RE: Antarvasna तूने मेरे जाना,कभी नही जाना
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इधर साहिल और आरती खेतो की ओर चल देते है ..ना जाने क्यू साहिल को आरती के साथ चलना बहुत अच्छा लग रहा था ...लाडली तो वो उसकी बहुत पहले से थी लेकिन अब वो बड़ी हो गयी थी तो शायद साहिल के मन मे छुपे प्यार ने शर्म का रूप ले लिया था
" मामा, आप इतने चुप क्यू हो"
"नही तो "...दोनो खेतो के बीच बनी पग डन्डियो पर चलते जा रहे थे .
" अच्छा तो मैं पागल हूँ जो ऐसा बोल रही हूँ? "
पागल हूँ मतलब..कोई आज की पागल है ..तू तो बचपन से ही पागल है " साहिल भी अब थोड़ा मूड मे आने लगा था ..उसे लगने लगा था कि ये तो वही मेरी पुरानी आरती है.साहिल उसे छेड़ रहा था.
अच्छा .......ठीक है फिर आप मुझसे बात मत करना ...कोई पागलो से बात करता है क्या"
आरती भी तुनक कर बोली...साहिल से नाज़ उठवाना उसकी पुरानी आदत थी और साहिल बड़े प्यार से उसके सारे नखरे उठा ता था.
'हाँ ये भी बात भी सही है..तो कितने दिनो तक बात नही करेंगे ?" साहिल ने उसे और छेड़ा .
आरती इस बार ताप गयी पूरी -" हमेशा के लिए" और तुनक के तेज़ी से आगे बढ़ी..
साहिल ने उसका नाज़ुक कलाई को थाम लिया " पागल तू मुझसे बात नही करेगी तो मैं जी कैसे पाउन्गा"
आरती ने मुड़कर साहिल की आँखो मे देखा...शर्म, हया और ढेर सारा प्यार था उन आँखो मे ...लेकिन ये प्यार लाड़ प्यार वाला प्यार था ..एक लड़की और एक लड़के के बीच के प्यार का रंग कुच्छ और ही होता है .
साहिल खुद नही जानता था उसके मूह से ये शब्द कैसे निकल गये..वो शर्मिंदा सा खड़ा था जैसे कोई गुनाह कर दिया..पर आरती का हाथ नही छोड़ा था अभी ...आरती को उस पर बहुत प्यार आया
"तो फिर मुझे इतना तंग क्यो करते हो ..हुउऊ बोलो"
"अब नही करूँगा ...लेकिन मुझसे ऐसे कभी मत रूठना कि कभी बात ना करो"
"और अगर अब आप को मैं तंग करने लगूँ तो ???" साहिल को सीरीयस होते देख आरती ने थोड़ा सा छेड़ दिया उसे ..
"'चुड़ैल.... मुझे पता था तू इसीलिए मुझे खेत लाई है ,,,,हमेशा खुद मुझे तंग करती है और फिर सारा दोष मुझपर ही डाल देती है "
आरती खिलखिला कर हंस देती है उसकी बात पर ..और फिर दोनो हाथो मे हाथ डाले आगे की ओर चल देते हैं.
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