RE: Vasna Sex Kahani बदनाम रिश्ते
मा बेटे के सेक्स की कहानी--3
गतान्क से आगे................
सावधान........... ये कहानी समाज के नियमो के खिलाफ है क्योंकि हमारा समाज मा बेटे और भाई बहन के रिश्ते को सबसे पवित्र रिश्ता मानता है अतः जिन भाइयो को इन रिश्तो की कहानियाँ पढ़ने से अरुचि होती हो वह ये कहानी ना पढ़े क्योंकि ये कहानी एक मा बेटे के सेक्स की कहानी है
उसने माँ से कहा - माँ, मेरा मुठ मारने का मन कर रहा है.
बसंती - मार ना. मैंने मना किया है क्या?
चांग - आज तू मेरा मुठ मार दे ना माँ.
बसंती - ठीक है . कह कर वो चांग की तरफ पलटी और उसके लंड को पकड़ ली. खुद बसंती को अहसास नही था की चांग का लंड इतना जबरदस्त है. वो बड़े ही प्यार से चांग का लंड सहलाने लगी. चांग तो मानो अपने सुध बुध ही खो बैठा. वो अपने आप को जन्नत में पा रहा था. बसंती अँधेरे में ही चांग का मुठ मारने लगी. बसंती भी मस्त हो गयी.
वो बोली - रुक बेटा , आज मै तेरा अच्छी तरह से मुठ मारती हूँ. कह कर वो नीचे झूकी और अपने बेटे चांग का लंड को मुह में ले ली. चाग को जब ये अहसास हुआ कि उसकी माँ ने उसके लंड को मुह में ले लिया है तो वो उत्तेजना के मारे पागल होने लगा. उधर बसंती चांग के लंड को अपने कंठ तक भर कर चूस रही थी. थोड़ी ही देर में चांग का लंड माल मिन्कालने वाला था.
वो बोला - माँ - छोड़ दे लंड को माल निकलने वाला है.
बसन्ती ने उसके लंड को चुसना चालु रखा. अचानक चांग के लंड ने माल का फव्वारा छोड़ दिया. बसंती ने सारा माल अपने मुह में ही भर लिया और सब पी गयी. अपने बेटे का वीर्य पीना का आनंद ही कुछ और था. थोड़ी देर में बसन्ती ने चांग के लंड को मुह से निकाल दिया. और वो बाथरूम जा कर कुल्ला कर के आई.
तब चांग ने कहा - माँ , तुने तो कमाल कर दिया.
बसन्ती ने बेड पर लेटते हुए कहा - तेरा लंड का माल काफी अच्छा है रे.
कह कर वो चांग कि तरफ पीठ कर के सोने लगी. मगर चांग का जवान लंड अभी हार नहीं मानने वाला था. उसने अपनी माँ को फिर से पीछे से पकड़ कर लपेटा और उसके बदन पर हाथ फेरने लगा. उसका लंड फिर खड़ा हो गया. इस बार उसका लंड बसंती की चिकनी गांड के दरार में घुसा हुआ था. ये सब उसके लिए पहला अनुभव था. वो अपनी माँ के गांड के दरार में लंड घुसा कर लंड को उसी दरार में घसने लगा. वो इतना गर्म हो गया की दो मिनट में ही उसके लंड ने माल निकालना चालु कर दिया और सारा माल बसंती के गांड के दरारों में ही गिरा दिया. उत्तेजना के मारे फिर से उसका बहुत माल निकल गया था.बसंती का गांड पीछे से पूरी तरह भींग गया. धीरे धीरे जब चांग का लंड शांत हुआ तो तो बसंती के बदन को छोड़ कर बगल लेट गया और थक के सो गया. इधर बसंती उठ कर बाथरूम गयी और अपने गांड को धोया और वो वापस बिना पेंटी के ही सो गयी. वो जानती थी कि चांग उससे पहले नहीं उठेगा और सुबह होने पर वो नए कपडे पहन लेगी. लेकिन वो भी गर्म हो गयी थी. काफी अरसे बाद उसके शरीर से किसी लंड का मिलन हुआ था. वो सोचने लगी कि उसके बेटे का लंड उसके पति से थोड़ा ज्यादा ही बड़ा और मोटा है. उसे भी अपने पति के साथ मस्ती की बातें याद आने लगी. ये सब सोचते हुए वो सो गयी. सुबह वो पहले ही उठी और कपडे पहन लिए. चांग ज्यों ही उठा उसकी माँ बसंती उसके लिए गरमा गरम कॉफी लायी और मुस्कुरा कर उसे दिया. चांग समझ गया कि आज की रात कहानी और आगे बढ़ेगी.
