RE: Antarvasna तूने मेरे जाना,कभी नही जाना
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रेणु का दिल जोरो से धड़क रहा था ..उसे सुबह की बाते याद आ रही थी ..
"मौसी बता दूं ..पर दोगि ना "
रेणु कुच्छ नही बोलती बस हां मे सर हिला देती है .....
"प्यास लगी है " रेणु का चेहरा शर्म से लाल हो जाता है ...
"और पानी आपने दिया नही " रोहन हँसता हुआ बोलता है ..
" अभी लाई ..रेणु भाग जाती है वहाँ से...
रेणु काफ़ी सीधी शर्मीली सी लड़की है किंतु रोहन की बाते उसे अच्छि लगने लगी थी .जवानी की दहलीज़ पर खड़ी हर लड़की को ऐसी बात अच्छि लगती हैं ये और बात है की दुनिया समाज के डर से और रिश्तो के बंधन मे बधे होने से वो इस बात को कभी स्वीकार नही करती... ..रेणु का भी यही हाल था ..उसे कुच्छ पल को अच्छा लगता फिर खुद से ग्लानि होती कि वो उसका अपना भांजा है.
सभी लोगो को तीन दिन बात दिल्ली के लिए निकलना था ..रोहन के पापा तो दूसरे दिन ही चले गये थे लेकिन बाकी लोगो को आए 6 दिन हो चुके थे .इन 6 दिनो मे आरती और साहिल एक दूसरे के और करीब आते जा रहे थे ..उनकी नोक झोक अब प्यार का रंग ले रही थी लेकिन दोनो ही इस बात से अंजान थे . वहीं रोहन पूरी कोसिस करने के बावजूद रेणु के साथ अपने मन की कुच्छ नही कर पाया था ..हाँ अब रेणु उसे देखकर थोड़ा शर्मा ज़रूर जाती और रोहन उसके साथ हसी मज़ाक खुल कर करने लगा था ..लेकिन रेणु को अपनी सीमाए पता थी और वो रोहन को आगे नही बढ़ने देती .
आज का दिन भी रोज की तरह गुज़रा ..रात का खाना खाकर सब लोग टी,वी देख रहे थे ...सब लोगो के खाने के बाद रेणु अपना खाना लेकर छत पर बने रूम मे चली जाती है ..वो यही सोती भी थी साथ मे अटॅच्ड बाथरूम और एक और रूम था जिसमे एक टी.वी और उसके पढ़ने की बुक्स रखी थी. ...साहिल और आरती की नोक झोक भी चल रही थी.
थोड़ी देर बाद ..
रोहन बोलता है " मौसी सबको खाना खिलाती है और मौसी को कोई नही पुछ्ता ,,दिस ईज़ नोट फेयर.."
"अच्छा इतनी फिकर है तो जा तू पुच्छ ले अपनी मौसी को " उसकी मम्मी बोलती है ..
"हाँ.. हाअ..पूछूँगा ही जब आप लोग नही पूछते "
और सब मुस्कुरा देते हैं ..रोहन उठकर छत पर चला जाता है .
"मौसी अरे आपने खाना खा लिया .. मैं तो आपको पुच्छने आया था कि और कुच्छ चाहिए " रोहन उपर पहुचा तो रेणु खा कर लेटी ही थी .
"अरे रोहन आओ बैठो ..नही मैं अपना खाना सही लेकर आती हूँ . तो कम ज़्यादा नही होता " रेणु उठाकर बैठ जाती है ..
"आप लेटी रहो ...मैं तो ऐसे ही मजाक कर रहा था..आप थक जाती हो ना मौसी ..कितना काम करती हो आप
"
रोहन उसके बेड पर उस से सट कर बैठ जाता है .. ..
"रेणु थोड़ा पिछे खिसक जाती है ..अरे नही ऐसी कोई बात नही है .काम ही क्या होता है ..बस बनाना खाना."
"रोहन, आप बहुत अच्छी हो मौसी .".
"अच्च्छा ,,क्यू अच्छि हूँ मैं??? "
"आप पढ़ने मे भी अच्छि हो, घर के सारे काम भी करती हो ,सबका ख्याल रखती हो ...और आप इतनी खूबसूरत भी हो ..शाहर की लड़किया तो ज़रा सी बात पर नखरे दिखाती हैं ..लेकिन आपके अंदर कितनी सादगी है "
रेणु को रोहन की मूह से अपनी तारीफ अच्छि लगी थी .".अच्छा तो तुम्हे शहर की लड़किया नही पसंद हैं " रेणु ने मज़ाक किया .
"मुझे तो आप पसंद हो " रोहन बोल ही दिया आज .
"रोहन ये क्या बोल रहे हो ,,,मौसी हूँ मैं तुम्हारी "
"मेरा ..मत..लब.. था कि आप जैसी गाओं की लड़किया पसंद हैं ..."
रेणु कुच्छ नही बोलती .
रोहन जल्दी से उसके पैर पकड़ लेता है ..."मौसी प्लीज़ मम्मी को मत बोलना ..आप सच मे बहुत अच्छि हो "
रोहन रेणु के पैर पकड़ गिडगिडाने लगता है ..
"अच्छा बाबा नही बोलूँगी ..अब मेरा पैर छोड़ो " रेणु ने उसे पैर पकड़े देखा तो मुस्कुराते हुए बोली.
इन्ही सब बातों मे रेणु रोहन के शरीर अंजाने मे ही काफ़ी पास आ गये थे ...रोहन ने उसके पैर पर हाथ रखे रखे ही अपना चेरा उपर उठाया ...रेणु के होठ उसके होंठों के एकदम करीब थे .
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