RE: Antarvasna तूने मेरे जाना,कभी नही जाना
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आरती साहिल को जगाने के लिए जाती है
"साहिल,साहिल " दो बार बुलाने के बाद भी साहिल की नीद नही खुलती. आरती हल्के से उसके कंधे को छुकर उठाने की कोसिस करती है....पर साहिल नही उठ ता
लगता है साहिल बहुत गहरी नीड मे है" -आरती मन मे सोचती है ...फिर वो उसके उपर कंबल डाल देती है और खुद पास मे पड़ी हुई चारपाई पर लेट जाती है.
आरती की आँखो से नीद कोसो दूर थी जबकि आज यात्रा और उसके बाद सब समान सेट करने मे वो काफ़ी थक गयी थी...
""साहिल कितना बदल गये है ...पहले कितने शोख और हस्मुख हुआ करते थे ...मुझे आपने पुराने साहिल को वापस लाना है चाहे इसके लिए मुझे कुच्छ भी करना "'पड़े..
क्या ये सब मेरी वजह से हुआ ...क्या मैं सच मे इन सबके लिए ज़िम्मेदार हूँ ????
"काश साहिल मैं तुम्हे बता पाती उस समय , तो आज हम एक दूसरे से इतने दूर न होते..इतने साल एक दूसरे के बिना ना गुजरते.....या फिर ....शायद हम कभी नही मिल पाते...शायद आज मैं जिंदा ही ना होती..... मुझे शायद तुम्हे बता देना चाहिए था....लेकिन मैं नही बता सकी जान ...क्योकि...... नही साहिल मैं अब वो सब सोचना भी नही चाहती ..बहुत भयानक दिन थे वो ...अब मैं कभी वो दिन याद नही करना चाहती."
और आरती की आँखो मे आँसू आ जाते हैं..
"लेकिन मैने अपनी ज़िंदगी के सबसे खूबसूरत दिन भी तुम्हारे साथ गुज़ारे है ..तुम्हारी वजह से गुज़ारे हैं.....तुमने मुझे जिंदगी की हर ख़ुसी दी और मैने ????..."
"काश एक बार तुम मुझे फिर उस रूप में मिल जाओ...काश वो दिन फिर वापस आ जाए...काश मेरा वो प्यारा दोस्त वापस आ जाए......साहिल वो नदी का किनारा , वो गाओं का बगीचा , वो झरने की कल कल , वो बचपन की लड़ाई ...वो रूठना वो मनाना...... तुम्हारे साथ बिताया एक एक पल ...सब बहुत याद आता है जान....."
आरती की आँखो से झर झर आँसू बहने लगते है और वो अपने ननिहाल मे बिताए खूबसूरत दिनो की यादो मे खो जाती है
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