अगले दो दिन तक कारखाना बंद है. इसलिए उसने अपनी माँ को दिल्ली के पार्कों की सैर कराई. और नए कपडे भी खरीदवाया. शाम को उसने ब्लू फिल्म की सीडी लाया. आज उसकी माँ ने बड़े ही चाव से मुर्ग मस्सल्लम बनाया. दोनों ने नौ बजे तक खाना पीना खा पी कर बिस्तर पर चले आये. आज जिस तरह से चांग खुश को कर अपने माँ से छेड़-छाड़ कर रहा था उसे देख कर बसंती को अहसास हो रहा था कि आज फाइनल हो के ही रहेगा. अब वो भी अपने चूत में लंड का प्रवेश चाहती थी.
रात को बिस्तर पर आते ही चांग ने अपने सभी कपडे खोले और कहा - आज मै तुम्हे फिल्म दिखाऊंगा.
बसंती ने ब्रा और पेंटी पहनते हुए कहा - हिंदी तो मुझे समझ में आती नहीं. मै क्या समझूँगी फिल्म.
चांग - अरे, ये नंगी फिल्म है. इसमें समझने वाली कोई बात नही है.
चांग ने ब्लू फिल्म की सीडी चला दी. बसंती ब्रा और पेंटी पहन कर अपने बेटे के बगल में ही लेट गयी और फिल्म देखने लगी. फिल्म ज्यों ही अपने रंग में आने लगी चांग का लंड खडा होने लगा. बसंती भी फिल्म देख कर अकड़ने लगी. जब चांग ने देखा कि उसकी माँ भी मज़े ले कर ब्लू फिल्म देख रही है तो उसने कहा - ये क्या माँ, नंगी फिल्म कपडे पहन कर देखने की चीज थोड़े ही है? अपने ब्रा और पेंटी उतार दो और तब फिल्म देखो तब ज्यादा मज़ा आएगा.
बसंती ने बिना किसी हिचक के अपने बेटे के आदेश पर अपनी ब्रा को खोल दिया. यूँ तो चांग ने कई बार अपनी माँ की चुचियों झीनी ब्रा के पीछी से देखा था लेकिन इस प्रकार से खुले में कभी नही देखा था. इतने गोरे और बड़े मस्त चूची थी कि चांग का मन किया कि लपक कर चूची को चूसने लगूं . बसंती थोड़ा रुक गयी.
चांग ने कहा- पेंटी भी खोल दे ना.
बसंती ने कहा - तू जो है यहाँ.
चांग ने अब थोडा साहस एवं मर्दानगी दिखाते हुए अपने माँ की पेंटी को पकड़ा और नीचे की तरफ खींचते हुए कहा- अरे माँ, अब मुझसे कैसी शर्म?
बसंती ने भी कमर उठा कर पेंटी को खुल जाने दिया. बसंती की चूत गीली हो गयी थी. जिस चूत को चांग ने पारदर्शी पेंटी से देखा था आज वो उसके सामने बिलकूल खुली हुई थी. नंगी चूत को देख कर चांग की आवाज़ निकालनी ही बंद हो गयी. अब वो दोनों एक दूजे से सट कर बैठ गए और ब्लू फिल्म का आनंद उठाने लगे. चांग तो पहले भी कई बार ब्लू फिल्म देख चुका था. लेकिन बसंती पहली बार ब्लू फिल्म देख रही थी. चुदाई के सीन आते ही उसकी चूत इतनी गीली हो गयी कि उस से पानी टपकने लगा. इधर चांग भी अपने लंड को सहला रहा था. अपने माँ के नंगे बदन को देख कर उसका लंड भी काफी गीला हो रहा था.
उसने बसंती के हाथ को पकड़ा और अपने लंड पर रखा और कहा - इसे पकड़ कर फिल्म देख, कितना मज़ा आएगा.
उसकी माँ ने बड़े ही प्यार से चांग का लंड सहलाने लगी. अचानक चांग की नजर अपनी माँ की गीली चूत पर पड़ी. उसने बड़े ही आराम से अपनी माँ की चूत पर हाथ रखा और सहलाते हुए कहा - ये इतनी गीली क्यों है माँ?
बसंती ने कहा - चुदाई वाली फिल्म देख कर गीली हो रही है.
चांग ने अपनी माँ के बुर को सहलाना जारी रखा. उसके छूने से बसंती की हालत और भी खराब हो गयी. अपने दुसरे हाथ से उसने अपनी माँ की चूची को मसलना चालु किया. उधर टीवी पर लड़का एक लडकी की चूत को चूसने लगा. ये देख कर बसंती बोली - हाय देख तो , कैसे चूत चूस रहा है वो.
