RE: Antarvasna तूने मेरे जाना,कभी नही जाना
24-
रेणु के लरजते गुलाबी रसीले होठ रोहन के होंठो से बस कुच्छ सेंटीमीटर की दूरी पर थे ...रेणु रोहन को इतना पास देखकर हड़बड़ा जाती है ...उसे कुच्छ समझ मे नही आ रहा था जैसे,,,रोहन को तो मानो मन की मुराद मिल गई..उसने अपने गर्म सूखे होठ रेणु के मधुर होंठो पर रख दिए...रेणु की आँखे बंद हो गयी ..किसी के भी होंठो का यह पहला चुंबन था उन कमसिन गुलाबी पंखुड़ियो पर...रेणु को मानो होश ही ना हो ...रोहन की सासो की गर्मी उसे पिघला रही थी ..सालो से बचाई यौवन की दौलत आज छलक पड़ी थी ..
रोहन रेणु के मधुर होंठो पर अपने होठ और जीभ फेरने लगा और उसकी जीभ रेणु के मुख मे घुसने की कोसिस करने लगी ...रोहन अब थोड़ा कॉन्फिडेंट हो गया था और रेणु के सर को पकड़ कर उसे अच्छी तरह से किस करने ल्गा ...
रेणु के होठ फडफडा रहे थे ..रोहन के होंठो का मानो विरोध कर रहे हो..और रोहन उन्हे अब धीरे धीरे चूसने लगा था उपर से ही .. रोहन ने एक हाथ से रेणु के सीने को छुपाये दुपट्टे को हटा दिया ..रेणु के सूट के गले से झाँकती उसकी सफेद चुचिया और उनके बीच की गहरी घाटी रोहन को पागल बनाए जा रही थी ...
रोहन को लगा कि रेणु अपने होठ नही खोलेगी और उसने अपना हाथ रेणु के उन्नत उभारों पर रख दिया और उन्हे नीचे से हाथ लगाकर सहलाने लगा मानो उन भारी संतरो को तौलने की कोसिस कर रहा हो ...रेणु ने अभी तक रोहन का कोई साथ नही दिया था लेकिन विरोध भी नही किया था ..वो मानो बेहोशी के आलम मे थी ...जवानी की दहलीज़ पर खड़ी उस सुकुमारी को मर्द के अंगो की पहली छुअन ने मदहोश कर दिया था .
रोहन उसकी दोनो चुचियो को बारी बारी सहला रहा था और साथ ही उसके कोमल नाज़ुक लबों के शहद को चाटने की कोसिस कर रहा था..
रोहन से अब बर्दाश्त नही हो रहा था उसने रेणु की चुचियो को हल्का सा दबा दिया और रेणु के मूह से आह की सिसकी निकल गई ..रोहेन ने मौका देखा और अपनी जीभ उसके मूह मे डाल दी और उसके होंठो को दबा कर चूसने लगा और हाथो से उसकी चुचियो को रगड़ना भी जारी रखा .
रेणु को अब ये सब अच्छा लग रहा था और उसने भी रोहन के सर को पकड़ कर उसके होठ चूसने सुरू कर दिए ..दोनो के मूह एकदम एक दूसरे से लॉक्ड थे मानो एकदुसरे के होंठो को खा जाना चाह रहे हो .
रोहन रेणु के निपल को अब हल्का हल्का पिंच कर रहा था और उसकी उरोजो को बुरी तरह से मसल रहा था ..रेणु शायद अब विरोध करने की स्थिति मे नही थी ...एक संस्कारी लड़की जिसने कभी ऐसा सोचना भी पाप समझा आज अपने ही भान्जे के हाथो अपना जवानी लुटवा रही थी .
रोहन का हाथ अब धीर धीरे अब रेणु के पेट को सहला रहा था किंतु रेणु रोहन के बालो मे हाथ डाले अभी भी उसकी जीभ चूस रही थी .
रोहन रेणु के पेट को सहलाता हुआ अपना हाथ रेणु के गोल गोल सलवार मे क़ैद भरे हुए नितंबो पर रख देता है और उन्हे सहलाने लगता है..
रोहन से अब बर्दाश्त करना मुस्किल हो रहा था ..उसने अपना हाथ आगे की ओर बढ़ाया और सलवर् के उपर से हाथो को रेणु की " कुवारि-कली "के उपर रखकर मुठ्ठी मे दबोच लिया.
"न्हीईीई" रेणु रोहन से छिटक कर दूर हट जाती है
रेणु के लिए शायद ये बहोत ज़्यादा था ,,उसे मानो होश आ गया था कि ये क्या कर रही है वो और किस के साथ.
रोहन को देखकर उसे अपनी ग़लती का मानो अहसास हो गया हो ..रेणु फूट फूट कर रोने लगती है ...
"मैने पाप किया है ...मैं पापीन हूँ ..हे भगवान मुझे मौत दे दो..मैं जीने लायक नही हूँ
रोहन के तो होश उड़ गये थे ..अगर कोई उपर आ गया तो क्या जवाब दूँगा .
"मौसी प्लीज़ चुप हो जाओ ..कोई आ जाएगा " रोहन रेणु के कंधो को पकड़कर समझाने की कोसिस करता है.
"दूर रहो मुझसे ..सब तुमने किया है...सब तुम्हारी वजह से हुआ है "
"मौसी आइ एम सॉरी ...प्ल्ज़्ज़.."
" जाओ यहाँ से "
रोहन सर लटका कर वही खड़ा रहता है ...
रेणु को लगता है कि सचमुच कोई आ गया तो बहुत बड़ा अनर्थ हो जाएगा ..
वो सिसकने लगती ह ..आँसू लगातार बहे जा रहे थे.
"रोहन तुम जाओ यहाँ से " वो रोहन से गुस्से मे बोलती है .
रोहन वहाँ से सर झुकाए चला जाता है
रेणु रोते हुए बिस्तर पर लेट जाती है ..और अभी भी सूबक रही थी ...इसके जेहन मे सारी घटना किसी फिल्म की तरह चल रही थी और साथ ही साथ एक सवाल -- "क्या सचमुच सब रोहन की ही ग़लती थी "
|