RE: Vasna Sex Kahani बदनाम रिश्ते
"नहीं नहीं बेटे .... गांड मत मार .... दुखता है रे ... तेरा यह मूसल तो फ़ाड़ देता है मेरी ... तू गांड खोलता है मेरी तो दिल धक धक करने लगता है रे बेटा डर के मारे ..."
"क्या अम्मा तुम भी ... कितना नखरा कर रही है आज ... इतने दिन से गांड मरा रही है और फ़िर भी कहती है कि दुखता है... सच बोल हफ़्ते में दो तीन बार नहीं मरवाती तू?"
"सच में दुखता है रे ... तू नहीं समझेगा .... मैं कहां मरवाती हूं, तू ही मार लेता है जिद करके .... गांड मत मार राजा ... ले मैंने चूत खोल दी तेरे लिये ... चोद ही ले पर गांड मत मार!"
"ये बात हुई ना, अब आई रास्ते पर. जरा और फ़ैला टांगें, रखने दे लंड तेरी चूत के दरवाजे पर .... ये ऽ ये घुसा अंदर ऽ ... अम्मा तू फ़ालतू में किरकिर कर रही है पर तेरी चूत कितनी पसीज रही है देख ... एक झटके में अंदर चला गया मेरा लौड़ा देख!"
"हां बेटे मैं क्या करूं ... तू आगोश में होता है तो पागल हो जाती है ये ... रस छोड़ती रहती है ... आह ऽ ... धीरे धीरे बेटे ... हौले हौले चोद ना .... चुम्मा दे ना बेटे ... चुम्मा ले लेकर चोद ... जरा प्यार से चोद ना अपनी मां को ... ऐसे रंडी के माफ़िक ना चोद"
"ठीक है मां ... धीरे धीरे चोदता हूं पर वायदा नहीं करता ... मेरा लंड बहुत मस्ती में है तेरी चूत का भूसा बनाना चाहता है ... असल में मां तू किसी रंडी से कम नहीं ... तेरे को देखते ही लंड खड़े हो जाते हैं लोगों के ... मेरे को मालूम है ... ले ... ऐसे ठीक है" ... चुम्मा दे ... तेरा चुम्मा बहुत मीठा है अम्मा .... जरा जीभ दे न चूसने को"
"ऊं ऽ अंम ऽ म ऽ चुम्म ऽ अं ऽ अं ऽ मं ऽ चप ऽ अरे जीभ क्यों चबाता है मेरी, खा जायेगा क्या ऽ ?"
"हां अम्मा चमचम है चमचम रसीली मीठी, चूसने दे जरा सप ऽ सुर्र ऽ अं ऽ ..... अम्मा तेरे मम्मे क्या नरम नरम हैं, रबर के बंपर जैसे लगते हैं छाती पर, भोंपू हैं भोंपू ऽ."
"हां राजा तभी तू ये भोंपू बजाता रहता है ना? ले और बजा, दबा ना और ऽ ... बहुत अच्छा लगता है रे .... हां ऐसे ही .... ओह ऽ कितना अच्छा चूसता है रे ... चूस मेरे लाल .... चूस .... चूस ले मेरे निपल मेरे राजा ... पी जा मां का दूध .... हाय ऽ ओह ऽ अरे काट मत ... कैसा करता है? ... हां ऐसे ही चूस ... और ... और जोर से .... हाय चोद ना अब"
"अम्मा, अब देख कैसे चूतड़ उछाल उछाल कर चुदवा रही है .... अभी कह रही थी कि धीरे धीरे बेटे .... रंडी जैसे ना चोद ... अब खुद रंडी जैसी चूतड़ उछाल कर मेरा लौड़ा खा रही है"
"अरे तू नहीं समझेगा मेरे लाल एक मां के दिल की हालत जब उसका जवान बेटा उसकी चूंचियां चूसता हुआ उसे चोद रहा हो ... चोद बेटे चोद ... और जोर से चोद ... तोड़ दे मेरी कमर ... मैं कुछ न बोलूंगी ... चोद चोद कर अधमरी कर दे मुझे ... चोद मेरे लाल .... और जोर से चोद ... जोर से धक्का लगा ना .... पेल दे मेरे लाल लाल ... पूरा पेल दे अंदर ... ओह ऽ ओह ऽ ... हाय ऽ ... ऐसे ही मेरे बेटे .... और जोर से मार .... लगा जोर से ... घुस जा अपनी मां की बुर में ऽ ... उई ऽ मां ऽ आह आह उई मां ऽ ऽ ऽ ऽ चोद चोद कर मार डाल मेरे बेटे ... खतम कर दे रे मुझे ऽ ऽ इस रंडी से पैसा वसूल कर ले रे चोद चोद के ... मैं सच में तेरी रंडी हूं मेरे राजा बेटा ..."
