RE: Antarvasna तूने मेरे जाना,कभी नही जाना
आरती की आँखो के सामने अतीत के पन्ने एक एक करके खुलने लगते है .....
उनका ननिहाल एक गाओं मे था जहाँ नाना , नानी , मौसी रेणु और बड़े मामा धीरज और छोटे मामा साहिल रहा करते थे ...आरती को और रोहन को ननिहाल मे रहना बहुत अच्च्छा लगता था . पहाड़ियो की गोद मे बसा एक सुंदर से गाओं , आम के पेड़ो पर खेलना , नाना के साथ चांट खाने जाना और रात को नानी से कहानिया सुन ना ...हर गर्मी की छुट्टी मे वो वहाँ ज़रूर जाते ..
आरती की मम्मी साहिल से काफ़ी बड़ी थी और इस तरह साहिल और रोहन की एज मे केवल 3 साल का डिफरेन्स था और आरती और साहिल मे 5 साल का .
लगभग हम-उम्र होने के कारण उनमे कभी मामा -भांजी वाला रिस्ता नही रहता बल्कि दोस्तो की तरह रहते थे . आपस मे लड़ना झगड़ना , रूठना मनाना लगा रहता था . रोहन , आरती और साहिल एक साथ खेलते थे जबकि साहिल की सिस्टर रेणु जो उस से दो साल बड़ी थी ज़्यादा नही घुल मिल पाती .बड़े मामा घर से बाहर रहकर डिप्लोमा कर रहे थे ..
.बचपन से ही साहिल आरती को बहुत मानता था ..किसी भी बात पर वो आरती के लिए लड़ जाता कभी कुच्छ भी खाने को आता साहिल अपने हिस्से मे से सबसे छुपा कर आरती को देता ...कुल मिलाकर वह उसकी लड़ली थी .आरती भी उसे उतना ही मानती..रोहन से ज़्यादा लगाव था उसे अपने मामा से ... दीदी हमेशा कहती दोनो एक ही थाली के चट्टेो बट्टे़ हैं ...सब लोग हंस देते ... साहिल आरती को कभी अकेला नही छोड़ता..मानो उसे लगता उसकी आरती को कोई छीन ना ले ..बचपन ऐसा ही होता है , निस्छल , निस्पाप और अल्हड़..
हर बार गर्मी की छुट्टी ख़त्म करके जब वो आने लगते तो सारे एमोशनल हो जाते ....धीरे धीरे समय बीत ता रहा और वो बड़े होने लगे...इस बार गर्मी की छुट्टी मे जब वो गाओं आने वाले थे तो आरती ने 12थ का एग्ज़ॅम दिया था जबकी रोहन ग्रड्यूशन शुरू कर चुका था..वही साहिल का ग्रड्यूशन कंप्लीट हो गया था ..उसने बीएससी कंप्लीट किया था और अपना कॉलेज भी टॉप किया था . वह काफ़ी होनहार था और सारे टीचर्स कहते थे कि एक दिन डिस्टिक का नाम रौशन करेगा .
रेणु , साहिल, रोहन और आरती सभी जवानी की दहलीज़ पर कदम रख चुके थे . रेणु काफ़ी शांत स्वाभाव की , सुलझी हुई लड़की थी . उसका शरीर जवानी के रंग मे पूरी तरह रंग गया था .उसने भी एम.ए की पढ़ाई सुरू कर दी थी. साहिल कद काठी मे कोई खास नही था किंतु लंबाई अच्छी थी .वह भी रेणु की तरह ही शांत स्वाभाव का था . पढ़ाकू टाइप का होने की वजह से कॉलेज मे काफ़ी लड़कियाँ उस से बात करना चाहती थी किंतु वह बहुत ही रिज़र्व रहता था लेकिन घमंड उसे छुकर भी नही गया था . बस उसे लगता था कि अगर बेकार के कामो मे लग गया तो अपना लक्ष्य नही पा सकूँगा . साहिल आइएएस बन ना चाहता था.
रोहन पढ़ने मे कुच्छ खास नही था,शहर के कुच्छ बुरे लड़को की बुरी संगत का कुच्छ असर था उस पर किंतु आरती अच्छी थी . इस बार दीदी और उनकी फॅमिली 3 सालो के बाद आ रहे थे क़योंकि बीच के वर्षो मे जीजा को एक एंबसी मे फॉरिन का कम मिल जाता था और गर्मी के सीज़न मे तो दीदी भी साथ चली जाती और वो आ नही पाते..उनका खुद का बिज़्नेस था .
आज सारे लोग आ रहे थे और साहिल उन्हे लेने स्टेशन पहुच चुका था .......
ट्रेन 1 घंटे लेट थी ..साहिल वही बैठा वेट कर रहा था और फिर ट्रेन आई ... साहिल को कोच और बर्त पता था सो वो अंदर गया .ट्रेन मे ज़्यादा भीड़ नही थी ...अंदर जाकर साहिल ने दीदी जीजा के पैर छुये और तभी उपर की बर्त से आरती कूदी " अरे मामा आप तो बड़े हो गये " .साहिल थोड़ा चोंक गया इस तरह अचानक कूदने से .... फिर गौर से आरती को देखा ..बला की खूबसूरत हो गई थी .साहिल ने उसे देखा , मुस्कुराया और नज़रे झुका कर बोला "तू भी तो बड़ी हो गई है "
दीदी "अच्छा चलो सारी बाते यही करनी हैं " और फिर सब गाओं के लिए ऑटो मे बैठ जाते है ...
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