RE: Antarvasna Chudai विवाह
जीजाजी का नही. लीना दीदी की होने वाली सास, सुलभाजी भी काफ़ी मिलनसार लग रही थी. कोई कह नही सकता कि वी जीजाजी की और नीलिमा की सौताली मा होंगी. एक तो उतनी बड़ी उमर भी नही है, और उपर से दिखने मे भी काफ़ी ठीक हैं, ठीक क्या मस्त ही हैं. साड़ी साड़ी पहनी थी पर एकदम टिप टॉप दिख रही थीं. काफ़ी मॉडर्न विचारो की लगती हैं. उनकी ब्रा की पट्टी ब्लाउज़ मे से दिख रही थी, मज़ा आ रहा था ...अरे बाप रे ... मैं ये क्या सोच रहा हूँ! दीदी को पता चल गया तो मार ही डालेगी मुझे.
दीदी ... ओह दीदी .... तुम्हारी शादी होने के बाद मैं क्या करूँगा ......
लीना (दुल्हन)कुछ समझ मे नही आता क्या करूँ! लड़के वालोने हां कह दी है, अब मैं भी कुछ कह नही सकती, मामाजी क्या कहेंगे! वैसे मना करने का कोई बहाना भी नही है मेरे पास. अच्छे लोग हैं, इतने रईस हैं. अनिल भी कितना इंप्रेस्सिव है. दिखने मे भी बहुत हॅंडसम है पर फिर भी मेरे उसके बीच मे कोई चिनगारी नही उड़ी, स्पार्क नही हुआ. ज़रा ठंडे ठंडे लग रहे थे, मुझे देख कर क्या उनकी घंटी नही बजी? और यहाँ अक्षय को छोड़ कर जाना याने ... मेरा भैया .... मेरी आँखों का तारा .... मेरा सब कुछ ....कैसे रहूंगी उसके बिना! पर मैं हां करूँ या नही? वैसे सब यही समझ रहे हैं कि मेरी तरफ से हां है. ठीक है, ऐसा कुछ भी नही है कि कोई समझदार लड़की ना करे. मेरी होने वाली सास सुलभाजी ... मेरा मतलब है माजी और नीलिमा, मेरी ननद काफ़ी खुश लग रही थी. मुझसे कितने प्यार से बातें कर रही थी. नीलिमा तो इतना तक पूछ रही थी कि मुझे किस रंग के परदे पसंद हैं, वहाँ घर मे नये लगाने हैं, पुराने हो गये हैं! जैसे मैं उस घर की बहू बन ही गयी हूँ. माजी ने तो कितने प्यार से एक दो बार मेरे गालों को हाथ लगाया. उनकी आँखों मे इतना प्यार था कि मुझे लगा वहीं मुझे गोद मे लेकर चूम लेंगी क्या! अपने बेटे अनिल पर बहुत प्रेम है उन्हे. कोई कह नही सकता कि सौतेला बेटा है उनका. नीलिमा दीदी भी कितनी उत्सुकता से मेरी साड़ी देख रही थी. उसे बहुत अच्छी लगी, वैसे इतनी अच्छी है नही, साड़ी तो है! वह क्या पता क्यों उसे ज़्यादा ही भाव दे रही थी. मैं तो चौंक ही गयी थी जब अचानक उसका हाथ मेरे स्तन पर पड़ गया. देखा तो वह असल मे मेरे आँचल का डिज़ाइन देख रही थी. मैने राहत की साँस ली नही तो मैं और ही कुछ समझ बैठती.
यह सब अक्षय की वजह से है, उसी ने मुझे ये सब उलटी सीधी आदतें लगाई हैं. क्या पीछे पड़ता है मेरे .....मामाजी और मामी
के बाहर जाने की राह तकता रहता है और फिर ... बेचारे से असल मे अपनी जवानी का जोश कंट्रोल नही होता. आज भी कैसे घूर रहा था नीलिमा को और माजी को. मुझे भूल ही गया था नही तो रोज 'दीदी' 'दीदी' करते हुए मेरे आगे पीछे करता है. आज देखती हूँ, ऐसा मज़ा चखाऊन्गी कि रो देगा. वैसे उस बिचारे का कसूर नही है. नीलिमा और माजी दिखने मे सुंदर तो हैं ही, उनमे और भी कुछ है ....याने ... याने सेक्स अपील. फिर भी इस मूरख लड़के को उन्हे ऐसे घुरना नही था,
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