RE: Antarvasna Chudai विवाह
कल मैं नीलिमा दीदी के साथ लिंगरिए लाने गयी. एकदम एक्सक्लूसिव दुकान थी. बस बड़े बड़े ब्रांड थे. मुझे सब तरह की लिंगरी दिखाई, एक से एक सेक्सी और अच्छी क्वालिटी की. अक्षय देखता तो पागल हो जाता. उसके बाद एक घंटे तक उसने मुझसे ट्राइयल करवाई. ट्रायल ट्राइयल रूम मे नही, वहाँ और भी कस्टमर लाइन लगाए थे. अंदर एक छोटा कमरा था,
नीलिमा मुझे वहीं ले गयी. दुकान की मालकिन, रूपा अरोरा उसकी सहेली थी. उसने सारा कलेक्शन वहीं भिजवा दिया. मुझे लगा कि नीलिमा अब बाहर चली जाएगी और मुझे अकेला छोड़ देगी पर वह भी मेरे साथ अंदर आई और दरवाजा लगा लिया. फिर मुझे बोली कि सब ट्राइ करके देखो. अब उससे मैं कैसे कहती कि तुम बाहर जाओ. आख़िर बड़ी ननद है. मुझे बड़ी शरमा आ रही थी पर फिर भी मैने आख़िर अपना ब्लाउस निकाला और नीलिमा की ओर पीठ करके अपनी पुरानी ब्रा भी निकाली और एक एक करके सब नयी ब्रा पहन कर देखी. पीठ नीलिमा की ओर थी पर सामने आईना था इसलिए उसे सब दिख रहा था. एक दो ब्रा उसने मुझे खुद पहनने दीं और फिर मुझे मदद करने लगी.
उसने तो मेरे स्तन दबाना ही शुरू कर दिया! हर ब्रा पहनने के बाद वह मेरे स्तन दबा कर देखती, उंगलियाँ लाइनिंग पर घुमाती, नोक पर पकड़ कर खींच कर देखती, बोलती टाइट तो नही है लीना, या ढीली लग रही है? निपल फँस रहे हैं क्या?' मैं शरम से पानी पानी हो रही थी पर क्या कहती. बीच मे ही नीलिमा ने मेरे फिगर की तारीफ़ की. बोली कि 'बड़े सुडौल उरोज हैं तेरे लीना, ज़्यादा बड़े भी नही हैं और छोटे भी नही हैं, तू तो मोडीलिंग कर सकती है, सच' बीच बीच मे उसके हाथ मेरे निपल पर लगते, एक दो बार तो शायद उसने उन्हे दबा भी लिया, मैने उसकी ओर देखा तो वह ब्रा की फिटिंग पर गौर कर रही थी जैसे कुछ हुआ ही ना हो. मुझे भी ना जाने क्या हो गया था, बहुत उत्तेजना लग रही थी, निपल खड़े हो गये थे.
उसने तुरंत मेरी स्थिति भाँप ली. मेरे निपालों को उंगली और अंगूठे के बीच पकड़कर हल्के से मसल कर बोली कि 'हाय लीना, ये क्या हो रहा है तुझे. एक्सआइट एग्ज़ाइट तो नही हो गयी तू? वैसे अनिल तो यहाँ नही है फिर क्यों ये हालत हो गयी तेरी? अरे शरमा रही है, खैर जाने दे, मैं मज़ाक कर रही थी, ऐसा अक्सर होता है औरतों को जब वे इस खूबसूरत
माहौल मे आती हैं और ब्रा की ट्रायल लेती हैं' अब मैं उसे कैसे बताती कि नीलिमा दीदी, आपके छूने से यह उत्तेजना हुई है, अनिल की याद से नही.
वैसे उस भोन्दू ने अब तक मेरे साथ किया ही क्या है जो मैं उत्तेजित होऊ! मेरी उत्तेजना का एक और कारण था नीलिमा दीदी का वह रूप जो आज मैं इतने पास से देख रही थी और उसके शरीर की भीनी भीनी खुशबू जो उसके नज़दीक खड़े होने से मेरी साँसों मे भीं रही थी. आज नीलिमा लो कट सीलवलेस ब्लाउस और हिप्सटर साड़ी पहन कर आई थी. ब्लाउज तो लो कट था ही, उसने शायद एकदम छोटे कप वाली ब्रा पहनी थी को ऐसे ब्लाउस मे भी छिप जाती है. उसके गुदाज स्तन उसमे समा नही रहे थे और उफन कर जैसे बाहर आने को कर रहे थे. अचानक मेरे मन मे आया कि इन्हें छू लूँ, दबा कर देखूं. पर फिर मैने मन को लगाम दी, वैसे मुझे लगता है कि मैं अगर ऐसी करती तो भी नीलिमा बुरा नही मानती. फिर मेरे मन मे आया कि हो सकता है वह यह एक्सपेक्ट कर रही हो और मेरे कुछ ना करने पर थोड़ी निराश हो गयी हो, पर मैं ऐसा करने का साहस कैसे करती!
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