RE: Antarvasna Chudai विवाह
सुलभा (सास)
आख़िर शादी हो ही गयी, सब घर भी वापस आ गये. जैसे हमने कहा था वैसी ही एकदम सीधी साधी रस्म हुई शादी की, ज़्यादा लोगों को बुलाया भी नही. लीना के मामा मामी को लगा होगा कि कितने अच्छे ससुराल वाले हैं, कुछ माँगा भी नही, शादी भी धूमधाम से करने की ज़िद नही की, हमसे इतना खर्च होना भी मुश्किल था. वे सोच रहे हैं वो सब ठीक है, वे बेचारे सच मे सीधे साधे लोग हैं पर सच बात तो यह है, कि हमे भी ताम झाम नही चाहिए था, बस हमारे, और ख़ासकर मेरे और नीलिमा बेटी के मन जैसी बहू चाहिए थी, सो मिल गयी.
लीना कितनी सुंदर लग रही थी शादी के जोड़े मे, उसका वह छोटा भाई अक्षय भी कितना चिकना दिख रहा था! नीलिमा ही तो लाई थी उसके लिए वह रेशमी कुरता. अनिल को तो मैने च्युटी काटी तब उसने अक्षय को घुरना बंद किया, उसे भी अकल नही है, यहाँ शादी हो रही थी और वहाँ वह अपने साले को घूर रहा था. मेरी तो मन हो रहा है इसे चिकने छोकरे को पास लेने का. बस कुछ दिन की बात है, अनिल के जाने के बाद शायद नीलिमा लीना को अपने साथ मुंबई ले जाएगी एक सेमिनार अटेंड करने जा रही है ना, कह रही थी कि लीना को मुंबई भी दिखा देगी और उसके साथ एक कमरे मे रह भी लेगी, मन भर कर. तब मैं यहाँ अकेली ही रह जाऊन्गी, तब अक्षय की मामी को कहूँगी कि मैं अकेली हूँ इतने बड़े घर मे, डर लगता है, ज़रा अक्षय को भेज दीजिए कुछ दिन के लिए. जब नीलिमा को मैने अपना प्लान बताया तो ज़ोर से हँसने लगी, बोली कि मम्मी तुम तो बिलकुल ऐसे बितर रही हो जैसे शिकार देख कर शेरनी बितरती है. मैने उसे डान्टा, कि जो मन मे आए वो ना बोल, अक्षय सच मे बड़ा प्यारा बच्चा है, उसको खूब लाड प्यार करने को जी चाहता है, सो करूँगी अकेले मे.
रात के दस बज गये हैं. लीना नहा कर तैयार हो रही है. प्लेन साड़ी पहनी है पर कितनी सुंदर लग रही है. अनिल का भी मन आख़िर डोल ही गया, कह रहा था कि मम्मी, आज मैं अकेले ही सुहागरात मना लून्गा लीना के साथ पर मैने और नीलिमा ने डाँट दिया, नीलिमा ने तो ज़ोर से कान भी खींच दिए उसके, बेचारा दर्द से चिल्ला उठा. पर उसकी हिम्मत कैसे हुई आख़िर कहने की कि अकेला करेगा सुहागरात!
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