RE: Antarvasna तूने मेरे जाना,कभी नही जाना
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साहिल बेडरूम मे रज़ाई के अंदर लेटा हुआ है ....वैसे तो बेडरूम मे एक ही बेड होता है पर आरती ने कहलवा कर एक छोटी चारपाई और रखवा दी थी.
आरती हाथ मे आयिल की बॉटले लेकर आती है और साहिल के सिरहाने बैठ जाती है ... साहिल के गले से लिपटा हुआ शॉल निकालकर अलग रख देती है...
"आरती रहने दो मैं ठीक हूँ"
कितनो दीनो बाद साहिल के मूह से अपना नाम सुना था ..आरती का दिल जैसे सिहर सा जाता है .
वो साहिल की बात उनसुनी करके उसके बालो मे तेल लगाने लगती है ...
साहिल की आँखे एक सुनहरे सपने की आस मे बंद होने लगती है..लेकिन बस कुच्छ सेकेंड्स के लिए ..अचानक वो आँखे खोल देता है ..कहीं फिर से कोई ऐसा सपना ना देख ले ये आँखे जो टूटे तो दिल के हर हिस्से को तोड़ जाए ..साहिल जैसे सपने देखने से डरने लगा था .
आरती जैसे बिना कहे ही सब कुछ समझ जाती है ..वो साहिल के सर को हल्का हल्का सा दबाने लगती है...और साथ ही उसके बालो मे हाथ फेरने लगती है...
साहिल के जेहन मे अतीत की बहुत सी यादे आ रही थी ...आरती का भी वही हाल था ..लेकिन वो एक दूसरे कुच्छ कह नही रहे थे ...अचानक कुच्छ सोचते सोचते आरती की उंगलियाँ साहिल के बालो मे रुक जाती है.
"रुक क्यूँ गयी, करो ना " साहिल जैस अंजाने मे बोल गया .
आरती फिर से हाथ चलाने लगती है..
"तुम थक गई होगी अब रहने दो "...साहिल उठने की कोसिस करते हुए बोलता है..
आरती उसका कंधा पकड़कर वापस उसे लिटा देती है..
थोड़ी ही देर मे साहिल की आँख लग जाती ह....आरती उठने लगती है कि खाने का ऑर्डर कर दे फिर साहिल को जगाए ...अचानक साहिल के हाथो मे आरती की कलाई आ जाती है.
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