चांग - लड़की को चूत चुस्वाने में बहुत मज़ा आता है. बापू भी तो तेरी चूत चूसता होगा.
बसंती - नहीं रे, उसने कभी मेरी चूत नही चुसी.
चांग - आज मै तेरी चूत चूस कर बताता हूँ कि लड़की को कितना मज़ा आता है.
उसने अपनी माँ की दोनों चुचियों को चुसना चालु किया. बसंती को काफी मज़ा आ रहा था. चांग ने अपनी माँ के चुचियों को जबरदस्त तरीके से चूसा. फिर वो धीरे धीरे नीचे की तरफ गया. कुछ ही सेकेंड में उसने अपनी माँ के बुर के सामने अपनी नजर गड़ाई. क्या मस्त चूत थी उसकी माँ की. मादक सी खुशबू आ रही थी. उसने धीरे से अपने ओठ को माँ की चूत पर लगाया. उसकी माँ की तो सिसकारी निकलने लगी. पहले चांग ने बसंती के चूत को जम के चूसा. फिर उसने अपनी जीभ को बसंती की चूत में अन्दर डालने लगा. ऐसा देख कर बसंती की आँख मादकता के मारे बंद हो गयी. चांग ने अपनी पूरी जीभ बसंती के चूत में घुसा दी. बसंती की चूत से पानी निकल रहा था. अब वो दोनों ब्लू फिल्म क्या देखेंगे जब खुद ही वैसा मज़ा ले रहे हों. थोड़ी देर तक चांग बसंती की चूत को जीभ से चोदता रहा. बसंती को लग रहा था कि अब उसका माल निकल जाएगा. वो कराहते हुए बोली - बेटा , अब मेरा माल निकलने वाला है.
चांग - निकलने दे ना. आज इसे पियूँगा. जैसे कल तुने मेरा पिया था.
इसके पहले कि बसंती कुछ और बोल पाती उसके चूत के उसके माल का फव्वारा निकल पड़ा. चांग ने अपना मुह बसंती के चूत पर इस तरह से सटा दिया ताकि माल का एक भी बूंद बाहर नहीं गिर पाए. वो अपनी माँ के चूत का सारा माल पीने लगा. कम से कम 200 ग्राम माल निकला होगा बसंती के चूत से. चांग ने सारा माल पी कर चूत को अच्छी तरह से चाट कर साफ़ किया. उसकी माँ तो सातवें आसमान में उड़ रही थी. उसकी आँखे बंद थी. चांग उसके छुट पर से अपना मुह हटाया और उसके चूची को अपने मुह में भर कर चूसने लगा. बसंती मस्ती के मारे मस्त हुए जा रही थी.
थोड़ी देर चूची चूसने के बाद चांग ने बसंती को कहा - बसंती , तू कितनी मस्त है है रे.
बसंती - तू भी कम मस्त नहीं है रे. आज तक इतनी मस्ती कभी नहीं आई.
चांग ने कहा - बसंती, अभी असली मस्ती तो बांकी है.
बसंती ने कहा - हाँ बेटा, आजा और अब डाल दे अपने प्यारे लंड को मेरी प्यासी चूत में.
अब समय आ गया था कि शर्मो हया को पीछे छोड़ पुरुष और औरत के बीच वास्तविक रिश्ते को कायम करने की. चांग ने अपनी माँ के टांगो को फैलाया. अपने लंड को एक हाथ से पकड़ा और अपनी माँ की चूत में डाल दिया. उसकी माँ बिना किसी प्रतिरोध के अपने बेटे को सीने से लगाया और आँखों आखों में ही अपनी चूत चोदने का स्वीकृती प्रदान कर दी. चांग के लंड ने बसंती की चूत की जम के चुदाई की. कई साल पहले इसी चूत से चांग निकला था. आज उसी चूत में चांग का लंड समाया हुआ था. लेकिन बसंती की हालत चांग के लंड ने खराब कर दी. बसंती को यकीन नहीं हो रहा था कि जिस चूत में से उसने चांग को कभी निकाला था आज उसी चूत में उसी चांग ला लंड वो नही झेल पा रही थी. वो इस तरह से तड़प रही थी मानो आज उसकी पहली चुदाई थी. दस मिनट में उसने तीन बार पानी छोड़ा. दस मिनट तक दमदार शॉट मारने के बाद चांग का लंड माल निकाल दिया. उसने सारा माल अपनी माँ के चूत में ही डाल दिया. वो अपने माँ के बदन पर ही गहरी सांस ले कर सुस्ताने लगा. उसने अपना लंड माँ के चूत में ही पड़े रहने दिया. लगभग 10 मिनट के बाद चांग ला लंड फिर से अपनी माँ के ही चूत में खड़ा हो गया. इस बार बसंती का चूत भी कुछ फैल गया था. वो दोनों दुबारा चालु हो गए. इस बार लगभग 20 मिनट तक बसंती कि चूत की चुदाई चली. इस बार उसके चूत से 6 -7 बार पानी निकला मगर अब उसके चूत में पहले इतना दर्द नही हो रहा था. अब वो अपने बेटे से अपनी चूत की चुदाई का आनंद उठा रही थी. उसे अपने बेटे की मर्दानगी पर गर्व हो रहा था. बीस मिनट के बाद चांग का लंड जवाब दे दिया और पहले से भी अधिक माल अपनी माँ के चूत में छोड़ दिया.
