RE: Vasna Sex Kahani बदनाम रिश्ते
मां अब तक मेरे धीरे धीरे सताने वाले बर्ताव से चिढ़ गयी थी. वह मुझे अलग कर के पीछे सरकी, एक झटके में अपनी पैंटी उतार के फ़ेक दी, अपने कपड़ों को नीचे बिछाया और उन पर लेट गयी. अपने घुटने मोड़ कर अपनी जांघें उसने फ़ैलायीं और अपनी चूत को मेरे सामने खोल कर बोली "और कुछ खोलूं क्या? अब जल्दी से अपना लंड डाल!"
मैंने अपने कपड़े उतारे और मां की टांगों के बीच घुटने टेक कर बैठ गया. मेरी मां अपनी नजरें गड़ा कर मेरे मस्त तन्नाये हुए लंड को देख रही थी. मैंने हाथ में लौड़ा लिया और धीरे से चमड़ी पीछे खींची. लाल लाल सूजे हुए सुपाड़े को देख कर मां की जांघें अपने आप और फ़ैल गयीं. हम दोनों अब असहनीय वासना के शिकार हो चुके थे.
मम्मी भर्रायी आवाज में बोली "अब देर मत कर बेटे, अपना लंड मेरे अन्दर कर दे जल्दी से". मैंने लंड पकड़ कर सुपाड़ा मां की चूत के द्वार पर रखा. फ़िर उसके घुटने पकड़ कर उसकी जांघें और फ़ैलाते हुए आंखों में आंखें डाल कर पूछा "चोद दूं तुझे?"
मां का पूरा शरीर मस्ती से कांप रहा था. उसने अपना सिर हिला कर मूक जवाब दिया ’हां’, मैंने घुटनों पर बैठे बैठे झुक कर एक धक्का दिया और लंड को उसकी बुर में घुसेड़ दिया. जैसे ही मोटा ताजा सुपाड़ा उसकी गीली बुर में घुसा, मम्मी की चूत के पपोटे पूरे तन कर चौड़े हो गये. मां सिसक कर बोली "आ बेटे मेरे ऊपर चढ़ जा." यह सुनकर लंड को वैसा ही घुसाये हुए मैं आगे झुका और अपनी कोहनियां उसकी छाती के दोनों ओर टेक दीं. फ़िर अपने दोनों हाथों में मैंने अम्मा की चूंचियां पकड़ लीं.
हम दोनों अब एक दूसरे की आंखों में आंखें डाल कर देख रहे थे. मैंने अब एक कस कर धक्का दिया और मेरा पूरा लंड मां की चूत की गहराई में समा गया. लंबी प्रतीक्षा और चाहत के बाद लंड घुसेड़ने का काम आखिर खत्म हुआ और हमारा ध्यान अब चुदाई के असली काम पर गया. मैं मां को चोदने लगा. हम दोनों वासना में डूबे हुए थे और एक दूसरे की कामपीड़ा को समझते हुए पूरे जोर से एक दूसरे को भोगने में लग गये.
मां की मतवाली चूत बुरी तरह से चू रही थी और मेरा लंड उसकी बुर के रस से पूरी तरह चिकना और चिपचिपा हो गया था. मैं पूरे जोर से धक्के मार मार कर मम्मी को चोद रहा था. अपनी मां को चोदते हुए मुझे जो सुख मिल रहा था वह अवर्णनीय है. मैंने उसके गुदाज बड़े बड़े स्तन अपने पंजों में जकड़ रखे थे और उसकी आंखों में देखते हुए लंबे लंबे झटकों के साथ उसकी चूत में अपना लंड अंदर बाहर कर रहा था.
अम्मा का चेहरा अब कामवासना से तमतमा कर लाल हो गया था और गर्मी से पसीने की बूंदें उसके होंठों पर चमकने लगी थीं. अब जैसे मैं लंड उसकी चूत में जड़ तक अंदर घुसेड़ता, वह जवाब में अपने चूतड़ उचका कर उल्टा धक्का मारती और अपनी चूत को मेरी झांटों पर दबा देती. मैंने उसकी आंखों में झांका तो उसने नजर फ़ेर ली और बुदबुदायी, "अब तू बच्चा नहीं रहा, तू तो पूरा आदमी हो गया है." मैंने पूछा "मां, तू चुद तो रही है ना अच्छी तरह?" मां कुछ न बोली, बस चूतड़ उचका उचका कर चुदाती रही.
उस दोपहर मैंने अपनी मां को अच्छा घंटे भर चोदा और चोद चोद कर उसकी चूत को ढीला कर दिया. आखिर पूरी तरह तृप्त होकर और झड़ कर जब मैं उसके बदन पर से उतरा तो मेरा झड़ा लंड पुच्च से उसकी गीली चिपचिपी बुर से निकल आया. अम्मा चुद कर जांघें फ़ैला कर अपनी अपनी चुदी बुर दिखाते हुए हांफ़ते हुए पड़ी थी.
वह धीरे से उठी और कपड़े पहनने लगी. मैंने भी उठ कर अपने कपड़े पहन लिये. हम खेतों के बाहर आ कर ट्रैक्टर तक आये और अम्मा बर्तन उठाने में लग गयी. बरतन जमाते जमाते बोली "रात को मेरे कमरे में एक बार आ जाना." मैंने पूछा "मां रात को फिर चूत मरवाएगी?" मां ने जवाब नहीं दिया, बोली "प्रीति को तो तू चोदता होगा?"
प्रीति मेरी छोटी बहन है, मुझसे एक साल छोटी है. मैंने आंखें नीची कर लीं. मम्मी बोली "ठीक से बता ना. बहन को तो बहुत लोग चोदते हैं."
मैं धीमी आवाज में बोला " नहीं मम्मी अभी तक तो नहीं"
मां मेरे पास आकर बोली "बेटे, अपनी बहन को नहीं चोदा तूने आज तक? बहन को तो सबसे पहले चोदना चाहिये, बेटे, भाई का लंड सबसे पहले बहन की चूत खोलता है. बेटे पता है? गांव में जितने भी घर हैं, सब घरों में भाई बहनों की चूत नंगी कर के उनमें लंड देते हैं." मुझे विश्वास ही नहीं हुआ कि मेरी मां खुद मुझे अपनी बहन को चोदने को कह रही थी.
"मुझे ही देख, तेरे मामाजी रोज चोदते हैं मुझे, दो दिन नहीं चुदी तो क्या हालत हो गयी मेरी. प्रीति को मत सता, चोद डाल एक बार" मां ने फ़िर कहा.
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