Vasna Sex Kahani बदनाम रिश्ते
07-03-2018, 11:19 AM,
#14
RE: Vasna Sex Kahani बदनाम रिश्ते
बीच में ही मैंने एक गली में कार रोक कर आश्चर्यचकित हुई मां को फ़िर आलिंगन में भर लिया और उसे बेतहाशा चूमने लगा. इस बार मैंने अपना हाथ उसके स्तनों पर रखा और उन्हें प्यार से टटोलने लगा. मां थोड़ी घबराई और अपने आप को छुड़ाने की कोशिश करने लगी. "सुन्दर, हमें यह नहीं करना चाहिये बेटे."

मैंने अपने होंठों से उसका मुंह बंद कर दिया और उसका गहरा चुंबन लेते हुए उन मांसल भरे हुए स्तनों को हाथ में लेकर हल्के हल्के दबाने लगा. बड़े बड़े मांसल उन उरोजों का मेरे हाथ में स्पर्श मुझे बड़ा मादक लग रहा था. इन्हीं से मैंने बचपन में दूध पिया था. मां भी अब उत्तेजित हो चली थी और सिसकारियां भरते हुए मुझे जोर जोर से चूमने लगी थी. फ़िर किसी तरह से उसने मेरे आलिंगन को तोड़ा और बोली. "अब घर चल बेटा."

मैंने चुपचाप कार स्टार्ट की और हम घर आ गये. घर में अंधेरा था और शायद सब सो गये थे. मुझे मालूम था कि मेरे पिता अपने कमरे में नशे में धुत पड़े होंगे. घर में अंदर आ कर वहीं ड्राइंग रूम में मैं फ़िर मां को चूमने लगा.

उसने इस बार विरोध किया कि कोई आ जायेगा और देख लेगा. मैं धीरे से बोला. "अम्मा, मैं तुम्हे बहुत प्यार करता हूं, ऐसा मैंने किसी और औरत या लड़की को नहीं किया. मुझसे नहीं रहा जाता, सारे समय तुम्हारे इन रसीले होंठों का चुंबन लेने की इच्छा होती रहती है. और फ़िर सब सो गये हैं, कोई नहीं आयेगा."

मां बोली "मैं जानती हूं बेटे, मैं भी तुझे बहुत प्यार करती हूं. पर आखिर मैं तुम्हारे पिता की पत्नी हूं, उनका बांधा मंगल सूत्र अभी भी मेरे गले में है."

मैं धीरे से बोला. "अम्मा, हम तो सिर्फ़ चुंबन ले रहे हैं, इसमें क्या परेशानी है?"

मां बोली "पर सुंदर, कोई अगर नीचे आ गया तो देख लेगा."

मुझे एक तरकीब सूझी. "अम्मा, मेरे कमरे में चलें? अंदर से बंद करके सिटकनी लगा लेंगे. बापू तो नशे में सोये हैं, उन्हें खबर तक नहीं होगी."

मां कुछ देर सोचती रही. साफ़ दिख रहा था कि उसके मन में बड़ी हलचल मची हुई थी. पर जीत आखिर मेरे प्यार की हुई. वह सिर डुला कर बोली. "ठीक है बेटा, तू अपने कमरे में चल कर मेरी राह देख, मैं अभी देख कर आती हूं कि सब सो रहे हैं या नहीं."

मेरी खुशी का अब अंत न था. अपने कमरे में जाकर मैं इधर उधर घूमता हुआ बेचैनी से मां का इंतजार करने लगा. कुछ देर में दरवाजा खुला और मां अंदर आई. उसने दरवाजा बंद किया और सिटकनी लगा ली.

मेरे पास आकर वह कांपती आवाज में बोली. "तेरे पिता हमेशा जैसे पी कर सो रहे हैं. पर सुंदर, शायद हमें यह सब नहीं करना चाहिये. इसका अंत कहां होगा, क्या पता. मुझे डर भी लग रहा है."

