ान ने उसका हाथ पकड़ते हुए कहा "रात यहीं रुक जाओ. सुबह साथ ही चल लेंगे"
"यू नो आइ कॅंट डू दट" किरण धीरे से उसे नज़दीक आते हुए बोली
"वाइ नोट?"
"बिकॉज़ काम है मुझे कुच्छ" किरण मुस्कुराते हुए बोली
"शाम के 6 बज रहे हैं. घर पहुँचते पहुँचते तुम्हें कम से कम 9 बज जाएँगे. काम तो जो भी है वैसे ही पूरा नही होगा"
"वो तुम मुझपे छ्चोड़ दो. खाना ख़ाके सो जाना, मैं कल सुबह पिक करती हूँ"
किरण के जाने के बाद ख़ान के पास करने को ख़ास कुच्छ नही था. उसने स्टोव पर चाइ रखी और रेडियो ऑन किया. एक गाज़ल की आवाज़ कमरे में फेल गयी.
"पूरी होगी आपकी हर फरमाइश,
एक भी ना हमसे टाली जाएगी,
आ पड़ा है आशिक़ी से वास्ता,
अब तबीयत क्या संभाली जाएगी ....."
क्रमशः........................................
खूनी हवेली की वासना पार्ट --52
|