"ले अम्मा ऽ ... ले ... चोद डालता हूं तुझे आज ... ले ... और जोर से मारूं ऽ ? .. ये ले ... और ये ले ... तेरी चूत का आज भुजिया ऽ बना ऽ दे ऽ ता ऽ हूं ऽ ये ले ऽ आया मजा? ऽ नहीं आया ? ऽ तो ये ले .... ओह ऽ ओह ऽ आह ऽ आह ऽ ओह अम्मा ऽ ऽ ओह ऽ आह ऽ आह आ ऽ आ ऽ आ ऽ आह ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ"
..... कुछ देर के बाद ....
"मेरे राजा ऽ मेरे लाल ऽ थक गया ना? बहुत मेहनत की है तूने रे बेटे आज .... अपनी मां को पूरा सुखी कर दिया बेटे ... भगवान तुझे लंबी उमर दे ... ले चूस मेरी चूंची जैसा बचपन में करता था और सो जा अब ... रात बहुत हो गयी है."
"अम्मा ऽ बहुत मजा आया अम्मा ... तू कितनी मस्त है ... रूप की खान है ... अम्मा .... तेरा दूध पीने का मन करता है अम्मा."
"अब दूध कहां से आयेगा मेरे लाल ... मेरी उमर हो गयी है ... जवान होती तो कहती कि बेटे चोद चोद कर मेरे से बच्चा पैदा कर दे और पी मेरा दूध. अच्छा ऐसा कर बहू ले आ ... शादी कर ले ... फ़िर बहू का दूध पीना."
"मुझे नहीं करनी शादी अम्मा ... तेरे से ज्यादा रूपवती कौन होगी ... तेरे ये मोटे मोटे पपीते से मम्मे ... ये रसीली लाल लाल चूत .... ये मतवाली पहाड़ सी गांड ... ये मोटे मोटे चिकने पैर ... ये गोरी फ़ूली रान .... तेरा ये गोरा गोरा थुलथुला बदन .... माल है अम्मा .... असल माल है .... खोवा है खोवा ... मावा... मुझे शादी की क्या जरूरत है?"
"पगला है रे तू पगला ! .... बिलकुल मां का दीवाना है. अच्छा चल सो जा."
..... दूसरे दिन ....
"आ गया बेटे, आज फ़िर से देर हो गयी आफ़िस में?"
"हां अम्मा, क्या करूं बहुत काम था, चल मैं आता हूं नहा कर, बहुत भूख लगी है"
"मैं हूं ना मेरे लाल तेरी भूख मिटाने को. चल आ जा जल्दी"
"जानता हूं अम्मा, सिर्फ़ तू ही है जो मेरी भूख मिटाती है. अभी आता हूं"
"ठीक है, वैसे पराठे बना रही हूं आज, तेरी ही राह देख रही थी."
..... कुछ देर के बाद ....
"आ गया मेरा राजा बेटा! अरे ये क्या कर रहा है? कैसा चिकना लग रहा है नहा धो के!"
"चिकनी अम्मा का चिकना बेटा, है ना अम्मा? जरा ऐसे सरक ... बस ठीक है"
"अरे ये क्या कर रहा है मेरे पीछे बैठ कर ... और साड़ी क्यों उठा रहा है रे नालायक?"
"चुप कर अम्मा. और तू भी इसी की राह देख रही थी ना? तभी अंदर चड्डी नहीं पहनी, तुझे मालूम है मेरी चाहत"
"अरे ... अरे भूख लगी है ना? ... मुझे पराठे बनाने तो दे"
"तू बेल ना अम्मा, तेरे हाथ थोड़े पकड़ रहा हूं. मुझे तो बस मन कर रहा है इन गोरे गोरे तरबूजों में मुंह मारने का ... अं ... अं ... हं .."
"छोड़ ना, हमेशा करता है ऐसा, मैं यहां रसोई में रोटी बनाती हूं तो पीछे से मेरी साड़ी उठा कर मेरी गांड चूसने लगता है ... अरे छोड़ ... उई ऽ जीभ क्यों डालता है रे अंदर ... गुदगुदी होती है ना"
"चूसने दे अम्मा, मजा आता है ... स्वाद भी मस्त है ... सौंधा सौंधा मेरे लंड को भी भाता है ... आज उसे भी चखाऊंगा"
"हाय ऽ गांड मारेगा मेरी? परसों ही तो मारी थी रे ... आज मत मार ना ऽ."
"मेरा बस चले तो रोज मारूं अम्मा. पर तू कहां मारने देती है! अब नखरा मत कर. मुझे जरा वो घी का डिब्बा दे, तेरी गांड में चुपड़ दूं."
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