रात भर में ही चांग ने अपनी माँ के साथ 5 बार चुदाई की जिसमे दो बार उसकी गांड की चुदाई भी शामिल थी.
उसी रात से चांग ने अपनी माँ को माँ नहीं कह कर बसंती कह कर बुलाना चालु कर दिया. बसंती ने अभी तक परिवार नियोजन का आपरेशन नहीं करवाया था. 20 -22 दिन के लगातार जम के चुदाई के बाद बसंती को अहसास हुआ कि वो पेट से हो गयी है. उसने चांग को ये बात बतायी. चांग उसे ले कर डाक्टर के पास गया. वहां उसने अपना परिचय बसंती के पति के रूप में दिया.
डाक्टर ने कहा - बसंती माँ बनने वाली है.
घर वापस आते ही बसंती ने फैसला किया कि वो इस बच्चे को जन्म नहीं देगी. लेकिन चांग ने मना किया.
बसंती बोली - कौन होगा इस बच्चे का बाप?
चांग ने कहा - यूँ तो ये मेरा खून है, लेकिन इस बच्चे का बाप मेरा बाप बनेगा.
बसंती - मै कुछ समझी नहीं.
चांग - देख बसंती, हम लोग किसी और जगह किराया पर मकान ले लेंगे. और लोगों को कहेंगे कि मेरा बाप आज से 20 -22 दिन पहले ही मरा है. बस मै यही कहूँगा कि उसने मरने से पहले तुझे पेट से कर दिया था. फिर इस दिल्ली में किसे किसकी परवाह है ? और हम दोनों अगले कई साल तक पति - पत्नी के रूप में रहेंगे. और ये बच्चा मेरे भाई या बहन के रूप में रहेगा. इस बच्चे के जन्म के बाद तू परिवार नियोजन करवा लेना ताकि हमारे बीच कोई और ना आ सके.
इतना सुनने के बाद बसंती ने चांग को अपनी चूची से सटा लिया. उस दिन 7 घंटे तक चांग अपनी माँ , मेरा मतलब है अपनी नयी पत्नी को चोदता रहा.
दो दिन बाद ही चांग ने अपने लिए दुसरे मोहल्ले में किराया पर मकान खोज लिया और बसंती को ले कर वहां चला गया. थोड़े ही दिन में उसे बगल के ही फैक्ट्री में पहले से भी अच्छी जॉब लग गयी. आस पास के लोगों को उसने बताया कि ज्यों ही उसके बापू का निधन हुआ त्यों ही पता चला कि उसकी माँ पेट से है. थोड़े ही दिन में लोग यही समझने लगे कि चांग की माँ को उसके पति ने पेट से कर के दुनिया से चल बसा. और सारी जिम्मेदारी चांग पर छोड़ दी. ठीक समय पर बसंती ने अपने बेटे चांग की बेटी को अपनी कोख से जन्म दिया. इस प्रकार वो बच्ची हकीकत में चांग की बेटी थी लेकिन दुनिया की नजर में वो चांग कि बहन थी. अगले 5 - 6 सालों तक चांग और बसंती जमाने से छुप छुप कर पति पत्नी के समबन्धों को कायम रखते हुए जिस्मानी सम्बन्ध बनाए रखा. उसके बाद चांग ने लोक- लाज की भय तथा बड़ी होती बेटी के सवालों से बचने के लिए अपनी माँ को ले कर मुंबई चला गया और वहां अपनी माँ को अपनी पत्नी बता कर सामान्य तरीके से जीवन यापन गुजारने लगा. बसंती भी अपने बेटे को अपना पति मान कर आराम सी जीवन गुजारने लगी. अब बसंती का पति खुद उसका बेटा चांग ही था जो उस से 15 साल का छोटा था.
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