मैंने उसका हाथ पकड़कर उसे दिलासा दिया. "डर मत अम्मा, मैं जो हूं तेरा बेटा, तुझ पर आंच न आने दूंगा. मेरा विश्वास करो. किसी को पता नहीं चलेगा" मां धीमी आवाज में बोली "ठीक है सुन्दर बेटे." और उसने सिर उठाकर मेरा गाल प्यार से चूम लिया.

मैंने अपनी कमीज उतारी और अम्मा को बांहों में भरकर बिस्तर पर बैठ गया और उसके होंठ चूमने लगा. हमारे चुंबनों ने जल्द ही तीव्र स्वरूप ले लिया और जोर से चलती सांसों से मां की उत्तेजना भी स्पष्ट हो गई. मेरे हाथ अब उसके पूरे बदन पर घूम रहे थे. मैंने उसके उरोज दबाये और नितंबों को सहलाया. आखिर मुझ से और न रहा गया और मैंने मां के ब्लाउज़ के बटन खोलने शुरू कर दिये.

एक क्षण को मां का शरीर सहसा कड़ा हो गया और फ़िर उसका आखरी संयम भी टूट गया. अपने शरीर को ढीला छोड़कर उसने अपने आप को मेरे हवाले कर दिया. इसके पहले कि वह फ़िर कुछ आनाकानी करे, मैंने जल्दी से बटन खोल कर उसका ब्लाउज़ उतार दिया. इस सारे समय मैं लगातार उसके मुलायम होंठों को चूम रहा था. ब्रेसियर में बंधे उन उभरे स्तनों की बात ही और थी, किसी भी औरत को इस तरह से अर्धनग्न देखना कितना उत्तेजक होता है, और ये तो मेरी मां थी.

ब्लाउज़ उतरने पर मां फ़िर थोड़ा हिचकिचाई और बोलने लगी. "ठहर बेटे, सोच यह ठीक है या नहीं, मां बेटे का ऐसा संबंध ठीक नहीं है मेरे लाल! अगर कुछ ..."

अब पीछे हटने का सवाल ही नहीं था इसलिये मैंने उसका मुंह अपने होंठों से बंद कर दिया और उसे आलिंगन में भर लिया. अब मैंने उसकी ब्रेसियर के हुक खोलकर उसे भी निकाल दिया. मां ने चुपचाप हाथ ऊपर करके ब्रा निकालने में मेरी सहायता की.

उसके नग्न स्तन अब मेरी छाती पर सटे थे और उसके उभरे निपलों का स्पर्श मुझे मदहोश कर रहा था. उरोजों को हाथ में लेकर मैं उनसे खेलने लगा. बड़े मुलायम और मांसल थे वे. झुक कर मैंने एक निपल मुंह में ले लिया और चूसने लगा. मां उत्तेजना से सिसक उठी. उसके निपल बड़े और लंबे थे और जल्द ही मेरे चूसने से कड़े हो गये.

मैंने सिर उठाकर कहा "अम्मा, मैं तुझे बहुत प्यार करता हूं. मुझे मालूम है कि अपने ही मां के साथ रति करना ठीक नहीं है, पर मैं क्या करूं, मैं अब नहीं रह सकता." और फ़िर से मां के निपल चूसने लगा.

उसके शरीर को चूमते हुए मैं नीचे की ओर बढ़ा और अपनी जीभ से उसकी नाभि चाटने लगा. वहां का थोड़ा खारा स्वाद मुझे बहुत मादक लग रहा था. मां भी अब मस्ती से हुंकार रही थी और मेरे सिर को अपने पेट पर दबाये हुई थी. उसकी नाभि में जीभ चलाते हुए मैंने उसके पैर सहलाना शुरू कर दिये. उसके पैर बड़े चिकने और भरे हुए थे. अपना हाथ अब मैंने उसकी साड़ी और पेटीकोट के नीचे डाल कर उसकी मांसल मोटी जांघें रगड़ना शुरू कर दीं.

