Vasna Sex Kahani बदनाम रिश्ते
07-03-2018, 11:25 AM,
#32
RE: Vasna Sex Kahani बदनाम रिश्ते
हम लोग नदी पर पहुंच गये और फिर अपने काम में लग गये, कपडों की सफाई के बाद मैने उन्हे, एक तरफ सुखने के लिये डाल दीये और फिर हम दोनो ने नहाने की तैयारी शुरु कर दी। राखी ने भी अपनी साडी उतार के पहले उसको साफ किया फिर हर बार की तरह अपने पेटिकोट को उपर चढा के अपना ब्लाउस निकला, फिर उसको साफ किया और फिर अपने बदन को रगड-रगड के नहाने लगी। मैं भी बगल में बैठा उसको निहारते हुए नहाता रहा। बे-खयाली में एक-दो बार तो मेरी लुन्गी भी, मेरे बदन पर से हट गई थी। पर अब तो ये बहुत बार हो चुका था। इसलिये मैने इस पर कोइ ध्यान नही दीया। हर बार की तरह आभा ने भी अपने हाथों को पेटिकोट के अन्दर डाल के खुब रगड-रगड के नहाना चालु रखा। थोडी देर बाद मैं नदी में उतर गया। राखी ने भी नदी में उतर के एक-दो डुबकियां लगाई, और फिर हम दोनो बाहर आ गये। मैने अपने कपडे चेन्ज कर लीये और पजामा और कुर्ता पहन लिया।राखी ने भी पहले अपने बदन को टोवेल से सुखाया, फिर अपने पेटिकोट के इजरबंध को जिसको कि, वो छाती पर बांध के रखती थी, पर से खोल लिया और अपने दांतो से पेटिकोट को पकड लिया, ये उसका हंमेशा का काम था, मैं उसको पत्थर पर बैठ के, एक-टक देखे जा रहा था। इस प्रकार उसके दोनो हाथ फ्री हो गये थे। अब सुखे ब्लाउस को पहनने के लीये पहले उसने अपना बांया हाथ उस में घुसाया, फिर जैसे ही वो अपना दाहिना हाथ ब्लाउस में घुसाने जा रही थी कि, पता नही क्या हुआ उसके दांतो से उसका पेटिकोट छुट गया और सीधे सरसराते हुए नीचे गीर गया। और उसका पुरा का पुरा नन्गा बदन एक पल के लीये मेरी आंखो के सामने दिखने लगा। उसकी बडी-बडी चुचियां, जिन्हे मैने अब तक कपडों के उपर से ही देखा था, उसके भारी-भारी चुतड, उसकी मोटी-मोटी जांघे और झांठ के बाल, सब एक पल के लीये मेरी आंखो के सामने नन्गे हो गये। पेटिकोट के नीचे गीरते ही, उसके साथ ही आभा भी, हाये करते हुए तेजी के साथ नीचे बैठ गई। मैं आंखे फाड-फाड के देखते हुए, गुंगे की तरह वहीं पर खडा रह गया। राखी नीचे बैठ कर अपने पेटिकोट को फिर से समेटती हुई बोली,
"ध्यान ही नही रहा। मैं, तुझे कुछ बोलना चाहती थी और ये पेटिकोट दांतो से छुट गया।"
मैं कुछ नही बोला। राखी फिर से खडी हो गई और अपने ब्लाउस को पहनने लगी। फिर उसने अपने पेटिकोट को नीचे किया और बांध लिया। फिर साडी पहन कर वो वहीं बैठ के अपने भीगे पेटिकोट को साफ कर के तैयार हो गई। फिर हम दोनो खाना खाने लगे। खाना खाने के बाद हम वहीं पेड की छांव में बैठ कर आराम करने लगे। जगह सुम-सान थी। ठंडी हवा बह रही थी। मैं पेड के नीचे लेटे हुए, आभा की तरफ घुमा तो वो भी मेरी तरफ घुमी। इस वक्त उसके चेहरे पर एक हलकी-सी मुस्कुराहट पसरी हुई थी। मैने पुछा,
"राखी , क्यों हस रही हो ?"
तो वो बोली,
"मैं कहां हस रही हुं ?"
"झुठ मत बोलो, तुम मुस्कुरा रही हो।"
"क्या करुं ? अब हंसने पर भी कोइ रोक है, क्या ?"
"नही, मैं तो ऐसे ही पुछा रहा था। नही बताना है तो मत बताओ।"
"अरे, इतनी अच्छी ठंडी हवा बह रही है, चेहरे पर तो मुस्कान आयेगी ही।"
"हां, आज गरम ईस्त्री (वुमन) की सारी गरमी जो निकल जायेगी।"
"क्या मतलब, ईस्त्री (आयरन) की गरमी कैसे निकल जायेगी ? यहां पर तो कहीं ईस्त्री नही है।"
"अरे राखी , तुम भी तो ईस्त्री (वुमन) हो, मेरा मतलब ईस्त्री माने औरत से था।"
"चल हट बदमाश, बडा शैतान हो गया है। मुझे क्या पता था की, तु ईस्त्री माने औरत की बात कर रहा है।"
"चलो, अब पता चल गया ना।""हां, चल गया। पर सच में यहां पेड की छांव में कितना अच्छा लग रहा है। ठंडी-ठंडी हवा चल रही है, और आज तो मैने पुरी हवा खायी है।",
राखी बोली।
"पुरी हवा खायी है, वो कैसे ?"
"मैं पुरी नन्गी जो हो गई थी।",
फिर बोली,
"हाये, तुझे मुझे ऐसे नही देखना चाहिए था ?"
"क्यों नही देखना चाहिए था ?"
"अरे बेवकूफ, इतना भी नही समजता। एक बहिन को, उसके भाई के सामने नंगा नही होना चाहिए था।"
"कहां नंगी हुई थी, तुम ? बस एक सेकन्ड के लिये तो तुम्हारा पेटिकोट नीचे गीर गया था।"
(हालांकि, वही एक सेकन्ड मुझे एक घन्टे के बराबर लग रहा था।)
"हां, फिर भी मुझे नंगा नही होना चाहिए था। कोई जानेगा तो क्या कहेगा कि, मैं अपने भाई के सामने नन्गी हो गई थी।"
"कौन जानेगा ?, यहां पर तो कोई था भी नही। तु बेकार में क्यों परेशान हो रही है ?"
"अरे नही, फिर भी कोई जान गया तो।",
फिर कुछ सोचती हुई बोली,
"अगर कोई नही जानेगा तो, क्या तु मुझे नंगा देखेगा ?"
मैं और राखी दोनो एक दुसरे के आमने-सामने, एक सुखी चादर पर, सुम-सान जगह पर, पेड के नीचे एक-दुसरे की ओर मुंह कर के लेटे हुए थे। और राखी की साडी उसके छाती पर से ढलक गई थी। राखी के मुंह से ये बात सुन के मैं खामोश रह गया और मेरी सांसे तेज चलने लगी।राखी ने मेरी ओर देखाते हुए पुछा,
"क्या हुआ ?'
मैने कोई जवाब नही दिया, और हलके से मुस्कुराते हुए उसकी छातियों की तरफ देखने लगा, जो उसकी तेज चलती सांसो के साथ उपर नीचे हो रही थी। वो मेरी तरफ देखते हुए बोली,
"क्या हुआ ?, मेरी बात का जवाब दे ना। अगर कोई जानेगा नही तो क्या तु मुझे नंगा देख लेगा ?"
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RE: Vasna Sex Kahani बदनाम रिश्ते - by sexstories - 07-03-2018, 11:25 AM

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