Vasna Sex Kahani बदनाम रिश्ते
07-03-2018, 11:28 AM,
#43
RE: Vasna Sex Kahani बदनाम रिश्ते
मैं ईस्त्री करने में लग गया और, रसोई घर से फिर खट-पट की आवाजें आने लगी। यानी की राखी ने खाना बनाना शुरु कर दिया था। मैने जल्दी-से कुछ कपडों को ईस्त्री की, फिर अंगीठी बुझाई और अपने तौलिये से पसिना पोंछता हुआ बाहर निकाल आया। हेन्डपम्प के ठंडे पानी से अपने मुंह-हाथो को धोने के बाद, मैने बिछावन लिया और छत पर चल गया। और दिन तो तीन लोगो का बिछावन लगता था, पर आज तो दो का ही लगाना था। मैने वहीं जमीन पर पहले चटाई बिछाई, और फिर दो लोगो के लिये बिछावन लगा कर निचे आ गया। राखी, अभी भी रसोई में ही थी। मैं भी रसोई-घर में घुस गया। राखी ने साडी उतार दी थी, और अब वो केवल पेटिकोट और ब्लाउस में ही खाना बना रही थी। उसने अपने कंधे पर एक छोटा-सा तौलिया रख लिया था और उसी से अपने माथे का पसिना पोंछ रही थी। मैं जब वहां पहुंचा, तो राखी सब्जी को कलछी से चला रही थी और दुसरी तरफ रोटियां भी सेक रही थी।
 
मैने कहा,
"कौन-सी सब्जी बना रही हो, केले या बैगन की ?"

राखी ने कहा,
"खुद ही देख ले, कौन-सी है ?"

"खूश्बु तो बडी अच्छी आ रही है। ओह, लगता है दो-दो सब्जी बनी है।"

"खा के बताना, कैसी बनी है ?"

"ठीक है राखी, बता और कुछ तो नही करना ?"
कहते-कहते मैं एकदम राखी के पास आ के बैठ गया था। राखी मोढे पर अपने पैरों को मोड के और अपने पेटिकोट को जांघो के बीच समेट कर बैठी थी। उसके बदन से पसिने की अजीब-सी खूश्बु आ रही थी। मेरा पुरा ध्यान उसकी जांघो पर ही चला गया था। राखी ने मेरी ओर देखते हुए कहा,
"जरा खीरा काट के सलाड भी बना ले।"

"वाह राखी, आज तो लगता है, तु सारी ठंडी चीजे ही खायेगी ?"

"हां, आज सारी गरमी उतार दुन्गी, मैं।"

"ठीक है राखी, जल्दी-से खाना खा के छत पर चलते है, बडी अच्छी हवा चल रही है।"

राखी ने जल्दी-से थाली निकली, सब्जीवाले चुल्हे को बंध कर दिया। अब बस एक-या दो रोटियां ही बची थी, उसने जल्दी-जल्दी हाथ चलाना शुरु कर दिया। मैने भी खीरा और टमाटर काट के सलाड बना लिया। राखी ने रोटी बनाना खतम कर के कहा,
"चल, खाना निकाल देती हुं। बाहर आंगन में मोढे पर बैठ के खायेन्गे। " मैने दोनो परोसी हुई थालीयां उठाई, और आंगन में आ गया । राखी वहीं आंगन में, एक कोने पर अपना हाथ-मुंह धोने लगी। फिर अपने छोटे तौलिये से पोंछते हुए, मेरे सामने रखे मोढे पर आ के बैठ गई। हम दोनो ने खाना सुरु कर दिया। मेरी नजरें राखी को उपर से नीचे तक घुर रही थी।राखी ने फिर से अपने पेटिकोट को अपने घुटनो के बीच में समेट लिया था और इस बार शायद पेटिकोट कुछ ज्यादा ही उपर उठा दिया था। चुचियां, एकदम मेरे सामने तन के खडी-खडी दिख रही थी। बिना ब्रा के भी राखी की चुचियां ऐसी तनी रहती थी, जैसे की दोनो तरफ दो नारियल लगा दिये गये हो। इतनी उमर बीत जाने के बाद भी थोडा-सा भी ढलकाव नही था। जांघे, बिना किसी रोयें के, एकदम चिकनी, गोरी और मांसल थी। पेट पर उमर के साथ थोडा-सा मोटापा आ गया था। जिसके कारण पेट में एक-दो फोल्ड पडने लगे थे, जो देखने में और ज्यादा सुंदर लगते थे। आज पेटिकोट भी नाभी के नीचे बांधा गया था। इस कारण से उसकी गहरी गोल नाभी भी नजार आ रही थी। थोडी देर बैठने के बाद ही राखी को पसिना आने लगा, और उसकी गरदन से पसिना लुढक कर उसके ब्लाउस के बीचवाली घाटी में उतरता जा रह था। वहां से, वो पसिना लुढक कर उसके पेट पर भी एक लकीर बना रहा था, और धीरे-धीरे उसकी गहरी नाभी में जमा हो रहा था। मैं इन सब चीजो को बडे गौर से देख रहा था। राखी ने जब मुझे ऐसे घुरते हुए देखा तो हसते हुए बोली,
"चुप-चाप ध्यान लगा के खाना खा, समझा !!!!"

और फिर अपने छोटेवाले तौलिये से अपना पसिना पोंछने लगी। मैं खाना खाने लगा और बोला,
"राखी, सब्जी तो बहुत ही अच्छी बनी है।"

"चल तुझे पसंद आयी, यही बहुत बडी बात है मेरे लिये। नही तो आज-कल के लडको को घर का कुछ भी पसंद ही नही आता।"

"नही राखी ऐसी बात नही है। मुझे तो घर का 'माल' ही पसंद है।"
ये, माल शब्द मैने बडे धीमे स्वर में कहा था कि, कहीं राखी ना सुन ले। राखी को लगा की शायद मैने बोला है, घर की दाल। इसलिये वो बोली,
"मैं जानती हुं, मेरा भाई बहुत समझदार है, और वो घर के दाल-चावल से काम चला सकता है। उसको बाहर के 'मालपुए' (एक प्रकार की खानेवाली चीज, जोकि मैदे और चीनी की सहायता से बनाई जाती है, और फुली हुए पांव की तरह से दिखती है।) से कोई मतलब नही है।"

राखी ने मालपुआ शब्द पर शायद ज्यादा ही जोर दिया था, और मैने इस शब्द को पकड लिया। मैने कहा,
"पर राखी, तुझे मालपुआ बनाये काफि दिन हो गये। कल मालपुआ बना, ना ?"

"मालपुआ तुझे बहुत अच्छा लगता है, मुझे पता है। मगर इधर इतना टाईम कहां मिलता था, जो मालपुआ बना सकु ? पर अब मुझे लगता है, तुझे मालपुआ खिलाना ही पडेगा।"

मैने ने कहा,
"जल्दी खिलाना, राखी।"
और हाथ धोने के लिये उठ गया।
Reply


Messages In This Thread
RE: Vasna Sex Kahani बदनाम रिश्ते - by sexstories - 07-03-2018, 11:28 AM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,572,458 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 552,471 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,263,548 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 955,429 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,694,532 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,115,250 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 3,010,657 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 14,256,289 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,102,237 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 291,743 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 3 Guest(s)