मेरा हाथ जब जांघों के बीच पहुंचा तो मां फ़िर से थोड़ी सिमट सी गयी और जांघों में मेरे हाथ को पकड़ लिया कि और आगे न जाऊं. मैंने अपनी जीभ उसके होंठों पर लगा कर उसका मुंह खोला और जीभ अंदर डाल दी. अम्मा मेरे मुंह में ही थोड़ी सिसकी और फ़िर मेरी जीभ को चूसने लगी. अपनी जांघें भी उसने अलग कर के मेरे हाथ को खुला छोड़ दिया.

मेरा रास्ता अब खुला था. मुझे कुछ देर तक तो यह विश्वास ही नहीं हो रहा था कि मेरी मां, मेरे सपनों की रानी, वह औरत जिसने मुझे और मेरे भाई बहनों को अपनी कोख से जन्मा था, वह आज मुझसे, अपने बेटे को अपने साथ रति क्रीड़ा करने की अनुमति दे रही है.

मां के पेटीकोट के ऊपर से ही मैंने उसके फ़ूले गुप्तांग को रगड़ना शुरू कर दिया. अम्मा अब कामवासना से कराह उठी. उसकी योनि का गीलापन अब पेटीकोट को भी भिगो रहा था. मैंने हाथ निकलाकर उसकी साड़ी पकड़कर उतार दी और फ़िर खड़ा होकर अपने कपड़े उतारने लगा. कपड़ों से छूटते ही मेरा बुरी तरह से तन्नाया हुआ लोहे के डंडे जैसा शिश्न उछल कर खड़ा हो गया.

मैं फ़िर पलंग पर लेट कर अम्मा की कमर से लिपट गया और उसके पेटीकोट के ऊपर से ही उसके पेट के निचले भाग में अपना मुंह दबा दिया. अब उसके गुप्तांग और मेरे मुंह के बीच सिर्फ़ वह पेटीकोट था जिसमें से मां की योनि के रस की भीनी भीनी मादक खुशबू मेरी नाक में जा रही थी. अपना सिर उसके पेट में घुसाकर रगड़ते हुए मैं उस सुगंध का आनंद उठाने लगा और पेटीकोट के ऊपर से ही उसके गुप्तांग को चूमने लगा.

मेरे होंठों को पेटीकोट के कपड़े में से मां के गुप्तांग पर ऊगे घने बालों का भी अनुभव हो रहा था. उस मादक रस का स्वाद लेने को मचलते हुए मेरे मन की सांत्वना के लिये मैंने उस कपड़े को ही चूसना और चाटना शुरू कर दिया

आखिर उतावला होकर मैंने अम्मा के पेटीकोट की नाड़ी खोली और उसे खींच कर उतारने लगा. मां एक बार फ़िर कुछ हिचकिचाई. "ओ मेरे प्यारे बेटे, अब भी वक्त है ... रुक जा मेरे बेटे .... ये करना ठीक नहीं है रे ..."

मैंने उसका पेट चूमते हुए कहा "अम्मा, मैं तुझसे बहुत प्यार करता हूं, तुम मेरे लिये संसार की सबसे सुंदर औरत हो. मां और बेटे के बीच काम संबंध अनुचित है यह मैं जानता हूं पर दो लोग अगर एक दूसरे को बहुत चाहते हों तो उनमें रति क्रीड़ा में क्या हर्ज है?."

मां सिसकारियां भरती हुई बोली. "पर सुन्दर, अगर किसी को पता चल गया तो?"

मैंने कपड़े के ऊपर से उसकी बुर में मुंह रगड़ते हुए कहा. "अम्मा, हम चुपचाप प्रेम किया करेंगे, किसी को कानों कान खबर नहीं होगी." वह फ़िर कुछ बोलना चाहती थी पर मैंने हाथ से उसका मुंह बंद कर दिया और उसके बाल और आंखें चूमने लगा. भाव विभोर होकर अम्मा ने आंखें बंद कर लीं और मैं फ़िर उसके मादक रसीले होंठ चूमने लगा.
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RE: Vasna Sex Kahani बदनाम रिश्ते - by sexstories - 07-03-2018, 11:19 AM

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